रमज़ान लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रमज़ान लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 22 अप्रैल 2023

Dekho Eid आयी है, कितने रंग लाई है

सबको खुशियां बांटने का पैगाम देती है ईद


Varanasi (dil india live)। अरबी में किसी चीज़ के बार-बार आने को उद कहा जाता है उद से ही ईद बनी है। ईद का मतलब ही वो त्योहार है जो बार-बार आये। यानी जिसने रोज़ा रखा है उसके लिए ईद बार-बार आएगी। ईद तोहफा है उनके लिए जिन्होंने एक महीना अपने आपको अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया। यही वजह है कि रमज़ान और ईद एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर रमज़ान होता और ईद न होती तो हमें शायद इतनी खुशी न होती। खासकर छोटे-छोटे बच्चे जिन्हें किसी से कोई लेना देना नहीं होता मगर वो इसलिए खुश होते हैं कि रमज़ान खत्म होते ईद आयेगी, ईदी मिलेगी। इसे ईद-उल-फित्र भी कहते हैं क्यों कि इसमें फितरे के तौर पर 2 किलों 45 ग्राम गेंहू जो हम खाते हो उसके दाम के हिसाब से घर के तमाम सदस्यों को सदाका-ए-फित्र निकालना होता है। जिससे जरुरतमंदों कि मदद हो जाती है।

इस्लामी ग्रंथों में आया है  कि रमज़ान के बाद जब ईद आये तो इस बात का पता करो कहीं कोई रो तो नहीं रहा है, कोई ऐसा घर तो नहीं बचा है जहां ईद के लिए सेवईयां न हो। कोई पड़ोसी भूखा तो नहीं है। अगर ऐसा है तो उसकी मदद करना हर साहिबे नेसाब पर वाजिब है।

दरअसल ईद उसकी है जिसने रमज़ान भर इबादत किया और कामयाबी से रमज़ान के पूरे रोज़े रखे। नबी-ए-करीम (स.) ईद सादगी से मनाया करते थे। इसलिए इस्लाम में सादगी से ईद मनाने का हुक्म है। एक बार नबी (स.) ईद के दिन सुबह फज्र की नमाज़ के बाद घर से बाज़ार जा रहे थे कि आपको एक छोटा बच्चा रोता हुआ दिखाई दिया। नबी (स.) ने उससे कहा आज तो हर तरफ ईद की खुशी मनायी जा रही है ऐसे में तुम क्यों रो रहे हो? उसने कहा यही तो वजह है रोने की, सब ईद मना रहे हैं मैं यतीम हूं, न मेरे वालिदैन है और न मेरे पास कपड़े और जूते-चप्पल के लिए पैसा। यह सुनकर नबी (स.) ने उसे अपने कंधों पर बैठा लिया और कहा कि तुम्हारे वालिदैन भले नहीं हैं मगर मैं तुम्हे अपना बेटा कहता हूं। नबी-ए-करीम (स.) के कंधे पर बैठकर बच्चा उनके घर गया वहां से तैयार होकर ईदगाह में नमाज़ अदा की। जो बच्चा यतीम था उसे नबी-ए-करीम (स.) ने चन्द मिनटों में ही अपना बेटा बनाकर दुनिया का सबसे अमीर बना दिया। इसलिए ईद आये तो सभी में आप भी खुशियां बांटे, सबको खुशी दें, सही मायने में तभी आपकी ईद होगी। अल्लाह ताला सभी को रोज़ा रखने की तौफीक दे ताकि सभी की ईद हो जाये..आमीन।

  डा. मो. आरिफ

(लेखक चर्चित इतिहासकार हैं)

