उर्स लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
उर्स लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 9 जून 2024

URS Hazrat लाटशाही बाबा (रह.) Varanasi

फिर लाटशाही बाबा के दर से झोली भर कर लौटे जायरीन

लाटशाही बाबा का तीन दिवसीय उर्स अकीदत और एहतराम संग सम्पन्न 


Varanasi (dil India live)। सर्किट हाउस स्थित हज़रत सैय्यद मुख्तार अली शाह शहीद उर्फ लाटशाही बाबा (रह.) का तीन दिवसीय उर्स रविवार को फजर की नमाज के साथ सम्पन्न हो गया। उर्स के दौरान बाबा के दर पर अकीदत का सैलाब उमड़ा हुआ था। शनिवार की रात से रविवार की सुबह तक जायरीन बाबा के दर पर अपनी अकीदत लुटाते दिखाई दिए। आलम यह था कि सर्किट हाउस, कचहरी के साथ सड़क पर पांव रखने भर की भी जगह नहीं थी। इससे पूर्व शाम को सूफी जाफर हसनी के उल्फत बीबी के हाता सिथत दौलतखाने से चादर-गागर का जुलूस निकला, जो कदीमी रास्ते से होता हुआ बाबा के आस्ताने पर पहुंचा। यहां बाबा की मजार पर चादरपोशी कर अकीदतमंदों ने मुल्क की सलामती व खुशहाली की दुआएं मांगी। तीन दिवसीय उर्स के दौरान कुरानख्वानी, फातेहा व लंगर का दौर चलता रहा। उर्स के मौके पर प्रशासनिक अधिकारियों संग बंगाल, बिहार, हरिद्वार, दिल्ली, अजमेर सहित पूर्वाचल भर से हजारों अकीदतमंदों ने बाबा के दर पर हाजिरी लगाकर दुआएं व मन्नतें मुराद मांगी। उर्स के दौरान जहां दोनों वर्गों के लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था वहीं उर्स को देखते हुए लगे मेले में सभी ने अस्थाई दुकानों से खरीदारी की। बच्चे झूला वह चरखी का लुत्फ उठाते दिखाई दिए।

बाबा चेतसिंह के थे सिपहसालार 

हज़रत लाटशाही शहीद बाबा (रह.) का असली नाम सैय्यद मुख्तार अली शाह था। बाबा फतेहपुर के रहने वाले थे। हज़रत लाटशाही बाबा सन् 1742 में बनारस आए। आप काशी नरेश के शिवपुर परगना के शहर काजी बने। राजा चेतसिंह ने बाबा के इंसाफ और बहादुरी के चलते अपनी सल्तनत में सिपहसालार बनाया। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 1782, 1784 व 1786 में राजा चेतसिंह की ओर से जंग लड़ी। जंग में अंग्रेजों ने अपनी हार मानते हुए संधि की। इसके बाद अंग्रेजों की ओर से दूसरा गवर्नर भेजा गया। 1798 में उसने धोखे से जंग छेड़ दी। इस जंग में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए सैय्यद मुख्तार अली शाह लाटशाही बाबा शहीद हो गए। राजा चेतसिंह की ओर से उन्हें लार्ड गवर्नर नियुक्त होने के कारण इनका नाम बाद में लाटशाही बाबा पड़ गया। आज बाबा को मानने वाले देश दुनिया में फैले हुए हैं। उर्स के दौरान बाबा से अकीदत रखने वाले देश के कोने कोने से कचहरी, अर्दली बाजार व पक्की बाजार पहुंचते हैं। उर्स के दौरान इन इलाकों के तक़रीबन सभी घरों में मेहमान होते हैं।

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

khwaja gharib Nawaz का बड़ा कुल सम्पन्न, लौटने लगे जायरीन



Varanasi (dil india live). Rajasthan (राजस्थान) के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 811 वां सालाना उर्स पूरी अकीदत के साथ सम्पन्न हो गया। कल ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह के उर्स पर बड़े कुल की रस्म अदा की गई। बड़े कुल के साथ सालाना उर्स संपन्न हो गया। इसी के साथ काशी से अजमेर उर्स में जियारत करने गए बनारस के लोगों का जत्था अब अपने घरों को लौट रहा है।

इससे पहले अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह पर कल सुबह बड़ा कुल जिसे नवीं का कुल कहा जाता है सुबह आठ बजे खुद्दाम-ए-ख्वाजा ने मजार शरीफ पर कुल की रस्म अदा की और आस्ताना शरीफ के साथ दरगाह परिसर को केवड़े एवं गुलाबजल से गुसल कराया गया। इस दौरान देश में अमन चैन, खुशहाली की दुआओं में लोगों ने हाथ फैलाया।

कुल की रस्म में खुद्दाम ए ख्वाजा ने ही सभी धार्मिक क्रिया पूरी की और फातिहा के बाद खादिमों की अंजुमन की ओर से उर्स संपन्न होने का ऐलान कर दिया गया। बड़े कुल के मौके पर देश दुनिया से आए ख्वाजा के दीवानों की सकुशल घर वापसी के लिए भी दुआ की गई। इतना ही नहीं उर्स के शांतिपूर्वक एवं सफलता के साथ संपन्न होने पर सभी का शुक्रिया अदा किया गया।

