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गुरुवार, 30 मई 2024

BHU के डा. ओमशंकर ने तोड़ा आमरण अनशन, लड़ेंगे कानूनी लड़ाई


Varanasi (dil India live). बीएचयू कार्डियोलाजी विभाग में मरीजों को बेड उपलब्ध कराने और भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे डा. ओमशंकर ने गुरुवार को 20 वें दिन अपना अनशन समाप्त  कर दिया। महात्मा गांधी के प्रपौत्र और गांधीवादी चिंतक तुषार गांधी ने जूस पिलाकर उनका अनशन समाप्त कराया। प्रोफेसर ने अब न्याय के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है।

इस दौरान प्रोफेसर ने कहा कि यदि समाज को गरीब और वंचित की खाई से बाहर निकालना है तो समाज के गरीबों के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से 10 फीसद बजट उनके शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि लोग आज उठकर संघर्ष नहीं करेंगे तो न तो संविधान बचेगा और न देश। बीएचयू इसका नमूना है कि कैसे यहां संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अब कानून लड़ागी लड़ी जाएगी। 

बीएचयू के हृदय रोग विशेषज्ञ व कार्डियोलाजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ओमशंकर हृदय रोगियों के लिए बेड उपलब्ध कराने की मांग को लेकर पिछले 20 दिनों से अनशन पर बैठे थे। उन्होंने पहले वीसी आवास के बाहर अपना अनशन शुरू किया, लेकिन अधिकारियों के समझाने के बाद अपने चेंबर के बाहर अनशन पर बैठ गए। इसी बीच बीएचयू प्रशासन की ओर से उन्हें विभागाध्यक्ष पद से हटा दिया था। तुषार गांधी के साथ ही प्रोफेसर आनंद कुमार, मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी व अन्य लोग भी मौजूद रहे।

शुक्रवार, 30 जून 2023

Dr Sudhir Kumar agrawal को लीजेंड ऑफ इंडिया एवार्ड

एसके अग्रवाल को पुरस्कार से पूर्वांचल के चिकित्सकों में हर्ष 




Varanasi (dil India live)। पूर्वांचल के जाने माने चिकित्सक डा. एस. के. अग्रवाल को ‘लीजेंड ऑफ इंडिया’ जैसे उत्कृष्ट एवार्ड से विभूषित किया गया है। उन्हें सम्मानित किए जाने पर वाराणसी के चिकित्सकों में हर्ष व्याप्त है। डा. अग्रवाल को यह एवार्ड डॉक्टर्स डे की पूर्व संध्या पर दिल्ली में आयोजित डॉक्टर्स डे कॉन्क्लेव में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय स्वास्थ मंत्री डॉक्टर मनसुख मंडाविया के हाथों मिला है। डॉक्टर अग्रवाल को डॉक्टर्स डे के अवसर पर स्मृति चिन्ह और इंस्पायरिंग लीजेंड ऑफ इंडिया २०२३ से डॉक्टर् जितेंद्र कुमार मंत्रालय एमओएस, स्वतंत्र प्रभार अर्थ साइंसेज एवं पीएम ऑफिस से संबद्ध अनेक मंत्रालय ने दिया। संपूर्ण भारत वर्ष से डा. अग्रवाल के साथ ही अलग अलग क्षेत्रों के २० डॉक्टर्स को सेवाकार्यों के लिए यह सम्मान दिया गया है। डाक्टर एसके अग्रवाल को पुरस्कार प्रदान किए जाने पर पूर्वांचल के चिकित्सकों, खासकर बनारस के चिकित्सकों में हर्ष है।

मंगलवार, 28 मार्च 2023

Ramadan Mubarak-5

कसरत इबादत की, इस महीने कि यही तो है खूबी



Varanasi (dil india live )। कसरत इबादत की जिस महीने में होती है उस माहे मुबारक को रमजान कहते हैं।इस महीने कि यही तो खूबी है कि बंदा रब कि रज़ा के लिए कसरत से इबादत करता है। एक रिपोर्ट....

