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सोमवार, 12 सितंबर 2022

Sahitya समाज में संस्कारों और संस्कृति का संवाहक :पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

पीएमजी ने राम बचन सिंह की तीन पुस्तकों का किया विमोचन


Varanasi (dil india live). साहित्य समाज में संस्कारों व संस्कृति का संवाहक है। ऐसे में साहित्यकारों का दायित्व है कि ऐसा लेखन करें जो साहित्य के माध्यम से भारतीय संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाए। उक्त उद्गार साहित्यकार एवं वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने सेवानिवृत्त उप बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री राम बचन सिंह यादव 'बेराही' की तीन पुस्तकों - नायाब नायक कर्ण (खंड काव्य), अंतर्बोध (काव्य संग्रह) और असुरवंश बनाम राजवंश (खंड काव्य) का विमोचन करते हुए व्यक्त किया। लाइफ लाइन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, आजमगढ़ के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में श्री चंद्रजीत सिंह यादव, उप शिक्षा निदेशक, मिर्जापुर मंडल, प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन डॉ. अनूप कुमार सिंह, डॉ. गायत्री सिंह, गीता सिंह भी मंचासीन रहे।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि एक तरफ रामायण काल की घटनाओं को सहेजे खंड-काव्य 'असुरवंश बनाम राजवंश' तो दूसरी तरफ महाभारत काल के 'नायाब नायक कर्ण' के जीवन के अंतर्द्वंदों को सहेजे खंड-काव्य की रचना, वहीं जीवन की तमाम अनुभूतियों व संवेदनाओं को सहेजता काव्य संग्रह 'अंतर्बोध'  एक कवि के रूप में श्री राम बचन सिंह यादव की आध्यात्मिक व दार्शनिक प्रवृत्ति, सांस्कृतिक विरासत से जुड़ाव, इतिहास बोध का भरपूर ज्ञान और महापुरुषों से युवा पीढ़ी को जोड़ने का सत्साहस दिखाता है। परिस्थिति और ऐतिहासिक चेतना के द्वंद से उबरते हुए उन्होंने लोग-मंगल से जुड़कर युगीन सत्य को भेदकर मानवीयता को खोजने का प्रयत्न किया। श्री यादव ने कहा कि रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों ने ज्ञान, भक्ति और कर्म की त्रिवेणी प्रवाहित कर भारतीय जनमानस को जागृत किया। इनमें  जिन प्रगतिशील मूल्यों व समानता के भावों पर बल दिया है, उसे आज बार- बार उद्धृत करने की जरूरत है।

पोस्टमास्टर जनरल श्री यादव ने कहा कि सरकारी सेवाओं में रहते हुए भी साहित्य सृजन का कार्य व्यक्ति की दृष्टि को और भी व्यापक बनाता है। शिक्षा व्यक्ति में ज्ञान उत्पन्न करती है तो साहित्य संवेदना की संपोषक है। इसी कड़ी में श्री राम बचन सिंह यादव न केवल एक शिक्षक एवं पथ प्रदर्शक के रूप में रहे, बल्कि साहित्य के विकास एवम उन्नयन में भी महती भूमिका निभाने को तैयार हैं।

आजमगढ़ से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते हुए श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि तमाम ऋषियों-मुनियों, क्रांतिकारियों व साहित्यकारों की पावन धरा रहे आजमगढ़ में साहित्य की समृद्ध परंपरा रही है। राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध', आचार्य चंद्रबली, श्याम नारायण पांडेय,अल्लामा शिब्ली नोमानी, कैफी आजमी जैसे यहाँ के साहित्यकारों ने देश-दुनिया में ख्याति अर्जित की है। आज भी आजमगढ़ के तमाम साहित्यकार न सिर्फ उत्कृष्ट रच रहे हैं बल्कि समाज को एक नई राह दिखा रहे हैं। 

