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शनिवार, 8 मार्च 2025

VKM Varanasi news:छात्राओं को व्यवसायिक कौशल प्रदान करती है वोकेशनल शिक्षा -रचना श्रीवास्तव

छात्राओं के सृजनात्मक कौशल विकास के लिए अनुभवात्मक प्रशिक्षण


Varanasi (dil India live)। वसन्त कन्या महाविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग द्वारा शहर के विभिन्न महाविद्यालयों की छात्राओं के सृजनात्मक कौशल विकास के लिए द्विदिवसीय अनुभवात्मक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसके अन्तर्गत स्टेन्सिल छपाई और टाई एण्ड डाई का प्रशिक्षण दिया गया। 7 महाविद्यालयों (धीरेन्द्र महिला महाविद्यालय, राजकीय महाविद्यालय, बी.एल.डब्लू, धनष्यामदास पी.जी कालेज, आर्य महिला पी.जी. कालेज, वसंता कॉलेज फॉर वुमेन तथा शीएट) की 163 छात्राओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि अतुल शर्मा, आफिस इंचार्ज निट्रा ने छात्राओं की सराहना करते हुए महाविद्यालय को स्किल ओरिएन्टेड वर्कशाप के लिए बधाई दी। प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने आज के समय में वोकेशनल शिक्षा पद्यति के महत्व को इंगित करते हुए बताया कि यह छात्राओं को व्यवसायिक कौशल प्रदान करती है और उन्हें अपने चुने हुए क्षेत्र में सफल होने के लिए तैयार करती है। विभागाध्यक्ष प्रो. संगीता देवडिया ने कहा कि व्यवसायिक प्रशिक्षण आज के दौर की माँग है और यदि छात्राओं को इसमें दक्ष बना दिया जाय तो घर बैठे ही कला का उपयोग करके विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों से आसानी से आर्थिक उपार्जन किया जा सकता है। डॉ. सुनिता दीक्षित ने बताया की कला के गुर सीखने के बाद छात्राएं यदि आधुनिकता का समागम कर लें तो कौशल को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया जा सकता है।

कौशल प्रशिक्षण छात्राओं को वह अवसर प्रदान करती है। जिससे वे अपने परिवार के साथ रहते हुए आर्थिक उपार्जन के अवसर चुन सकती है। गृह विज्ञान विभाग की कई पुरा छात्राएं आज अपने व्यवसाय स्थापित करके नये मुकाम हासिल कर चुकी हैं। इस बार विभाग ने शहर के अन्य महाविद्यालयों को भी कौशल प्रशिक्षण के इस मुहिम से जोड़ने का प्रयास किया है ताकि समाज में छात्राएं एक कुशल व्यवसायी बन सकें।

कार्यशाला में शेख सईदा सालेहा, अधीरा अमूल्या, श्वेता राठौर और काजल वर्मा ने प्रशिक्षुओं को स्टेंसिल छपाई और टाई एण्ड डाई की विभिन्न तकनीकों का प्रषिक्षण दिया तथा आधुनिकता के साथ कैसे इन कलाओं का सम्मिश्रण किया जा सकता है यह भी बताया। ये चारो प्रशिक्षक इसी महाविद्यालय की पुरा छात्राएं तथा अपने-अपने क्षेत्र में स्थापित व्यवसायी हैं। महाविद्यालय का यह प्रयास रहता है कि अपने पुरा छात्राओं के साथ सम्बन्ध सदैव सजीव रहे जिससे हम परस्पर उन्नति करते रहे। इस कार्यशाला में प्रो. गरिमा उपाध्याय, डॉ. अंशु शुक्ला, योगिता विश्वकर्मा, पद्मा के साथ वर्तमान छात्राओं का सहयोग रहा।

शुक्रवार, 7 मार्च 2025

VKM Varanasi में "फेमिनिस्ट रिसर्च मेथोडोलॉजी वर्कशॉप" के 5 वें दिन भी नारीवादी शोध दृष्टिकोणों पर हुई चर्चा

नारीवादी अध्ययन में गुणात्मक दृष्टिकोण पर डाला प्रकाश

Varanasi (dil India live). वासंत कन्या महाविद्यालय द्वारा आयोजित "फेमिनिस्ट रिसर्च मेथोडोलॉजी वर्कशॉप" के पाँचवें दिन भी नारीवादी शोध दृष्टिकोणों पर गहन चर्चा जारी रही, जिसमें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्रतिष्ठित विद्वानों ने भाग लिया।

प्रथम सत्र का संचालन डॉ. राजीव दुबे, सह-प्राध्यापक, समाजशास्त्र विभाग, सामाजिक विज्ञान संकाय, बीएचयू द्वारा किया गया। उन्होंने "नारीवादी शोध में गुणात्मक विधियाँ" विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. दुबे ने नारीवादी अध्ययन में गुणात्मक दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि किस प्रकार आख्यान (नैरेटिव), केस स्टडीज़ और नृवंशविज्ञान (ethnography) विधियाँ महिलाओं के जीवन अनुभवों को समझने में सहायक होती हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये विधियाँ पारंपरिक पुरुष-प्रधान शोध ढाँचों को चुनौती देती हैं और लैंगिक यथार्थ को गहराई से समझने में मदद करती हैं।

द्वितीय सत्र में प्रो. मधु कुशवाहा, शिक्षा संकाय, बीएचयू ने "नारीवादी शोध में अंतःविषयता (intersectionality) की समझ" विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक पहचान जैसे लिंग, जाति, वर्ग और जातीयता किस प्रकार परस्पर जुड़ी होती हैं और वे उत्पीड़न एवं विशेषाधिकार के अनुभवों को किस तरह प्रभावित करती हैं। प्रो. कुशवाहा ने नारीवादी शोध में समावेशी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि सामाजिक असमानताओं की अधिक व्यापक समझ विकसित की जा सके।

