दर्द को न करें नजरंदाज, हो सकते हैं गम्भीर परिणाम
समय से उपचार न होने पर दिव्यांगता का भी रहता है अंदेशा
Varanasi (dil india live). लल्लापुरा निवासी 48 वर्षीय शकील (परिवर्तित नाम) के पीठ व कमर में दो वर्ष पूर्व लगातार दर्द था। सोचा कोई वजनी वस्तु उठाने से हुए खिंचाव की वजह से दर्द है। मालिश व दर्द निवारक गोलियों का सहारा लिया। कोई आराम नहीं मिला। दर्द बढ़ता जा रहा था। घर के अंदर चार कदम चलना तो दूर पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो गया तो परिजनों के सहयोग से मण्डलीय अस्पताल पहुंचे। वहां चिकित्सक ने कई तरह की जांच कराया तो पता चला रीढ़ की हड्डी में टीबी है। डेढ़ वर्ष तक चले उपचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो गए।
सब्जी बेचकर अपनी गृहस्थी चलाने वाले शकील बताते है कि इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के साथ परिवार का पूरा सहयोग मिला। शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल परिसर स्थित जिला क्षय रोग केन्द्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ.अन्वित श्रीवास्तव का कहना है कि आम तौर पर लोग पीठ , कमर के दर्द को तब तक नजरअंदाज करते हैं जब तक चलना-फिरना मुश्किल नहीं हो जाता। दर्द असहनीय हो जाता है तो चिकित्सक के पास जाते हैं। यह आभास भी नहीं होता कि रीढ़ की हड्डी में टीबी भी हो सकती है। वह बताते हैं कि पिछले वर्ष जनवरी से दिसम्बर तक जिले में 142 रीढ़ की हड्डी में टीबी के मामले सामने आये। उपचार से लगभग 100 लोग स्वस्थ हो चुके है, शेष का उपचार चल रहा है।
कैसे होती है रीढ़ की हड्डी में tb
डॉ.अन्वित का कहना है कि वैसे तो टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करती है लेकिन कुछ मामलों में नाखून व बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। रीढ़ की हड्डी में टीबी तब होती है जब टीबी का संक्रमण फेफड़ों के बाहर फैलकर रीढ़ तक पहुंच जाता है। रीढ़ की हड्डी में टीबी के कारण होने वाले पीठ दर्द के वास्तविक कारण की जानकारी न होने की वजह से शुरू में अधिकतर लोग इसके प्रति लापरवाह होते हैं। उन्हें आभास नहीं होता है कि टीबी हुई है। यही स्थिति गंभीर होती है। इसलिए लगातार पीठ दर्द में आराम न हो तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें| चिकित्सक की सलाह पर जांच कराएँ कि कहीं यह टीबी तो नहीं| लापरवाही करने से यह दिव्यांग तक बना सकती है।
रीढ़ की हड्डी में tb के कारण
क्षय रोगी के संपर्क में आने से भी रीढ़ की हड्डी में टीबी हो सकती है। टीबी रोगी के संपर्क में आने के बाद यह फेफड़ों या लिम्फ नोड्स से रक्त के माध्यम से रीढ़ तक भी पहुंच सकता है।
रीढ़ की हड्डी में tb के लक्षण
पीठ में लगातार दर्द, कमजोरी महसूस करना,भूख न लगना, वजन कम होना, रात के समय बुखार आना, दिन में बुखार उतर जाना भी रीढ़ की हड्डी में टीबी का लक्षण हो सकता है।
रीढ़ की हड्डी में tb का उपचार
डॉ.अन्वित का कहना है कि रीढ़ की हड्डी में टीबी का उपचार संभव है लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि इसका समय से उपचार हो। सरकारी अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था है, जहां टीबी रोगियों को दवाएं भी दी जाती हैं । सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण के लिए पांच सौ रुपये की धनराशि प्रतिमाह मरीज के खाते में सीधे भेजी जाती है। वह बताते हैं कि दवाओं, परहेज और पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहर लेने से रीढ़ की हड्डी में हुआ टीबी पूरी तरह ठीक हो जाता है ।