पाकिस्तान के 240 जायरीन ने की जियारत 

उर्स मे शरीक होने आये पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के 240 सदस्यों का दल भी सायं अजमेर शरीफ उर्स में जियारत करने के बाद रवाना हो गया। पाकिस्तान के दल ने दोनों देशों के बीच मोहब्बत का पैगाम दिया।

गुरुवार, 19 जनवरी 2023

Khwaja gharib Nawaz k dar par pesh hogi Tiranga chadar

महबूबे इलाही हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के दर पर भी चढ़ेगी तिंरगा चादर




Varanasi (dil india live). मास्जिद लाठ सरैया स्थित हज़रत मखदूम शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह के आस्ताने पर Khwaja gharib nawaz (ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैह) को चढ़ायी जाने वाली तिरंगे चादर को अकीदतमंदों के दीदार के लिए खोली गई। ये तिरंगी चादर पीछले 30 वर्षो से ख्वाजा गरीब नवाज कमेटी वाराणसी के अध्यक्ष वकील अहमद और उपाध्यक्ष शेख रमजान अली के नेतृत्व में लगातार अजमेर शरीफ जा रही है । इस मौके पर जलालीपुरा के पार्षद हाजी ओकास अंसारी ने बताया की ख्वाजा गरीब नवाज साहब को ये तिरंगा चादर वकील अहमद और रमजान अहमद के नेतृत्व में पिछले 30 वर्षो से एक जत्था काशी से अजमेर शरीफ जाता है और इस साल के उर्स मुबारक पर 25 अकीदतमंदों का ये जत्था 23 जनवरी को बनारस रेलवे स्टेशन से ट्रेन से  रवाना होगा। ये जत्था पहले दिल्ली जायेगा जहा एक तिरंगा चादर  हजरत निजामुद्दीन शाह औलिया के दरगाह पर चढ़ाया जायेगा उसके बाद ये जत्था अजमेर शरीफ के लिए रवाना हो जायेगा जहां 29/01/23 के छठीं के कुल पर चढ़ाया जायेगा, इसके बाद दुआ खानि होगी जिसमे मुल्क की तरक्की कारोबार में बरक्कत केलिए और मुल्क में अमान अमान और भाई चरागी  कायम रहे  उसके लिए दुआ करेंगे और उसके बाद नौ का कुल करने के बाद ये जत्था 2 फरवरी को वापस लौटेगी।

इस मौके पर हाजी ओकास अंसारी, दुर्गा प्रसाद गुप्ता, मन्नू गुप्ता, वकील अहमद, शेख रमजान अली, मोहम्मद महतो, शहाबुद्दीन, रमजान अली, विपिन पाल, मंगलेश सिंह, डा. मुख्तार अहमद, नेसार अहमद, नियाज़, अब्दुल मतीन आदि लोग मोजूद थे।

मंगलवार, 3 जनवरी 2023

Hazrat rahim Shah baba रहमतुल्लाह अलैह का इस तरह मना उर्स



  • mohd Rizwan 

Varanasi (dil india live). Hazrat rahim Shah baba rahmatullah  (हजरत रहीम शाह रहमतुल्लाह अलैह) का सालाना तीन दिनी उर्स पूरी अकीदत के साथ आज अमन और मिल्लत कि दुआओं के साथ सम्पन्न हो गया। उर्स के दौरान बेनियाबाग स्थित बाबा के आस्ताने पर फातिहा पढ़ने और मन्नतों की चादर चढ़ाने के लिए अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ा हुआ था। दूर दराज से आए तमाम अकीदतमंदों ने बाबा के दर पर हाजिरी लगाई। उर्स में तकरीर और नात-ए-पाक के साथ ही बाबा की शान में सूफियाना कलाम भी पेश किया गया।

इससे पहले हजरत रहीम शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह के उर्स का आगाज कुरानख्वानी से हुआ। जोहर की नमाज के बाद महफिल-ए-समां का आयोजन किया गया। शाम को चादरपोशी और मगरिब की नमाज के बाद मीलाद शरीफ हुआ। मीलाद शरीफ में बड़ी तादाद में अकीदतमंद शामिल हुए। शाम को तकरीर और लंगर भी चला। सुबह से देर रात तक बाबा के दर पर फातिहा पढ़ने वालों का हुजूम जुटा हुआ था। इसमें हिन्दू मुस्लिम सभी शामिल थे। 

उर्स के आखिरी दिन बाबा के गुस्ल शरीफ के साथ बाबा के आस्ताने पर सरकारी चादर चढ़ाने के लिए चादर गागर का जुलूस औरंगाबाद से निकल कर विभिन्न रास्तों से होकर बाबा के दर पहुंचा, जहां पर हुजूम के साथ बाबा को सरकारी चादर पोशी कि गई। 

गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

Hazrat mastan Shah baba bhar de jholi meri

लोहता में hazrat मस्तान baba के उर्स में उमड़े ज़ायरीन 

मेले को देखते हुए पुलिस रही चौकन्ना 


Varanasi (dil india live). लोहता के हरपालपुर गांव स्थित हज़रत दीन मस्तान शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह के उर्स में आस्ताने पर जायरीन का हुजूम उमड़ा। उर्स में सभी मज़हब के लोग बाबा के दर पर अकीदत लुटाते नज़र आये
मेले में लोहता के कोटवां, धन्नीपुर, महमूदपुर ही नहीं बल्कि शहर और आसपास से भी अकीदतमंद फातेहा पढ़ने के बाद जमकर खरीदारी करते नज़र आए। इस दौरान खाने-पीने के चीजों का भी लोगों ने लुत्फ उठाया। बड़े, बुजुर्ग ही नहीं बल्कि बच्चे भी मेले में उर्स में पहुंचे हुए थे। बाबा दीन मस्तान शाह के मेले में खाने-पीने की दुकान से लेकर कई तरह की चरखी, हवाई झूला समेत मनोरंजन के तमाम साधन देखने को मिले, साथ ही  बहुत सारी खिलौने की दुकानें भी सजी हुई थीं। सौंदर्य प्रसाधनों की दुकान ख़्वातीन के लिए आकर्षण का केन्द्र थी। समाचार लिखे जाने तक उर्स अपने शबाब पर था।
 मेला परिसर में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए लोहता थानाध्यक्ष राजकुमार पांडेय उपनिरीक्षक संदीप कुमार सिंह पुलिसकर्मियों के साथ सक्रिय भूमिका निभाते नज़र आये।

सोमवार, 3 अक्तूबर 2022

Hazrat munawar Shah के उर्स में गूंजी अमन की दुआएं


Varanasi (dil india live). दशाश्वमेध थाना अंतर्गत देवकी नंदन हवेली, रामापुरा स्थित हजरत मुनव्वर शाह बाबा का सालाना उर्स पुलिस प्रशासन के निर्देशन में बाबा के चाहने वालों या यू कहे की कमेटी व मुहल्ले वालों की देख रेख में मनाया गया। उर्स में मजार पर गुस्ल व संदलपोशी करके मजार कमेटी के लोगों द्वारा बाबा की मजार पर चादर गागर पेश किया गया। चादर गागर चढ़ाने के बाद  दुआख्वानी में मुल्क में अमन की सदाएं गूंजी।

उर्स का आयोजन काशी क्षेत्र की वरिष्ठ भाजपा नेत्री हुमा बानो की ओर से किया गया। जिसमें पीर शफीक अहमद मुजददीदी द्वारा दुआ ख्वानी की गई। जिसमें मुल्क की तरक्की एवं मुल्क में अमन व चैन कायम रहने की दुआ की गई। दुआ ख्वानी में देश के प्रिय प्रधानमंत्री व वाराणसी के सांसद नरेन्द्र मोदी को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट से पुनः भव्य जीत और अधिक वोटों से हासिल करने के लिए भी हाथ उठाया गया। उर्स में  डा. गुफरान जावेद, महफूज खान, लुबना बेगम व मोहम्मद फैय्याज आदि लोग मौजूद थे।

बुधवार, 14 सितंबर 2022

Hazrat Panjabi Shah बाबा के उर्स में जुटेंगे मन्नती

उर्स कल, सज गया पंजाबी शाह रहमतुल्लाह अलैह का दर



Varanasi (dil india live). हज़रत पंजाबी शाह बाबा  रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स जुमेरात को अकीदत के साथ गौरीगंज (भवनिया) सिथत दरगाह में मनाया जाएगा। पंजाबी शाह बाबा के दर पर उर्स के दौरान मन्नत वाह मुराद मांगने लोगों का हुजूम जुटता हैं। कोई बाबा के दर पर फातेहा पढ़ता है तो कोई मन्नतें वह मुराद मांगता दिखाई देता है। दरअसल बाबा का दर गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है। यहां सभी मजहब के लोग उर्स के दौरान अपनी अकीदत लुटाते दिखाई देते हैं। मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, मौलाना गुलाम मुस्तफा खां हबीबी, मौलाना हसीन अहमद हबीबी समेत तमाम उलेमा हज़रत की दीनी ख़िदमात पर रौशनी डालेंगे तो शायर नातियां कलाम पेश करेंगे।