दोनों सत्र अत्यंत विचारोत्तेजक और ज्ञानवर्धक रहे, जिसमें प्रतिभागियों को नारीवादी शोध पद्धतियों के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं से अवगत कराया गया। संवादात्मक चर्चाओं ने शोधार्थियों को गुणात्मक एवं अंतःविषय (इंटरसेक्शनल) दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया।

कार्यशाला का संचालन वैदेही सिंह (बी.ए., राजनीति विज्ञान विभाग) द्वारा किया गया, तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शशिकेश कुमार गोंड ने प्रस्तुत किया। कार्यशाला में , डॉ. अनुराधा बापुली, डॉ. प्रियंका एवं डॉ. सिमरन सेठ सह-समन्वयक के रूप में उपस्थित रहीं।

बुधवार, 5 मार्च 2025

VKM Varanasi में नारीवादी शोध पद्धति कार्यशाला

दूसरे दिन लैंगिक समावेशिता और नारीवादी दृष्टिकोण पर हुआ विमर्श

कार्यशाला में डीएवी पीजी कॉलेज, वाराणसी के राजनीति विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. स्वाति नंदा ने "लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती देना एवं लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देना" विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. नंदा ने सामाजिक मानकों पर प्रश्न उठाने, पूर्वाग्रहों को समाप्त करने और शोध तथा दैनिक जीवन में समावेशी दृष्टिकोण अपनाने के महत्व पर जोर दिया।

 


Varanasi (dil India live). वाराणसी के वसंत कन्या महाविद्यालय द्वारा आयोजित "फेमिनिस्ट रिसर्च मेथोडोलॉजी" कार्यशाला के दूसरे दिन प्रतिभागियों को विचारोत्तेजक चर्चाओं और प्रभावशाली दृश्य प्रस्तुतियों के माध्यम से लैंगिक समावेशिता और नारीवादी दृष्टिकोण पर गहन विमर्श में संलग्न किया गया। कार्यशाला में डीएवी पीजी कॉलेज, वाराणसी के राजनीति विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. स्वाति नंदा ने "लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती देना एवं लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देना" विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. नंदा ने सामाजिक मानकों पर प्रश्न उठाने, पूर्वाग्रहों को समाप्त करने और शोध तथा दैनिक जीवन में समावेशी दृष्टिकोण अपनाने के महत्व पर जोर दिया। चर्चा को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए, डॉ. नंदा ने दो सशक्त लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया: आलिया भट्ट की "गोइंग होम" और ईरानी लघु फिल्म "बीइंग ए वुमन इन ईरान"। इन फिल्मों ने महिलाओं की सुरक्षा, स्वायत्तता और पितृसत्तात्मक संरचनाओं में उनके संघर्षों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। इसके बाद एक गहन चर्चा सत्र हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने फिल्मों में प्रस्तुत विषयों का नारीवादी शोध के संदर्भ में आलोचनात्मक विश्लेषण किया।

कार्यशाला का संचालन एम.ए. अंतिम वर्ष (राजनीति विज्ञान) की छात्रा, आदिया तिवारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनुराधा बापुली और कार्यशाला में सह समन्वयक डॉ सिमरन सेठ उपस्थित रहीं।

सोमवार, 3 मार्च 2025

VKM Varanasi का सात दिवसीय एनएसएस शिविर शुरू

राष्ट्र केवल एक क्षेत्र या लोगों का समूह नहीं है; यह साझी संस्कृति विरासत और मूल्यों से बंधी इकाई-डॉ. कृष्णानंद



Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय वाराणसी द्वारा सात दिवसीय विशेष एनएसएस शिविर का आयोजन राजकीय प्राथमिक विद्यालय, छित्तूपुर खास, बीएचयू में किया गया। पहले दिन आत्म-अनुशासन, स्वस्थ जीवन शैली प्रशिक्षण, स्वास्थ्य और राष्ट्र निर्माण के लिए मूल्यवान पाठों से भरा था। डॉ. शशि प्रभा कश्यप (कार्यक्रम अधिकारी, एनएसएस, यूएनआई: 014 ए) ने अनुशासन और आत्म-देखभाल के महत्व पर प्रकाश डाला। स्वास्थ्य और करियर पर योग के प्रभाव के बारे में अपना व्यक्तिगत अनुभव उन्होंने साझा किया। उन्होंने स्वयंसेवकों को समग्र विकास के लिए मानसिक स्वास्थ्य को जिम्मेदारियों के साथ संतुलित करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद सत्र की शुरुआत "दैनिक जीवन में बुनियादी योग अभ्यास" विषय से हुई। अतिथि वक्ता योग साधना केंद्र, मालवीय भवन, बीएचयू के वरिष्ठ योग प्रशिक्षक डॉ. योगेश कुमार भट्ट ने योग मंत्र से व्याख्यान शुरू किया और अनुशासित जीवन शैली, उचित नींद और पोषण पर जोर दिया। उन्होंने चक्रासन, भुजंगासन, वज्रासन, मंडूकासन और उष्ट्रासन जैसे कुछ प्रमुख आसनों का प्रदर्शन किया और शरीर के लचीलेपन, पाचन, स्वास्थ्य और तनाव से राहत में उनके लाभ और भूमिका के बारे में भी बताया। उन्होंने साइनस के प्राकृतिक उपचार (नाक के मार्ग में तिल का तेल लगाना) के बारे में भी बताया और पीसीओडी और हार्मोनल असंतुलन को संबोधित किया, हार्मोनल विनियमन और तनाव में कमी में योग की भूमिका पर प्रकाश डाला। स्वयंसेवकों को उनका मुख्य संदेश था "दूध पिएं, व्यायाम करें, अपना कर्म करें और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करें।" ध्यान बढ़ाने और चिंता को कम करने के लिए ध्यान तकनीकों के साथ सत्र का समापन हुआ।

