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सोमवार, 21 मार्च 2022

नींव की ईट........


मस्जिद अंबर की तामीर में सौहार्द की नज़ीर "हिंदू ईट"

लखनऊ २१ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। लखनऊ में अंबर मस्जिद में अब महिलाओं के लिए अलग मस्जिद का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें नीव की एक ईट रखने   का मुझे भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। निश्चित रूप से बचपन से मेरे मन में ही नहीं आपके मन में भी यह विचार आता होगा कि यदि मस्जिदों में मुस्लिम पुरुष इबादत कर सकते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं???? पर इसका जवाब आज तक नहीं मिला। एक दिन अचानक ऑल इंडिया मुस्लिम वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMWPLB) की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर जी द्वारा महिलाओं के नमाज हेतु मस्जिद में स्थान बनाने की चर्चा हुई और इस कार्यक्रम में 2 फ़रवरी 2022 मुझे आमंत्रित किया। निश्चित रूप से किसी मुस्लिम इबादत गाह में यह मेरा पहला कदम था।  नीव की ईट का सहयोग देना भगत सिंह अमर रहे ,विवेकानंद की जय हो ,इत्यादि के नारों के साथ वाकई रोमांचकारी अनुभव सिद्ध हुआ। 

         भारत देश विविधताओं का देश है यदि यहां मंदिर के घंटों से सुबह की शुरुआत होती है तो अजान की गुहार को हम नकार नहीं सकते। आज हिंदू मुस्लिम नफरत के हर संभव प्रयास के बीच हिंदू मुस्लिम एकता का एक छोटा सा उदाहरण बनी नीव की ईट।

           बता दें अंबर मस्जिद की स्थापना 1997 में शाइस्ता अंबर ने की थी. शाइस्ता जी ने बताया की अब तक महिलाओं को छत के नीचे और परिसर में टेंट के पीछे अस्थायी व्यवस्था पर नमाज पढ़नी पड़ती थी जिससे महिला नमाजियों को धूप और बरसात में काफी दिक्कतें आती थी। महिलाओं के लिए प्रस्तावित अलग हॉल एक मंजिला संरचना है, जिसे 3 लाख रुपये से अधिक की लागत से बनाया जाएगा। इस ऐतिहासिक निर्माण में आप भी आर्थिक सहयोगी  बन सकते हैं ।

               निर्माण कार्य जोरों पर है उम्मीद है कि रमजान तक, जो अप्रैल में है,  महिलाओं के लिए एक उचित हॉल होगा जहां वे न केवल नमाज अदा करेंगे बल्कि तरावीह, हदीस, उपदेश, जुमा खुतबा और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेंगी। महिला सशक्तिकरण की बात करना तो आसान है पर उनके लिए हक और अधिकार दिलाने की जद्दोजहद में कुछ करके दिखा देना शायद इसी को कहते हैं।


                     आमतौर पर शिया और सुन्नी मसलक के लोग अलग-अलग मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं, लेकिन पीजीआई के पास स्थित अंबर मस्जिद में ऐसी कोई बंदिश या अलगाव नहीं है और अब महिलाएं भी नमाज पढ़ने की अधिकारी बनेगी।  यहां शिया-सुन्नी एकता के पीछे  महिलाओं का बड़ा योगदान है।

                पीजीआई ट्रॉमा सेंटर के पास स्थित अंबर मस्जिद का निर्माण साल 1997 में हुआ। मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर बताती हैं कि मस्जिद बनवाने के लिए उन्होंने जेवर बेचकर जमीन खरीदी। इस मस्जिद के मेन गेट पर संगमरमर पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है कि यहां सभी मसलक के लोग नमाज पढ़ें, इस्तकबाल है। आज यहां सवा सौ से ज्यादा शिया-सुन्नी रोजेदार नमाज पढ़कर एक साथ रोजा खोलते हैं।

            शाइस्ता जी ने दोनों मसलक के लोगों के लिए इस शर्त पर मस्जिद की तामीर करवाई कि वे एक साथ यहां अल्लाह की इबादत करेंगे। अंबर मस्जिद का उद्‌घाटन 2 फरवरी, 1997 को मौलाना अली मियां ने किया था। शाइस्ता जी के मुताबिक, सौर ऊर्जा के पैनल से लैस इस मस्जिद में मिलाद शरीफ के साथ शोहदा-ए-कर्बला का भी जिक्र होता है। मस्जिद के कैंपस में 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडारोहण भी होता है। 

