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सोमवार, 21 अप्रैल 2025

pope Francis (पोप फ्रांसिस) को मोमबत्ती जलाकर दी गई श्रद्धांजलि

हार्टमनपुर चर्च में हुई प्रार्थना सभा 

Ghazipur (dil India live). आज 21 अप्रैल, 2025 का दिन पूरे विश्व के ईसाई धर्म के लोगों के लिए अत्यधिक दुखद रहा। इसकी मुख्य वजह कैथोलिक ईसाई धर्म गुरु pope Francis (पोप फ्रांसिस) का 88 वर्ष की उम्र में निधन होना है। वह फेफड़ों के इन्फेक्शन की वजह से पिछले कई हफ्तों से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्होंने 20 अप्रैल 2025 को ईस्टर की शुभकामनाएं पूरे विश्व को दिया था और आज वेटिकन सिटी के समय अनुसार प्रातः 7:35 पर ईश्वर को प्यारे हो गए। यह बातें फादर पी. विक्टर ने हार्टमनपुर चर्च में शोक सभा की अगुवाई करते हुए कही। 


        इस दुखद घड़ी में हार्टमनपुर चर्च में शोक सभा में हार्टमनपुर छात्रावास के छात्र-छात्राए, सिस्टर्स, फादर्स आदि उपस्थित थे। इस प्रार्थना सभा का शुभारंभ पोप फ्रांसिस के चित्र के सम्मुख मोमबत्तियां जलाकर किया गया तथा धार्मिक विधि अनुसार प्रार्थना सभा किया गया। वक्ताओं ने इसे पूरे विश्व के लिए एक क्षति बताया। 

अलविदा pope Francis 


वेटिकन सिटी में दुनिया के सबसे बड़े ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया। उनका निधन वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित उनके निवास स्थान पर हुआ। कार्डिनल केविन फेरेल, वेटिकन कैमरलेन्गो ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि “सोमवार को रोम से पोप फ्रांसिस पिता के घर लौट गए। उनका पूरा जीवन प्रभु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित था।’ उन्होंने कहा कि पोप फ्रांसिस ने हमें मूल्यों, साहस और सार्वभौमिक प्रेम के साथ जीना सिखाया, खासकर सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के लिए। 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस अपने 12 साल के पोप कार्यकाल में वह कई बीमारियों से पीड़ित रहे। फ्रांसिस, पुरानी फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे। युवावस्था में उनके एक फेफड़े का हिस्सा निकाल दिया गया था। उन्हें 14 फरवरी, 2025 को सांस की तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो बाद में डबल निमोनिया में बदल गया। उन्होंने वहां 38 दिन बिताए। रविवार को पोप फ्रांसिस ने ईस्टर संडे के अपने संबोधन में विचार की स्वतंत्रता और सहिष्णुता का आह्वान किया।

गाज़ा के हालात पर जताई थी चिंता 

बेसिलिका की बालकनी से 35,000 से अधिक लोगों की भीड़ को ईस्टर की शुभकामनाएं देने के बाद, फ्रांसिस ने अपने पारंपरिक “उर्बी एट ओर्बी” (“शहर और दुनिया के लिए”) आशीर्वाद को पढ़ने का काम एक सहयोगी को सौंप दिया।उन्होंने भाषण में कहा, “धर्म की स्वतंत्रता, विचार की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दूसरों के विचारों के प्रति सम्मान के बिना शांति नहीं हो सकती है.” उन्होंने “चिंताजनक” यहूदी-विरोध और गाजा में ‘नाटकीय और निंदनीय’ स्थिति की भी निंदा की।

बनारस में शोक, बंद रहेंगे स्कूल कालेज 

पोप फ्रांसिस के निधन से बनारस समेत देश दुनिया में शोक की लहर है। शोक में मसीही संस्थाएं व स्कूल-कालेज कल बंद रहेंगे। खास तौर पर जीवन ज्योति हायर सेकेण्डरी स्कूल सारनाथ, सेंट मैरीज कांवेंट स्कूल कैंटोंमेंट व सोना तालाब, सेंट जांस व सेंट जोसेफ आदि की सभी शाखाओं में अवकाश की घोषणा की गई है।

