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मंगलवार, 21 मार्च 2023

Health news : कहीं Tb का संकेत तो नहीं है लगातार पीठ व रीढ़ का दर्द ?

दर्द को न करें नजरंदाज, हो सकते हैं गम्भीर परिणाम 

समय से उपचार न होने पर दिव्यांगता का भी रहता है अंदेशा



Varanasi (dil india live). लल्लापुरा निवासी 48 वर्षीय शकील (परिवर्तित नाम) के पीठ व कमर में दो वर्ष पूर्व लगातार दर्द था। सोचा कोई वजनी वस्तु उठाने से हुए खिंचाव की वजह से दर्द  है। मालिश व दर्द निवारक गोलियों का सहारा लिया।  कोई आराम नहीं मिला। दर्द बढ़ता जा रहा था। घर के अंदर  चार कदम चलना तो दूर पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो गया तो  परिजनों के सहयोग से मण्डलीय अस्पताल पहुंचे। वहां चिकित्सक ने कई तरह की जांच कराया तो पता चला रीढ़ की हड्डी में टीबी है। डेढ़ वर्ष तक चले उपचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो गए। 

सब्जी बेचकर अपनी गृहस्थी चलाने वाले शकील बताते है कि इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के साथ परिवार का पूरा सहयोग मिला। शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल परिसर स्थित जिला क्षय रोग केन्द्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ.अन्वित श्रीवास्तव का कहना है कि आम तौर पर लोग पीठ , कमर के दर्द को तब तक नजरअंदाज करते हैं  जब तक  चलना-फिरना मुश्किल नहीं हो जाता। दर्द असहनीय हो जाता है तो चिकित्सक के पास जाते हैं। यह आभास भी नहीं होता  कि  रीढ़ की हड्डी में टीबी भी हो सकती है।  वह बताते हैं  कि पिछले वर्ष जनवरी से दिसम्बर तक जिले में 142 रीढ़ की हड्डी में टीबी के मामले सामने आये। उपचार से लगभग 100 लोग स्वस्थ हो चुके है, शेष का उपचार चल रहा है।


कैसे होती है रीढ़ की  हड्डी में tb

 डॉ.अन्वित का कहना है कि वैसे तो टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करती  है लेकिन कुछ मामलों में नाखून व बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है।  रीढ़ की हड्डी में टीबी तब होती है जब टीबी का संक्रमण फेफड़ों के बाहर फैलकर रीढ़ तक पहुंच जाता है। रीढ़ की हड्डी में टीबी के कारण होने वाले पीठ दर्द के वास्तविक कारण की जानकारी न होने की वजह से शुरू में अधिकतर  लोग इसके प्रति लापरवाह होते हैं। उन्हें आभास  नहीं होता है कि टीबी हुई है। यही स्थिति गंभीर  होती है। इसलिए लगातार पीठ दर्द में आराम न हो तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें| चिकित्सक की सलाह पर जांच कराएँ कि कहीं यह टीबी तो नहीं| लापरवाही करने से यह दिव्यांग तक बना सकती है।

 रीढ़ की हड्डी में tb के कारण

क्षय रोगी के संपर्क में आने से भी रीढ़ की हड्डी में टीबी हो सकती  है। टीबी रोगी के संपर्क में आने के बाद यह फेफड़ों या लिम्फ नोड्स से रक्त के माध्यम से रीढ़ तक भी पहुंच सकता है।

 रीढ़ की हड्डी में tb के लक्षण

 पीठ में लगातार दर्द, कमजोरी महसूस करना,भूख न लगना, वजन कम होना, रात के समय बुखार आना, दिन में बुखार उतर जाना भी रीढ़ की हड्डी में टीबी का लक्षण हो सकता है।