           सामाजिक समरसता का उदाहरण प्रस्तुत करती है मस्जिद जहां रामनामी दुपट्टा, रुद्राक्ष की माला, गुरु ग्रंथ साहब , आचार्य शर्मा जी द्वारा रचित शांतिकुंज की महत्वपूर्ण पुस्तकें वा लेख के साथ-साथ बाइबल की उपलब्धता सभी धर्मों के सम्मान क जीता जाता उदाहरण प्रस्तुत करती है।

             निश्चित रूप से मस्जिद के अंदर पहला कदम रखने का यह मेरा पहला अनुभव यादगार रहा इबादत आप किसी भी धर्म की करिए पर सम्मान सभी धर्मों का हो यह भारत की सहिष्णुता सभ्यता और संस्कार को बनाए रखने के लिए बहुत ही जरूरी है।

“ कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। यूनान-ओ- मिस्र-ओ- रोमा, सब मिट गए जहाँ से । ..

......... महिलाओं के हक अधिकार के लिए लड़ती एक महिला निश्चित रूप से हम सभी के स्नेह और श्रद्धा का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करती शाइस्ता अंबर चाहे तीन तलाक जैसे कुरीति को खत्म करने की लड़ाई हो या महिलाओं के लिए पूजा स्थानों में जगह दिलाने की बात पूरी मुस्तैदी से अपने कर्तव्य में लगी है निश्चित रूप से यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है इस ऐतिहासिक जद्दोजहद में मुझे मेरे नाम की नीव की ईट रखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।


(जैसा कि सामाजिक दर्पण की अगुआ, रीना त्रिपाठी, ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया)

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022

रक्तदान के लिए यह परिवार बना मिसाल

पिता की पुण्यतिथि पर बहू ने किया रक्तदान

देवरिया ०४ फरवरी (dil India live) । वृहस्पतिवार को जिला ब्लड बैंक में एक परिवार द्वारा पिता की पुण्यतिथि पर बहू के साथ अन्य सदस्यों द्वारा रक्तदान कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुये अनोखा सन्देश दिया गया । स्वच्छ भलुअनी स्वस्थ भलुअनी (यूथ ब्रिगेड) के संस्थापक सदस्य व रक्तदान का अमृत महोत्सव उत्तर प्रदेश ABMVS सह संयोजक सन्तोष मद्धेशिया वैश्य ने अपने पिता स्व. रामचंद्र मद्धेशिया की स्मृति में उनकी सातवीं पुण्यतिथि पर जिला ब्लड बैंक पर सपरिवार रक्तदान कर पुण्यतिथि मनायी । पुण्यतिथि पर सन्तोष मद्धेशिया की पत्नी इसरावती देवी ने तीसरी बार, छोटे भाई विनय मद्धेशिया ने पहली बार व बहनोई विजय मद्धेशिया ने चौथी बार रक्तदान करते हुये कहा कि परिवार के सृजनकर्ता के नाम पर आज रक्तदान कर हमें बेहद खुशी महसूस हो रही है और हम सभी को इस तरह के कार्य की प्रेरणा व सीख उन्ही से मिली थी, उनके पदचिन्हों पर चलना ही हमारे परिवार का प्रयास है । इस अवसर पर सन्तोष मद्धेशिया की माँ दुर्गावती देवी ने कहा कि मेरी बहू की तरह हर महिला को भी रक्तदान के लिये आगे आना चाहिये क्योंकि महिलाओं में रक्तदान के प्रति जागरूकता की बेहद कमी है ।इस दौरान कपूरचंद गुप्ता, आशा देवी, मनोज मद्धेशिया, सरिता देवी, पुष्पा देवी, एलटी तेजभान, रामेश्वर पांडेय सहित अन्य कर्मचारी मौजूद रहे ।

रक्तदान करने के लिये सत्रह घण्टे का सफर

एक मांगलिक कार्यक्रम में अपने ननिहाल गयी बड़ी बहू इसरावती देवी पिता की पुण्यतिथि पर प. बंगाल से 17 घण्टे का सफर तय कर ब्लड बैंक पहुंची और अपना तीसरा रक्तदान किया । उन्होंने बताया कि पहली बार वह भलुअनी में पिछले वर्ष शहीद दिवस पर आयोजित रक्तदान शिविर में पति की पहल पर रक्तदान किया साथ ही छोटी ननद को भी रक्तदान करवाया । उस रक्तदान के दौरान ब्लड बैंक परामर्शदाता सुबोध पांडेय जी ने मुझे हर चार माह पर रक्तदान करने का सुझाव दिया और मैं तबसे नियमित रक्तदान करते हुये बहुत बेहतर महसूस कर रही हूँ । उन्होंने कहा आज मेरे परिवार में बच्चा बच्चा रक्तदान के महत्व को समझता है और रक्तदान के प्रति जागरूक है । बच्चे खुद कहते हैं मैं 18 वर्ष का होते ही रक्तदान करना शुरू कर दूँगा । हमें स्वस्थ समाज की परिकल्पना और जागरूकता के लिये रक्तदान की शुरुआत पहले स्वयं से करनी होगी जिसे देखकर ही हमारे परिवार के सदस्य, महिलाएं व बच्चे भी रक्तदान के लिये प्रेरित होंगें । इसरावती देवी के प्रयास से कई महिलाएं भी रक्तदान के प्रति उत्सुक दिख रही हैं ।

