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शनिवार, 14 जनवरी 2023

Professor manjula chaturvedi की काव्य कृति का हुआ लोकार्पण

प्रोफेसर मंजुला चतुर्वेदी का यह है तृतीय कविता संग्रह 

"एक उम्मीद है दिए की तरह" का हुआ लोकार्पण 



Varanasi (dil india live) विद्याश्री न्यास के द्वारा आयोजित त्रि दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं लेखक शिविर के उद्घाटन सत्र में प्रोफेसर मंजुला चतुर्वेदी का तृतीय कविता संग्रह "एक उम्मीद है दिए की तरह" का लोकार्पण मुख्य अतिथि राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दयाशंकर मिश्र, दयालु, प्रोफेसर हरे राम त्रिपाठी, (कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय), विशिष्ट अतिथि अरुणेश नीरन, (साहित्यकार), पद्मश्री कमलकांत, राजेश गौतम (निदेशक आकाशवाणी, वाराणसी), प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र, (पूर्व कुलपति, हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा) एवं डॉ अमिता दुबे, (उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ) के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ।

प्रस्तुत संग्रह में कोरोना समय, कश्मीर त्रासदी, सौंदर्य, प्रेम तथा नारी विमर्श की कविताएं हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न रंगों के मनोविज्ञान तथा विभिन्न कलाकारों द्वारा चित्रित चित्रों से संबंधित कविताएं भी रची  गई हैं, यही इस संग्रह की विशेषता है। मुख्य रूप से प्राकृतिक बिंबों से प्रेरणा ग्रहण कर कविताएं लिखी गई हैं। प्रो. मंजुला चतुर्वेदी प्रमुख रूप से चित्रकला की विद्यार्थी हैं। लेकिन कविता लेखन में उनकी विशिष्ट रूचि है। यह प्रो. मंजुला की तृतीय काव्य कृति है। इस संकलन में 56 कविताएं हैं, जो प्रो. मंजुला चतुर्वेदी के कलात्मक मन एवं सामाजिक दायित्व की परिचायक हैं। संग्रह भावना प्रकाशन नई दिल्ली से 2022 में प्रकाशित है।

मंगलवार, 20 सितंबर 2022

Professor ramyatna shukl नहीं रहे

संस्कृत व सनातन जगत के वृहद स्तंभ थे प्रो. रामयत्न शुक्ल 


Varanasi (dil india live)। प्रो. रामयत्न शुक्ल अब इस दुनिया में नहीं रहे। आज उनका निधन हो गया। उनके निधन पर धर्मसंघ पीठाधीश्वार स्वामी शंकर देव चैतन्य ब्रह्मचारी ने दुख प्रकट किया। उन्होंने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि प्रो. रामयत्न शुक्ल के निधन से संस्कृत और सनातन जगत की अपूरणीय क्षति हुई है जिसकी भरपाई कठिन है। काशी आगमन के बाद प्रो. रामयत्न शुक्ल प्रथम बार धर्मसंघ शिक्षा मंडल में प्रवेश लिए और वहीं, उन्होंने संस्कृत की शिक्षा प्राप्त किए। अपने जीवन काल के बाल्यावस्था व वृद्धावस्था का लम्बा समय इसी प्रांगण में उनका व्यतीत हुआ था। प्रो. शुक्ल धर्मसम्राट करपात्री जी महाराज के अनन्य शिष्यों में रहे और उनपर धर्मसम्राट की विशेष कृपा रही। वहीं, धर्मसंघ महामंत्री जगजीतन पांडेय ने कहा कि प्रो. रामयत्न शुक्ल देश ही नहीं अपितु विश्व स्तर के मूर्धन्य विद्वान थे। उनसे ज्ञान व शिक्षा प्राप्त करने के लिए देश-दुनिया के मनीषी भी काशी आते रहे हैं। वह संस्कृत और शिक्षा जगत के वृहद स्तंभ रहे।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...