शनिवार, 8 अप्रैल 2023

Ramadan जरुरतमंदों बेसहारों की मदद का महीना

Ramadan Mubarak:16

रमजान अपने भीतर समेटे हुए है बहुत सारी खुशियां और खूबियां 


Varanasi (dil india live)। इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना रमजान अपने भीतर बहुत सारी खुशियां और खूबियां समेटे हुए है। मुस्लिम वर्ग इस माहे रमज़ान को परम पवित्र मानता है। मुसलमानों के अकीदे (विश्वास) के अनुसार इसी माह मुसलमानों को सबसे पवित्र किताब कुरान मिली। रमज़ान का महीना चांद के हिसाब से कभी 29 व कभी 30 दिनों का होता है। कुरान के सूरा 2 आयत 183,184 में है की हर मोमिन को इस पाक महीने में अहले सुबह से लेकर शाम तक सूरज डूबने तक कुछ भी खाने-पीने की मनाही रहती है इस माह अल्लाह रोजेदारों वह इबादतगारो की हर मुराद को अन्य दिनों की बनिस्बत जल्दी पूरी करता है। इस पवित्र माह में गुनाहों से बख्शीश मिलती है यह महीना समाज के गरीब बेसहारा जरूरतमंदों के साथ हमदर्दी का है। इस् माह रोजेदारों को बेशुमार नेयमते मिलती है, इस महीने तमाम गुनाह माफ होती है। यह महीना मुसतहक लोगों की मदद का महीना है। रमजान के ताल्लुक से हमें बेशुमार हदीसे मिलती है लेकिन क्या हम इस पर अमल करते हैं। जब अल्लाह की राह में देने की बात आती है तो हमें कंजूसी नहीं करनी चाहिए अल्लाह की राह में खर्च करना अफज़ल है। जकात, फितरा,  खैरात जरूरतमंदों की मदद करना जरूरी है। अपनी जरूरीयात को कम कर दूसरों की जरुरीयात को पूरा करना इस माहे मुबारक कि ही तालीम हैैै।माहे रमज़ान में तमाम मोमिनीन इबादतो के ज़रिये अपने गुनाहों को माफ करा कर नेकियों में शामिल हो जाता है। यह महीना बुरी बातो से बचने, नेकी के रास्ते पर चलने कि तमाम लोगो को दावत देता है, अब हमारे उपर है कि हम इस माहे मुबारक का कितना फायदा उठाते है, कितना नेकी कि बातो पर हम सब अमल करते है। मौला हर मुसलमान को नेकी कि राह दिखा…आमीन।

सै० सबील हैदर वाराणसी

    (नेशनल फुटबालर)

रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाई के लिए उलेमा मौजूद है, इन नम्बरों पर करे सम्पर्क: 9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

Ramadan Mubarak -12

Ramadan में तरावीह हर मोमिन को अदा करना ज़रुरी


Varanasi (dil india live)। मुकद्दस रमजान इबादतों और नेकी का महीना है। इस पूरे महीने जिस तरह से मोमिन को रोज़ा रखना ज़रूरी है वैसे ही उसे तरावीह की नमाज़ भी अदा करना ज़रुरी होता है। रोज़ा फर्ज़ है और तरावीह सुन्नत। इसके बावजूद तरावीह अदा करना इस्लाम में बेहद ज़रूरी करार दिया गया है, इसलिए कि तरावीह नबी-ए-करीम को बेहद पसंद थी। 

रमज़ान को इबादत का महीना माना जाता है और इस महीने की बहुत अहमियत है। इस  मुकददस महीने में मुसलमान महीने भर रोजे (व्रत) रखता है। पांच वक्त की नमाज और नमाजे-तरावीह अदा करता हैं। कुछ मस्जिदों में तरावीह 4 दिन कि तो कहीं 6 दिन तो कहीं 15 दिन में अदा की जाती है। उलेमा कहते हैं कि अगर किसी ने 4 दिन की तरावीह या 15 दिन की तरावीह मुकम्मल कर ली तो वो ये न सोचे कि तरावीह उसकी हो गई। उलेमा कहते है कि तरावीह पूरे महीने अदा करना ज़रूरी है। तरावीह चांद देखकर शुरू होती है और चांद देखकर ही खत्म होती है। तरावीह में पाक कुरान सुना जाता है। अगर किसी ने 4 दिन, 7 दिन या 15 दिन या जितने भी दिन की तरावीह मुकम्मल की हो उसे सुरे तरावीह महीने भर यानी ईद का चांद होने तक अदा करना चाहिए।