 रीढ़ की हड्डी में tb का उपचार

 डॉ.अन्वित का कहना है कि रीढ़ की हड्डी में टीबी का उपचार संभव है लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि इसका समय से उपचार हो। सरकारी अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था है, जहां टीबी रोगियों को दवाएं भी दी जाती हैं । सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण के लिए पांच सौ रुपये की धनराशि प्रतिमाह मरीज के खाते में सीधे भेजी जाती है। वह बताते हैं कि दवाओं, परहेज और पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहर लेने से रीढ़ की हड्डी में हुआ टीबी पूरी तरह ठीक हो जाता है ।

शुक्रवार, 18 नवंबर 2022

Ayushmaan Bharat: फ्री उपचार में आनाकानी पर निजी अस्पताल से जवाब तलब

CMO के आदेश पर निजी अस्पताल ने किया इलाज 

सीएमओ के हस्तक्षेप पर ब्रेनहेमरेज पीड़ित पत्रकार का निःशुल्क उपचार 

सीएमओ ने चेताया आयुष्मान कार्डधारी का मुफ्त इलाज न करने  पर होगी कार्रवाई



Varanasi (dil india live). मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. संदीप चौधरी के हस्तक्षेप पर बुधवार देर रात ब्रेनहेमरेज से पीड़ित पत्रकार का निःशुल्क उपचार आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की मदद से पूरा हो सका । आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी निजी चिकित्सालय उनका निःशुल्क उपचार करने में आनाकानी कर रहा था । इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सीएमओ ने सम्बन्धित अस्पताल से जवाब तलब किया है साथ ही अन्य निजी अस्पतालों को भी चेतावनी दी है कि आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी किसी अस्पताल ने यदि निःशुल्क उपचार की सुविधा प्रदान नहीं की तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी ।

पलामू (झारखंड) के वरिष्ठ पत्रकार परमानंद चौधरी का ब्रेनहेमरेज हो गया । हालत नाजुक देख परिजन उन्हें लेकर वाराणसी आये और यहां अस्सी स्थित ओरियाना अस्पताल में भर्ती कराया गया । परमानंद चौधरी के परिजनों के अनुसार अस्पताल में परमानंद चौधरी के उपचार के लिए पैसा जमा करने के लिए कहा गया । परमानंद चौधरी का आयुष्मान कार्ड दिखाने के बाद भी उनके निःशुल्क उपचार में आनाकानी की जाती रही । तब परिजनों ने ट्विटर व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिये मामले की शिकायत सीएमओ व अन्य अधिकारियों से की । मामला संज्ञान में आते ही सीएमओ ने तत्काल ओरियाना अस्पताल से सम्पर्क कर पत्रकार परमानंद चौधरी का आयुष्मान कार्ड के जरिये निःशुल्क उपचार करने का निर्देश दिया । सीएमओ के हस्तक्षेप पर निजी अस्पताल ने तत्काल उपचार शुरू कर दिया । साथ ही उन्होने त्वरित कार्रवाई की पत्रकार परमानंद चौधरी के परिजनों के अलावा पलामू के पत्रकार संगठनों ने सराहना की ।

इस बीच सीएमओ ने इस मामले में निजी अस्पताल ओरियाना से जवाब तलब किया है । उन्होंने ओरियाना अस्पताल को पत्र भेज कर कहा है कि आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को नियमानुसार मुफ्त इलाज/सुविधा न मिलने की उक्त चिकित्सालय के विरुद्ध लगातार शिकायते प्राप्त हो रही है जो कि अत्यंत ही खेद का विषय है। लिहाजा इस संबंध मे दो कार्य दिवस के अंदर अपना स्पस्टीकरण दें । पत्र में सीएमओ ने यह भी निर्देश दिया है कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना के अंतर्गत  चिकित्सालय में भर्ती किसी भी मरीज का निःशुल्क उपचार करने की बजाय यदि उससे  इलाज में कोई खर्च लिया गया है तो उसे तत्काल लौटाया जाय वर्ना अस्पताल का पंजीयन निरस्त करने के साथ ही मामले में कड़ी कार्रवाई की जायेगी । सीएमओ ने जिले के अन्य अस्पतालों को भी चेताया है कि आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना के अंतर्गत आयुष्मान कार्डधारक के मुफ्त उपचार में यदि किसी भी निजी चिकित्सालय ने हीलाहवाली की तो वह कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें ।

