राजघाट लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
राजघाट लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2023

Mira Kumar पहुंची रविदास मंदिर राजघाट

सतीश कुमार की तेरहवी में  किया शिरकत, चढ़ाया फूल 

श्री गुरु रविदास मन्दिर राजघाट में हुई श्रद्धांजलि सभा 




Varanasi (dil India live). 03.10.2023. मंगलवार को दी रविदास स्मारक सोसाइटी काशी राजघाट के तत्वाधान में सोसाइटी के सचिव प्रबंधक स्मृतिशेष सतीश कुमार उर्फ फगुनी राम की तेरहवी एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन रविदास मंदिर राजघाट वाराणसी में सम्पन्न हुआ. श्रद्धांजलि सभा में काशी, बिहार, मध्य प्रदेश व दिल्ली आदि प्रांतो से बड़ी संख्या में पधारे साधु संत एवं महंतों ने अरदास की. फगुनी राम के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए पूर्व लोक सभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहां फगुनी राम श्रद्धा विश्वास आस्था एवं सत्यनिष्ठा के साथ रविदास मंदिर एवं मेरे कुटुम्ब से जीवन भर जुड़े रहे, वे परिवार के अभिन्न अंग थे. उनकी असमय मृत्यु से मुझे गहरा सदमा लगा है वे गुरु जी के अमुर्त रूप के कुशल प्रबंधक थे. राजघाट काशी का रविदास मंदिर सर्वधर्म सम्भाव का प्रतीक है. समता मूलक समाज स्थापना इसका मुख्य उद्देश्य है. श्रद्धांजलि स‌भा को फगुनी राम के बेटे मनोज, विनोद कुमार एवं बेटी अनिता एवं वंदना के साथ-साथ डॉ भगवती सिंह, मदन लाल, भगत प्रो० प्रज्ञा, राजकुमार भारती आदि लोगों ने संबोधित किया सभा का संयोजन धन्यवाद ज्ञापन महाप्रबंधक रतन लाल भगत, संचालन डा. जयशंकर जय ने किया।

सभा में  मुख्य रूप से डा० अंशुल अभिजीत महंत रामेश्वरदास महंत रामविलास दास, डॉ भारत भूषण, महंत फलाहारी बाबा महंत वैभव गिरी, गोरखनाथ यादव, वीरेन्द्र बबलू रमेशगुप्त, डा. उमाशंकर यादव, मदन यादव के साथ पारिवारिक सदस्य गढ़ बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

Sant Ravidas ka anokha Mandir




Varanasi (dil india live)। मजहबी शहर बनारस गंगा जमुनी तहजीब के लिए देश दुनिया में विख्यात है। यहां मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर व गुरुद्वारों के ऐतिहासिक दस्तावेज पग पग पर मौजूद है। यही वजह है कि इनके दर्शन के लिए देश दुनिया से भक्त खींचे चले आते हैं। ऐसा ही ऐतिहासिक और अनूठा आस्था का एक केन्द्र है, राजघाट पर स्थित संत रविदास मंदिर। यह मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है। यह मंदिर जहां श्रम साधना का संदेश देता है वहीं सर्वधर्म समभाव की एक शानदार मिसाल भी है।

संत रविदास सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे। इसका अंदाजा उनकी स्मृति में राजघाट में बनाए गए मंदिर को देखकर सहज ही लगाया जा सकता है। यह मंदिर संत रविदास के संदेशों के अनुकूल बनाया गया है। राजघाट स्थित संत रविदास का मंदिर सर्वधर्म समभाव का इकलौता ऐसा प्रतीक है जहां पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और बौद्ध धर्म के दर्शन होते हैं। सभी धर्मों के प्रतीक चिन्ह को मंदिर के गुंबद पर स्थान दिया गया है।

दी रविदास स्मारक सोसायटी के महासचिव सतीश कुमार उर्फ फगुनी राम ने बताया कि मंदिर का शिलान्यास 12 अप्रैल 1979 में हुआ और 1986 में बनकर जब तैयार हुआ तो सभी देखते रह गए। मंदिर पर पांच गुंबद हैं जिन पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई एवं बौद्ध धर्म के मंगल चिह्न अंकित हैं। इस मंदिर का निर्माण देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम ने कराया था। उन्होंने बताया कि संत रविदास मानवता, समता व समरसता के पोषक थे। इसी भावना को केंद्र में रखकर बाबू जगजीवन राम ने इस मंदिर की स्थापना की। यह मंदिर सभी जाति एवं धर्म के लोगों के लिए सदैव खुला रहता है। मंदिर के सुनहरे गुंबद से जब सूर्य की रोशनी टकराती है तो मंदिर की छटा और बढ़ जाती है। बेहद खूबसूरत एवं भव्य मंदिर की चमक दूर से ही दिखाई देने लगती है।


संत शिरोमणि गुरु रविदास जयंती कि तैयारी पूरी 

संत रविदास की जयंती को मनाने के लिए मंदिर में तैयारियां पूरी हो गई हैं।  रविदास जयंती पर दर्शनार्थियों का मंदिर में तांता लगा रहता है। खासकर पंजाब से तो जत्थे में श्रद्धालु मंदिर में पहुंचते हैं। जगजीवन राम की बेटी व पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार हर साल मंदिर में मत्था टेकने आती हैं। इस बार भी वो यहां आ चुकी हैं।

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...