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रविवार, 7 अगस्त 2022

Happy Friendship day : दोस्त के लिए जां निछावर करने की कहानी मित्रता दिवस

दोस्तों को श्रद्धांजलि के लिए शुरू हुआ friendship day

Varanasi (dil india live).आज पूरी दुनिया में friendship day सेलिब्रेट किया जा रहा है। friendship बैंड, friendship कार्ड, गिफ्ट्स का आदान-प्रदान किया जा रहा है। कहीं दोस्तों की पार्टी हो रही है तो कहीं पिकनिक पार्टी का लुत्फ उठाया जा रहा है। इन सबके बीच एक सवाल है कि आखिर फ्रेंडशिप डे का क्या है इतिहास? इसे क्यों और कब मनाया जाता है?

 दरअसल फ्रेंडशिप डे या मित्रता दिवस अगस्त महीने के पहले रविवार को मनाया जाता है। इस दिन को दोस्ती को समर्पित करने के पीछे भी एक रोचक कहानी है। कहानी कुुछ यूं शुरू होती है एक बार अमेरिका की सरकार ने एक बेेेगुनाह व्यक्ति को सजा-ए-मौत दे दिया था। इस व्यक्ति का एक दोस्त था, जिसने अपने दोस्त की मृत्यु के गम में आत्महत्या कर ली। उनकी दोस्ती की गहराई को सम्मान देते हुए 1935 से अमेरिकी आवाम ने इस दिन को दोस्तों के नाम कर दिया। इस तरह अमेरिका में फ्रेंडशिप डे मनाने की शुरुआत हुई। तय हुआ कि अगस्त केे पहलेेेेेे संडे को friendship day मनाया जाएगा। तब से यह ग्लोबल पर्व देश दुनिया में मनाया जाता है।

ऐसा शायद ही कोई व्यक्ति हो जिसका कोई मित्र न हो, जो दोस्ती की अहमियत न जानता हो। हम सभी की जिंदगी में कम या ज्यादा लेकिन दोस्त जरूर होते हैं, दोस्तों के साथ बिताया समय किसे नहीं अच्छा लगता। खासकर बचपन की दोस्ती तो बहुत गहरी होती है जिनकी यादें सदा के लिए मन में बस जाती है। दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसे व्यक्ति खुद की मर्जी से चुनता है। बचपन में जाने अनजाने ही कई दोस्त बन जाते हैं, जिनमें से कुछ स्कूल, कॉलेज तक ही साथ निभाते हैं तो कुछ आगे तक आपकी लाइफ में बने रहकर अच्छे-बुरे वक्त में दोस्ती निभाते है। हालांकि ऐसे दोस्त कम ही होते है जो ताउम्र सच्ची दोस्ती निभाएं। इसलिए दोस्त बनाते हुए आपको सतर्कता बरती चाहिए।

सदैव अच्छे दोस्त का करें चयन

दोस्त वे होते हैं जिनकी संगत आपके भविष्य को प्रभावित करती है। बुरी आदतों वाले दोस्तों की संगत आपको व आपके भविष्य को बिगाड़ने की क्षमता रखती है, वहीं अच्छी सोच व आदतों वाले दोस्त आपके व्यक्तित्व व जिंदगी को संवारने में सहायक होते है।

तो, यदि आपके जीवन में भी कोई ऐसा सच्चा दोस्त हो, तो फ्रेंडशिप डे के खास मौके पर अपने दोस्त को स्पेशल महसूस कराना न भूलें। वैसे इस दिन को दोस्तों के साथ सेलेब्रेट किया जाता है। कई लोग दोस्तों के साथ सेलिब्रेट करने के विभिन्न प्लान इस दिन के लिए मनाते हैं। पूरा दिन न सही लेकिन इस दिन जितना संभव हो अपनी व्यस्त दिनचर्या में से कुछ पल अपने दोस्तों के लिए जरूर निकालें।

शनिवार, 6 अगस्त 2022

Ganga jamuni tahzeeb: मंदिर जैसा इमामबाड़ा

तब हिंदू कुम्हार ने बनाई थी इमाम हुसैन की ताजिया


Varanasi (dil india live). है इमामबाड़ा मगर बनावट मंदिर जैसी है। देखने वाला देखता और सोचता ही रह जाता है कि यह क्या अजूबा है, आखिर मंदिर जैसा इमामबाड़ा क्यों बनाया गया? दरअसल बनारस कि आबो हवा ही कुछ ऐसी है कि कोई मुस्लिम नूर फातेमा शिव का मंदिर बनवाती हैं, तो हिंदू कुम्हार इमाम हुसैन कि आस्था और अकीदत में इमामबाड़ा।

वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट स्थित इस अनोखे इमामबाड़े की बुनियाद की कहानी एक हिंदू कुम्हार की अकीदत से जुड़ी हुई है। कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन से कुम्हार को अकीदत थी। इस मोहब्बत के कारण ही इस इमामबाड़े का नाम कुम्हार का इमामबाड़ा पड़ा। इसमें एक ओर जहां शिया मुस्लिम मजलिस करते हैं तो वहीं हिंदू हाथ जोड़कर अकीदत से फूल चढ़ाते हैं। शहर ही नहीं बल्कि दुनिया का लगभग हर इमामबाड़ा गुंबदनुमा होता है, जो मस्जिद या मकबरे की सूरत में नजर आता है। वहीं हरिश्चंद्र घाट के कुम्हार का इमामबाड़ा मंदिर की तरह दिखता है। मुहर्रम आते ही यहां के हिंदू इसकी साफ-सफाई और रंग-रोगन का काम कराते हैं।

इमामबाड़े का क्या है इतिहास

हरिश्चंद्र घाट स्थित कुम्हार का इमामबाड़ा लगभग डेढ़ सौ साल कदीमी है। इसकी देखरेख एक हिंदू कुम्हार परिवार कर रहा है, तो वहीं सरपरस्ती शिया वर्ग के हाथ में है। इमामबाड़े के मुतवल्ली सैयद आलिम हुसैन रिजवी इमामबारगाह का इतिहास बताते हैं, तकरीबन डेढ़ सौ साल पहले हरिश्चंद्र घाट के पास एक हिंदू कुम्हार परिवार रहता था। कुम्हार का एक बेटा था, जो हर वर्ष मुहर्रम पर मिट्टी की ताजिया बनाया करता था। पिता ने पहले तो बच्चे को ताजिया बनाने से मना किया। जब वह नहीं माना तो उसकी खूब पिटाई की। पिटाई के बाद बच्चा इतना बीमार हुआ कि वैद्य, हकीम भी काम न आए। बेटे को लेकर पिता की चिंता बढ़ने लगी। मंदिर, मस्जिद, मजार पर उसने हाजिरी लगाई, लेकिन कोई फायदा न हुआ। फिर एक दिन कुम्हार ने सपने में देखा कि एक बुजुर्ग उसके सामने खड़े हैं। वह कह रहे हैं कि तेरा बेटा मुझसे अकीदत रखता है। तुमने उसे ताजिया बनाने से रोक दिया, तो वह बीमार पड़ गया है। अगर तुम्हें उससे मोहब्बत नहीं है तो मैं उसे अपने पास बुला लेता हूं। कुम्हार ने स्वप्न में ही अपनी गलती मानते हुए कहा कि बस एक बार आप मुझे माफ करके मेरे बच्चे को ठीक कर दें। इस पर बुजुर्ग ने कहा कि नींद से उठकर देख, तेरा बच्चा खेल रहा है। सैयद आलिम हुसैन अपने बड़े-बुजुर्गो की जुबानी बातों को याद करते हुए बताते हैं कि नींद से जगकर कुम्हार ने देखा कि जो बच्चा गंभीर रूप से बीमार था, वह न केवल पूरी तरह स्वस्थ था, बल्कि बच्चों के साथ खेल भी रहा था। यह नजारा देखकर कुम्हार ने सिर्फ खुश हुआ बल्कि उसकी इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों से अकीदत बढ़ गई।

बना दिया मंदिर जैसा इमामबाड़ा

हिंदू कुम्हार की आस्था के कारण ही इमामबाड़े के निर्माण के समय इसको मंदिर जैसा रूप दिया गया और नाम भी कुम्हार का इमामबाड़ा रखा गया। उसी समय से आस-पास के हिंदू भाइयों की आस्था इमामबाड़े से जुड़ गई। मुहर्रम में जब भी इमामबाड़ा खुलता है, वहां दोनों मजहब के लोग जुटते हैं। इसके अलावा 9 वीं व 10 वीं मुहर्रम का विश्व प्रसिद्ध दूल्हे का जुलूस यहां सात बार सलामी भी देता है। आलिम हुसैन बताते हैं कि उन दिनों अवध के नवाब शहादत हुसैन अपने पिता से नाराज होकर बनारस आ गए थे। उन्हीं की वंशज बाराती बेगम ने कुम्हार के बेटे का इमाम हुसैन के प्रति लगाव देख यह इमामबाड़ा बनवाया। इसकी देख रेख युद्ध-कौशल की शिक्षा देने वाले सैयद मीर हसन के परिवार को सौंपी गई। सैयद आलिम हुसैन और उनका परिवार उन्हीं का वंशज हैं। यह कुनबा डेढ़ सौ साल से कुम्हार के इमामबाड़े की देख रेख कर रहा है।