लंच ब्रेक के बाद दूसरा सत्र दोपहर 2:00 बजे शुरू हुआ। सत्र की शुरुआत "मेरा भारत आउटरीच कार्यक्रम" विषय से हुई। अतिथि वक्ता एसवीडीवी, बीएचयू  डॉ. कृष्णानंद ने भारत के सांस्कृतिक मूल्यों और राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका और राष्ट्रीय सेवा योजना के बारे में बताया। उन्होंने मेरा युवा भारत पोर्टल के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि मेरा भारत पोर्टल युवाओं को नेतृत्व कौशल विकास और स्वयंसेवा के अवसरों में सशक्त बनाता है। उन्होंने मदन मोहन मालवीय को उद्धृत करते हुए कहा, "एक राष्ट्र केवल एक क्षेत्र या लोगों का समूह नहीं है; यह साझा संस्कृति, विरासत और मूल्यों से बंधा एक इकाई है।" इसके अतिरिक्त, उन्होंने स्वयंसेवकों को पंजीकरण के लिए मार्गदर्शन किया और अपने करियर की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए माई भारत पोर्टल पर एक पेशेवर सीवी बनाने के बारे में बात की। निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि पहले दिन एनएसएस शिविर के लिए एक मजबूत नींव रखी गई, जिसमें योग के माध्यम से आत्म-अनुशासन और सक्रिय भागीदारी के माध्यम से राष्ट्रीय सेवा का संयोजन किया गया। स्वयंसेवक अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में इन पाठों को लागू करने के लिए प्रेरित प्रेरित हुए। आज के सत्य दिवसीय शिविर में चितरपुर ग्राम की पार्षद,  विद्यालय की प्राचार्या के साथ-साथ अन्य शिक्षिकाएं तथा 50 स्वयं सेविकाएं मौजूद थी। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयंसेवी का अनुकृति के द्वारा किया गया। तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर शशी प्रभा कश्यप के द्वारा किया गया। शिविर का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

गंभीर बीमारियों से हमें बचाता है Blood donation

रक्तदान से हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है, ब्लड में थक्के नहीं बनते जिससे हार्ट अटैक, पैरालिसिस जैसे हम कई गंभीर बीमारियों से भी बच जाते है और हमारा मानसिक तथा शारीरिक स्वस्थ ठीक रहता है।


Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना के सप्त दिवसीय कैम्प के तहत इकाई-3 (014C) की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. पूनम वर्मा के द्वारा सीर गोवर्धनपुर वाराणसी के श्री गुरु रविदास विद्यालय परिसर में ब्लड डोनेशन अवेयरनेस एवं ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने स्वयं सेविकाओ को इन सात दिनों में सामुदायिक सद्भाव बनाये रखने के साथ ही विद्यालय एवं समुदाय के सुधार को ध्यान में रखते हुए उचित प्रयास करने का संदेश दिया। मुख्य अतिथि वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ब्लड बैंक के डॉ आशुतोष सिंह ने विद्यालय के स्टूडेंट्स, क्षेत्रीय निवासियों एवं लगभग 50 स्वयं सेविकाओं के मध्य ब्लड डोनेशन अवेयरनेस एवं ओरिएंटेशन कार्यक्रम किया गया।


डॉ आशुतोष सिंह ने छात्राओं को रक्तदान के महत्व को समझाया साथ ही बताया कि अस्पतालों में जाकर ही हमें जीवन के वास्तविक मूल्य अनुभव हो पता है, और हमारा जीवन कितना महत्वपूर्ण है इसकी जागृति तब आती है जब हम अपने स्वास्थ्य को खो देते है या कोई बीमारी हो जाती है,  आशुतोष ने बताया कि हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है और हम सब एक दूसरे से जुड़े हुए है और जीवन में कभी किसी को भी ब्लड की आवश्यकता हो सकती है जिसकी प्रतिपूर्ति हम तभी कर सकते है जब हम समय से पहले ही ब्लड डोनेट करें। साथ ही रक्तदान संबंधी फायदे जैसे रक्तदान (ब्लड डोनेशन) से हमे किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं होती, अपितु हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है, ब्लड में थक्के नहीं बनते जिससे हार्ट अटैक, पैरालिसिस जैसे हम कई प्रकार के गंभीर बीमारियों से भी बच जाते है और हमारा मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रहता है और हम समाज के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो सकते है। ठीक रहता है और हम समाज के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो सकते है। कार्यक्रम के दूसरे चरण में वासनिक कन्या महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राम प्रसाद सोनकर ने स्वयं सेविकाओं को विभिन्न प्रकार के खेलो जैसे अब न चूको चौहान के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण शिक्षाओं को बहुत ही सहजता से छात्राओं को न केवल  समझाया बल्कि एक सौहार्द पूर वातावरण के माध्यम से उनको सकारात्मक दृष्टि कोण पर जागरूक किया।

विभिन्न खेलों के द्वारा छात्राएं न केवल सक्रिय रही बल्कि एक प्रसन्नतापूर्वक माहौल का निर्माण किया। अगले सत्र में “भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड” Securities  and Exchange Board of India के कार्यकर्ता दीपक कुमार ने विद्यालय परिसर में आकर छात्राओं, क्षेत्रीय निवासियों एवं स्वयं सेविकाओं को वित्तिय साक्षरता पर आधारित महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया जिसमें न केवल सही निवेश संबंधी जानकारी दी बल्कि विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनाओं से भी सभी को अवगत कराया। दीपक कुमार ने विभिन्न सरकारी योजनाएं जैसे सुकन्या समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री श्रम योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना, प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री सुमंगल जैसी उपयोगी योजनाओं से सभी को अवगत कराया और साथ ही भारतीय नागरिक होने के नाते हमारे कौन से वित्तीय मौलिक अधिकार है उसको भी बताया।