चंद्रजीत सिंह यादव, उप शिक्षा निदेशक, मिर्जापुर मंडल ने कहा कि श्री राम बचन सिंह यादव की कविताएं पाठक को खुद अपना अंतर्बोध कराती प्रतीत होती हैं। मानवीय मूल्यों के पतन और समाज की वर्तमान स्थिति को उन्होंने अपनी कविताओं में अक्षरक्ष: उतार दिया है। न्यूरोसर्जन डॉ. अनूप कुमार सिंह ने कहा कि अच्छी पुस्तकें जीवन के लिए टॉनिक का कार्य करती हैं। इनके अध्ययन-मनन से  एकाकीपन, निराशा और अवसाद से भी बचा जा सकता है। युवाओं में पुस्तकें पढ़ने की आदत विकसित करनी होगी। 

अपनी रचना प्रक्रिया पर राम बचन सिंह यादव ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और नायक कर्ण का व्यक्तित्व सदैव से प्रभावित करता रहा है, जिन्होंने तमाम संघर्षों और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी जीवन में मूल्यों का साथ नहीं छोड़ा। इन पर खंड-काव्य लिखकर अपने को बेहद सौभाग्यशाली समझता हूँ। पिताजी के अंतिम दिनों की अवस्था देखकर भी मुझे जीवन का अंतर्बोध हुआ, जिसे काव्य संग्रह के रूप में परिणित किया।     

कार्यक्रम का संचालन डॉ. अभय प्रताप यादव, प्राचार्य, आर.के फार्मेसी, सठियांव, आजमगढ़ तो आभार ज्ञापन श्री प्रेम प्रकाश यादव ने किया. प्रो.आरके यादव, सरोज, ऋषि मुनि राय, मिथिलेश तिवारी, घनश्याम यादव, संजय यादव, आलोक त्रिपाठी, सूर्य प्रकाश सहित तमाम साहित्यकार और गणमान्य जन उपस्थित रहे।

शुक्रवार, 9 सितंबर 2022

Ananta chaturdashi पर निर्जला व्रत कर किया नमन पाठ

अनंतनाथ एवं पार्श्वनाथ का हुआ 108 रजत कलशों से महामस्तकाभिषेक 

दर्शन-पूजन को मन्दिरों में उमड़ी भीड़

 




Varanasi (dil india live)।अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर शुक्रवार को श्री 1008 अनंत नाथ एवं देवाधिदेव पार्श्वनाथ का 108 रजत कलशों से महामस्तकाभिषेक भक्तो ने किया। पर्युषण महापर्व के अन्तिम दिन जैन मंदिरो में दर्शन करने वाले भक्तो की भारी भीड़ देखने को मिली। इस दौरान मुख्य आयोजन ग्वाल दास साहू लेन स्थित श्री दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर में सकल समाज की उपस्थिति में सांय 4 बजे व्रतधारी शुध्द केशरिया वस्त्रों में इन्द्र के रूप में वाद्य यन्त्रो एवं शहनाई की मंगल ध्वनि के बीच सैकडों धर्मावलम्बीयों ने मंत्रोच्चार के साथ रजत पाण्डुक शिला के कमल सिंहासन पर विराजमान कर तीर्थंकर द्वय का पंचाभिषेक से महा मस्तकाभिषेक किया। 

जैन मतावलंबियों ने निर्जला व्रत रखकर नमन पाठ पढकर इच्छुक रसधारा, दुग्ध धारा, घृत धारा, केशर एवं शुध्द गंगा जल के 108 रजत कलशो से तीर्थंकरों का प्रक्षाल किया।इस नयनाभिराम दृश्य को देखने के लिए जैन धर्मावलम्बीयों की भारी संख्या मंदिरों में देखने को मिली। 

भाद्र शुक्ल पंचमी से चतुर्दशी तक दस दिवसीय पर्युषण पर्व पर प्राचीन परम्परा के अनुसार अंनत चतुर्दशी पर विभिन्न मन्दिरों मे जाकर पार्श्वनाथ जन्म भूमी भेलूपुर, सुपार्श्वनाथ कि जन्म स्थली भदैनी, श्रेयांस नाथ जन्म स्थली सारनाथ, चन्दा प्रभु जन्म स्थली चन्द्रपुरी चौबेपुर, नरिया, खोजंवा, मैदागिन, हाथीबाजार, मझवा, भदैनी, भाट की गली एवं चैत्यालयों में जाकर दर्शन-पूजन किया। धर्मावलम्बी अलग अलग समूह में परिक्रमा भी किया। 

