मुर्री बंद कर बुनकरों ने अदा की अगहनी जुमे की नमाज
Varanasi (dil india live). ईदगाह पुरानापुल में जुटे को ईदगाह सरीखा माहौल नज़र आया। सभी खूब सजधज कर नमाज अदा करने पहुंचे हुए थे। मौका था बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिज की सदारत में अगहनी जुमे की नमाज का। वहां नमाज पूरी अकीदत के साथ अदा की गयी। इस मौके पर सरदार हाजी मोइनुद्दीन ने बताया की अगहन के इस पवित्र महीने में पूरा बुनकर समाज अगहनी जुमे की नमाज हर साल ईदगाह में अदा करता है। ये सिलसिला सैकड़ों साल कदीमी है। उस वक़्त देश के हालात ठीक नहीं थे। किसान परेशन थे। बारिश न होने की वजह से खेती नहीं हो रही थी। देश में अकाल पड़ा था। तब बुनकर समाज ने अपना कारोबार बंद कर इकठ्ठा हो कर अगहन के महीने में ईदगाह में नमाज़ अदा किया था। इसके बाद अल्लाह का करम हुआ और खूब बारिश हुई। इससे किसानो में खुशी की लहर दौड़ गयी। तब से इस परंपरा को बुनकर बिरादरी निभा रही है। बनारस की सबसे बड़ी तंज़ीम बुनकर बिरादराना तनजी बावनी के सद्र हाजी मुख़्तार महतो ने बताया की ये अगहनी जुमा की नमाज़ गंगा जमुनी तहज़ब की एक जीवंत मिसाल है कि सदियो पहले जब मुल्क के हालात ख़राब थे सभी वर्ग के लोग परेशन और बदहाल थे तब उस बदहाली और परेशनी को दूर करने के लिए बुनकर समाज के लोग अपने अपने कारोबार (मुर्री बंद) कर ईदगाह में नमाज़ अदा कर दुआए की और उस दुआ को असर हुआ चारो तरफ खुशाली आई। किसान और बुनकर दोनों के कारोबार में बरकत हुई। ये परंपरा आज भी हम सब निभा रहे है। आज के दिन हमारे किसान द्वारा उगाई गयी गन्ने को जिसकी दुकान हमारे हिन्दू भाई लगाते है उन तमाम दुकानों से मुसलमान अगहनी जुमे की नमाज़ अदा कर दुकानों से गन्ना खरीद कर घर ले जाते है। यही हमारे हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब है।
इस मौके पर तक़रीर मौलाना जाहिर ने की। तक़रीर में मौलाना ने सभी से मिल्लत और भाई चारगी बनाये रखने की अपील की और कहा की सभी लोग आपस में मोहब्बत रखिये, मोहब्बत एक ऐसी चीज है जो सभी को एक धागे में पिरो कर एक साथ ले कर चलती है। आज हम सबको इसकी जरुरत है। अगहनी जुमे की नमाज़ मौलाना जाहिर ने पढाई और नमाज़ के बाद दुआखानी कर मौलाना ने मुल्क की तरक्की के लिए दुआये की। मुल्क में आपस में भाईचारगी व मिल्लत बनी रहे उसके लिए सभी ने दुआ में हाथ उठाया। बुनकर कारोबार में बरकत की भी दुआएं हुई।
सादगी से बेटों कि शादी कर ने दिया पैग़ाम
सादगी से शादी हो, बिना खर्च के शादी ब्याह हो उसके लिए अगहनी जुमा कि नमाज के बाद बाईसी के सरदार हाजी मोइनुद्दीन ने अपने दो बेटे मकबूल आलम और मंजूर आलम का निकाह सादगी के साथ ईदगाह में नमाज के बाद कराया और समाज को एक संदेश दिया की कम से कम खर्च में अपने बच्चो की शादी सादगी के साथ करे।
आज अगहनी जूमे की नमाज में मौजूद पूर्व सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ दरोगा, हैदर महतो, हाशिम सरदार, हाजी बाबू, हाजी तुफैल, हाफिज नसीर, बाबूलाल किंग, हाजी इस्तियाक, पार्षद गुलशन अली, मौलाना शकील, पार्षद हाजी ओकास अंसारी, डा. इम्तियाजुद्दीन, हाजी गुलाब, हाजी अब्दुल रहीम, हाजी स्वालेह, मो. अहमद, हाजी महबूब अली, सरदार नसीर, हाजी मतिउल्ला, मो. हारून, हाजी मोइनुद्दीन, फैसल महतो, अतीक अंसारी, शमीम अंसारी, वाजीहुद्दीन, हाजी समसुद्दीन, हाजी मुमताज, हाजी नईम आदि लोग मोजूद थे