इसी कड़ी में गोल्ड लोन, शेयर मार्केट इन्वेस्टमेंट एवं जीवन बीमा पॉलिसियों के विषय में भी बताया तथा अपने और परिवार के वित्तीय सुरक्षा एवं अधिकारों के लिए सभी को जागरूक किया। इसी कड़ी में छात्राओं ने भी बढ़ चढ़ कर उनसे प्रश्न किए बल्कि एक सुरक्षित निवेश संबंधी नियमावलियो को भी जाना।

सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

VKM Varanasi News : अभिनय और नृत्य से झंकृत हुआ वसंत कन्या महाविद्यालय

कलाएं जीवन को करती हैं अनुशासित-प्रो.रचना









Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय नृत्य और अभिनय से सोमवार को झंकृत हुआ। 'जीवन के रंग'आधारित विषय पर सांस्कृतिक और अकादमिक मंच 'सर्जना' के अंतिम चरण में छात्राओं ने शास्त्रीय और लोक धुनों पर बेहतरीन नृत्य की प्रस्तुतियां दीं। समानांतर चल रहे रंगमंच पर प्रतिभागियों ने  स्किट, एकल अभिनय, मिमिक्री, मूक अभिनय के माध्यम से  जीवन के विविध भावों को प्रदर्शित किया। प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने छात्राओं को अध्ययन के साथ सृजनात्मक गतिविधियों की महत्ता बताते हुए इसे व्यक्तित्व निर्माण का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने कहा की कलाएं जीवन को अनुशासित करती हैं। इसलिए शिक्षण का एक कार्य विद्यार्थियों में सृजनात्मकता का विकास करना भी होता है। प्रो. सीमा वर्मा, डॉ. सुमन सिंह के निर्देशन में चल रहे इस सप्ताह व्यापी उत्सव में आज के कार्यक्रमों का संयोजन प्रो. ममता मिश्रा, डॉ. आरती चौधरी, डॉ. पूर्णिमा सिंह, सौम्यकांत मुखर्जी द्वारा किया गया। निर्णायक मंडल में सुरोजीत चटर्जी, डॉ नैरंजना श्रीवास्तव, डॉ. अमित ईश्वर, सिद्धि भट्ट, डॉ. पूनम वर्मा, डॉ. चेतना नागर, आकाश चंद्रा ने प्रतिभागियों के सृजनात्मकता की सराहना की। इन प्रतियोगिताओं में लगभग 150 छात्राओं ने भाग लिया। आयोजन में महाविद्यालय की सभी टीचर्स उपस्थित थी।

रविवार, 23 फ़रवरी 2025

NSS शिविर में शिक्षा और सामुदायिक सद्भाव पर प्राचार्य ने दिया जोर

VKM द्वारा सप्त दिवसीय शिविर का सीर गोवर्धनपुर में किया गया आयोजन 




Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई  3 की कार्यक्रम अधिकारी डॉ पूनम वर्मा द्वारा सप्त दिवसीय शिविर का आयोजन सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी में किया गया। कार्यक्रम में 50 स्वयं सेविकाओं ने प्रतिभाग किया। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. रचना श्रीवास्तव ने स्वयं सेविकायों को इन सात दिनों में में सामुदायिक सद्भाव बनाये रखने एवं समुदाय के बीच रहकर ध्यान से उनकी समस्यायों को जानने व उनके समाधान खोजने की कोशिश करने के लिए निर्देशित किया । 

कार्यक्रम के प्रथम दिवस पर  सभी स्वयं सेविकाएं सीर गोवर्धनपुर के प्राथमिक विद्यालय श्री गुरु रविदास विद्यालय में एकत्रित हुई और कार्यक्रम की शुरुआत में लक्ष्य गीत का गायन किया तथा डॉ पूनम वर्मा ने विद्यालय के सभी छात्र और छात्राओं को राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम से अवगत करते हुए शिक्षा के महत्व और उन्हें एक बेहतर छात्र और बेहतर नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया साथ ही विद्यार्थियों को मानवीय मूल्यों के प्रति भी जागरूक किया। इसी कड़ी में स्वयं सेविकाओं ने भी  विद्यार्थियो को  मोबाइल और सोशल मीडिया जैसे आकर्षणों से कैसे स्वयं को मुक्त रखे उसके लिए भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। साथ स्वयं सेविकाओं ने विद्यालय परिसर को भी स्वच्छ करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सीर गोवर्धनपुर वाराणसी में नशा मुक्ति आधारित एक जागरूकता रैली निकली गई  जिसमें 50 स्वयं सेविकाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और गांव के स्थानीय लोगों को नशा मुक्ति पद यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण नारे और स्लोगन के माध्यम से जागरूक किया। छात्राओं ने घर घर जाकर महिलाओं और बच्चों से भी इस विषय पर चर्चा की और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास किया। इस अवसर पर महिलाओं ने भी नशे से होने वाले पारिवारिक झगड़े और बीमारियों के विषय से भी अवगत कराया। महाविद्यालय की स्वयं सेविकाओं ने क्षेत्रीय नागरिकों को न केवल इसके दुष्प्रभाव के विषय में बताया अपितु उन्हें नशे की लत को छोड़ने की प्रतिज्ञा भी कराई।