रमज़ान की नेमतों और रहमतों का क्या कहना। रमज़ान तमाम अच्छाइयां अपने अंदर समेटे है। रमज़ान का रोज़ा रोज़ेदारों के लिए रहमत व बरकत का सबब बनकर आता है। इसमें तमाम परेशानियां और दुश्वारियां बंदे की दूर हो जाती हैं। नेकी का रास्ता ऐसे खुला रहता है कि फर्ज़ और सुन्नत के अलावा नफ्ल इबादत और मुस्तहब इबादतों की भी बंदा कसरत करता है। रोज़ा कितनी तरह का होता है इसे कम ही लोग जानते हैं। तो रमज़ान के रोज़े को तीन तरह से समझे। मसलन पहला, आम आदमी का रोज़ा: जो खाने पीने और जीमाह से रोकता है। दूसरा खास लोगों का रोज़ा: इसमें खाने पीने और जीमाह के अलावा अज़ा को गुनाहों से रोज़ेदार बचाकर रखता है, मसलन हाथ, पैर, कान, आंख वगैरह से जो गुनाह हो सकते हैं, उनसे बचकर रोज़ेदार रहता है। तीसरा रोज़ा खवासुल ख्वास का होता है जिसे खास में से खास भी कहते हैं। वो रोज़े के दिन जिक्र किये हुए उमूर पर कारबन भी रहते हैं और हकीकतन दुनिया से अपने आपको बिलकुल जुदा करके सिर्फ और सिर्फ रब की ओर मुतवज्जाह रखते हैं। रमज़ान की यह भी खसियत है कि जब दूसरा अशरा पूरा होने वाला रहता है तो, 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ करते है। जिसका नाम एतेकाफ है। एतेकाफ सुन्नते कैफाया है यानि मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार। पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। रमज़ान में एतेकाफ रखना जरूरी। एतेकाफ नबी की सुन्नतों में से एक है। एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना। हदीस और कुरान में है कि एतेकाफ अल्लाह रब्बुल इज्ज़त को राज़ी करने के लिए रोज़ेदार बैठते है। एतेकाफ सुन्नते रसूल है। हदीस व कुरान में है कि हजरत मोहम्मद रसूल (स.) ने कहा कि एतेकाफ खुदा की इबादत में रोज़ेदार को मुन्हमिक कर देता है और बंदा तमाम दुनियावी ख्वाहिशात से किनारा कर बस अल्लाह और उसकी इबादतों में मशगूल रहता है। इसलिए जिन्दगी में एक बार सभी को एतेकाफ पर बैठना चाहिए। या अल्लाह ते अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने और दीगर इबादतों को पूरा करने की तौफीक दे।..आमीन।

             डा. साजिद अत्तारी

(वरिष्ठ दंत चिकित्सक, बड़ी बाजार वाराणसी)

मंगलवार, 21 मार्च 2023

Health news : कहीं Tb का संकेत तो नहीं है लगातार पीठ व रीढ़ का दर्द ?

दर्द को न करें नजरंदाज, हो सकते हैं गम्भीर परिणाम 

समय से उपचार न होने पर दिव्यांगता का भी रहता है अंदेशा



Varanasi (dil india live). लल्लापुरा निवासी 48 वर्षीय शकील (परिवर्तित नाम) के पीठ व कमर में दो वर्ष पूर्व लगातार दर्द था। सोचा कोई वजनी वस्तु उठाने से हुए खिंचाव की वजह से दर्द  है। मालिश व दर्द निवारक गोलियों का सहारा लिया।  कोई आराम नहीं मिला। दर्द बढ़ता जा रहा था। घर के अंदर  चार कदम चलना तो दूर पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो गया तो  परिजनों के सहयोग से मण्डलीय अस्पताल पहुंचे। वहां चिकित्सक ने कई तरह की जांच कराया तो पता चला रीढ़ की हड्डी में टीबी है। डेढ़ वर्ष तक चले उपचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो गए। 

