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गुरुवार, 26 दिसंबर 2024

Khwaja Garib Nawaz के Ajmer में जुटेंगे देश दुनिया के अकीदतमंद

हज़रत ख़्वाजा गरीब नवाज का संदल संग 31 को खुलेगा जन्नती दरवाजा 

अजमेर में उर्स की तैयारियों ने पकड़ा ज़ोर, जायरीन की आमद हुई तेज


@Mohd Rizwan 

Ajmer (dil India live). अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज के 813 वें उर्स की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। देश दुनिया से अजमेर शरीफ में अकीदतमंद उमड़ेंगे। इस बार उर्स का आगाज़ 31 दिसंबर को संदल की रस्म से होगा। रजब का चांद दिखने के बाद ख़्वाजा गरीब नवाज का सालाना उर्स शुरू होगा। इसके साथ ही 6 दिन के लिए जन्नती दरवाजा खोल दिया जाएगा और उर्स की विधिवत शुरुआत होगी, जबकि अनौपचारिक शुरुआत 28 दिसंबर को बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ने से ही उर्स का ऐलान हो जाता है। इस दिन से दरगाह में जायरीन की आमद शुरू हो जाती है।

उर्स के दौरान दरगाह कमेटी, पुलिस और प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी की जा रही है। दरगाह के खादिम कुतुबुद्दीन सखी ने बताया कि ख्वाजा साहब की मजार पर साल भर संदल चढ़ाया जाता है और यह संदल चांद की 28 तारीख को उतारने की परंपरा है। 31 दिसंबर को यह संदल जायरीन में वितरित किया जाएगा। मान्यता है कि इस संदल को पानी में मिलाकर पीने से लाइलाज बीमारियों में राहत मिलती है।

खादिम कुतुबुद्दीन सखी ने बताया कि चांद दिखने के बाद तड़के 4 बजे जन्नती दरवाजा खोला जाएगा। यह दरवाजा साल भर में चार बार खुलता है, लेकिन उर्स में यह छह दिन के लिए खोला जाता है। जन्नती दरवाजा उर्स के दौरान जायरीन के लिए खोला जाता है। इसके अलावा, ईद उल फितर, बकरीद और ख्वाजा साहब के पीर हजरत उस्मान हारूनी के उर्स के मौके पर भी यह दरवाजा खोला जाता है।

उर्स की रस्मों की शुरुआत चांद दिखने पर 1 या 2 जनवरी 2025 से होगी। जन्नती दरवाजा तड़के 4 बजे खुल जाएगा और इसके साथ ही मजार शरीफ को गुस्ल देने और महफिल की रस्में शुरू होंगी। उर्स के आखिरी दिन गरीब नवाज की छठी होगी, और इसके बाद कुल की रस्म के साथ उर्स का समापन होगा और जन्नती दरवाजा बंद कर दिया जाएगा, और फिर 9 रजब को बड़े कुल की रस्म अदा की जाएगी।

बनारस के डाक्टर गुफरान का सम्मान 

वाराणसी के वरिष्ठ भाजपा नेता एवं जेड आर यू सी सी रेलवे के मेंबर डा. गुफरान जावेद अपने परिवार के साथ ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (रह.) उर्फ सरकार गरीब नवाज की दरगाह अजमेर शरीफ पहुंचे। वहां पर उनका स्वागत दरगाहें ख्वाजा इंतजामिया कमेटी के मेंबर एहतेशाम चिश्ती सैय्यद गफ्फार काजमी साहब द्वारा किया गया। उर्स के मौके पर दूर दराज से अजमेर दरगाह पर पहुंचने वाले लोगों के लिए रेलवे से क्या क्या सुविधाओं को दिलाया जा सकता है एवं अजमेर शरीफ उर्स के मौके पर रेलवे द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं में क्या सुधार किया जा सकता है, इस पर डाक्टर गुफरान ने कमेटी के साथ चर्चा की। दरगाहें ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रह. पर डा गुफरान जावेद द्वारा चादर चढ़ाकर अकीदत के फूल पेश किए गए एवं मुल्क की तरक्की व मुल्क में भाइचारा बना रहने की दुआएं मांगी गई। इस दौरान उनके साथ उनकी बेगम हुमा बानों ने भी ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह को चादर पेश की।

रविवार, 29 जनवरी 2023

Khwaja ka urs: Ajmer Sharif से Kashi तक धूम

बनारस कि गलियों में गूंज रहा ख़्वाजा, मेरे ख़्वाजा... 