तत्पश्चात मन्दिरों की वन्दना के बाद सायं श्री दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर ग्वाल दास लेन पहुंचने पर महामस्तकाभिषेक मे शामिल हुए प्रातः से ही पंचायती मन्दिर में चौबीसी पूजन, देव शास्त्र, गुरु पूजा, विनय पाठ, अंनत नाथ पूजा, जिनेन्द्र पूजा, शांति पाठ आदि शहनाई ढोल की मंगल ध्वनि के बीच भक्तों ने किया। धर्मावलम्बी भादो मास में पड़ने वाले पर्युषण पर्व पर दस वृत्तियों का व्रत लेकर मन, वाणी एवं शरीर आत्मा को शुद्ध करते हुए कठिन तपस्या व साधना से मन शुध्दि, आत्म शुध्दि, उपवास, जपमाला, ध्यान, स्तुति, वन्दना इत्यादि अपने आत्मबल को जगाने के लिए करते है। 

अंनत चतुर्दशी के पावन अवसर पर श्रद्धालुओ ने पंचामृत में भिगोकर अंनत सूत्र को अपनी बांहो में बांधा। भगवान बांसपुजय जी का मोक्ष कल्याणक भी मनाया गया। अभिषेक के उपरांत शास्त्र प्रवचन एवं भगवनतों की आरती की गई। 

आयोजन में प्रमुख रूप से समाज के अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, आर सी जैन, विनोद जैन, संजय जैन, प्रधान मंत्री अरूण जैन, समाज मंत्री तरूण जैन, रत्नेश जैन, राजेश भूषण जैन, सौमित्र जैन उपस्थित थे।

Hari sabzi औषधीययुक्त पौधों से लहलहाएगी पोषण वाटिका

जिले में अब तक तैयार की गईं 2042 पोषण वाटिका

सुपोषित समाज में पोषण वाटिका की भूमिका अहम



Varanasi (dil india live). बच्चों, किशोर-किशोरी, गर्भवती व धात्री महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए विटामिन, कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों का मिलना बहुत जरूरी होता है। पोषक तत्वों से भरपूर खानपान को अपनाने पर ही एक सुपोषित समाज की परिकल्पना की जा सकती है। इस दिशा में वाराणसी जनपद में प्रभावी ढंग से कार्य हो रहा है। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) विभाग की ओर से जनपद के हर ब्लॉक के लगभग सभी ग्राम पंचायतों में पोषण वाटिका तैयार की जा रही है। पोषण वाटिका को तैयार करने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं ने अपना पूरा योगदान दिया है, जिससे आसपास के घरों में ताजी हरी साग-सब्जियाँ व फल आदि आसानी से प्राप्त हो सकें। जनपद में अभी तक 2042 पोषण वाटिका तैयार की जा चुकी हैं। 

जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) डीके सिंह ने बताया कि माइक्रो न्यूट्रिएंट्स की कमी भी कुपोषण का एक बड़ा कारण है। माइक्रो न्यूट्रिएंट्स के सस्ती उपलब्धता के लिए पोषण वाटिका का रोपण किया जा रहा है। पोषण वाटिका विकसित करने का मुख्य उद्देश्य है कि लाभार्थियों को उनके आसपास ही ताजी हरी साग-सब्जियाँ, फल, औषधि आसानी से मिल सकें। फल एवं सब्जियाँ सूक्ष्म पोषक तत्वों के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इन पोषक तत्वों को नियमित आहार में सम्मिलित करना बेहतर स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक है। खट्टे फल, अदरक, आँवला, अमरूद, पालक, सहजन, चौलाई आदि स्थानीय उगाई जाने वाली साग-सब्जियों के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे बीमारी व वायरल संक्रमण से बचा जा सकता है। उन्होने बताया कि सितंबर माह में साग-सब्जियों एवं फलों के पौधों के रोपण का उचित समय है, इसके तहत पोषण वाटिका के विकास के लिए क्षेत्र स्तर पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