सब्जी बेचकर अपनी गृहस्थी चलाने वाले शकील बताते है कि इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के साथ परिवार का पूरा सहयोग मिला। शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल परिसर स्थित जिला क्षय रोग केन्द्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ.अन्वित श्रीवास्तव का कहना है कि आम तौर पर लोग पीठ , कमर के दर्द को तब तक नजरअंदाज करते हैं  जब तक  चलना-फिरना मुश्किल नहीं हो जाता। दर्द असहनीय हो जाता है तो चिकित्सक के पास जाते हैं। यह आभास भी नहीं होता  कि  रीढ़ की हड्डी में टीबी भी हो सकती है।  वह बताते हैं  कि पिछले वर्ष जनवरी से दिसम्बर तक जिले में 142 रीढ़ की हड्डी में टीबी के मामले सामने आये। उपचार से लगभग 100 लोग स्वस्थ हो चुके है, शेष का उपचार चल रहा है।


कैसे होती है रीढ़ की  हड्डी में tb

 डॉ.अन्वित का कहना है कि वैसे तो टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करती  है लेकिन कुछ मामलों में नाखून व बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है।  रीढ़ की हड्डी में टीबी तब होती है जब टीबी का संक्रमण फेफड़ों के बाहर फैलकर रीढ़ तक पहुंच जाता है। रीढ़ की हड्डी में टीबी के कारण होने वाले पीठ दर्द के वास्तविक कारण की जानकारी न होने की वजह से शुरू में अधिकतर  लोग इसके प्रति लापरवाह होते हैं। उन्हें आभास  नहीं होता है कि टीबी हुई है। यही स्थिति गंभीर  होती है। इसलिए लगातार पीठ दर्द में आराम न हो तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें| चिकित्सक की सलाह पर जांच कराएँ कि कहीं यह टीबी तो नहीं| लापरवाही करने से यह दिव्यांग तक बना सकती है।

 रीढ़ की हड्डी में tb के कारण

क्षय रोगी के संपर्क में आने से भी रीढ़ की हड्डी में टीबी हो सकती  है। टीबी रोगी के संपर्क में आने के बाद यह फेफड़ों या लिम्फ नोड्स से रक्त के माध्यम से रीढ़ तक भी पहुंच सकता है।

 रीढ़ की हड्डी में tb के लक्षण

 पीठ में लगातार दर्द, कमजोरी महसूस करना,भूख न लगना, वजन कम होना, रात के समय बुखार आना, दिन में बुखार उतर जाना भी रीढ़ की हड्डी में टीबी का लक्षण हो सकता है।

 रीढ़ की हड्डी में tb का उपचार

 डॉ.अन्वित का कहना है कि रीढ़ की हड्डी में टीबी का उपचार संभव है लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि इसका समय से उपचार हो। सरकारी अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था है, जहां टीबी रोगियों को दवाएं भी दी जाती हैं । सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण के लिए पांच सौ रुपये की धनराशि प्रतिमाह मरीज के खाते में सीधे भेजी जाती है। वह बताते हैं कि दवाओं, परहेज और पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहर लेने से रीढ़ की हड्डी में हुआ टीबी पूरी तरह ठीक हो जाता है ।

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022

Dr. Faisal up nima यूनानी फोरम के संगठनात्मक सचिव

Varanasi (dil india live)। जनपद वाराणसी अर्दलीबाजार के रहने वाले वरिष्ठ यूनानी चिकित्सक, नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन(नीमा) वाराणसी के ज्वाइन सेक्रेट्री डॉ फैसल रहमान को उत्तर प्रदेश के नीमा यूनानी फोरम का संगठनात्मक सचिव बनाया गया है। डॉक्टर फैसल रहमान लोगों की सेवा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं, डॉ फैसल वाराणसी के पूर्व प्रामर्शदाता (क्यू ए)पद पर रह चुके हैं जिन्होंने बड़े ही अच्छे ढंग से कार्य को अंजाम दिया है, इस समय आप नेशनल एसेसर(NQAS), एन एच एस आर सी, नई दिल्ली के पद पर रहकर कार्य कर रहे हैं। एनआईएमए वाराणसी के सदस्यों ने डॉ फैसल रहमान को  मुबारकबाद पेश की,और इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।