दूसरी ओर गुरुवार को योजना के नोडल अधिकारी डॉ आरके सिंह और जिला कार्यान्वयन इकाई की टीम के साथ ओरियाना अस्पताल पहुंची और वहां भर्ती आयुष्मान कार्डधारक परमानंद चौधरी के उपचार के सम्बन्ध में जानकारी ली । टीम में डा. पूजा जायसवाल, ईं. नवेन्द्र सिंह व सागर गुप्ता शामिल  थे ।

बुधवार, 26 अक्टूबर 2022

Dengue के मरीज बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग एलर्ट

निर्धारित प्रोटोकॉल से ही करें डेंगू का इलाज : सीएमओ

सरकारी व निजी चिकित्सालयों को दिये आवश्यक निर्देश

Varanasi (dil india live)। जनपद में डेंगू प्रभावित मरीजों के इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी एवं निजी चिकित्सालयों को निर्देश दिया है कि उपरोक्त मरीजों को विभाग की ओर से तय प्रोटोकाल के अनुसार ही उपचार करें। संभावित मरीजों का ब्लड सैंपल माइक्रोबायोलॉजी विभाग बीएचयू और पंडित दीनदायल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में जांच के लिए अवश्य भेजें। वहां से डेंगू रोग की पुष्टि होने के बाद उसकी सूचना जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पांडे को अवश्य दें ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में बुधवार को हुई बैठक में सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि जिले में डेंगू के मरीजों पर स्वास्थ्य विभाग अपनी नज़र बनाए हुए है।संचारी व मच्छर जनित रोगों डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड आदि से प्रभावित क्षेत्रों में रोकथाम व नियंत्रण के लिए कार्रवाई की जा रही है। गंदगी, जलभराव, गंदी नालियां, जगह-जगह बिखरे पड़े कचरे, चोक पड़ी नालियां, पीने के पानी में गंदगी आदि पर के नियमित साफ-सफाई के निर्देश हैं। नगरीय इलाकों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी को उचित कार्रवाई करने के लिए सुनिश्चित किया है । एंटी लार्वल टीमों को निर्देशित किया गया है कि प्रभावित इलाकों में एंटी लार्वल स्प्रे का छिड़काव और फोगिंग किया जाए । इस दौरान स्थानीय लोगों को भ्रमण के दौरान स्थानीय लोगों को डेंगू लक्षण, बचाव आदि के बारे में जानकारी दी जाये । चिकित्सालयों को निर्देशित किया कि संभावित रोगियों का इलाज एक अलग वार्ड या कमरे में किया जाए और मच्छरदानी का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाए। जनपद व ब्लॉक स्तरीय सभी सरकारी चिकित्सालयों में अलग से वार्ड स्थापित करते हुए उपचार की सम्पूर्ण व्यवस्था निःशुल्क है।

जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पांडे ने बताया कि इस वर्ष जनपद में अभी तक 189 डेंगू के मरीज पाये जा चुके हैं जिसमें शहरी इलाकों में 127 और ग्रामीण में 62 मरीज हैं । इसके अलावा मलेरिया के अभी तक 67 मरीज पाये गए । उन्होने बताया कि तेज बुखार, सिरदर्द, पीठदर्द, आँखों को हिलाने में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, मसूड़ों/नाखूनों में दर्द आदि लक्षण दिखाई देने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें, बिना चिकित्सीय सलाह के कोई भी दवा न लें । डेंगू की पुष्टि हो हो जाने पर घबराएँ नहीं, धैर्य रखें और चिकित्सीय सलाह के अनुसार अपना इलाज कराएं । सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें । सुबह शाम बाहर निकलते समय फुल आस्तीन के कपड़े और मोजे पहनें । सोने से पहले नीम का धुआँ करें । अपने घर के आसपास जलजमाव और गंदगी की स्थिति पैदा न होने दें । मरीज प्रचुर मात्रा पानी और तरल पदार्थ जरूर लें । ओआरएस घोल, नारियल पानी, फलों का रस आदि प्रचुर मात्रा में लें । शरीर का तापमान कम करने के लिए ठंडे पानी की पट्टी रखें ।

