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रविवार, 11 सितंबर 2022

Jain dharam news: क्षमा कायरों का नहीं वीरों का धर्म

भगवान पार्श्वनाथ जन्मस्थली पर बही मैत्री, प्रेम  की गंगा 

विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व पर पूरे विश्व के लिए दिया गया प्रेम का सन्देश 





Varanasi (dil india live). श्री दिगम्बर जैन समाज काशी द्वारा भेलूपुर स्थित भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली पर रविवार को क्षमावाणी पूजन, तीर्थंकरो का प्रक्षाल नमन, विद्वत जनो का सम्मान एवं विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व पर भारी संख्या में लोगों ने एक दूसरे से क्षमायाचना व क्षमा का सन्देश पूरे विश्व के लिए हुआ। प्रारंभ में अपराह्न 1 बजे से क्षमावाणी पूजन एवंदेवाधिदेव श्री 1008 पार्श्वनाथ का अभिषेक मंत्रोच्चारण के साथ सायं तक चला। 
विश्व शांति के लिए शान्ती धारा की गई। 

राजेश जैन ने बताया कि यह वो दिन है जिस दिन बैर विरोध को शांत कर क्षमा, प्रेम और मैत्री भाव प्रकट किया जाता है। शत्रु भी इस दिन एक दूसरे को क्षमादान करके मन को शांत एवं निरबैर बनाने का प्रयत्न करते हैं। अनजाने में बिन चाहे भी भूल किसी से हो सकती है, ऐसे उन अंजान पलों की भूल हमारी माफ करें। 

क्षमावाणी पर्व पर हमें क्षमा का दान करे, मुझे गले से लगाकर मेरे ऊपर उपकार करें ,कलुष ह्रदय को साफ करें । तीर्थंकर पार्श्वनाथ अतिशय भूमि क्षेत्र में विश्व का यह अनूठा कार्यक्रम वाराणसी के भेलूपुर स्थित जैन मन्दिर में आयोजित हुआ। जहां बहती रही सिर्फ प्रेम, मैत्री एवं क्षमा की गंगा। इस पर्व पर सभी छोटे- बडे का भेदभाव मिटाकर महिलाए, बच्चे, बुजुर्ग एक दूसरे से अश्रुपूरित नेत्रो से पाँव पकड़कर गले से गले मिलकर क्षमा मांग रहे थे। 

तन-मन एवं आत्मा की शुद्धी पर्युषण की महानता, क्षमावाणी की सौजन्यता से विभूषित होकर जैन धर्म सभी के जीवन में उत्तम क्षमा का मंगलमयी सन्देश देता है। 

परस्परोप ग्रहो जीवानाम् की भावना एक -दूसरे के प्रति सभी के ह्रदय में प्रेम गहरा और प्रगाढ होता रहे। यही मैत्री के क्षमावाणी पर्व का मुख्य उद्देश्य है। यही सन्देश जैन धर्म पूरे विश्व में गुंजायमान करता है।क्षमावाणी सन्देश में प्रोः अशोक जैन ने कहां क्षमा अमृत है, क्षमा ज्योति पुंज है, आत्मनुभव का वास्तविक रूप है। प्रोः कमलेश जैन ने कहां-क्षमा श्रमण जो होता है विष को अमृत करता है। 

ब्रह्मचारी आकाश जैन ने कहां - क्षमा कायरो का नहीं वीरों का धर्म है। क्षमाशील आत्म पुरूषार्थ करते है। 

डां मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां - क्षमा प्राणी मात्र का धर्म है। इसे किसी जाति, सम्प्रदाय से नहीं जोड़ा जा सकता। 

पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहां- क्षमा आत्मा का स्वभाविक गुण है। क्षमा मोक्ष महल की आधार शिला है। 

धर्म प्रचारक राजेश जैन ने कहां-संस्कृत में पृथ्वी का एक नाम क्षमा, अचला, स्थिरा भी है, विवेकी व्यक्ति का ह्रदय पृथ्वी के समान अचल और आचरण में हमेशा स्थिर होना चाहिए। इसलिए कहां गया है क्षमा वीरसय् भूषणम् ।यही संदेश जैन धर्म पूरे विश्व मे गुंजायमान करता है। 

यह पर्व प्रेम, करूणा, वात्सल्य और नैतिकता के भाव जागृत करता है। 

विद्वानो ने क्षमावाणी पर्व को विश्व मैत्री बताते हुए इसकी तुलना अंहिसा दिवस से की। पर्व पर जैन साधको ने देश-विदेश में रहने वाले रिश्तेदारों ,इष्ट मित्र, व्यापारी, शुभचिंतक सभी वर्ग के लोगो को क्षमावाणी कार्ड, दूरभाष, ई मेल, एस एम एस द्वारा सन्देश देकर शुभकामना दी। 