नशा मुक्ति पर दिया बल

कार्यक्रम के द्वितीय पाली में नशा मुक्त भारत स्वस्थ भारत विषय पर आज के मुख्य अतिथी वक्ता आयुर्वेद  विभाग, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के डॉ. रोहित जी ने छात्राओं के मध्य बहुत ही महत्वपूर्ण और गहरी विचार बिंदुओं को केंद्रित किया, डॉ. रोहित ने बताया कि एक दिन में नशा कभी नहीं छूट पाता लेकिन एक दिन की जागृति भी बहुत  महत्वपूर्ण है, क्योंकि परिवर्तन एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है, साथ ही उन्होंने स्वयं सेविकाओं के इस समाज सेवी कार्यों को सराहा और उन्हें इस कार्य को आगे भी बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। डॉ. रोहित ने बताया कि विभिन्न प्रकार की वैकल्पिक दवाओं के माध्यम से तथा दृढ़ता के बल से कोई भी व्यक्ति नशे से मुक्त हो सकता है।

शनिवार, 22 फ़रवरी 2025

VKM Varanasi main शास्त्रीय गायन-वादन पर झूमा मन

सांस्कृतिक एवं अकादमिक मंच 'सर्जना' में चौथे दिन भी हुई कई प्रतियोगिताएं






Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी में सप्ताह व्यापी सांस्कृतिक एवं अकादमिक मंच 'सर्जना' में चौथे दिन 3 प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें शास्त्रीय-उपशास्त्रीय गायन, वादन तथा व्यावसायिक-योजना में छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। एक तरफ शास्त्रीय गायन में जयंतिका, वैदेही और कोमोलिका ने सभी को अपने गायन से मंत्र मुग्ध किया तो दूसरी ओर सुगम संगीत में अर्पिता जायसवाल और शुभांगी पाठक की ताल पे सभी झूमते नज़र आए। वादन में सितार से प्रियांशी सिंह और जानसी सिंह ने सबका मन मोह लिया। इस आयोजन में लगभग 150 छात्राओं ने प्रतिभागिता की। प्रो.सीमा एवं डॉ. सुमन सिंह के निर्देशन में चल रहे इस सांस्कृतिक उत्सव में डॉ. कमला पांडेय ने प्रतिभागियों को आशीर्वाद देते हुए सर्जना की सृजन स्मृति को सांझा किया, एवं प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रतिभागियों को उत्साहित किया। निर्णायक मंडल के रूप में स्वर लहरियों का विश्लेषण अग्रसेन कन्या पी.जी. कॉलेज से डॉ. नीता दिशावाल एवं धीरेन्द्र महिला पी. जी .कॉलेज से डॉ. रुचि मिश्रा तथा विनीता गुजराती के साथ आर्य महिला पी. जी. कॉलेज से डॉ. जया रॉय ने किया।व्यावसायिक योजना प्रतियोगिता डॉ. शशिकेश कुमार गोंड, डॉ. आरती कुमारी के संयोजकत्व में संपन्न हुआ। जिसमें प्रो. इंदु उपाध्याय और डॉ. विजय कुमार निर्णायक रहे। दूसरी ओर सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी का दूसरा एवं अंतिम चरण सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में सौम्यकांत मुखर्जी, अमित ईश्वर, डॉ. पूर्णिमा सिंह के साथ महाविद्यालय के सभी टीचर्स उपस्थित थे।

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025

VKM Varanasi में सांस्कृतिक एवं अकादमिक मंच 'सर्जना' में तीसरे दिन हुए कई आयोजन

मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए मातृभाषा की ओर लौटना ही विकल्प-डा. शाही 


Varanasi (dil India live)। वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी में सप्ताह व्यापी सांस्कृतिक एवं अकादमिक मंच 'सर्जना' में आज  21 फरवरी को तीसरे दिन पांच प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने अपनी वाचन एवं लेखन शैली का लोहा मनवाया। निबंध लेखन, कविता पाठ, वाग्मिता, टर्न कोट तथा वाद - विवाद प्रतियोगिताओं में छात्राओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। आयोजन में लगभग 450 छात्राओं ने हिस्सा लिया।

सर्जना की संयोजक प्रो. सीमा वर्मा एवं सह-संयोजक प्रो. सुमन सिंह ने आयोजन की जानकारी देते हुए बताया कि सर्जना के तहत् मातृभाषा दिवस का आयोजन भी किया गया जिसमें छात्राओं ने अपनी मातृभाषा में काव्य प्रस्तुतियां दीं। आयोजन में मुख्य अतिथि प्रो.सदानंद शाही (पूर्व विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग, बीएचयू) ने भोजपुरी कविता के पाठ के साथ ही कहा कि मातृभाषा का रास्ता जीवन और सभ्यता का रास्ता है। मातृभाषा से विमुखता मनुष्यता से विमुखता है। आज ऐसी पीढ़ी का निर्माण हो रहा है जो भाषा विमुख है। इसलिए मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए मातृभाषा की ओर लौटना ही एक विकल्प है। अंग्रेजी विभाग (बीएचयू) से प्रो. बानीब्रत महंता ने मातृभाषा के प्रति जागृत रहने की आवश्यकता के साथ ही कविता की रचना प्रकिया पर प्रकाश डाला।

महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए मातृभाषा की मिठास और प्रगाढ़ता की बात की। प्रो.आशा यादव ने मातृभाषा को अस्मिता की पहचान कराने वाले दिवस के रूप में बताते हुए भोजपुरी में स्वरचित काव्यपाठ किया।प्रतियोगिताओं में संयोजन डॉ. मंजू कुमारी, डॉ. शशिकेश कुमार गौड़, डॉ. आरती चौधरी, डॉ. पूर्णिमा, डॉ.आरती कुमारी, राजलक्ष्मी ने किया। निर्णायक मंडल में डी.ए.वी. कॉलेज के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. विनोद चौधरी एवं डॉ. शिवनारायण तथा डॉ.अखिलेश कुमार राय, डॉ.सपना भूषण, डॉ. सुप्रिया सिंह, डॉ. मालविका, डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ. प्रीति विश्वकर्मा, डॉ. प्रियंका पाठक , प्रसीद चौधरी ने प्रतिभागियों के बौद्धिक एवं सृजनात्मक प्रदर्शन की सराहना की।