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 811वां उर्स 

अजमेर में जियारत के लिए उमड़ी अकीदतमंदों की भीड़

काशी में दिखी गंगा जमुनी तहज़ीब

Mohd Rizwan 

Varanasi (dil india live) हिंदल वली, सूफी संत, ख्वाजा हज़रत मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह (सरकार गरीब नवाज़) के 811 वें उर्स पर Ajmer Sharif से लेकर Kashi तक आस्था का सैलाब देखने को मिल रहा है। क्या कोई हिंदू, क्या मुस्लिम, क्या गोरा, क्या काला, सभी ख्वाजा की मोहब्बत में सर झुकाएं अजमेर शरीफ दरगाह में उमड़े हुए हैं। जो Ajmer Sharif नहीं जा सका, वो जहां भी है वहां से ख्वाजा साहब को याद कर रहा है। जायरीन की भीड़ में कई देशों के अकीदतमंदों का हुजूम शामिल है। दरगाह में छह रजब पर आज कुल की रस्म अदा की गई। काशी में जहां ख्वाजा के दीवानों ने घरों में फातेहा करायी वहीं जगह जगह कुल शरीफ व लंगर का आयोजन भी किया गया है। इस दौरान सूफियाना कलाम फिजा में गूंज रहा है।

अजमेर शरीफ दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स के मौके पर हाजिरी देने के लिए देश के कोने-कोने से लाखों जायरीन अजमेर आए हुए हैं। ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में अकीदतमंदों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। दरगाह परिसर जायरीन से खचाखच भरा रहा। सुबह से ही बड़ी संख्या में जियारत के लिए जायरीन का आना जाना लगा रहा।

कुल शरीफ की रस्म में जुटे जायरीन 

रजब के चांद की छह तारीख को ख्वाजा गरीब नवाज की छठी आज अकीदत वह एहतराम के साथ मनाई गई। इस दिन ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स की अहम रवायत (परंपरागत रस्म) निभाई जाती है जिसे छोटे कुल की रस्म कहा जाता है। रविवार को कुल की रस्म अदा की गई। मजार शरीफ को गुसल दिया गया। इसके बाद दरगाह को केवड़े और गुलाब जल से धोया गया। इस अहम रवायत को दरगाह के ख़ादिम आस्ताने में निभा रहे थे। खादिम कुतुबुद्दीन सखी ने बताया कि रजब के चांद की 9 तारीख यानी 1 फरवरी को बड़े कुल की रस्म अदा की जाएगी। मजार शरीफ को गुसल देने के बाद इस दिन पूरी दरगाह को धोया जाएगा।

इससे पहले शनिवार शाम को रोशनी की दुआ के एक घंटे बाद से ही दरगाह को केवड़े और गुलाब जल से धोना शुरू कर दिया गया था। दरगाह की दीवारों पर केवड़े और गुलाब जल का छिड़काव करने के बाद जायरीन दीवारों से टपकते पानी को बोतलों में भरकर साथ ले गए।

दरअसल उर्स के मौके पर जायरीन कई साधनों से अजमेर आते हैं। इनमें बड़ी संख्या में ट्रेन से सफर कर आने वाले होते हैं। ऐसे में उन जायरीन को वापस भी लौटना होता है। जो छठी को छोटे कुल की रस्म तक नहीं रुक पाते हैं। वह एक दिन पहले ही दरगाह को केवड़े और गुलाब जल से धोना शुरू कर देते हैं। देर रात तक यह सिलसिला जारी रहता है।