बैठक में समस्त एसीएमओ, डिप्टी सीएमओ, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी एवं अन्य अधिकारी मौजूद रहे ।

बुधवार, 12 अक्टूबर 2022

Government hospital में लापरवाही का आरोप

लापरवाही के कारण डेंगू मरीजों को हो रही परेशानी 
Varanasi (dil india live). शहरी, देहाती इलाकों में तेज़ी से डेंगू पाव पसार रहा है। सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा काफी दयनीय  होने के कारण मरीजों को इलाज में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

सरकारी मशीनरी पर यह आरोप कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष फसाहत हुसैन बाबू, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेहंदी कब्बन व विधि विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह एडवोकेट ने लगाया है।

एक विज्ञप्ति में तीनों ने कहा की डेंगू, टाईफाइड, मलेरिया, जैसे रोग आम जनमानस को जकड़े हुए हैं, सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा से मरीज काफी परेशान हो रहे हैं, अस्पतालों में बेड कि कमी बताकर मरीजों को वापस कर दिया जा रहा है। जिससे मजबूर होकर मरीज प्राइवेट अस्पतालों की शरण ले रहे हैं, जहां खूब जमकर उनका खून चूसा जा रहा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग नगर निगम के कान पर जूं नहीं रेंग रही है।

उक्त नेताओं ने मांग की है अविलंब नगर निगम स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रत्येक वार्ड प्रत्येक मोहल्ले प्रत्येक गलियों में दवा का छिड़काव कराते, सफाई व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त कराए, साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में बेड की व्यवस्था की जाए और सही ढंग से मरीजों को दवा वितरण किया जाए।

उक्त नेताओं ने विधायक, नगर प्रमुख व सभासदों से अपने-अपने वार्डों में प्रत्येक गली में दवा का छिड़काव, सफाई व्यवस्था चुस्त एवं मच्छर मारने की दवा फागिंग कराने की मांग की। साथ ही जिला प्रशासन से मांग की इस विषम परिस्थितियों में प्राइवेट अस्पतालों के लूट घसोट पर अंकुश लगाने की मांग दोहराई। ताकि मरीज अपना सुलभ तरीके से इलाज करा सकें।

बुधवार, 1 दिसंबर 2021

अब लाइलाज नहीं रहा ‘क्लबफुट’

हो उपचार तो ठीक हो सकते हैं बच्चों के जन्मजात टेढ़े पैर

  •  राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मुफ्त उपचार की सुविधा
  • मिरेकलफीट के सहयोग से मण्डलीय चिकित्सालय में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित

 



वाराणसी, 1 दिसम्बर (dil india live)। शिशुओं के जन्मजात टेढ़े पंजे (क्लबफुट) का  समय से उपचार हो तो वह  पूरी तरह से ठीक हो सकता है। यह अब लाइलाज नहीं रहाl राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत इसका उपचार पूरी तरह मुफ्त किया जाता है। बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधन में मिरेकलफीट के सहयोग से आयोजित जागरुकता कार्यक्रम में मण्डलीय अपर निदेशक/मण्डलीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. प्रसन्न कुमार ने यह बातें कहीं।

