खाने पीने से दूर रहें, अपने अंदर लाएं बदलाव
Varanasi (dil India live). रब ने हम सबको रमज़ान के महीने में जो-जो रहमतें नाज़िल की हैं, हम सब उसका तसव्वुर भी नहीं कर सकते। रमज़ान में एक माह का रोज़ा हम पर फ़र्ज़ कि़या गया है। आईये जाने कि रोज़ा क्या है। रोज़े के माने यह हैं कि खाने पीने से दूर रहना साथ ही साथ अपने अन्दर बदलाव लाना, खुद पर नियंत्रण या कन्ट्रोल रखना। रोज़े में तीन चीज़ों से दूरी बनाए रखना ज़रूरी है। अब यह देखे कि यह तीनों चीजें ऐसी हैं जो हमारे लिए जाएज़ और हलाल हैं, अब रोज़े के दौरान आप इन हलाल और जाएज़ चीज़ों से तो परहेज़ कर रहे हैं, न खां रहे हैं न पी रहे है, लेकिन जो चीज़ें पहले से हमारे लिए हराम थीं यानी झूठ बोलना, ग़ीबत करना, बदनिगाही करना यह सब चीज़ें पहले से हमारे लिए जाएज़ नही थीं, हराम थीं, वह सब रोज़े के दौरान हो रही है। रोज़ा रखा है और झूठ बोल रहे हैं, रोज़ा रखा है और ग़ीबत कर रहे हैं, रोज़ा रखा है और बदनिगाही कर रहे हैं, रोज़ा रखा है और वक्त पास करने के लिए फि़ल्में देख रहे हैं, क्या यह रोज़ा हुआ, हरगिज़ नहीं, क्यों कि रोज़े के दौरान हलाल चीज़ों से तो परहेज़ कर रहे हैं लेकिन हराम चीज़ों को अपनाए हुए हैं। हदीस शरीफ़ में नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहे वसलम ने इरशाद फ़रमाया है कि अल्लाह तआला फ़रमाता है कि जो शख्स रोज़े की हालत में झूठ बोलना न छोड़े तो मुझे ऐसे शख्स का भूखा और प्यासा रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। रमज़ान नाम सब्र का है, सच का है, जकात का है, अमन और नेकी का है,
रमज़ान में वो सारे काम होते है जिससे रब और उसका रसूल खुश होता है। इसलिए ऐ रोज़ेदारों अल्लाह और उसके रब को राज़ी करना चाहते हो तो हराम चीज़ो से, दुनियावी चीज़ो से बचते हुए तकवा आखितयार करो, नकी के रास्ते पर चलो और रोज़ा रखो। बहरहाल अल्लाह तआला हम सबको सही माने में रोज़ा रखने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए, नेकी की राह दिखाये।..आमीन।
मौलाना अबु सईद क़ासमी