मंगलवार, 22 नवंबर 2022

no ragistration, no doctors, चल रहा था चिकित्सालय

Hospital बंद करा सीएमओ ने दिया मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश

चिकित्सालय के बोर्ड पर छह माह पूर्व मृत डाक्टर का नाम था दर्ज


Varanasi (dil india live). लंका थानान्तर्गत छित्तूपुर क्षेत्र स्थित एसएमएस हेल्थ केयर हास्पिटल बगैर पंजीयन और बिना किसी चिकित्सक के संचालित हो रहा था। अस्पताल के बोर्ड पर जिस चिकित्सक का नाम दर्ज था उसकी मृत्यु छह माह पूर्व हो चुकी है। बावजूद इसके अस्पताल में मरीजों की भर्ती कर उनका उपचार भी किया जा रहा था। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने उक्त चिकित्सालय को बंद कराने के साथ ही उसके संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिये है।

        मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने बताया कि दासमती देवी पत्नी नत्थू लाल हरिजन, निवासिनी ग्राम छित्तूपुर ब्लाक काशी विद्यापीठ, ने गत दिनों एसएमएस हेल्थ केयर हास्पिटल, छित्तूपुर, लंका, वाराणसी के विरुद्ध शिकायत की थी। इस शिकायत पर उक्त अस्पताल का औचक निरीक्षण कराया गया। निरीक्षण में पाया गया कि चिकित्सालय बिना पंजीयन एवं बिना चिकित्सक के संचालित किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान अस्पताल के सुरेन्द्र वहां उपस्थित थे। पूछताछ में पता चला कि अस्पताल के बोर्ड पर डा. एस.पी. सिंह का नाम दर्ज है उनकी मृत्यु छह माह पूर्व हो चुकी है। इससे साफ हुआ कि मृत चिकित्सक के नाम का दुरूपयोग अस्पताल द्वारा किया जा रहा था। निरीक्षण के दौरान अस्पताल में दो मरीज भर्ती मिले, जिन्हें अन्यत्र उपचार कराने को कहा गया। सीएमओ ने बताया कि बिना पंजीयन एवं बिना चिकित्सक के चिकित्सकीय कार्य किये जाने के दृष्टिगत एस०एम०एस० हेल्थ केयर हास्पिटल, छित्तूपुर, लंका, वाराणसी का संचालन तत्काल प्रभाव से बन्द कराने का निर्देश दिया गया है। साथ ही बिना पंजीकरण कराये चिकित्सा प्रतिष्ठान संचालित किये जाने/चिकित्सकीय कार्य किये जाने के सम्बन्ध में सुसंगत धाराओं में विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए लंका थाने में तहरीर दी गयी है।

गुरुवार, 25 अगस्त 2022

Oral health : छह माह से अधिक का मुंह में छाला है खतरे की घंटी

जबड़े का न खुलना  हो सकता है खतरनाक

मुंह व दंत रोगों के प्रति रहें सावधान, सरकारी चिकित्सालयों में करायें निःशुल्क निदान


Varanasi (dil india live).अगर आप का जबड़ा पूरी तरह नहीं खुलता है या फिर मुंह में छह माह से अधिक का छाला है तो सावधान हो जाये। यह खतरे की घंटी है। सरकारी अस्पतालों में इसका निःशुल्क उपचार होता है। ऐसे लक्षणों की अनदेखी से मुंह में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है।