सन्तोष ने पूरे परिवार में भरा रक्तदान का जज्बा

सन्तोष मद्धेशिया ने दो फरवरी को परिवार के बने wp ग्रुप में पिता की पुण्यतिथि पर परिवार के लोंगों से रक्तदान कर पुण्यतिथि मनाने की इच्छा जाहिर की तो सबसे पहले उनके 18 वर्षीय बेटे दीपक मद्धेशिया ने रक्तदान करने की इच्छा जाहिर की, उसके बाद उनके दूसरे बेटे 15 वर्षीय सूरज मद्धेशिया ने कहा "काश मैं भी 18 वर्ष का होता तो आज बाबा के नाम पर रक्तदान करता, 20 वर्षीय बिटिया दिव्या ने तुरंत रक्तदान करने की हांमी भर दी । वहीं चचरे भाई रामप्रवेश मद्धेशिया "यूथ ब्रिगेड" की पहल पर 30 जनवरी को जिला ब्लड बैंक में ही रक्तदान करने की वजह से इस पुण्यतिथि पर रक्तदान नही कर सके ।

छोटे भाई मनोज मद्धेशिया, विनोद मद्धेशिया, बहन आशा, मीना व रीता भी पिता के नाम पर रक्तदान को उत्सुक दिखे पर मैडिकल मानक पर खरा न उतरने पर परिवार के अधिकतर सदस्य रक्तदान करने से वंचित रह गये । नियमित रक्तदान करते हुये अभी तक कुल 11 बार रक्तदान कर चुके सन्तोष मद्धेशिया ने कहा कि समाजसेवा की प्रेरणा पिता जी से पायी है, और उनकी प्रेरणा से ही हमारे परिवार द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि हर परिवार को भी रक्तदानी परिवार बना सकें ।

बुधवार, 2 फ़रवरी 2022

कोविड ने अपनों की ली जान वे दूसरों को बचाने के लिए चला रहे अभियान

लोगों को समझाते हैं : ‘हमने अपनों को खोया है, आप भी रहे सावधान, खुद की ही नहीं दूसरों की भी बचाए जान’


वाराणसी, 02 फरवरी (dil India live) । कोरोना संक्रमण के कारण हमने अपनों को खोया है। अच्छी खासी गृहस्थी को बिगड़ते देखा है। जरा सी लापरवाही हर किसी के लिए खतरनाक हो सकती है। बस जरूरत है टीके की दोनों खुराक लेने और कोविड प्रोटोकाल का पूरी तरह पालन करने की। यह कहना है उन लोगों का जिन्होंने कोविड की पहली और दूसरी लहर में अपनों को खोया है। कोविड की तीसरी लहर में ऐसे लोग खुद तो सतर्क हैं हीं दूसरों को इसके लिए जागरूक कर रहे हैं।

    गिलट बाजार निवासी प्रांजल अपने काम-धाम के बीच समय निकाल कर हर रोज मित्रों के साथ लोगों को कोविड से सतर्क रहने के लिए जागरुक करते हैं । वह लोगों को बताते हैं कि कोरोना की पहली लहर में किस तरह उन्होंने अपने पिता को खोया । उसके बाद किस तरह उनके परिवार ने परेशानियों को झेला । वह लोगों को समझाते है कि परेशानियों से बचने का एकमात्र उपाय सतर्कता है । कोविड टीका लगवाने के साथ ही अगर हम कोविड प्रोटोकाल का पूरी तरह पालन करें, तो आप उस बड़ी मुसीबत से बच सकते है जिसे खुद उन्होंने झेला है।