गुरुवार, 2 जून 2022

Hazrat waliullah shah: आज मनाया जा रहा बाबा का उर्स

हरदाम शाह बाबा के उर्स में जुटें हैं मन्नती, हो रही दुआएं 


Varanasi (dil India live)। हज़रत सैय्यद वलीउल्लाह शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह (हरदाम शाह बाबा) के सालाना उर्स में अकीदतमंदों का हुजूम आज मगरिब की नमाज़ के बाद उमड़ेगा। बाबा का उर्स पूरी अकीदत के साथ भूवनेश्वर नगर कालोनी स्थित आस्ताने में फजर की नमाज़ के बाद से मनाया जा रहा है। इस दौरान बाबा से अकीदत रखने वाले दोनों मज़हब के जायरीन मन्नतें वह मुराद मांगने जुटें हुए हैं। 
बाबा के खादिम साबिर खान जायरीन का खैरमकदम कर रहे थे। उन्होंने बताया कि बाबा के दर पर गुसल, फातेहा, गुलपोशी, चादरपोशी के साथ ही मुल्क में अमन और मिल्लत व कौम की भलाई के लिए दुआएं भी कुल शरीफ के दौरान मांगी जाएगी।

शनिवार, 28 मई 2022

Urs hazrat mukhtar ali shah

हज़रत लाटशाही बाबा के उर्स में उमड़ा जनसैलाब 

कोरोना काल के बाद उर्स में झूम के पहुंचे जायरीन 



Varanasi (dil India live)। सर्किट हाउस स्थित दरगाह हज़रत सैय्यद मुख्तार अली शाह उर्फ लाटशाही शहीद बाबा (रह.) के तीन दिवसीय उर्स में शनिवार को अकीदत का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से देर रात तक बाबा के दर पर अपनी अकीदत लुटाते दिखाई दिए। आलम यह था कि सर्किट हाउस, कचहरी के साथ सड़क पर पांव रखने भर की भी जगह नहीं थी। इससे पूर्व शाम को उल्फत बीबी के हाते से चादर-गागर का जुलूस निकला, जो कदीमी रास्ते से होता हुआ बाबा के आस्ताने पर पहुंचा। यहां बाबा की मजार पर चादरपोशी कर अकीदतमंदों ने मुल्क की सलामती व खुशहाली की दुआएं मांगी। तीन दिवसीय उर्स के दौरान कुरानख्वानी, फातेहा व लंगर का दौर चलता रहा। उर्स के मौके पर प्रशासनिक अधिकारियों संग बंगाल, बिहार, हरिद्वार, दिल्ली, अजमेर सहित पूर्वाचल भर से हजारों अकीदतमंदों ने बाबा के दर पर हाजिरी लगाकर दुआएं मांगी। उर्स के दौरान जहां दोनों वर्गों के लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था वहीं उर्स को देखते हुए लगे मेले में सभी ने अस्थाई दुकानों से खरीदारी की। बच्चे झूला वह चरखी का लुत्फ उठाते दिखाई दिए।

राजा चेतसिंह के थे सिपहसालार 

हज़रत लाटशाही शहीद बाबा (रह.) का असली नाम सैय्यद मुख्तार अली शाह था। बाबा फतेहपुर के रहने वाले थे। हज़रत लाटशाही बाबा 1742 में बनारस आए। आप काशी नरेश के शिवपुर परगना के शहर काजी थे। राजा चेतसिंह ने बाबा के इंसाफ और बहादुरी के चलते अपनी सल्तनत में सिपहसालार बनाया। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 1782, 1784 व 1786 में राजा चेतसिंह की ओर से जंग लड़ी। जंग में अंग्रेजों ने अपनी हार मानते हुए संधि की। इसके बाद अंग्रेजों की ओर से दूसरा गवर्नर भेजा गया। 1798 में उसने धोखे से जंग छेड़ दी। इस जंग में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए सैय्यद मुख्तार अली शाह लापरवाही बाबा शहीद हो गए। राजा चेतसिंह की ओर से उन्हें लार्ड गवर्नर नियुक्त होने के कारण इनका नाम बाद में लाटशाही बाबा पड़ गया। आज बाबा को मानने वाले देश दुनिया में फैले हुए हैं।

मंगलवार, 24 मई 2022

Aman का पैगाम देती हजरत सैयद याकुब शहीद की दरगाह

बनारस में मनाया जा रहा है हज़रत याकुब शहीद का उर्स


Varanasi (dil India live)। हजरत सैयद याकूब शहीद रहमतुल्लाह अलैह का आज सालाना उर्स मनाया जा रहा है। सोमवार की रात में बाबा का गुसल हुआ। गुसल के बाद उर्स शुरू हो गया। आज बाबा के दर सुबह से ही अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ा हुआ है। कुरानख्वानी, फातेहा के साथ ही बाबा को चादरें चढ़ाने व मन्नत मुराद मांगने का दौर समाचार लिखे जाने तक जारी था।

हजरत सैयद याकुब शहीद

नगवां इलाके में मौजूद हजरत सैयद याकुब शहीद रहमतुल्लाह अलैह का आस्ताना हिंदू और मुस्लिम ही नहीं बल्कि सभी मजहब की अकीदत का मरकज़ है। यही वजह है कि यहां सभी हाजिरी लगाते हैं। 