डा. प्रसन्न कुमार ने कहा कि टेढ़े पंजे (क्लबफुट) की समस्या एक जन्मजात विसंगति है जिसे पूरी तरह से ठीक किया जाना संभव है। ऐसे बच्चों के पंजे जन्म के बाद से अंदर की ओर मुडे होते हैं। किसी बच्चे का दोनो पैर तो किसी बच्चे का एक पैर भी अंदर की ओर मुड़ा हुआ हो सकता है। उन्होंने बताया कि देश में हर 800 में एक बच्चा क्लबफुट के साथ पैदा होता है। अगर समय से उपचार हो तो ऐसे बच्चे पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। वह सामान्य बच्चों की तरह क्रिया-कलाप कर सकते हैं। यहां तक कि बड़े होने पर खेल-कूद प्रतियोगिताओं में भी शामिल होने योग्य हो जाते हैं। यह सब तभी संभव हो सकता है जब बच्चे का उपचार सही समय से शुरू कर दिया जाए।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी /राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम( आरबीएसके)  के नोडल अधिकारी डा. अशोक कुमार गुप्ता* ने कहा कि  आरबीएसके  के तहत ऐसे बच्चों का उपचार पूरी तरह निःशुल्क किया जाता है। क्लबफुट पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को इसका पूरा लाभ उठाना चाहिए। ऐसे नवजात बच्चों का उपचार जितनी जल्द शुरू हो उतना ही प्रभावी परिणाम आते है। ऐसे में नवजात के पंजे अगर अंदर की ओर मुड़े हुए नजर आते हैं तो उसका तत्काल उपचार शुरू करा देना चाहिए। ऐसे बच्चों के पंजों में चार से छह सप्ताह तक प्लास्टर लगाया जाता है। इसके पश्चात पंजे के पिछले हिस्से में एक मामूली चीरा लगाकर पुनः प्लास्टर लगा दिया जाता है। इस प्लास्टर को भी 21 दिन बाद काट दिया जाता है और बच्चे के पैरों में ब्रेस (विशेष रुप से तैयार किये गये जूते) पहनाये जाते है। तीन से -पांच वर्ष में ऐसे बच्चे पूरी तरह सामान्य हो जाते हैं। डॉ गुप्ता ने कहा कि क्लबफुट पीड़ित बच्चों के उपचार में मिरेकलफीट का काफी सहयोग रहा है। उसके प्रयास से काफी संख्या में ऐसे बच्चों का उपचार संभव हो सका है। 

आरबीएसके के डीईआईसी प्रबंधक डॉ अभिषेक त्रिपाठी ने कहा कि क्लबफुट पीड़ित बच्चों के उपचार के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। समय से उपचार हो जाने से ऐसे बच्चे दिव्यांग होने से बच सकते हैं। 

कार्यक्रम के प्रारम्भ में मिरेकलफीट की प्रोग्राम एक्जक्यूटिव नेहल कपूर ने क्लबफुट के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि शिवप्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय के कक्ष संख्या 11 में प्रत्येक बुधवार को ऐसे बच्चों के निःशुल्क उपचार के लिए कैम्प लगता है। पीड़ित बच्चों के अभिभावक इसका लाभ उठा सकते हैं। 

इस जागरुकता कार्यक्रम में क्लबफुट पीड़ित काफी संख्या में बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी शामिल हुए। पं. प. दीनदयाल नगर-चंदौली से अपने दो माह की बेटी के साथ कार्यक्रम में शामिल रिजवाना ने बताया कि उसकी बेटी के दोनों पंजे अंदर की ओर मुड़े हुए थे। पैरों में प्लास्टर लगाकर उसका निःशुल्क उपचार शुरू कर दिया गया है। चौबेपुर की सुजाता विश्वकर्मा  ने बताया कि इस उपचार का ही नतीजा है कि उनकी ढाई वर्ष की बेटी अब सामान्य रूप से चल-फिर रही है। उसका एक पंजा पंजे जन्म से अंदर की ओर मुडा था लेकिन उपचार कराने से अब वह पूरी तरह ठीक हो चुकी  है हैं।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...