गुरुवार, 20 फ़रवरी 2025

VKM Varanasi main students ने कला एवं साहित्य की सर्जनात्मक प्रतिभा को किया प्रदर्शित

अकादमिक और सांस्कृतिक मंच ‘सर्जना’ द्वारा दूसरे दिन हुई विभिन्न प्रतियोगिताएं 



Varanasi (dil India live). वसन्त कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी के अकादमिक और सांस्कृतिक मंच ‘सर्जना’ द्वारा गुरुवार 20 फरवरी को 'जीवन के रंग' विषय पर आधारित सप्ताह व्यापी कार्यक्रम  प्राचार्या प्रो.रचना श्रीवास्तव की अगुवाई में शुरू हुआ। उन्होंने छात्राओं की प्रतिभा एवं सृजानात्मकता की प्रशंसा करते हुए उन्हें अपने गुणों को उत्कृष्ट बनाने एवं निखारने के लिए उत्प्रेरित किया।


आयोजन का संचालन सर्जना संयोजिका प्रो. सीमा वर्मा, सह-संयोजिका डा. सुमन सिंह एवं महाविद्यालय की वरिष्ठ अध्यापिका  डा. शांता चटर्जी के निर्देशन में हुआ। इस प्रतियोगिताओं में रंगोली, कोलाज, डॉक्यूमेंट्री, चित्रकथा लेखन, पोस्टर प्रतियोगिताएं आयोजित हुईं। आरंभ रंगोली प्रतियोगिता से प्रातः 10:00 से हुआ। इस प्रतियोगिता में 11 छात्राएं उपस्थित रहीं। कोलाज प्रतियोगिता 11:30 से शुरू हुई जिसमें 13 छात्राओं ने भाग लिया। डॉक्यूमेंट्री प्रतियोगिता 12:00 से शुरू हुई जिसका मुख्य विषय 'काशी की धरोहर' था, इसमें 14 छात्राओं ने भाग लिया। चित्रकथा लेखन प्रतियोगिता में 90 छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का समापन पोस्टर प्रतियोगिता से हुआ। इसमें 16 छात्राओं ने शिरकत किया। इसका मुख्य विषय ‘महाकुंभ' था। कार्यक्रम में महाविद्यालय के संकाय सदस्य एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी भी उपस्थित रहे। जिनमें मुख्य रूप से प्रो. ममता मिश्रा, डा. आरती कुमारी, डॉ. मंजू कुमारी, डॉ .सौमिली मण्डल, डा. वर्षा सिंह, एच. अम्बृष ने आयोजक की भूमिका निभाई। निर्णायक मंडल के रूप में प्रो.गरिमा उपाध्याय, प्रो. पूनम पाण्डेय, डॉ. शशिकला, डॉ.सपना भूषण, डॉ. प्रियंका, डॉ. सुप्रिया सिंह, डॉ. आरती चौधरी, डॉ.अनुराधा बापुली, सिमरन सेठ, डॉ. प्रियंका पाठक ने प्रतिभागियों के सृजनात्मक कौशल का आकलन किया। सभी कार्यक्रमों में महाविद्यालय की समस्त शिक्षक एवं शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।

मंगलवार, 18 फ़रवरी 2025

VKM Varanasi में 19 से दिखेगा ‘जीवन के रंग‘, होगी विभिन्न प्रतियोगिताएं


Varanasi (dil India live)। वसन्त कन्या महाविद्यालय कमच्छा के सांस्कृतिक और अकादमिक मञ्च ‘सर्जना ‘ की शुरुआत 19 फरवरी को महाविद्यालय परिसर में किया जाएगा। 24 फरवरी तक चलने वाले इस सप्ताहव्यापी कार्यक्रम में ‘जीवन के रंग ‘ केन्द्रीय विषय पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। महाविद्यालयीय यह मञ्च छात्राओं में अन्तनिर्हित प्रतिभाओं को उभारने तथा निखारने हेतु अवसर प्रदान करता है। इसके अन्तर्गत विभिन्न अकादमिक और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। सर्जना में ग्राफिक डिज़ाइन, फोटोग्राफी, व्यावसायिक योजना, नाटक एवं रंगमंच, गायन-वादन के साथ नृत्य-संगीत, चित्रकला, हस्तकला और काव्यकला के साथ ही छात्राओं के सर्जनात्मक अभिव्यक्ति को मूर्तिमान करने वाली प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा ।

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025

VKM Varanasi में प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने आर्थिक इतिहास की महत्ता पर डाली रोशनी

इतिहास विभाग कि सात दिवसीय कार्यशाला का हुआ आगाज़ 

Varanasi (dil India live). वसन्त कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी में 11 से 19 फरवरी तक इतिहास विभाग द्वारा सात दिवसीय कार्यशाला का आयोजन प्रारंभ किया गया। कार्यशाला वसन्त महिला महाविद्यालय, राजघाट, आर्य महिला पी जी कॉलेज एवं डी ए वी पी जी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही है। कार्यशाला के उद्घाटन पर महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने इतिहास से जुड़े सभी आयामों को बताया। उन्होंने विशेषकर आर्थिक इतिहास की महत्ता को सभी के सम्मुख प्रस्तुत किया। कार्यशाला के प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. श्रेया पाठक, सहायक आचार्य, इतिहास विभाग, वसंत महिला महाविद्यालय  द्वारा 'ऐतिहासिक स्रोतों' पर एक गूढ़ व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। आगामी सत्र में कार्यशाला में शोध विधियों के सभी बिंदुओं जैसे अनुसंधान पद्धतियों, तथ्यों की पहचान, गुणात्मक एवं मात्रात्मक विधियों, मानचित्रण, विश्लेषणात्मक एवं संश्लेषनणात्मक संचालन और संसाधन के नए स्रोतों पर चर्चा की जाएगी। 

