मौलाना शाह बाबा का तीन दिनी उर्स अकीदत के साथ शुरू
- अस्थाई दुकाने सजी
- सजा मौलाना शाह बाबा का दर
- रौशनी से नहा उठा आस्ताना
वाराणसी (dil india live)। हजरत मौलाना शाह सैय्यद मोहम्मद वारिस रसूलेनुमा का सालाना तीन दिनी उर्स पूरी अक़ीदत के साथ आज शुरू हो गया। उर्स में सभी मज़हब के लोग उमड़े हुए थे। मौलाना शाह बाबा को रसुलेनुमा कहा जाता है। माना जाता है कि बाबा के दर पर जो आता है वो अपनी झोली भर के जाता है। पहले ही रोज़ बाबा का दर अक़ीदतमंदों से गुलज़ार हो गया। बाबा के दर पर अस्थाई दुकाने सज गयी। इस दौरान फुलवारी शरीफ के सज्जादानशीं भी उर्स में पहुंचे हुए थे।
दिखती है गंगा जमुनी तहज़ीब
कोयला बाज़ार स्थित बाबा का दर गंगा जमुनी तहज़ीब का मरकज़ है। 21 नवंबर तक चलने वाले उर्स में जुमे को नमाज़ के बाद लोगों का हुजुम फातेहा पढ़ने उमड़ पड़ा। इस दौरान सभी मज़हब के लोग पहुंच कर उर्स में हाज़िरी लगाते दिखाई दिये। बाबा के चाहने वाले फातेहा पढ़ने के साथ ही वहां लगी अस्थाई दुकाने से खरीददारी करके उर्स से वापस लौटते हैं।
सूफिज़्म का है मरकज़
मौलाना शाह बाबा ने दुनिया को सूफिज्म का सीधा सच्चा रास्ता दिखाया था। यही वजह है कि धर्म और मज़हब के झगड़ों से दूर यहां सभी अपनी परेशानी दूर करने के लिए यहां पहुंचते हैं। उर्स के दौरान सभी मज़हब की हाज़िरी इस बात की दलील है कि बाबा किसी एक के नहीं बल्कि सभी के हैं।
क्यों लोकप्रिय है मौलाना शाह
हजरत मौलाना शाह सैय्यद मोहम्मद वारिस रसूलनुमा (1087-1166 हिजरी) की मजार है, मज़ार स्थल और आसपास के इलाक़े को 'मौलवी जी का बाड़ा' के नाम से जाना जाता है। जो आदमपुरा वार्ड में कोयला बाजार के घनी आबादी वाले मुहल्ले में है। यह बाड़ा अपनी पुरानी परंपराओं और प्रथाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। मौलवी जी का बड़ा में कुतुब शाह सैय्यद की वर्षगांठ समारोह 12 से 14 वीं रबी-उसानी को आयोजित किया जाता है और इसे शानदार पैमाने पर मनाया जाता है। उर्स के दौरान यहां चादर और गागर लेकर तमाम लोग आते हैं। मगरिब की नमाज के बाद तबरुक (प्रसाद) के साथ गगार की पेशकश करते हुए वे अपनी मन्नत पूरी करने की दुआएं मांगते हैं। रवायत के तहत खुशबू, गुलाब-जल और चंदन के साथ बाबा का गुस्ल किया है और चादर पोशी की जाती है।