तेलियाबाग चर्च का इतिहास
सीएनआई चर्च तेलियाबाग अपने भीतर उस दौर कि यादें समेटे हुए है। यूं तो चर्च का वर्तमान भवन 25.07.1856 से आराधना के लिए शुरू किया गया था मगर चर्च कि बुनियाद का पत्थर तकरीबन तीन दशक पूर्व ही पड़ गया था। कमेटी के सचिव विशाल ल्यूक ने दिल इंडिया लाइव के संपादक अमन से चर्च कि यादें साझा की। विशाल कि माने तो यह चर्च लंदन मिशनरी सोसाइटी की सेवा का परिणाम है, जिनके प्रथम मिशनरी के रूप में रेव्ह० मैथ्यू थॉमसन एडम अगस्त 1820 में बनारस आये, किन्तु यह मात्र एक-डेढ़ वर्ष ही बनारस में रहे। 1826 में रेव्ह० जेम्स राबर्टसन के आगमन के बाद बनारस में लंदन मिशन सोसाइटी का काम आरम्भ हुआ। जिसमें रेव्ह विलियम बायर्स 1832 के आरम्भ में जुड़े, किन्तु 15 माह उपरान्त ही रेव्ह० जेम्स राबर्टसन हैजे के कारण दूर हो गये और रेव्ह० विलियम बायर्स और उनकी पत्नी एलिजाबेथ द्वारा सेवा को आगे बढ़ाया गया। 1834 के आरम्भ में रेव्ह० जे० ऐ० शरमन और रेव्ह० राबर्ट सी० माथर इनसे जुड़ गये, 1838 में रेव्ह डब्लू०पी० लियोन भी इनसे जुड़ गये और सेवा का कार्य सक्रिय रूप से चलने लगा। 1837-38 का अकाल भारत में स्वतंत्रता के पूर्व युग की प्रमुख घटनाओं में एक है। इनके द्वारा इस अकाल से प्रभावित अनाथ बच्चों और उजड़ गये लोगों के लिए खाने रहने, चिकित्सा और शिक्षा की व्यवस्था की गयी। इन सेवा कार्यों में श्रीमती बायर्स की भूमिका अग्रणी रहीं जो महिलाओं और अनाथ बच्चियों के आवास भोजन आदि की व्यवस्था में लगी रहीं। इसी मध्य रेव्ह० डब्लू०पी० लियोन अस्वस्थता के कारण बनारस से चले गये। रेव्ह० व श्रीमती बायर्स सेवाकार्य में लगे रहे. 03.09.1857 को गम्भीर डायरिया के कारण श्रीमती बायर्स का निधन हो गया, जिनके बारे में एक शिलापट्ट यहां मौजूद है। 1839 में रेव्ह० जेम्स कैनेडी बनारस आये और अपनी पुस्तक "Life and work in Benares and Kumaon 1839-1877 के तीसरे अध्याय में तेलियाबाग चर्च की सेवा का संक्षिप्त वर्णन मिलता है। 1839 में ही रेव्ह० लियोन बनारस से चले गये। रेव्ह० बायर्स, रेव्ह० शरमन, रेव्ह0 केनेडी व अन्य इस सेवा को उस समय बढ़ाते रहे और इस छोटे चैपल ने 25 जुलाई 1856 को एक चर्च का रूप ले लिया, तत्समय रेव्ह० एम०ए० शैरिंग जो 1852 में बनारस आये, चर्च की सेवा कार्य में लगे थे और चर्च निर्माण में उपस्थित थे। यह एक विद्वान मिशनरी थे और एम०ए० एल०एल०बी० थे, इनके द्वारा कई पुस्तकें लिखी गयीं। जिनके बारे में एक शिलापट्ट यहां मौजूद है, अगस्त 1880 में इनकी मृत्यु हुई। रेव्ह जॉन मुलेट का द्वारा 1882-83 में इस चर्च में सेवा प्रदान किये। 24.11.1970 को 6 चर्चेज के संविलियन के बाद से यह चर्च, चर्च ऑफ नार्थ इण्डिया लखनऊ डायसिस के अधीन अपनी सेवा प्रदान कर रहा है। वर्तमान में शशि प्रकाश चर्च के पादरी के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले पादरी आदित्य कुमार, पादरी अखिलेश माथुर, पादरी एम.ए. दान भी यहा बतौर पादरी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
दिखा उल्लास और उत्सव
चर्च स्थापना के 167 वर्ष पर मसीही समाज ने बढ़चढ़ कर भागीदारी की और तीन दिनों तक उल्लास और उत्सव मनाया। इस दौरान यहां आराधना व स्तुति गीत प्रस्तुत किये गये। मुख्य वक्ता जय मोसेस द्वारा खूबसूरत गीतों से समां बांध दिया और यीशु मसीह के शान्ति प्रेम व भाईचारे के संदेश को प्रसारित किया। कार्यक्रम का संचालन सचिव विशाल ल्यूक द्वारा किया गया, कार्यक्रम में विजय दयाल, पादरी संजय दान, कुशल प्रकाश, पृथ्वीराज सिंह, लाजर लाल, निर्मय स्वरूप, सुदेश प्रकाश, श्वेता पाठक, संगीता ल्यूक, एकता रोजारियो, कंचन ल्यूक, अनुराग, खुशी, श्रेया, विरल, अभिषेक, सनी, रवि, सना, शालोम, नेहा डेविड ने अपना सहयोग प्रदान किया।