कार्यशाला में डॉ. शशिकांत यादव, डॉ. कविता मिश्रा, डॉ. कल्पना आनंद , डॉ .आरती चौधरी,डॉ .सिमरन सेठ,डॉ. आरती कुमारी अपने व्याख्यानों को छात्र - छात्राओं के समक्ष प्रस्तुत करेंगी। कार्यक्रम का संयोजन प्रो .पूनम पांडेय द्वारा किया गया। कार्यशाला में प्रो. विनोद चौधरी, डॉ. शशिकेश कुमार गोंड, डॉ अनुजा त्रिपाठी, रणनीति राय आदि प्राध्यापकों सहित डी ए वी पी जी कालेज, बसन्त  महिला महाविद्यालय, वसंत कन्या महाविद्यालय, आर्य महिला पी जी कॉलेज एवं इतिहास विभाग, सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुल 80 शोध छात्र -छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025

VKM के NSS टीम ने प्राथमिक विद्यालय मानिकपुर में लगाया सात दिवसीय शिविर

युवाओं को समाज सेवा के लिए प्रेरित करता है 'रासेयो'


Varanasi (dil India live). राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) एक ऐसी योजना है, जो युवाओं को समाज सेवा के लिए प्रेरित करती है। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से, स्वयंसेवकों को समाज की वास्तविक समस्याओं के बारे में जानकारी मिलती है और वे इन समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रेरित होते हैं।

इन्ही उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए वसन्त कन्या महाविद्यालय की पंचम इकाई द्वारा प्राथमिक विद्यालय मानिकपुर में सात दिवसीय शिविर का आयोजन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. वर्षा सिंह के नेतृत्व में किया गया। जिसमें ५० स्वयंसेविकाएँ सम्मिलित हुई। डॉ. शशिकेश कुमार गोंड ने एनएसएस के उद्देश्य पर मार्गदर्शन दिया। नीरज श्रीवास्तव ने “ युवाओ में स्वरोजगार विकास “ पीकेआर सत्र लिया। अगले दिन योगाचार्य आनंद कर्ण जी ने जीवन पर योग एवम् प्राणायाम का प्रभाव विषय पर सप्रयोग व्याख्यान दिया। अस्मिता संस्था के सौजन्य से लैंगिक असमानता पर कार्यशाला आयोजित की गई। धीरज प्रसाद एवम् ओम परसाद चौरसिया द्वारा आत्मरक्षा की तकनीक सिखाई गई। प्राथमिक कक्षाओ में बच्चों को संतुलित आहार एवं पोषण का महत्व बताया गया। इन सात दिनों में पर्तवरण जागरूकता पर रैली और पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई। 


लाल पाथ लैब के सहयोग से स्वास्थ्य परीक्षण ( Hb, Ca, रक्त दाब और वजन ) हुआ। साइबर सुरक्षा और वित्तीय जागरूकता पर भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। द क्लाइमेट अजेंडा की एकता सिंह ने पर्यावरण जागरूकता के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया। सात दिन के शिविर में, स्वयंसेवकों को विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिला।


स्वयंसेविकायो को यह एहसास हुआ कि वे समाज के एक महत्वपूर्ण अंग हैं और उन्हें समाज की सेवा करने के लिए तत्पर रहना चाहिए ।

साथ ही इस सात दिवसीय शिविर का उस समुदाय पर भी गहरा असर होता है जिसमे स्वयं सेविकाए विभिन्न मुद्दों पर कार्य करती है । प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सरिता राय ने इस बात को रेखांकित करते हुए बताया कि ऐसे कार्यक्रम समाज में एक रूपता लाते है और विभिन्न समाजिक मुद्दों पर समुदाय की समझ को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है । 


इस सप्त दिवसीय शिविर की सफलता के लिए महावुद्यालय की प्राचार्य प्रो रचना श्रीवास्तव ने बधाई दी एवम् महाविद्यालय की समाज के प्रति जिम्मेदारी को इंगित करते हुए ऐसे कार्यक्रमो की अवश्यकता पर बल दिया।

सोमवार, 10 फ़रवरी 2025

Kumbh भक्ति एवं आस्था संग आध्यात्मिक एवं नैतिक चेतना जागृत करने वाला महामेला

महाकुंभ-सनातन दृष्टि विषयक संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने रखे विचार 

Varanasi (dil India live). महाकुंभ का पर्व केवल भक्ति एवं धार्मिक आस्था का स्नान पर्व तथा सनातनी महोत्सव नहीं है। यह भक्ति एवं आस्था के साथ ज्ञान-विज्ञान, योग और भोग, संग्रह एवं त्याग का विवेक विकसित करने वाला विशुद्ध आध्यात्मिक एवं नैतिक चेतना को जागृत करने वाला एक महामेला है। आज संपूर्ण मनुष्यता के समक्ष जो भौतिक-अभौतिक तत्व चुनौती बनकर खड़े हैं उनमें से अधिकांश का निराकरण आस्था के इस महासंगम से संभव हो सकता है। यह एक ऐसा सांस्कृतिक अनुष्ठान है जो असंख्य प्राणियों को अस्ति -नास्ति के द्वंद से मुक्त कर आत्मिक सबलता प्रदान करता है।


भारतीय जनमानस की आस्था के आख्यान पर्व पर केंद्रित वाराणसी के कमच्छा स्थित वसंत कन्या महाविद्यालय में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित ‘महाकुंभ- सनातन दृष्टि’ शीर्षक एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में यह बातें वक्ताओं ने कही।