रविवार, 10 जुलाई 2022

Eid-ul-azha mubarak 2022: ईदुल अजहा की नमाज़ के साथ बकरीद का जश्न शुरु

कुर्बानी से पहले किया ईदुल अजहा की नमाज़ अदा






Varanasi (dil india live). देश-दुनिया के साथ ही बनारस में सुबह ईदुल अजहा की नमाज़ के साथ बकरीद का जश्न पूरी अकीदत के साथ शुरु हो गया। नमाज के बाद लोगों ने एक दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद दी। मसजिदों और ईदगाह से नमाज़ मुकम्मल करके अकीदतमंद घर पहुँचे जहां कुर्बानी का सिलसिला शुरु हुआ। नमाज़ के दौरान उलेमा ने अपनी तकरीर में जहां लोगों को दीन के रास्ते पर चलने की दावत दी वही बकरीद के दिन को कुर्बानी और त्याग का दिन बताया। उलेमा ने कहा कि जानवर का गोश्त और हड्डी रब के पास नहीं जाती बाल्कि रब हमारी नियत देखता है, इसलिए हमे चाहिए कि जब भी हमारी जरुरत हो हम कुर्बानी के लिए तैयार रहे। वो कुर्बानी धन, दौलत, जानवर ही नहीं बाल्कि अपनी कौम और वतन के लिए भी हो सकती है। इस दौरान मुल्क में अमन, मिल्लत बुराईयों के खात्मे के लिए भी दुआएं मांगी गई। 

पता हो कि इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के मुताबिक, कुर्बानी का त्योहार बकरीद रमजान के दो महीने बाद आता हैं। इस्लाम धर्म में बकरीद के तीन दिन आमतौर पर छोटे-बड़े जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। इस दिन जानवर को अल्लाह की राह में जहां कुर्बान कर दिया जाता हैं। वहीं काबा में ज़ायरीन हज के अरकान मुकम्मल करते हैं।

बकरीद की जाने क्या है कहानी

बकरीद पैगम्बर हजरत इब्राहिम की सुन्नत है। एक बार खुदा ने हजरत इब्राहिम का इम्तिहान लेने के लिए आदेश दिया कि हजरत अपनी सबसे अजीज की कुर्बानी दें। हजरत इब्राहिम के लिए सबसे अजीज उनका बेटे हजरत इस्माइल थे, जिसकी कुर्बानी के लिए वे तैयार हो गए। उन्हे कुर्बानी के लिए ले भी गये मगर ऐन कुर्बानी से पहले रब ने हजरत इस्माईल की जगह ये कहते हुए कुर्बानी के लिए दुम्बा भेज दिया कि वो हज़रत इब्राहिम का इम्तेहान ले रहे थे और इम्तेहान में वो पास हो गये, तभी से कुर्बानी का पर्व मनाया जाता है।

अल सुबह हुई नमाजें

इस साल 10 जुलाई को पूरे देश में बकरीद का पर्व शुरु हुआ। ईदगाहों और प्रमुख मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज सुबह 6 बजे से लेकर 10.30 बजे तक अदा की गई। कई जगहों पर मस्जिद और ईदगाहों के आसपास मेले जैसा माहौल दिखाई दिया। नमाज़ मुकम्मल करके जब मोमिन घर पहुंचे, घरों में सेवईयों का लुत्फ उठाया।


सोमवार, 20 दिसंबर 2021

घरों पर लगाया सपा का झंडा

"2022 में साइकिल" पर दिया ज़ोर


वाराणसी 20 दिसंबर (dil india live)। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के दिशा निर्देश पर सपाजनों ने सोमवार को झंडा लगाओ अभियान चला कर, सपा की नीतियो व आगामी विधान सभा चुनाव में सपा उम्मीदवार को जीताने की अपील की गयी। इस मौके वक्ताओं ने कहा कि "2022 में साइकिल" ही लाना है।
इस दौरान समाजवादी पार्टी कार्यकर्त्ताओ ने दालमंडी, छतातले, घुघरानी गली, चौक आदि क्षेत्रों में घुम घुम कर झंडा लगा कर पार्टी का प्रचार प्रसार किया। इस मौके पर राष्ट्रीय सचिव यूथ ब्रिगेड के इमरान अहमद, इरफान खान, आदिल खान, जिया सिद्दीक, प्रिंस तिवारी, रोहित कुमार, इमरान, विकास यादव, सैफ खान समेत तमाम लोग मौजूद थे।

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...