कैसे हुआ पोप का निधन, क्या थी बीमारी 

वपोप फ्रांसिस का निधन 21 अप्रैल 2025 को वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित उनके निवास स्थान पर हुआ। वह 88 वर्ष के थे और लंबे समय से फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे। उनके निधन की घोषणा वेटिकन केमरलेंगो कार्डिनल केविन फेरेल ने की, जिन्होंने कहा कि पोप फ्रांसिस ने अपने जीवन को प्रभु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित किया था।

पोप फ्रांसिस के निधन की वजह 

- पोप फ्रांसिस पुरानी फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे, जिसके कारण उनके गुर्दे में भी खराबी के शुरुआती चरण नजर आने लगे थे।

- उन्हें 14 फरवरी 2025 को सांस की तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो बाद में डबल निमोनिया में बदल गया।

- वह अस्पताल में 38 दिन रहे और हाल ही में ईस्टर कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

मोदी व राहुल गांधी समेत कई की प्रतिक्रियाएं

-भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया और उन्हें करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद किया।

- कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी पोप फ्रांसिस के निधन पर दुख जताया और कहा कि उन्हें एक सच्चे धर्मगुरु के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।


कौन बनेगा नया पोप, क्या है प्रकिया 

नए पोप के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, और कई नाम चर्चा में हैं। कुछ प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं :

- फिलीपींस के कार्डिनल लुई एंटोनियो: अपनी धार्मिक नेतृत्व क्षमता और वैश्विक प्रभाव के लिए जाने जाते हैं।

- इटली के कार्डिनल पेट्रो पैरोलिन: वेटिकन के अनुभवी राजनयिक और चर्च के एक प्रमुख नेता।

- हंगरी के कार्डिनल पीटर एर्डो: चर्च के एक प्रमुख विद्वान और नेता।

- अमेरिका के कार्डिनल रेमंड लियो बर्के: एक अनुभवी कार्डिनल और चर्च के एक प्रमुख नेता।

- इटली के कार्डिनल मैटो जुप्पी: चर्च के एक युवा और गतिशील नेता।

- नीदरलैंड के कार्डिनल विलियम्स जैकब आइजक: चर्च के एक प्रमुख विद्वान और नेता।

- माल्टा के कार्डिनल मारियो ग्रेच: चर्च के एक अनुभवी नेता और वेटिकन के एक प्रमुख अधिकारी।

- जॉर्ज कूवाकड: एक वेटिकन राजनयिक और इंटररिलिजियस डायलॉग के प्रमुख।

नए पोप का चयन "कॉन्क्लेव" नामक प्रक्रिया के तहत किया जाएगा, जिसमें दुनिया भर के कार्डिनल भाग लेंगे। मतदान वेटिकन स्थित सिस्टीन चैपल में आयोजित किया जाएगा। नए पोप के नाम की घोषणा सेंट पीटर्स बेसिलिका की बालकनी से "हैबेमस पापम" की घोषणा के साथ की जाएगी।


pope Francis के निधन से Banaras से Rome तक शोक

अलविदा pope Francis 

मसीही संस्थाएं व स्कूल-कालेज कल रहेंगे शोक में बंद 

ईस्टर संडे को किया था दुनिया को संबोधित, सहिष्णुता पर दिया था जोर


Varanasi (dil India live). वेटिकन सिटी में दुनिया के सबसे बड़े ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया। उनका निधन वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित उनके निवास स्थान पर हुआ। कार्डिनल केविन फेरेल, वेटिकन कैमरलेन्गो ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि “सोमवार को रोम से पोप फ्रांसिस पिता के घर लौट गए। उनका पूरा जीवन प्रभु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित था।’ उन्होंने कहा कि पोप फ्रांसिस ने हमें मूल्यों, साहस और सार्वभौमिक प्रेम के साथ जीना सिखाया, खासकर सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के लिए। 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस अपने 12 साल के पोप कार्यकाल में वह कई बीमारियों से पीड़ित रहे। फ्रांसिस, पुरानी फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे। युवावस्था में उनके एक फेफड़े का हिस्सा निकाल दिया गया था। उन्हें 14 फरवरी, 2025 को सांस की तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो बाद में डबल निमोनिया में बदल गया। उन्होंने वहां 38 दिन बिताए। रविवार को पोप फ्रांसिस ने ईस्टर संडे के अपने संबोधन में विचार की स्वतंत्रता और सहिष्णुता का आह्वान किया।