आयोजन में विशेषज्ञों द्वारा आत्मिक शांति एवं आध्यात्मिक विकास के लिए भारत की ओर देख रहे संपूर्ण विश्व की दृष्टि की परिकल्पना, कारण तथा उद्देश्य पर गहन विमर्श किया गया। जिसके उद्घाटन सत्र में सनातन धर्म की विराट चेतना को संदर्भित करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों के स्वागत से कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत करते हुए १४४ वर्ष पर होने वाले महाकुंभ के पौराणिक और खगोलीय महत्व को बताने के साथ इसे सनातन धर्म की परंपरा का संवाहक बताया। आपने महाविद्यालय की प्रेरणा स्रोत डॉ एनी बेसेंट की पुस्तक सनातन धर्म का भी उल्लेख किया जिसका आज की युवा पीढ़ी द्वारा अध्ययन किया जाना चाहिए।


मुख्य अतिथि आई. सी .एस .एस. आर.,एन .आर .सी. ,नई दिल्ली के डायरेक्टर प्रो. हीरामन तिवारी ने आभासी माध्यम से इतिहास और भारतीय परम्पराओं में महाकुंभ की स्थिति को बताते हुए जनमानस के आध्यात्मिक संरचना के निर्माण का उल्लेख किया। मुख्य वक्तव्य के रूप में श्रोताओं ने एस. वी .डी. वी. (का. हि. वि.वि.) के प्रो. विनय कुमार पाण्डेय के विचारों को सुना। उन्होंने ग्रहों की स्थितियों को बतलाते हुए गणितीय आधार से कुभ के महात्म्य को स्पष्ट किया। अध्यक्षीय संबोधन भोजपुरी अध्ययन केंद्र (बीएचयू) के संस्थापक, पूर्व कुलपति, एस. एस. पी. यू.,भिलाई एवं हिंदी विभाग (बीएचयू) के भूतपूर्व अध्यक्ष प्रो. सदानंद शाही द्वारा दिया गया। उन्होंने बताया कि मोक्ष विशिष्ट होने में नही बल्कि सामान्य होने में है तथा यही कुंभ आयोजन की सार्थकता है। साथ ही उन्होंने महाविद्यालय को काशी में इस तरह के विषय पर होने वाले प्रथम बौद्धिक समागम के लिए बधाई दी।


प्रो. बृजभूषण ओझा ने संगम की बात करते हुए सरस्वती को अंतःसलिला कहा जो संतों की वाणी में दृष्टिगोचर होती है। प्रो. धर्मेन्द्र कुमार दूबे ने इतिहास में उल्लिखित कुंभ संस्कृति की चर्चा की वहीं प्रो. एन.के. मिश्रा ने महाककुंभ से होने वाले आर्थिक लाभ एवं प्रबंधन की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया। प्रो. भास्कर भट्टाचार्या ने आध्यात्मि ऊर्जा के वैज्ञानिक महत्त्व पर व्याख्यान देते हुए ग्रहों के दशा से उत्पन्न आई आर विकिरणों की बात करते हुए कुंभ में स्नान के महत्व को रेखांकित किया। 


समापन सत्र में डाॅ. नन्दिता शास्त्री ने कहा कि कुंभ मेला आध्यात्मिक से कहीं बढ़कर संस्कृतियों, परंपराओं और भाषाओं का एक जीवंत मिश्रण है, जो एक ‘लघु भारत’को प्रदर्शित करता है, जहाँ लाखों लोग बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के एक साथ आते हैं। विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि 2017 में यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त, कुंभ मेला बहुत अधिक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। तीर्थयात्री न केवल आध्यात्मिक अनुष्ठानों की एक श्रृंखला में शामिल होंगे, बल्कि एक ऐसे सफर पर भी निकलेंगे जो भौतिक, सांस्कृतिक और यहाँ तक कि आध्यात्मिक सीमाओं से परे है। शहर की जीवंत सड़कें, चहल-पहल भरे बाजार और स्थानीय व्यंजन इस अनुभव में एक समृद्ध सांस्कृतिक परत जोड़ते हैं।

नई दिल्ली से आभासी माध्यम से जुड़़े प्रो. राकेश उपाध्याय ने बताया कि प्रयागराज का समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ताना-बाना, अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ मिलकर तीर्थयात्रियों को आस्था, एकता और भक्ति का एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है । आयोजन की सतर्क योजना और परंपरा के साथ आधुनिक तकनीक का मेल कुंभ मेले को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है जो बड़े पैमाने पर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समारोहों की मेजबानी के लिए एक वैश्विक मानक स्थापित करेगा। 

काशी के मेयर अशोक तिवारी ने कहा कि 2025 का महाकुंभ मेला भारत की स्थायी आध्यात्मिक विरासत और विविधता और सद्भाव का जश्न मनाने की उसकी प्रतिबद्धता का एक शक्तिशाली प्रतीक बना रहेगा।

कार्यक्रम का संचालन प्राचीन भारतीय इतिहास की सहायक आचार्य डॉ. आरती चैधरी द्वारा किया गया। संगोष्ठी की संयोजिका द्वय प्रो. पूनम पाण्डेय एवं डॉ. नैरंजना श्रीवास्तव रहीं। यह संगोष्ठी चार सत्रों में संचालित हुई जिसमें समानांतर चल रहे तकनीकी सत्रों में लगभग 100 प्रतिभागियों ने प्रतिभागिता की।

इनरव्हील सृष्टि के सदस्यों ने महिला पुलिसकर्मियों को बेहतर कार्य के लिए किया समम

महिला दिवस पर जुटी महिलाएं, हुए अनेक आयोजन  मोहम्मद रिजवान  Varanasi (dil India live). आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इनरव्हील क्लब...