बात 11वीं सदी की है। जब दुनिया के कई मुल्कों से होते हुए आप बनारस तशरीफ लाए, आपके साथ हज़रत अल्वी शहीद भी बनारस आए, आपको यह शहर इतना भाया कि आप यहीं के होकर रह गए। तवारीख देखी जाए तो बादशाह महमूद गजनवी के समय में कई सूफी संत बनारस आए और उन्होंने लोगों को खुदा और एकेश्वरवाद का पैगाम दिया। इसी सिलसिले में हजरत याकूब भी बनारस आए थे। उन्होंने दीन की तहरीर की बनारस के नगवां इलाके में कुटिया बनाकर रहने लगे। मस्जिद याकुब शहीद के इमामे जुमा हाफ़िज़ ताहिर की मानें तो उस दौर में हज़रत के पास लोगों का हुजूम उमड़ता था। उनके करिश्मों की चर्चा दूर तक थी। हज़रत ने जब पर्दा किया तो उनके मुरीदों ने उन्हें वहीं सुपुर्दे खाक किया। जहां हज़रत नमाज अदा किया करते थे वहीं एक शानदार मस्जिद याकुब शहीद भी आबाद है।

मंगलवार, 10 मई 2022

Ghazi miya ki shadi:जुमे को बहराइच जाएगी पलंग पीढ़ी

गाज़ी मियां की शादी: 22 को लगेगा मेला, मनेगा उर्स



Varanasi (dil India live) बड़ी बाजार स्थित हजरत सैयद सलार मसूद गाजी मियां रहमतुल्लाह अलैह की शादी की शादी की रस्म कोविड काल के बाद इस बार धूमधाम से अदा की जाएगी। शादी से पहले पलंग पीढ़ी, मेंहदी वो जोड़ा बनारस से बहराइच रवाना होगा।

गाज़ी मियां की शादी की रस्म के साथ शादी पर उर्स और मेले की तैयारियां भी अब तेज़ हो गई है। दरगाह हजरत गाज़ी मियां के सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी ने बताया कि 22 मई को गाज़ी मियां की बारात निकलेगी। इस दौरान तीन दिनों तक मेला लगेगा। बारात के पूर्व 13 मई को पलंग-पीढ़ी और जोड़े का जुलूस दरगाह से निकलेगा जो बहराइच रवाना होगा। उन्होंने कहा कि इस दौरान कोरोना महामारी से निजात की दुआएं भी मांगी जाएगी। उन्होंने कहा कि गाजी मियां की लग्न सवा महीने पहले ही अदा की जा चुकी है। गाजी मियां की शादी की रस्म की शुरूआत लग्न से ही हो जाती है। दरगाह गाजी मियां के गद्दीनशीन/सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी ने कहा कि रगाह कमेटी के सदर हाजी सिराजुद्दीन अहमद, नियाजुद्दीन हाशमी, डा. अजीजुर्रहमान,  अब्दुल अब्दुल्लाह, व नोमान अहमद हाशमी की अगुवाई में फातिहा और चादर पोशी की रस्म उर्स के दौरान अदा की जाएगी।

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

ख्वाजा गरीब नवाब के उर्स में छठी का कुल शरीफ

ख्वाज़ा के उर्स पर काशी में सजी महफिले हुई फातेहा

अकीदत का मरकज़ है हजरत गरीब नवाज का दर 

वाराणसी 08 फरवरी (dil India live)। ख्वाजा मेरे ख्वाजा, दिल में समा जा...व, ऐसा सुनहरा दर है, अजमेर के ख्वाजा का..., जन्नती दरवाज़ा है अजमेर के ख्वाजा का...। कुछ ऐसे ही कलाम से काशी की सड़क से लेकर घर तक आज गूंज रहा है। दरअसल अजमेर में चल रहे दुनिया के मशहूर सूफी संत हिन्दलवली हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह, (सरकार गरीब नवाज) के उस पर जो लोग काशी से वहां नहीं जा सके हैं वो लोग बनारस में ही ख्वाजा का उर्स मना रहे हैं। यही वजह है ख्वाजा का उर्स अजमेर में होता है मगर उसकी धमक दुनिा के हर कोने में रहती है। जो लोग अज़मेर नहीं जा पाते हैं वो देश-दुनिया में जहां भी होते हैं वहीं से ख्वाजा को याद करते हैं, उनका कुल शरीफ कराते हैं, गरीबों को खाना खिलाते हैं और खैरात देते हैं। काशी से अजमेर हज़ारों लोग जत्थे के रुप में उर्स में रवाना हुए हैं हर बनारसी उर्स में नहीं सकता हैं, इसलिए बनारस के अर्दली बाज़ार, पुलिस लाइन, दालमंडी, नईसड़क, लल्लापुरा, हबीबपुरा, गौरीगंज, शिवाला, मदनपुरा, रेवड़ीतालाब, रामापुरा, बजरडीहा, कोयला बाजार, जलालीपुरा, पठानी टोला, पीलीकोठी, सरैया, बड़ी बाज़ार आदि इलाकों में ख्वाजा के उर्स पर फातेहा, मिलाद, कुरानख्वानी का जहां एहतमाम किया गया वहीं दूसरी ओर जगह-जगह ख्वाज़ा की याद में राहगीरों को मीठा शर्बत, पानी व अन्य तबर्रक बांटा जा रहा था। अर्दली बाज़ार में ख्वाजा के उर्स में इस्लामी परचम के साथ ही देश की शान तिरंगा भी लहराता नज़र आया। इसकी वजह लोगों ने बताया कि ख्वाजा हिन्दल वली हैं, उन्होंने हमेशा हिन्दुस्तान और इस देश से मोहब्बत का पैग़ाम दिय। इसलिए जो सूफिज्म के हिमायती हैं वो देश से मोहब्बत करते हैं।