डीपीओ ने बताया कि जनपद में अभी तक 2042 पोषण वाटिका तैयार कर बीज रोपे जा चुके हैं। अगले कुछ दिनों में पोषण वाटिका हरी साग सब्जी, फल एवं औषधियों से लहलहाने लगेगी। इसमें से अराजीलाइन विकासखंड परियोजना में 229, बड़ागांव में 187, चिरईगांव में 192, चोलापुर में 180, हरहुआ में 230, काशी विद्यापीठ में 394, पिंडरा में 246, आदर्श ब्लॉक सेवापुरी में 210 एवं नगर क्षेत्र में 104 पोषण वाटिका हैं। 

*विभिन्न तरह के पौधे लगाए गए –* जनपद में तैयार की गईं समस्त पोषण वाटिका में 6162 फलदार, 5102 औषधी एवं 30630 हरी सब्जीयुक्त पौधे सम्मिलित हैं। फलदार पेड़ो में आम, आँवला, अमरूद, पपीता, नींबू, इमली आदि के पौधे लगाए गए। औषधी में नीम, तुलसी, धृत कुमारी (एलोवेरा), अश्वगंधा, सदाबहार आदि के पौधे लगाए गए। हरी साग सब्जी युक्त में पालक, सहजन, चौलाई, बथुआ, मेथी, लौंकी, तुरई, बैंगन आदि के पौधे रोपे गए हैं।

बुधवार, 31 अगस्त 2022

Gandhivadi Dr arif बोले : समतामूलक समाज को संरक्षित करने की जिम्मेदारी राज्य की

संविधान की अवधारणा पर चलने का लें संकल्प: विनोद गौतम

  • सामाजिक एकता के लिए संयम व जिम्मेदारी आवश्यक: मनोज कुमार
  • हमें अपने मूल्यों व धरोहरों को मजबूत बनाना होगा: वीरेंद्र त्रिपाठी
  • भारत की परिकल्पना विषयक संगोष्ठी सम्पन्न




Ambedkar Nagar (dil india live) सिसवा, अम्बेडकर नगर स्थित कर्मयोगी रामसूरत त्रिपाठी महाविद्यालय में राष्ट्रीय एकता, शान्ति, सद्भाव एवं न्याय के लिए "भारत की परिकल्पना " विषयक परिचर्चा आयोजित की गई। मुख्य वक्ता गांधीवादी डॉ.मोहम्मद आरिफ ने कहा कि भारत हजारों सालो से विविध धर्म संस्कृतियों का देश रहा है। संविधान में समतामूलक समाज को संरक्षित करने की जिम्मेदारी राज्य की है। राज्य का कर्तव्य है कि वह ऐसा वातावरण निर्मित करे जिससे लोग बेहतर तरीके से एक दूसरे के साथ भाईचारे के साथ अपनी विविधिता को मेंटेन करते हुए रह सकें। यह परिकल्पना थी आईडिया ऑफ इंडिया की। संविधान भी मेल जोल, स्वतंत्रता, समता, बन्धुता की बात करता है। हमें अपने इन मूल्यों को बचा कर रखना होगा और समय समय पर इनकी रक्षा के लिए संघर्ष करना होगा।भारत की परिकल्पना तभी पूरी होगी जब हम बुद्ध, कबीर, गोरखनाथ, निज़ामुद्दीन औलिया, स्वामी विवेकानंद, गांधी, भगत सिंह, नेहरू आदि को पढ़ेंगे,जानेंगे और उनके विचारों पर चलेंगे। 

     विशिष्ट वक्ता विनोद गौतम ने कहा कि आपसी मेल जोल के लिए सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देना होगा तभी एक सुंदर व खुशहाल भारत बनेगा।हम अपने विवेक से निर्णय लें और आगे बढ़ें। संविधान की मूल अवधारणा लेकर चलें तो सर्वे भवन्ति सुखिना, सर्वे भवन्तु, निरामया को  आगे बढ़ा पाएंगे।किसी भी देश में यदि उथल पुथल होता है तो उसकी जिम्मेदार सत्ता होती है क्योंकि जनता सत्ता के भरोसे रहती है। खुद के अधिकारों को पहचानने की जरूरत है। आज हमारे अधिकार छीन गए हैं। सामाजिक बदलाव के लिए जागरूकता आवश्यक है। 