दुआएं होती है कुबुल  

रमज़ान में देश दुनिया में अमन के लिए दुआएं व तरक्की के लिए दुआएं मांगी जाती है। 

दरअसल रमजान का पाक महीना इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है। इस पाक महीने में लोग इबादत करके अपने रब का जहां शुक्रिया अदा करते हैं वहीं इस महीने में दुआएं कुबुल होती है।

क्या होती है तरावीह

 रमजान में मोमिन दिन में रोज़ा रखते हैं और रात में तरावीह की नमाज़ अदा करते है। यह नमाज़ बीस रिकात सामूहिक रुप से अदा की जाती है। इस नमाज को कम से कम 3 दिन ज्यादा से ज्यादा 30 दिन में पढ़ा जाता है जिसमें एक कुरान मुकम्मल की जाती है। खुद पैगंबर हुजूर अकरम सल्लललाहो अलैह वसल्लम ने भी नमाज तरावीह अदा फरमाई और इसे पसंद फरमाया।

     सरफराज अहमद

(युवा पत्रकार, वाराणसी)

बुधवार, 29 मार्च 2023

Ramadan Mubarak -6

पड़ोसियों के साथ बेहतर सुलूक कि दावत देता है माहे रमजान 


Varanasi (dil india live)। मुकद्दस रमज़ान में कहा गया है कि अपने पड़ोसियों के साथ अच्छा सुलूक करो, भले ही वो किसी भी दीन या मज़हब का हो। पड़ोसी अगर भूखा सो गया तो उसके जिम्मेदार तुम खुद होगे। रब कहता हैं कि 11 महीना तो बंदा अपने तरीक़े से गुज़ारता है एक महीना अगर वो मेरे बताए हुए नेकी के रास्ते पर चले तो उसकी तमाम दुश्वारियां दूर हो जाएगी। इस 1 महीने के एवज़ में रोज़ेदार पूरे साल नेकी की राह पर चलेगा।

मुकद्दस रमजान में अगर कोई तुमसे झगड़ा करने पर अमादा हो तो उसे लड़ो मत, बल्कि उससे कह दो मैं रोज़े से हूं। यानी मैं तुमसे लड़ाई झगड़ा नहीं चाहता। रमज़ान मिल्लत की दावत देता है, रमज़ान नेकी की राह दिखाता है। यही वजह है कि रमज़ान में खून-खराबा, लड़ाई झगड़ा सब मना फरमाया गया है। रमज़ान के लिए साफ कहा गया है कि यह महीना अल्लाह का महीना है। इस महीने में रोज़ेदार केवल नेकी, इबादत और मोहब्बत के रास्ते पर चलें। यही वजह है कि रमज़ान आते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है। जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं। 

इस माहे मुबारक में पांच ऐसी रात आती है जिसे ताक रात या शबे कद्र कहा जाता है। इस रात में इबादत का सवाब रब ने कई साल की इबादत से भी ज्यादा अता करता है। ऐ मेरे पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की नेअमत अता कर और सभी को रोजा रखने की तौफीक दे ताकि सभी की ईद हो जाये..आमीन।

हाजी इमरान अहमद

राइन गार्डेन, वाराणसी

रविवार, 26 मार्च 2023

यहां तो पूरा Ramadan ही रहते हैं एतेकाफ

एतेकाफ पर इबादतगुजार करते हैं देश दुनिया में अमन की दुआएं 

Varanasi (dil india live). रमजान की खास इबादतों में शामिल एतेकाफ अमूमन रमजान के आखिरी अशरे में रहा जाता है मगर नबी ने कई बार पूरा रमजान यानी 30 दिन एतेकाफ किया था। नबी कि इसी सुन्नतों पर अमल करते हुए दावते इस्लामी हिंद के मेंबर्स मस्जिद कंकडियाबीर में पूरे रमजान एतेकाफ पर बैठते हैं। इस बार भी दावते इस्लामी इंडिया के मेंबर्स एतेकाफ पर बैठ गए हैं। पूरी मस्जिद इबादतगुजारो से भरी हुई है। एक साथ इबादत,एक साथ जमात से नमाजे अदा करना व एक साथ रोज़ा इफ्तार के साथ ही देश दुनिया में अमन और शांति के लिए दुआएं करने का नजारा देखते ही बनता है। दावते इस्लामी इंडिया के डा. साजिद अत्तारी बताते हैं कि हर साल दावते इस्लामी इंडिया के लोग एक साथ पहले ही रमजान से एतेकाफ पर बैठ जाते हैं और जब ईद का चांद होता है तो एतेकाफ पूरा करके अपने घरों को लौटते हैं।

