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सोमवार, 19 फ़रवरी 2024

Dr Renu Shahi ने दिया 'राजस्थानी लोक परंपरा' पर व्याख्यान

अमरकंटक के राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत किया शोध पत्र 





Jaipur (dil India live). नर्मदा के उद्गम स्थान अमरकंटक में 16  से 20 फरवरी तक  देश के प्रतिष्ठित संस्थान ' इंडियन आर्ट हिस्ट्री कॉंग्रेस', गुवाहाटी (जो कि भारतीय कला एवं पुरातात्विक पक्ष के सभी पहलुओं के ऊपर शोध का कार्य करवाती है) तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्विद्यालय, अमरकंटक के तत्वावधान में संयोजित रूप से "भारतीय कला पर लोक एवं जनजाति तत्वो के प्रभाव" शीर्षक पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया l जिसमें  जयपुर (राजस्थान) से डॉ. रेणु शाही को शोध-पत्र प्रस्तुत किया। इन्होंने नाथद्वारा शैली में लोक परंपराओं, लोक तत्वों, लोक मान्यताओं एवं लोक कथाओं को केन्द्रित करते हुए एवं एक लघु चित्र शैली जो राजस्थान के चार प्रमुख चित्र शैलियों मारवार, मेवाड़, ढूंढार एवं हाड़ौती में मेवाड़ की एक उप-शैली नाथद्वारा शैली के वर्तमान स्वरूप के ऊपर अपना शोध-पत्र प्रस्तुत किया। इसे सभी कला मर्मज्ञों, इतिहासकारों व बुद्धजीवियों द्वारा सराहा गया I दृष्य कला से संबंध रखने वाली डॉ. रेणु शाही मूलतः उतर प्रदेश के गोरखपुर से है और कला शिक्षा वाराणसी में रहकर पूर्ण किया हैं और वर्तमान में जयपुर में रहते हुये एक कला महाविद्यालय में शिक्षण के साथ-साथ लेखन एवं कला इतिहास पर शोध एवं समीक्षा का कार्य करती है l अब तक इनके  लगभग तीस से चालीस शोध कार्य एवं कला समीक्षाएं अलग-अलग पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके है l साथ ही कलात्मक गतिविधियों में भी भागीदारी करती है l चित्रकारी के साथ-साथ लेखक में भी सक्रिय है l इनका कहना है कि 'निरंतर एवं मंदगति का प्रवाह एक सुखद अनुभूति होती है' l

शुक्रवार, 26 मई 2023

Dr Renu shahi ने दिया नेपाल में live demonstration

अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में डॉ. रेणु संग चार भारतीय चित्रकारों ने किया शिरकत 




Varanasi (dil india live). छ:वी अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी 2023 का आयोजन नेपाल में किया गया। चीबहाल आर्ट इंस्टिट्यूट, सुनाकोठी, ललितपूर, नेपाल के द्वारा होटल आर्ट काठमांडू में हुई इस प्रदर्शनी का उद्घाटन नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल के कर कमलों द्वारा फीता काटकर किया गया। प्रदर्शनी में कुल 38 कलाकारों की प्रतिभागिता रही। जिसमें भारत से चार कलाकारों की कृतियों को सम्मिलित किया गया था। यहां पर उदयपुर से ममता जयपुर से डॉक्टर रेणु शाही, नवल किशोर मिश्र और धनमेष की कृतियां प्रदर्शित हुयी थी। डॉक्टर शाही को एक अतिथि चित्रकार के रूप में आमंत्रित किया गया था। उन्होंने संस्था की ओर से आयोजित कला शिविर में कई चित्रो के चित्रण किये तथा पेंटिंग का live demonstration देकर वहां के कलाकारों एवं कला रसिक लोगों के बीच भारत का गौरव बढ़ाया। डॉक्टर रेणु जयपुर के ललित कला महाविद्यालय में चित्रकला विषय की सहायक आचार्य है तथा कला इतिहास भी पढ़ाती है। उनके इस गुण से प्रभावित हो, त्रिभुवन विश्वविद्यालय के केंद्रीय ललित कला संकाय में भारतीय लघुचित्र परंपरा व कला एवं सौंदर्य पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित गया l  प्रदर्शनी एवं कला कार्यशाला का आयोजन 18 se 22 मई तक रहा l 24  मई को Art and  Aesthetics फोरम नेपाल द्वारा इन्हें 'भारतीय सौंदर्यशास्त्र' पर  चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया। वर्तमान में यह जयपुर में निवास कर रही है, परतुं उनकी आत्मा में काशी बसा हुआ है। यही कारण है कि वो अपने चित्रों में काशी के मंदिरों एवं घटों को चित्रित करती है। नेपाल में भी इन्होंने काशी के प्रति अपने प्रेम को चित्र धरातल पर प्रदर्शित किया। इनकी कला शिक्षा वाराणसी से ही हुयी है l तथा जीवन का एक लंबा समय भी यहां बिताया है।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...