       मनोज कुमार ने कहा कि सामाजिक एकता को कायम रखने के लिए संयम व जिम्मेदारी आवश्यक है। विचारों को सोचते रहना चाहिए कि समाज में क्या हो रहा है और कुछ ऐसे कार्य होते हैं उससे एकता खतरे में आ जाती है। ऐसा वातावरण का निर्माण करें ताकि एकता व प्रेम कायम रहे। इस तरह के आयोजन के जरिये हम एक दूसरे को समझते हैं। सभी धर्म संस्कृति का सम्मान होगा तभी राष्ट्रीय एकता, शांति, सद्भाव व न्याय कायम होगा। 

         वीरेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि  आज समाज मे विखराव और नफरत बढ़ रहा है। हमें एकता, शांति न्याय को अक्षुण बनाये रखना होगा। उसके लिए अपनी मानसिकता बदलनी होगी। हमें अपने मूल्यों व धरोहरों को मजबूत बनाना होगा। देश मे रहने वाले सभी धर्मों के लोग अपने है और सबको बराबर अधिकार हासिल है। उनके साथ भेदभाव करना संविधान के मूल्यों  के साथ खिलवाड़ है। कामिनी ने कहा कि देश स्वस्थ समाज की परिकल्पना को तभी पूरा कर पायेगा जब अच्छे लोग हों। हिंदुस्तान की एकरूपता में जितनी तरह की आवाजें, संस्कृति, भिन्नता होगी उतना ही मजबूत होगा। इतनी सारी विविधताओं के बाद भी देश की एकता मजबूत है।

कार्यक्रम में अम्बेडकरनगर के विभिन्न क्षेत्रों से आये हुए सैकड़ों प्रतिभागी शामिल हुए। स्वागत और विषय प्रवेश वीरेंद्र त्रिपाठी,संचालन मनोज कुमार और आभार अंजू ने व्यक्त किया।

शनिवार, 9 जुलाई 2022

Dav pg college:समाज में कुछ नया लाने के लिए करे शोध-प्रो. शबनम



Varanasi (dil india live)। डीएवी पीजी कॉलेज के रिसर्च प्रमोशन सेल एवं कला संकाय के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे 8 दिवसीय कला एवं मानविकी में रिसर्च मेथडोलॉजी पर राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन उर्दू में तहक़ीक़ के उसूल-ओ-जवावित विषय पर व्याख्यान हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग की प्रोफेसर शबनम हमीद ने उर्दू विषय मे शोध की आवश्यक पहलुओं पर विमर्श किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उर्दू भाषा मे भी शोधार्थी सिर्फ डिग्री या स्कॉलरशिप के लिए शोध ना करे बल्कि समाज के सामने कुछ नया लाए। बीए की पढ़ाई के दौरान से ही उन्हें तहक़ीक़ की अहमियत बतानी होगी, ताकि उनकी परवरिश एक अच्छे शोधार्थी की तरह ही हो। उन्होंने कहा कि शोध में सच की तलाश करना चाहिए और ईमानदारी से विषय मे नई बात पैदा करने का जुनून होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शोध के दौरान जो रुकावटें आती है उससे घबराने की जरूरत नही है बल्कि उससे निकलने का रास्ता बनाने की दिशा में बढ़ना चाहिए।शोध का कार्य सिर्फ खूबियां गिनाना ही नही है बल्कि कमियों को भी उजागर करना चाहिए। अंत मे उन्होंने शोधार्थियों को पुस्तकालय का नियमित दौरा, फील्ड विजिट ये सब जरूरी कदम है जिससे शोध की गुणवत्ता में सुधार आता है। 

अतिथि का स्वागत रिसर्च प्रमोशन सेल की समन्वयक प्रोफेसर मधु सिसोदिया ने किया। संचालन उर्दू विभाग की डॉ. तमन्ना शाहीन तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक डॉ. मिश्री लाल ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. सतीश कुमार सिंह, डॉ. राकेश कुमार राम, डॉ. संगीता जैन, डॉ. प्रशांत कश्यप, डॉ. रामेंद्र 

सिंह, डॉ. बंदना बाल चंदनानी, डॉ. समीर कुमार पाठक आदि शामिल रहे। कार्यशाला में विभिन्न महाविद्यालयों के 50 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए l

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...