बनारस से उर्स में अजमेर गए मो. इम्तेयाज़ ने बताया कि आज ख्वाजा का 810 वां सालाना उर्स अकीदत के साथ मनाया जा रहा है। अकीदतमंदों ने कुल को देखते हुए दरगाह परिसर के बाहर की दीवारों को गुलाब जल, ईत्र और केवड़े से धोकर कुल के छीटें लगाये गये थे। कोरोना नियमों में सरकार की ओर से शीथिलता के बाद दरगाह परिसर चौबीस घंटे से जायरीन से आबाद है और उर्स की रौनक न केवल दरगाह क्षेत्र में बल्कि दरगाह के चारों तरफ फैली हुई है। आज रात को दरगाह दीवान और ख्वाजा साहब के सज्जादानशीन सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान की सदारत में दरगाह परिसर के महफिलखाने में उर्स की छठी व अंतिम शाही महफिल हो रही है। जो जायरीन आज नहीं आ पाएंगे वे ग्यारह फरवरी को नवी के कुल की रस्म अदायगी में हिस्सा लेंगे। उसके बाद सरकार गरीब नवाज का 810 वां सालाना उर्स अगले साल तक के लिए संपन्न हो जाएगा। 

सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

सरकार गरीब नवाज़ के दर पर झुकती है कायनात


अजमेर 07 फरवरी (dil India live) राजस्थान के अजमेर में चल रहे दुनिया के मशहूर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह,( सरकार गरीब नवाज) के दर पर सारी कायनात झुकती है। ख्वाजा का उर्स इन दिनों अजमेर के साथ ही समूची दुनिया में मनाया जा रहा है। जो अजमेर नहीं जा सके हैं वो जहां हैं वहीं उर्स का आयोजन कर रहें हैं। राजस्थान ही नहीं उत्तर प्रदेश में भी ख्वाजा को लोग याद कर रहे हैं।

कल है ख्वाजा का कुल शरीफ़

अजमेर में 810 वें सालाना उर्स में मंगलवार को कुल की छठी का आयोजन होगा। अकीदतमंद कुल को देखते हुए आज रात से ही दरगाह परिसर के बाहर की दीवारों को गुलाबजल, ईत्र और केवड़े से धोकर कुल के छीटें लगाने शुरू कर देंगे।

कोरोना नियमों में सरकार की ओर से शीथिलता के बाद दरगाह परिसर चौबीस घंटे जायरीनों से आबाद है और उर्स की रौनक न केवल दरगाह क्षेत्र में बल्कि दरगाह के चारों तरफ फैली हुई है। आज रात को दरगाह दीवान और ख्वाजा साहब के सज्जादानशीन सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान की सदारत में दरगाह परिसर के महफिलखाने में उर्स की छठी व अंतिम शाही महफिल होगी। इसके बाद मध्यरात्रि से ख्वाजा साहब की मजार को छठी का गुस्ल देने की धार्मिक रस्म अदा की जाएगी।
जिला प्रशासन ने कुल की रस्म व छठी के मद्देनजर आठ फरवरी को पूरे जिले में राजकीय अवकाश घोषित किया है। कुल की रस्म में बड़ी संख्या में जायरीनों के पहुंचने की उम्मीद है। जो जायरीन कल नहीं आ पाएंगे वे ग्यारह फरवरी को नवी के कुल की रस्म अदायगी में हिस्सा लेंगे। उसके बाद गरीब नवाज का 810वां सालाना उर्स संपन्न हो जाएगा।

सोमवार, 10 जनवरी 2022

कोरोना की बंदिशों के बीच मनेगा हजरत रहीम शाह का सालाना उर्स

 वाराणसी 10 जनवरी (dil india live)। हजरत रहीम शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह का तीन दिनी सालाना उर्स कोविड प्रोटोकाल के साथ बाबा के बेनिया स्थित आस्ताने में मनेगा। इस दौरान बाबा के आस्ताने पर फातिहा पढ़ने और मन्नतों की चादर चढ़ाने के लिए अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ेगा। दूरदराज से आए अकीदतमंदों के कोरोना से बचाव के इंतज़ाम किए जा रहे हैं। बाबा के दर पर हाजिरी के साथ ही तकरीर और नात-ए-पाक का नजराना भी बाबा की शान में पेश किया जायेगा। तीन दिनी उर्स 

