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सोमवार, 7 नवंबर 2022

Dev dipawali, ganga arti अब डाक विभाग के विशेष आवरण पर भी छाये

India Post ने देव दीपावली, विश्वनाथ धाम पर जारी किए विशेष आवरण

देव दीपावली हुई लोकल से ग्लोबल : चीफ पोस्टमास्टर जनरल कौशलेंद्र कुमार सिन्हा

स्वयं को आलोकित करने का पर्व भी देव दीपावली: पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव



Varanasi (dil india live). काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद आयोजित पहली देव दीपावली को ऐतिहासिक बनाने के लिए भारतीय डाक विभाग ने देव दीपावली, श्री काशी विश्वनाथ धाम और गंगा आरती पर तीन विशेष आवरण व विरूपण जारी किये। वाराणसी प्रधान डाकघर में आयोजित कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश परिमंडल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल कौशलेंद्र कुमार सिन्हा ने पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव संग इसे जारी किया।  

इस अवसर पर चीफ पोस्टमास्टर जनरल श्री कौशलेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि वाराणसी की देव दीपावली लोकल से ग्लोबल हो चुकी है, वहीं श्री काशी विश्वनाथ धाम के नव्य-भव्य स्वरुप ने सभी को आकर्षित किया है। गंगा घाटों पर होने वाली गंगा आरती की शोभा देखते ही बनती है। इन सभी पर विशेष आवरण व विशेष विरूपण जारी होना सभी श्रद्धालुओं व काशीवासियों के लिए गर्व का पल है। इससे वाराणसी की संस्कृति, परंपरा और धरोहर का और भी तेजी से देश-विदेश में प्रचार-प्रसार होगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस बारे में जानकारी हासिल हो सकेगी।

 श्री सिन्हा ने कहा कि डाक विभाग डाक टिकटों और विभिन्न विशेष आवरण के माध्यम से देश-प्रदेश से जुड़े विभिन्न आयामों को दुनिया भर में प्रसारित कर रहा है। उत्तर प्रदेश में एक जिला-एक उत्पाद, जीआई उत्पाद, आजादी का अमृत महोत्सव, हर घर तिरंगा, श्री राम वन गमन पथ, बौद्ध परिपथ और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनसंग नायकों और नायिकाओं पर जारी विभिन्न विशेष आवरणों के माध्यम से युवा पीढ़ी को भी उनकी विरासत से जोड़ा गया है। डाक टिकटों और पत्र लेखन से युवाओं को जोड़ने के लिए माई स्टैम्प, फिलेटली डिपॉजिट एकाउंट, ढाई आखर पत्र लेखन प्रतियोगिता, स्टाम्प डिजाइनिंग और दीनदयाल स्पर्श छात्रवृत्ति योजना जैसी तमाम अभिनव पहल की गई हैं।  

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि श्री काशी विश्वनाथ धाम का महात्म्य, देव दीपावली और गंगा घाट पर होने वाली आरती की परंपरा इतिहास के विविध कालों से जुड़ी हुई है। देव दीपावली सिर्फ उत्सव भर नहीं है, बल्कि प्रकृति के सान्निध्य में दीपों के प्रज्ज्वलन के साथ-साथ यह स्वयं को भी आलोकित करने का पर्व है। ऐसे में देव दीपावली के दिन जारी ये विशेष आवरण काशी की उत्सवी परंपरा, आध्यात्मिक संस्कृति, देवी-देवताओं व आराध्य के प्रति समर्पण की खूबसूरत भावना को पूरे विश्व में आलोकित करेंगे। श्री यादव ने बताया कि जारी विशेष आवरण में देव दीपावली, गंगा आरती और भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम की मनोहारी छवियाँ दृष्टव्य है और आवरण के पृष्ठ भाग में इनके बारे में हिंदी व अँग्रेजी में जानकारियां मुद्रित हैं। इन विशेष आवरणों को विशेश्वरगंज स्थित स्थित वाराणसी प्रधान डाकघर से प्राप्त किया जा सकता है।    

इस दौरान प्रवर डाक अधीक्षक राजन, डाक अधीक्षक पी.सी. तिवारी, सीनियर पोस्टमास्टर सी.एस. बरुवा,  सहायक निदेशक ब्रजेश शर्मा, सहायक डाक अधीक्षक सुरेंद्र चौधरी,अजय कुमार, दिलीप यादव, डाक निरीक्षक श्रीकांत पाल, रमेश यादव, सर्वेश सिंह, वीएन द्विवेदी, श्रीप्रकाश गुप्ता, राजेन्द्र यादव, सुशांत झां,जगदीश सदेजा, दीपमणि, कमल भारती, सहित तमाम अधिकारी, कर्मचारी, फ़िलेटलिस्ट इत्यादि उपस्थित रहे। मंच संचालन कुमारी अजिता ने किया।

शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

पर्यूषण पर्व के आठवे दिन रत्नत्रय व्रत की पूजा


अहंकार का त्याग ही सम्यक त्याग धर्म: मुनि विशद सागर

वाराणसी 17 सितंबर(दिल इंडिया लाइव)। जिस प्रकार बिना मेघ के वर्षा नहीं होती , बिना बीज के अन्न उत्पन्न नहीं होता , उसी प्रकार बिना त्याग के सुख भी प्राप्त नहीं होता। उक्त बातें श्री दिगंबर जैन समाज काशी द्वारा मनाए जा रहे पर्युषण (10 लक्षण) पर्व के आठवें दिन शुक्रवार को प्रातः भगवान पार्श्वनाथ की जन्मभूमि भेलूपुर में उत्तम त्याग धर्म विषय पर बोलते हुए भक्तों को प्रवचन देते हुए कहीं।


 मुनिश्री ने कहा-“ आमतौर पर दान करने को ही त्याग कहा और समझा जाता है , लेकिन त्याग और दान में अंतर है। दान परोपकार किसी उद्देश्य के लिए किया जाता है, और त्याग संयम के लिए।  कषायो का मोह, राग, द्वेष का, अहंकार का त्याग करने से आत्मा को बल मिलता है।” 

मुनिश्री ने कहा - “ त्याग शब्द त्यज धातु से बना है , जिसका अर्थ है छोड़ना, परित्याग करना, मुक्त होना, दान करना इत्यादि । परिग्रह से मनुष्य अपनी जीवन रूपी नौका को घोर अंधकार रूपी नर्क में पटक देता है। इसलिए मनुष्य को जीवन में दान धर्म करते रहना चाहिए। रोगी दुखी जीव को औषधि एवं जीवनदान, गरीब एवं जरूरतमंद को अन्न एवं वस्त्रों का दान ,  अज्ञानी को ज्ञान का दान-पुस्तकों का दान, निर्धन को धन का दान एवं पशु-पक्षी के प्रति करुणा दया से युक्त होकर रक्षा करनी चाहिए । किसी के कष्टों को दूर करना  दान कहलाता है ।ऋग्वेद और यजुर्वेद में तीर्थंकर आदिनाथ के दिगंबर होने का स्पष्ट उल्लेख मिलता है । दिगंबर साधु त्याग की उत्कृष्ट मूर्ति होते हैं।”शांति ग्रहण में नहीं वरन त्याग में ही है, आत्मा की शांति के लिए त्याग की बहुत आवश्यकता होती है। जिस प्रकार मेघ जल का त्याग कर देते है, नदी स्वयं जल नहीं पीती, पेड़ स्वयं फल नहीं खाते उसी प्रकार अधिक धन या किसी भी वस्तु का संग्रह नहीं करना चाहिए। त्यागने से ही मन एवं चित्त में सदा प्रसन्नता बनी रहती है ।


पर्युषण महापर्व के आठवें दिन शुक्रवार को प्रातः नगर की समस्त जैन मंदिरों में भगवन्तो का पूजन, अरिहंतो का पूजन,  एवं तीर्थंकरों का अभिषेक एवं विधान किया गया। जैन धर्म में भादो माह को सम्राट के समान माना गया है। इस दौरान समस्त श्रावक भक्तों के मन में सहज ही त्याग-तपस्या, दर्शन सहित तमाम धार्मिक क्रियाएं की भावना स्वयं उत्पन्न हो जाती है । उसी क्रम में सायंकाल जिनेंद्र भगवान की आरती, जिनवाणी पूजन , देवी पद्मावती माता का शृंगार किया गया। शाम में भेलूपुर जैन मंदिर जी में अखिल भारतीय दिगंबर जैन महिला मंडल द्वारा 1 मिनट - अंत-अक्षर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । 

धार्मिक आयोजनों में प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, अरुण जैन, विशाल जैन, जिवेंद्र जैन, डॉक्टर जे.के. सांवरिया, तरुण जैन, राकेश जैन, वी.के. जैन, श्रीमती प्रमिला सांवरिया , मंजू जैन , शोभा रानी जैन उपस्थित थे।

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...