रविवार, 6 नवंबर 2022

Giaravahin Sharif 2022

जानिए शेख अब्दुल क़ादिर जीलानी की जिंदगी 

Varanasi (dil india live). हजरत शेख अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाह अलैह गौसे आजम कि जिंदगी पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी की माँ ने उन्हें 60 वर्ष के उम्र में जन्म दिया था। जो किसी मां द्वारा बच्चे को जन्म देने की एक सामान्य उम्र से कहीं ज्यादा है। ऐसा कहा जाता है कि हज़रत शेख अब्दुल कादिर जीलानी के जन्म के वक्त उनके सीने पर पैगंबर मोहम्मद (स.) के पैरों के निशान बने हुए थे। इसके साथ ही ऐसा माना जाता है उनके जन्म के वक्त जीलान में अन्य 1100 बच्चों ने जन्म लिया था और यह सभी के सभी बच्चे आगे चलकर इस्लाम के बड़े प्रचारक बने।

उनके जीवन की एक और भी बहुत प्रसिद्ध कहानी है, जिसके अनुसार जन्म लेने के बाद नवजात हजरत अब्दुल कदिर जीलानी ने रमजन के महीने में दूध पीने से इंकार कर दिया। जिसके बाद आने वाले वर्षों में जब लोग चांद देख पाने में असमर्थ होते थे। तब वह अपने चांद की तस्दीक इस बात से लगाते थे कि हज़रत शेख अब्दुल कादिर जीलानी ने दूध पिया या नही, यहीं कारण है कि उन्हें उनके जन्म से एक विशेष बालक माना जाता था।

इस कहानी से हर कौम हुई  जीलानी की दीवानी 

हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी रहमतुल्लाह अलैह गौसे पाक की ईमानदारी से जुड़ी एक ऐसी भी कहानी है जिसने दुनिया की हर कौम को उनका दीवाना बना दिया। कहानी कुछ यूं है कि जब शेख अब्दुल कादिर जीलानी 18 वर्ष के हुए तो वह अपने आगे की पढ़ाई के लिए बगदाद जाने के लिए तैयार हुए। उस वक्त उनकी माँ ने 40 सोने के सिक्कों को उनके कोट में डाल दिया और जाते वक्त उन्हें यह सलाह दी कि चाहे कुछ भी हो लेकिन वह अपने जीवन में कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे। इसके बाद वो बगदाद के लिए निकल पड़े।

बगदाद के रास्ते में उनके काफिले को कुछ डाकुओं ने घेर लिया। जिसमें एक लुटेरे ने हजरत जीलानी की तलाशी ली और कुछ ना मिलने पर उनसे पूछा कि क्या तुम्हारे पास कुछ नहीं है। इस पर शेख अब्दुल कादिर जीलानी ने कहा कि हाँ है, जिसके बाद वह लुटेरा जीलानी को अपने सरदार के पास ले गया और अपने सरदार को पूरी घटना बतायी और इसके पश्चात लुटेरों के सरदार ने पूछा तुम्हारे पास क्या है और कहां है? इस पर हजरत जीलानी ने मां द्वारा छुपा कर सिली गई जगह का सच बता दिया। इसके बाद डाकुओं ने चालीस सोने के सिक्कों को उनके पास से निकाल लिया। उनकी इस ईमानदारी को देखकर लुटेरों का वह सरदार काफी प्रभावित हुआ और उनके सिक्कों को वापस करते हुए, उनसे कहा कि वास्तव में तुम एक सच्चे मुसलमान हो। इसके साथ ही अपने इस हरकत का पश्चाताप करते हुए, दूसरे यात्रियों का भी सामान उन्हें वापस लौटा दिया। और डकैती छोड़ कर ईमान के रास्ते पर लौट आया।

police Commissioner Varanasi ने रामनवमी के दृष्टिगत भ्रमण कर ड्यूटीरत पुलिस अधिकारियों को दिया दिशा-निर्देश

सड़क पर उतरे सीपी पैदल गश्त कर सुरक्षा व्यवस्थाओं का लिया जायजा थाना प्रभारी चौक को लगाई फटकार Mohd Rizwan  Varanasi (dil India live). पुलिस...