पं. दीन दयाल चिकित्सालय में दंत रोग विभाग की प्रभारी डा. निहारिका मौर्य बताती हैं कि उनकी ओपीड़ी में हर हफ्ते एक-दो ऐसे मरीज आते हैं जिन्हें जबड़ा पूरी तरह न खुलने या फिर मुंह के अंदर छाले के ठीक न होने की शिकायत होती है। इनमें अधिकांश उपचार से ठीक हो जाते  हैं, जबकि कई ऐसे भी होते हैं जिनमें कैंसर के भी लक्षण होते हैं। वह बताती है कि ऐसे ही गंभीर मरीजों में शामिल रहे  65 वर्षीय महेश यादव (परिवर्तित नाम )। उनका जबड़ा लगभग दो माह से पूरी तरह नहीं खुल रहा था। हालत यह हो गयी थी कि भोजन भी उनके मुख में किसी तरह जा पाता था। स्थिति जब बदतर हो गयी तब वह उपचार कराने के लिए पं. दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के दंत रोग विभाग में पहुंचे। बताया कि वह गुटखा खाने के लती हैं और उनका जबड़ा पूरी तरह जकड़ गया है। जांच हुई तो पता चला कि उन्हें मुंह का कैंसर है। उन्हें बीएचयू के लिए रेफर कर दिया गया। डा. निहारिका ने बताया कि कुछ ऐसी ही स्थिति जगधारी (48 वर्ष) (परिवर्तित नाम ) की रही। खैनी के लती जगधारी के गाल में आठ माह से छाला निकाला था। तमाम उपचार के बाद भी वह ठीक नहीं हो रहा था। उपचार शुरू कराया तो पता चला कि उन्हें गाल का कैंसर है, उन्हें भी बीएचयू रेफर कर दिया गया। 


डा. निहारिका बताती हैं कि ‘आम तौर पर लोग दंत अथवा मुंह में हुए रोगों को प्रति बेहद लापरवाह होते हैं। वह चिकित्सक के पास तब जाते हैं जब उनकी पीड़ा असहनीय हो जाती है अथवा रोग गंभीर हो चुका होता है। यदि लोग मुख व दंत रोगों के प्रति थोड़ी सी भी सावधानी बरतें तो उपचार से वह पूरी तरह ठीक हो सकते है लेकिन लापरवाही से यह परेशानी कैंसर में भी तब्दील हो सकता है। डा. निहारिका की माने तो सुपारी व गुटखा का सेवन से दांत तो खराब होते ही है, यह मसूड़ोें में भी घाव करता है। इससे जबड़े में जकड़न शुरू हो जाती है। शुरुआती दौर में उपचार से यह पूरी तरह ठीक हो जाता है लेकिन अधिक समय तक इस जकड़न का रहने से कैंसर भी हो सकता है। वह कहती है मुंह के अंदर हुए छाले को भी गंभीरता से लेना चाहिए। यह छाला अगर छह माह से अधिक पुराना है और उपचार से भी ठीक नहीं हो रहा है तो वहां कैंसर होने की आशंका भी हो  सकती है।

पं.दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक  डा. आर के सिंह कहते हैं-मुख रोगों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ही ‘नेशनल ओरल हेल्थ प्रोग्राम चलाया जा रहा है। सरकार भी इसे लेकर काफी गंभीर है। मुंह व दंत रोगों की पहचान व समय रहते उपचार के लिए सभी को सजग रहना चाहिए।

बचाव ही सबसे बेहतर उपाय

राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण के जिला सलाहकार डा. सौरभ प्रताप सिंह कहते हैं-मुख व दंत रोगों का सबसे बड़ा कारण तम्बाकू उत्पादों का सेवन है। लिहाजा तम्बाकू उत्पादों का सेवन तत्काल बंद करना ही, मुख व दंत रोगों से बचाव का सबसे बेहतर उपाय है। साथ ही दांतों की नियमित सफाई व मसूड़ों की मसाज जरूर करना चाहिए। बावजूद इसके रोग का जरा भी लक्षण नजर आये तो तत्काल उपचार शुरू करायें। सभी सरकारी चिकित्सालयों में इसके निःशुल्क उपचार की व्यवस्था है।

इन लक्षणों की भी न करें अनदेखी

जबड़े  से खून का रिसाव

मुंह में दर्द व सूजन

दांतों का क्षरण

मुंह से बदबू आना

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...