की शुरुआत मंगलवार को हजरत रहीम शाह बाबा के दर पर पाक कुरान की तेलावत से होगा। जोहर की नमाज के बाद महफिल-ए-शमा का आयोजन किया जायेगा। शाम को चादरपोशी और मगरिब की नमाज के बाद मीलाद शरीफ होगा। मीलाद शरीफ में बड़ी तादाद में अकीदतमंद शामिल होते हैं। इस मौके पर तकरीर और लंगर भी चलेगा। सुबह से शाम तक बाबा के दर पर फातिहा पढ़ने वाले आयेगे। आने वालों का खैरमखदम सज्जादानशीन मोहम्मद सैफ रहीमी करेंगे। उर्स को देखते हुए दरगाह को सजाया गया है, तथा आसपास भी सजावट की गई।

निकलेगी चादर होगी कव्वाली

सरपरस्त मोहम्मद शाहिद ने बताया कि 11 को फज्र के बाद कुरआन ख्वानी, जोहर के बाद महफिले समा, असर बाद चादर पोशी, मगरिब बाद मिलाद शरीफ, ईशा बाद तकरीर व लंगर, उसी तरह दूसरे दिन 12 को फज्र में कुरआन ख्वानी, बाद नमाज असर ग़ुस्ल मजार शरीफ, बाद नमाज मगरिब सरकारी चादर पोशी व मिलाद शरीफ, बाद नमाज ईशा लंगर व महफिले समा, फिर तीसरे दिन 13 को फज्र में कुरआन ख्वानी के बाद 10:30 बजे कुल शरीफ व बादहु रंग महफ़िल, लंगर  फिर बाद नमाज मगरिब महफिले समां होगा। सभी आयोजन कोविड गाइड लाइन के तहत किया जाएगा। आयोजन में अमन और मिल्लत की दुआएं होगी।

शुक्रवार, 19 नवंबर 2021

हज़रत मौलाना शाह के उर्स में उमड़े ज़ायरीन

मौलाना शाह बाबा का तीन दिनी उर्स अकीदत के साथ शुरू

  •  अस्थाई दुकाने सजी
  •  सजा मौलाना शाह बाबा का दर  
  • रौशनी से नहा उठा आस्ताना



वाराणसी (dil india live)।  हजरत मौलाना शाह सैय्यद मोहम्मद वारिस रसूलेनुमा का सालाना तीन दिनी उर्स पूरी अक़ीदत के साथ आज शुरू हो गया। उर्स में सभी मज़हब के लोग उमड़े हुए थे। मौलाना शाह बाबा को रसुलेनुमा कहा जाता है। माना जाता है कि बाबा के दर पर जो  आता है वो अपनी झोली भर के जाता है। पहले ही रोज़ बाबा का दर अक़ीदतमंदों से गुलज़ार हो गया। बाबा के दर पर अस्थाई दुकाने सज गयी। इस दौरान फुलवारी शरीफ के सज्जादानशीं भी उर्स में पहुंचे हुए थे। 

दिखती है गंगा जमुनी तहज़ीब 

कोयला बाज़ार स्थित बाबा का दर गंगा जमुनी तहज़ीब का मरकज़ है। 21 नवंबर तक चलने वाले उर्स में जुमे को नमाज़ के बाद लोगों का हुजुम फातेहा पढ़ने उमड़ पड़ा। इस दौरान सभी मज़हब के लोग पहुंच कर उर्स में हाज़िरी लगाते दिखाई दिये। बाबा के चाहने वाले फातेहा पढ़ने के साथ ही वहां लगी अस्थाई दुकाने से खरीददारी करके उर्स से वापस लौटते हैं। 


सूफिज़्म का है मरकज़

मौलाना शाह बाबा ने दुनिया को सूफिज्म का सीधा सच्चा रास्ता दिखाया था। यही वजह है कि धर्म और मज़हब के झगड़ों से दूर यहां सभी अपनी परेशानी दूर करने के लिए यहां पहुंचते हैं। उर्स के दौरान सभी मज़हब की हाज़िरी इस बात की दलील है कि बाबा किसी एक के नहीं बल्कि सभी के हैं।

क्यों लोकप्रिय है मौलाना शाह 

हजरत मौलाना शाह सैय्यद मोहम्मद वारिस रसूलनुमा (1087-1166 हिजरी) की मजार है, मज़ार स्थल और आसपास के इलाक़े को 'मौलवी जी का बाड़ा' के नाम से जाना जाता है। जो आदमपुरा वार्ड में कोयला बाजार के घनी आबादी वाले मुहल्ले में है। यह बाड़ा अपनी पुरानी परंपराओं और प्रथाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। मौलवी जी का बड़ा में कुतुब शाह सैय्यद की वर्षगांठ समारोह 12 से 14 वीं रबी-उसानी को आयोजित किया जाता है और इसे शानदार पैमाने पर मनाया जाता है। उर्स के दौरान यहां चादर और गागर लेकर तमाम लोग आते हैं। मगरिब की नमाज के बाद तबरुक (प्रसाद) के साथ गगार की पेशकश करते हुए वे अपनी मन्नत पूरी करने की दुआएं मांगते हैं। रवायत के तहत खुशबू, गुलाब-जल और चंदन के साथ बाबा का गुस्ल किया है और चादर पोशी की जाती है। 