गाज़ा के हालात पर जताई थी चिंता 

बेसिलिका की बालकनी से 35,000 से अधिक लोगों की भीड़ को ईस्टर की शुभकामनाएं देने के बाद, फ्रांसिस ने अपने पारंपरिक “उर्बी एट ओर्बी” (“शहर और दुनिया के लिए”) आशीर्वाद को पढ़ने का काम एक सहयोगी को सौंप दिया।उन्होंने भाषण में कहा, “धर्म की स्वतंत्रता, विचार की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दूसरों के विचारों के प्रति सम्मान के बिना शांति नहीं हो सकती है.” उन्होंने “चिंताजनक” यहूदी-विरोध और गाजा में ‘नाटकीय और निंदनीय’ स्थिति की भी निंदा की।

बनारस में शोक, बंद रहेंगे स्कूल कालेज 

पोप फ्रांसिस के निधन से बनारस समेत देश दुनिया में शोक की लहर है। शोक में मसीही संस्थाएं व स्कूल-कालेज कल बंद रहेंगे। खास तौर पर जीवन ज्योति हायर सेकेण्डरी स्कूल सारनाथ, सेंट मैरीज कांवेंट स्कूल कैंटोंमेंट व सोना तालाब, सेंट जांस व सेंट जोसेफ आदि की सभी शाखाओं में अवकाश की घोषणा की गई है।

कैसे हुआ पोप का निधन, क्या थी बीमारी 

वपोप फ्रांसिस का निधन 21 अप्रैल 2025 को वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित उनके निवास स्थान पर हुआ। वह 88 वर्ष के थे और लंबे समय से फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे। उनके निधन की घोषणा वेटिकन केमरलेंगो कार्डिनल केविन फेरेल ने की, जिन्होंने कहा कि पोप फ्रांसिस ने अपने जीवन को प्रभु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित किया था।

पोप फ्रांसिस के निधन की वजह 


- पोप फ्रांसिस पुरानी फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे, जिसके कारण उनके गुर्दे में भी खराबी के शुरुआती चरण नजर आने लगे थे।
- उन्हें 14 फरवरी 2025 को सांस की तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो बाद में डबल निमोनिया में बदल गया।
- वह अस्पताल में 38 दिन रहे और हाल ही में ईस्टर कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

मोदी व राहुल गांधी समेत कई की प्रतिक्रियाएं

-भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया और उन्हें करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद किया।
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी पोप फ्रांसिस के निधन पर दुख जताया और कहा कि उन्हें एक सच्चे धर्मगुरु के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।

कौन बनेगा नया पोप, क्या है प्रकिया 

नए पोप के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, और कई नाम चर्चा में हैं। कुछ प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं :
- फिलीपींस के कार्डिनल लुई एंटोनियो: अपनी धार्मिक नेतृत्व क्षमता और वैश्विक प्रभाव के लिए जाने जाते हैं।
- इटली के कार्डिनल पेट्रो पैरोलिन: वेटिकन के अनुभवी राजनयिक और चर्च के एक प्रमुख नेता।
- हंगरी के कार्डिनल पीटर एर्डो: चर्च के एक प्रमुख विद्वान और नेता।
- अमेरिका के कार्डिनल रेमंड लियो बर्के: एक अनुभवी कार्डिनल और चर्च के एक प्रमुख नेता।
- इटली के कार्डिनल मैटो जुप्पी: चर्च के एक युवा और गतिशील नेता।
- नीदरलैंड के कार्डिनल विलियम्स जैकब आइजक: चर्च के एक प्रमुख विद्वान और नेता।
- माल्टा के कार्डिनल मारियो ग्रेच: चर्च के एक अनुभवी नेता और वेटिकन के एक प्रमुख अधिकारी।
- जॉर्ज कूवाकड: एक वेटिकन राजनयिक और इंटररिलिजियस डायलॉग के प्रमुख।
नए पोप का चयन "कॉन्क्लेव" नामक प्रक्रिया के तहत किया जाएगा, जिसमें दुनिया भर के कार्डिनल भाग लेंगे। मतदान वेटिकन स्थित सिस्टीन चैपल में आयोजित किया जाएगा। नए पोप के नाम की घोषणा सेंट पीटर्स बेसिलिका की बालकनी से "हैबेमस पापम" की घोषणा के साथ की जाएगी।