मण्डप में पहुंच कर रोका बाल विवाह
मिशन शक्ति’ अभियान में मिली बड़ी सफलता
वाराणसी, 22 सितम्बर (दिल इंडिया लाइव)। दुर्गाकुण्ड क्षेत्र में एक किशोरी के बाल विवाह कराने का प्रयास, चाइल्ड लाइन की सक्रियता से विफल हो गया। फिलहाल किशोरी को एक ‘शेल्टर होम’ में रखा गया है और उसका चिकित्सकीय परीक्षण कराया जा रहा है। इस बाल विवाह को रोकने को प्रदेश में चल रहे ‘मिशन शक्ति’ अभियान में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
चाइल्ड लाइन के हेल्पलाइन नम्बर पर मंगलवार की दोपहर किसी ने सूचना दी कि दुर्गाकुण्ड क्षेत्र की मलिन बस्ती में रहने वाली लगभग 14 वर्षीय किशोरी का बाल विवाह हो रहा है। सूचना मिलते ही चाइल्ड लाइन के निदेशक मजू मैथ्यू ने जिला बाल कल्याण अधिकारी निरूपमा सिंह से संपर्क किया। इसके बाद चाइल्ड लाइन व जिला बाल संरक्षण इकाई की एक टीम भेलूपुर पुलिस को साथ लेकर दुर्गाकुण्ड मलिन बस्ती पहुंची। इस टीम में अभय, प्रेरणा, आजाद, रामप्रताप, वंदना व राजकुमार शामिल थे। यह टीम जब पुलिस के साथ वहां पहुंची तब वहां मण्डप में किशोरी के हल्दी का रस्म चल रहा था। बाल विवाह के प्रयास को पुलिस के सहयोग से फ़ौरन रोक दिया गया। पूछताछ में पता चला कि कुछ साल पहले किशोरी के पिता का निधन हो गया। उसकी मां सफाईकर्मी हैं और वह नशे की आदती हैं । इस वजह से किशोरी अपने भाई-भाभी के पास रह रही थी। इस बीच उसकी शादी लंका निवासी युवक से तय कर दी गयी थी। किशोरी को बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत किया गया। समिति के निर्देश पर उसे महमूरगंज स्थित एक शेल्टर होम में रखा गया है।
बाल कल्याण अधिकारी निरूपमा सिंह ने बताया कि किशोरी पढ़ी-लिखी नहीं है। न ही उसके पास आयु का कोई प्रमाणपत्र मिला। फिलहाल उसकी शादी रोक दी गई है। किशोरी के वास्तविक उम्र का पता लगाने के लिए उसका मेडिकल टेस्ट कराया जा रहा है। इसके बाद आगे की करवाई की जाएगी।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम
किसी भी बालक का विवाह 21 साल एवं बालिका की 18 साल की उम्र होने के बाद ही शादी की जा सकती है। यदि कोई भी व्यक्ति इस निर्धारित उम्र से काम उम्र में शादी करता है तो उसे बाल विवाह करार दिया जायेगा। भले ही वह सहमति से ही क्यों न किया गया हो। सहमति से किया गया बाल विवाह भी कानूनी रूप से वैध नहीं होता। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम -2006 के अंतर्गत बाल विवाह होेने पर दो वर्ष की सजा अथवा एक लाख का जुर्माना अथवा दोनों का प्राविधान है।