  प्रांजल बताते हैं कि पिता के निधन के बाद तो ऐसा लगा जैसे सबकुछ तहस-नहस हो गया । खुद के साथ ही बहनों की पढ़ाई कैसे होगी, परिवार का खर्च कैसे चलेगा यह चिंता रात-दिन सताने लगी थी । वह एक ऐसा संकट का दौर था जिसके बारे में सोच कर ही कलेजा कांप उठता है । उस समय पूरा परिवार कोविड से ग्रसित था। प्रांजल कहते है, कोविड के चलते हमने ऐसी परेशानियों को झेला है जिसका सामना ईश्वर करे किसी को न करना पड़े । यही कारण है कि वह उन्होंने अब दूसरों को सतर्क रहने के लिए इन दिनों अभियान चला रखा है ।भोजूबीर के रहने वाले अरविन्द भी इन दिनों कुछ ऐसा ही कर रहे है। पेशे से दवा व्यवसायी अरविन्द ने अपने बड़े पिता को कोविड की दूसरी लहर में खोया है। वह बीएलडब्लयू कारखाने के कर्मचारी थे। किसी और के घर में ऐसी विपदा न आये इसके लिए अरविन्द भी लोगों को कोविड प्रोटोकाल का पालन करने के लिए जागरूक करने का काम कर रहे हैं । अरविन्द बताते है कि अधिकांश लोग इस गंभीर बीमारी पर पूरे दिन चर्चा करते रहते है लेकिन जब मास्क लगाने या दो गज की दूरी का पालन करने की बात आती है तो वह खुद इस मामले में लापरवाह हो जाते है । ऐसे लोगों को भ्रम होता है कि कोविड दूसरों को तो होगा, उन्हें नहीं । अरविन्द बताते है कि वह लोगों को यही समझाने का काम कर रहे है कि कोविड किसी को भी हो सकता है । इसलिए कोविड प्रोटोकाल का पालन करना जरूरी है। पहड़िया निवासी दिव्यांशू ने कोविड की दूसरी लहर में अपने पिता को खोया । पिता के न रहने पर अचानक आई परिवार की जिम्मेदारियों को उठाने के साथ-साथ ही दिव्यांशू ने भी कोविड प्रोटोकाल का पालन कराने के लिए अभियान चला रखा है । वह सामने पड़े ऐसे हर व्यक्ति को रोकते और टोकते है जिन्होंने मास्क नहीं पहन रखा होता है । उसे मास्क के महत्व के बारे में समझाते हैं, इसके साथ ही अपने सामने आयी परेशानियों का हवाला देते हुए यह सभी को यह समझाते हैं कि मास्क पहनना सभी के लिए क्यों जरूरी है। अपने दोस्तों-मित्रों को फोन कर वह सभी से पूछते हैं कि उन्होंने कोविड का टीका लगवाया है या नहीं। न लगवाने वाले को जल्द से जल्द लगा लेने की सलाह देते हैं। दिव्यांशू का मानना है कि यदि हर व्यक्ति सजग हो जाए और टीकाकरण कराने के साथ ही कोविड नियमों का पालन करे तो कोरोना को आसानी से हराया जा सकता है। उनका मानना है कि बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है, ऐसे में जरूरी है सभी को अपने स्तर पर ऐसे ही अभियान चलाने की जिससे कोविड़ पर विजय पायी जा सके।

शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

पुलिस की दरियादिली बनी मिसाल

ठंड में नंगे पैर जा रहे मासूम की ली महिला पुलिस ने सूध


देवरिया 7 जनवरी (dil india live)। जिले के बनकटा थाने में तैनात महिला कांस्टेबल धर्मशीला दूबे ने एक मां  के साथ नंगे पाव बच्चे को देखकर खाना खिलाने के साथ बच्चे को जूता-मोजा खरीद कर पहनाकर ठंड से बचाने का सराहनीय कार्य किया है। महिला कांस्टेबल बनकटा थानाक्षेत्र के सोहनपुर चौराहे पर स्थित एचडीएफसी बैंक पर ड्यूटी पर तैनात थी। तभी उसने देखा कि एक मां अपने  बच्चे को ठंड में ठिठुरते हुए जा रही है। उसने तुरंत महिला को अपने पास बुलाया।  महिला ने अपना दुखड़ा सुनाया।  दुखड़ा सुनने के बाद महिला कांस्टेबल ने तुरंत खाना मंगवा कर खिलाया व उस बच्चे के लिए जुता मोजा खरीदकर पहनाया। जिसकी चर्चा पूरे बाजार में है। लोगो ने कहा कि महिला कांस्टेबल ने ममता का परिचय देते हुए उस बच्चे को ठंड से बचने के लिए जूता मोजा खरीद कर पहनाकर सराहनीय कार्य किया है।

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...