विद्वानो में प्रोः अशोक जैन, प्रोः कमलेश जैन, डाः मुन्नी पुष्पा जैन, ब्रह्मचारी आकाश जैन, पं सुरेंद्र शास्त्री, पं मनीष जैन एवं 16 दिन से 3 दिनो का निर्जला व्रत करने वालो में श्री मति मोना काला (16)दिन, आलोक जैन (10)दिन, अर्पित जैन (10)दिन श्रीमति मंजू जैन (10)दिन, किशोर जैन (10)दिन, रजनी जैन, संध्या जैन, शोभा जैन, श्वेता जैन, नीति जैन, मनीषा जैन, इन सभी व्रत तपस्वीयों का सम्मान समाज के अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, प्रधान मन्त्री अरूण जैन, विनय जैन, तरूण जैन, सुधीर पोद्दार, प्रमिला सांवरिया, शोभारानी जैन ने किया। 

आयोजन में प्रमुख रूप से आर सी जैन, संजय जैन, विनोद जैन, रत्नेश जैन, सौरभ जैन, निशांत जैन उपस्थित थे।

मंगलवार, 21 सितंबर 2021

विश्वमैत्री क्षमावाणी पर विशेष


साधु क्रोध रूपी शत्रु को क्षमा रूपी तलवार से कर देते हैं नष्ट

  • राजेश जैन 

वाराणसी 21 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)। “कषायभाव हमारे जीवन से समाप्त हो जावें , इसीलिए यह क्षमावाणी का त्योहार  मनाया जा रहा है - राष्ट्रसंत संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज कहते हैं - क्षमाभाव को आत्मसात करने का आनंद अद्भुत ही हुआ करता है । आप लोग क्षमा धर्म का अभ्यास करो | “  साधु क्रोध रूपी शत्रु को क्षमा रूपी तलवार से नष्ट कर देते हैं | क्षमा कल्पवृक्ष के समान है, क्षमा के समान कोई धर्म नहीं है |“ क्षमा ऐसी वस्तु है जिससे सारी जलन शीलता समाप्त हो जाती है एवं चारों ओर हरियाली का वातावरण दिखाई देने लगता है “ क्रोध में उपयोग नहीं रहता और उपयोग क्रोध में नहीं रहता| इसका तात्पर्य यह है कि क्रोध के समय उपयोग क्रोध रूपी परिणत हो जाता है  | “ कषायों के वातावरण के साथ तो अनंत समय बिताया है , अब आत्मीयता के (वातावरण के)  साथ जियो | “


“ मतभेद और मनभेद को समाप्त करके एक हो जाओ , भगवान के मत की ओर आ जाओ फिर सारे संघर्ष समाप्त हो जाएंगे |” “ जो क्षमा के अवतार होते हैं , उससे क्षमा मांगने और क्षमा करने की बात ही नहीं क्योंकि उनके पास क्षमा हमेशा रहती है |”

क्षमा और प्रतिक्रमण के आंसू से साधु अपना सारा अपराध बहा देता है , धो लेता है फिर स्वयं क्षमा की मूर्ति बन जाता है | 

“ क्षमा मांगना नहीं क्षमामय बनना चाहिए | “

जिसके जीवन में क्षमा अवतरित हो जाती है, वह पूज्य बन जाता है | 

“ क्षमा मांगने जैसा पवित्र भाव और दुनिया में कोई भाव नहीं हो सकता |” 

सोमवार, 20 सितंबर 2021

क्षमा से ही होती है सत्य धर्म की शुरुआत

(क्षमावाणी पर्व २१ सितंबर पर खास)

विचारों में क्षमा है तो वाणी में भी आ जाता है क्षमा

  • डा. अंजु जैन

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। क्षमा से धर्म की शुरुआत होती है और उपसंहार भी क्षमा पर होता है। यदि विचारों में क्षमा आए तो वाणी में भी क्षमा आ जाती है। प्राणीमात्र के प्रति दया करुणा के भाव होना ही क्षमा है। गलतियों को भूलकर हम अपनों को ही नहीं, परायों को भी क्षमा करें। पारिवारिक जीवन में एक-दूसरे के सहयोग के बिना हमारा काम चल नहीं सकता तो फिर तकरार क्यों। थोड़ी सी जिंदगी है उसे हम सद्भाव और सहयोग की भावना से जिएं, यही क्षमा है। जैन ग्रंथों में आया है कि स्वयं को साफ करो, जगत को माफ करो और प्रभु व गुरु को याद करो। जब हम हर वस्तु साफ सुथरी उपयोग करते हैं, तो हमें मन को भी साफ रखना होगा, यही क्षमा है। क्षमा वाणी में ही नहीं, प्राणी में आना चाहिए और इस मानी प्राणी को पानी-पानी होना चाहिए। रावण को राम बनकर ही जीत सकते हैं, रावण बनकर नहीं। सामने वाला गलत है तो हम गलत न बनें, सज्जन बनें, यही क्षमा है। सबके साथ मित्रता के भाव से जीवन जिएं, यही क्षमा है। आइये प्रण ले कि क्षमावाणी पर्व पर हम सब एक दूसरे की गलतियां माफ कर क्षमा करेंगे।

(लेखक स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं।)

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...