मंगलवार, 2 नवंबर 2021

आयुर्वेद भगा सकता है कुपोषण

‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’  एवं धन्वंतरि जयंती मनी


वाराणसी, 2 नवम्बर (dil india)। आयुर्वेद एवं यूनानी विभाग के तत्वावधान में  चौकाघाट स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में मंगलवार को ‘ राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’  एवं धन्वंतरि जयंती मनायी गयी। इस अवसर पर ‘पोषण में आयुर्वेद का महत्व’ विषयक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। संगोष्ठी में  क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डा. भावना द्विवेदी ने कहा कि  स्वस्थ समाज के लिए देश का कुपोषण मुक्त होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कुपोषण से मुक्ति में आयुर्वेद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 

डा. भावना द्विवेदी ने कहा कि एक समय ऐसा भी था जब कुपोेषण से लोगों की स्थिति गंभीर हो जाती थी |  इसमें अब तेजी से बदलाव आया है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, के साथ ही हमारे आस-पास मिलने वाले औषधीय पौधों, साग-सब्जियों का प्रयोग कर आज हम कुपोषण पर काफी हद तक अंकुश लगा चुके हैं। उन्होंने कहा कि पोषण के प्रति जागरुकता लाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में विभाग की ओर से लगातार जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। खास तौर पर महिलाओं और बच्चों को यह बताया जा रहा है कि वह अपने खान-पान में किस तरह से बदलाव लाएं जिससे उन्हें पोषक तत्व प्राप्त हों।

आयुर्वेद एक जीवन पद्वाति


संगोष्ठी की मुख्य अतिथि व आयुर्वेद महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डा. नीलम गुप्त ने कहा कि आयुर्वेद एक जीवन पद्धति है। आयुर्वेद हमें खाना-पीना, रहना और सभी के सुख की कामना करने का संदेश देता है। कोरोना काल में आयुर्वेद ने अपनी उपयोगिता साबित कर दी है। लोगों में आयुर्वेद के प्रति काफी विश्वास बढ़ा है। अब हम आयुर्वेद के जरिए कुपोषण को भी देश से दूर भगाने में कामयाब होंगे। उन्होंने कहा कि उपभोक्तावादी संस्कृति में खान-पान के लिए बाजारू चीजों पर हमारी निर्भरता बढ़ी है। हमें इससे दूर होना पड़ेगा। यह तभी संभव है जब समाज का प्रत्येक व्यक्ति इसके लिए जागरूक होगा। संगोष्ठी में डा. पुष्पांजली, डा. सनातन राय, डा. कुंवर अंकुर सिंह, डा. प्रीति गुप्ता,डा. विजय राय, डा. मनीष, डा. विनय मिश्र ने भी विचार व्यक्त किये। संचालन डा. रमन ने व डा. उमाशंकर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

गुरुवार, 23 सितंबर 2021

बाहर से नहीं आ पायेंगे ज़ायरीन


ऑनलाइन मनेगा बरेली में आला हजरत का उर्स

बरेली 23 सितम्बर (दिल इंडिया लाइव)| उत्तर प्रदेश के बरेली में दो अक्टूबर से शुरू होने वाला आला हजरत का तीन दिवसीय उर्स इस साल भी कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुये ऑनलाइन ही मनाया जाएगा।

अपर जिलाधिकारी (नगर) महेंद्र कुमार सिंह ने गुरुवार को पत्रकारों को बताया कि उर्स के दौरान कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित किया जायगा। उर्स के लिए जो भी आवश्यक तैयारियाँ की जानी हैं, उसके लिए नगर निगम व विद्युत विभाग निर्देशित कर दिया गया है। विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी आला हजरत उर्स को ऑनलाइन मनाया जाए।

उन्होंने आयोजकों से कहा कि उर्स में बाहर से आने वाले लोगों को पहले से ही सूचना दे दी जाए, जिससे उर्स के समय ज्यादा भीड़ एकत्रित न हो। उर्स के मद्देनजर सड़क का दुरूस्तीकरण एवं चौड़ीकरण का प्रयास किया जा रहा है। उर्स के दौरान कोई समस्या आने पर सम्बन्धित अधिकारी से सम्पर्क के लिये निर्देशित किया गया है। उर्स में पानी, प्रकाश, बैरीकेटिंग, अस्थायी शौचालय, एम्बुलेंस आदि की व्यवस्था पूर्ण किए जाने को सम्बन्धित अधिकारी को निर्देशित किया गया है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रोहित सिंह सजवाण ने बताया कि आला हजरत उर्स के समय पुलिस व्यवस्था पूरी तरह सतर्क रहेगी। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 की गाइडलाइन के चलते पिछले साल भी लाखों की संख्या में जायरीन आये थे।

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...