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मंगलवार, 29 नवंबर 2022

Vaccine को सुरक्षित रखने में cold chain management अहम

Cold chain हैंडलर्स को दी गई vaccine रख-रखाव की ट्रेनिंग



Varanasi (dil india live) । राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत मंगलवार को कोल्ड चैन हैंडलर्स का दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ। सीएमओ कार्यालय परिसर स्थित शहरी सीएचसी दुर्गाकुंड के प्रशिक्षण केंद्र में जनपद के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के सभी कोल्ड चैन हैंडलर्स को कोल्ड चैन पॉइंट में वैक्सीन के रखरखाव, ई-विन पोर्टल, तापमान नियंत्रण, निगरानी, आईएलआर, डीप फ्रीजर, वैक्सीन वायल मॉनिटर, ओपन वायल पॉलिसी आदि के बारे में प्रशिक्षित किया गया । इसके साथ ही अपर शोध अधिकारी (एआरओ) को भी समय से रिपोर्टिंग करने के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया।     

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी के नेतृत्व में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ एके पाण्डेय, उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ यतीश भुवन पाठक, यूएनडीपी के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ आशुतोष मिश्रा व रीना वर्मा ने सभी कोल्ड चैन हैंडलर्स को प्रशिक्षण दिया। डॉ निकुंज ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य कोल्ड चैन हेंडलर्स को आईस लाइन रेफ्रीजरेटर (आईएलआर), डीप फ्रीजर, डी फ़्रोस्टर आदि के रखरखाव व प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित करना, नियमित दस्तावेज़ और पोर्टल पर अंकित करना है। वैक्सीन को व्यवस्थित और सुरक्षित रखने में कोल्ड चैन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और इसका संचालन करने वालों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। वैक्सीन को जिस तापमान की जरूरत है, उस तापमान पर रखा जाए और इसकी निरंतर निगरानी की जाए। साथ ही वैक्सीन को जितने समय तक सुरक्षित रखना है, उसे उसी अनुसार व्यवस्थित करने की जरूरत है । जो वैक्सीन क्षेत्र में भेजा जा रहा है, उसे आइसपैक करके वैक्सीन कैरियर में भेजा जाए। 

वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ एके पाण्डेय व उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ यतीश भुवन पाठक ने बताया कि वैक्सीन का नियमित तापमान दिन में दो से तीन बार चेक किया जाना चाहिए । वैक्सीन का निर्धारित तापमान के सापेक्ष कम या ज्यादा न  हो पाये इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए । इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए । यदि किसी कोल्ड चैन उपकरण में खराबी आती है तो कोल्ड चैन हैंडलर्स की जिम्मेदारी है कि इसे तत्काल अपने अधिकारियों को अवगत कराए जिससे वैक्सीन पूर्ण रूप से सुरक्षित रहे।  

यूएनडीपी के डॉ आशुतोष मिश्रा ने ई विन एडवांस पोर्टल के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि आईएलआर का तापमान 2 से 8 डिग्री सेल्सियस रखा जाना चाहिए। डीप फ्रीजर का तापमान माइनस 15 से 25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए । एएनएम को सभी दिशा-निर्देशों, नियमों को विस्तार से बताएं । वैक्सीन का वेस्टेज न हो इसके लिए उनकी टैली शीट को नियमित रूप से देखें । वैक्सीन के ट्रांसपोर्ट के लिए आईस पैक और वैक्सीन कैरियर के बीच समन्वय होना जरूरी है। साथ ही माइक्रोप्लानिंग और वैक्सीन को ले जाने की व्यवस्था के बारे में समझाया। शासन की ओर से भेजे गए प्रोफार्मा को उसी के अनुसार भरा जाए। 

प्रशिक्षण में एआरओ, सीएचसी व पीएचसी के कोल्ड चैन हैंडलर्स, यूएनडीपी व यूनिसेफ के प्रतिनिधि एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी शामिल रहे।

शुक्रवार, 9 सितंबर 2022

Hari sabzi औषधीययुक्त पौधों से लहलहाएगी पोषण वाटिका

जिले में अब तक तैयार की गईं 2042 पोषण वाटिका

सुपोषित समाज में पोषण वाटिका की भूमिका अहम



Varanasi (dil india live). बच्चों, किशोर-किशोरी, गर्भवती व धात्री महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए विटामिन, कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों का मिलना बहुत जरूरी होता है। पोषक तत्वों से भरपूर खानपान को अपनाने पर ही एक सुपोषित समाज की परिकल्पना की जा सकती है। इस दिशा में वाराणसी जनपद में प्रभावी ढंग से कार्य हो रहा है। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) विभाग की ओर से जनपद के हर ब्लॉक के लगभग सभी ग्राम पंचायतों में पोषण वाटिका तैयार की जा रही है। पोषण वाटिका को तैयार करने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं ने अपना पूरा योगदान दिया है, जिससे आसपास के घरों में ताजी हरी साग-सब्जियाँ व फल आदि आसानी से प्राप्त हो सकें। जनपद में अभी तक 2042 पोषण वाटिका तैयार की जा चुकी हैं। 

जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) डीके सिंह ने बताया कि माइक्रो न्यूट्रिएंट्स की कमी भी कुपोषण का एक बड़ा कारण है। माइक्रो न्यूट्रिएंट्स के सस्ती उपलब्धता के लिए पोषण वाटिका का रोपण किया जा रहा है। पोषण वाटिका विकसित करने का मुख्य उद्देश्य है कि लाभार्थियों को उनके आसपास ही ताजी हरी साग-सब्जियाँ, फल, औषधि आसानी से मिल सकें। फल एवं सब्जियाँ सूक्ष्म पोषक तत्वों के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इन पोषक तत्वों को नियमित आहार में सम्मिलित करना बेहतर स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक है। खट्टे फल, अदरक, आँवला, अमरूद, पालक, सहजन, चौलाई आदि स्थानीय उगाई जाने वाली साग-सब्जियों के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे बीमारी व वायरल संक्रमण से बचा जा सकता है। उन्होने बताया कि सितंबर माह में साग-सब्जियों एवं फलों के पौधों के रोपण का उचित समय है, इसके तहत पोषण वाटिका के विकास के लिए क्षेत्र स्तर पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

डीपीओ ने बताया कि जनपद में अभी तक 2042 पोषण वाटिका तैयार कर बीज रोपे जा चुके हैं। अगले कुछ दिनों में पोषण वाटिका हरी साग सब्जी, फल एवं औषधियों से लहलहाने लगेगी। इसमें से अराजीलाइन विकासखंड परियोजना में 229, बड़ागांव में 187, चिरईगांव में 192, चोलापुर में 180, हरहुआ में 230, काशी विद्यापीठ में 394, पिंडरा में 246, आदर्श ब्लॉक सेवापुरी में 210 एवं नगर क्षेत्र में 104 पोषण वाटिका हैं। 

*विभिन्न तरह के पौधे लगाए गए –* जनपद में तैयार की गईं समस्त पोषण वाटिका में 6162 फलदार, 5102 औषधी एवं 30630 हरी सब्जीयुक्त पौधे सम्मिलित हैं। फलदार पेड़ो में आम, आँवला, अमरूद, पपीता, नींबू, इमली आदि के पौधे लगाए गए। औषधी में नीम, तुलसी, धृत कुमारी (एलोवेरा), अश्वगंधा, सदाबहार आदि के पौधे लगाए गए। हरी साग सब्जी युक्त में पालक, सहजन, चौलाई, बथुआ, मेथी, लौंकी, तुरई, बैंगन आदि के पौधे रोपे गए हैं।

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