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सोमवार, 11 दिसंबर 2023

Christmas पर यीशु का करेंगे मसीही अभिषेक

सारी दुनिया को "अमन" के राजकुमार का इंतेज़ार




Varanasi (dil India live) 11.12.2023. दुनिया भर को अमन के राज कुमार का इंतेज़ार है। 24 दिसंबर की मध्यरात्रि बालक यीशु के जन्म का उल्लास शुरु होगा। इस रात मसीही प्रमु यीशु की स्तुति और अभिषेक करेंगे। क्रिसमस मसीही समुदाय का सबसे बड़ा पर्व क्रिसमस  माना जाता है। ईसाई धर्म के लोग इस त्योहार को ग्लोबल लेवल पर धूमधाम और उल्लास के साथ मनाते हैं। दुनिया भर में हर साल 25 दिसंबर क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है। ये एक ऐसा त्योहार है, जो तकरीबन 155 से 160 देशों में एक साथ मनाया जाता है। ड्स पर्व को हर उम्र के लोग क्रिसमस सेलिब्रेट करते हैं। यूं तो आमतौर पर लोग क्रिसमस का मतलब 25 दिसंबर ही जानते हैं मगर यह कम लोग जानते हैं कि क्रिसमस का जश्न क्रिसमस के पूर्व पड़ने वाले 4 इतवार पहले से ही शुरु हो जाता है। इस पर्व की तैयारियां महीने भर पहले ही शुरू हो जाती हैं। हाँ 24 दिसंबर की मध्यरात्रि यह पर्व अपने शबाब पर होता है। यह पर्व मध्यरात्रि से शुरु होकर तकरीबन सप्ताह भर तक चलता है।

किसमस पर क्रिश्चियन अपने घरों को रंग-बिरंगी लाइटों से जहां रौशन कर रहे हैं वही डेकोरेटिव आइटम्स से चर्च से लेकर घर कालोनी तक सजाये जा रहे हैं।

 क्रिसमस केक

क्रिसमस पर केक का वैसे ही महत्व है जैसे ईद पर सेवई और दीपावली पर मिठाई। भारत में तो केक बनवाने के लिए 15 दिन पूर्व से ही लोग बेकरी वाले के यहां बुकिंग के लिए पहुंचने लगते हैं।


क्रिसमस ट्री 

क्रिसमस के पूर्व ही मसीही घरों में क्रिसमस ट्री सजाया जाता हैं। मान्यता यह भी है कि क्रिसमस ट्री कई तरह के वास्तु निवारण का काम भी करता है। मसीही विद्वानों का कहना है कि क्रिसमस के पेड़ को घर में लगाने से घर से नकारात्मक उर्जा नष्ट होती है, यही वजह है कि क्रिसमस ट्री खुशी के इस मौके पर बेहद शुभ माना जाता है।


चरनी बनाने का दौर

क्रिसमस पर लोग अपने घर के आंगन में चरनी बनाते हैं। दरअसल गौशाले में ही बालक यीशु का जन्म हुआ था, इसालिए प्रभु यीशु के जन्म की झांकी चरनी के रूप में सजायी जाती हैं। 


ग्लोबल पर्व क्रिसमस

क्रिसमस ऐसे तो क्रिश्चियन पर्व है। लेकिन इसके उत्साह और उल्लास में सभी धर्म के लोग शामिल होते हैं। यही वजह है कि दुनिया के लगभग सभी देश में क्रिसमस का त्योहार अलग-अलग तरह से धूमधाम से मनाया जाता है। कहीं चर्चेज में फंक्शन होता है तो कहीं प्रभु यीशु की याद में कैरोल गाते लोग घरों और सड़कों पर निकल पड़ते हैं।

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