क्या है एतेकाफ:

एतेकाफ सुन्नते कैफाया है। एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत में बैठना या खुद को अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना है। 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ कर देते है। इसी इबादत का नाम एतेकाफ है। सुन्नत है एतेकाफ:

एतेकाफ सुन्नते कैफाया है यानी मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार होगा और पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। 

रमज़ान हेल्प लाइन:

अगर आपके जेहन में भी रमजान को लेकर कोई सवाल है तो फोन करें। इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी देंगे। 

इन नम्बरों पर होगी रहनुमाई

9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

अलविदा जुमा पर भी रहम नहीं

थोड़ी थोड़ी देर पर हो रही बिजली कटौती

उपमुख्यमंत्री शहर में फिर भी हुई कटौती, रोजेदारों परेशान

Varanasi (dil India live )। वरुणा पार इलाके में भीषण गर्मी और उपमुख्यमंत्री के शहर में होने के बावजूद इन दिनों नागरिक, रोजेदारों को जबरदस्त बिजली संकट झेलना पड़ा रहा है। यहां तक कि अलविदा जुमा पर भी रहम नहीं किया गया। थोड़ी थोड़ी देर पर बिजली कटौती होती रही। ऐसा लगता है कि विद्युत विभाग पूरी तरह से मस्त है उनको जनता की समस्या से कोई लेना देना नहीं है।

विद्युत समस्या का जिक्र करते हुए महानगर कांग्रेस उपाध्यक्ष फसाहत हुसैन बाबू, कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेंहदी कब्बन, क्षेत्रीय पार्षद वो अर्दली बाजार व्यापार मंडल के अध्यक्ष विनय शादेजा  ने संयुक्त रूप से कहा कि इन दिनों इन इलाकों में सुबह से लेकर शाम तक अनगिनत बिजली काटी जा रही है। 

हद तो तब हो गई दिन भर तो अनगिनत बिजली काट दी जाती है लेकिन शाम को रोजा खोलने के समय लगभग 5:30 से 6:30 के बीच बिजली कटना निश्चित है। जब इस संबंध में जे इ अंबिका यादव से फोन कर वार्ता की गई तो उनका कहना था कि अभी बहुत व्यस्त है और फोन काट दिया। उक्त नेताओं ने कहा कि रोजा खोलने के समय बिजली जानबूझकर काटी जा रही है क्योंकि प्रतिदिन रोजा खोलने का समय बिजली अवश्य कटती है तो क्या यह समय लोकल फाल्ट के लिए निर्धारित है।

उक्त नेताओं ने अविलंब विद्युत विभाग के एमडी से विद्युत कटौती की रोक लगाने की मांग की है विशेषकर सुबह सहरी और शाम को रोजा खोलने के समय विद्युत कटौती पर रोक लगाई जाए। उक्त नेताओं ने कहा कि दिनभर उमस भरी गर्मी धूप की वजह से शाम को ही लोग खरीदारी करने निकलते हैं और उसी समय बिजली काट दी जाती है जिससे व्यापारियों का धंधा भी चौपट हो रहा है। आज उपमुख्यमंत्री सर्किट हाउस में थे इसके बावजूद लगातार बिजली कटौती होती रही।

अलविदा जुमा: रब को लाखों नमाज़ियों ने किया सिजदा

दुआ: ऐ अल्लाह, हिन्दुस्तान में अमन और तरक्की दे...आमीन 

-इमाम साहेबान की अपील: गरीबों को सदका-ए-फित्र व ज़कात जल्द करें अदा



Varanasi  (dil India live )।  ऐ अल्लाह तू अपने हबीब के सदक़े में इस मुल्क में अमन और तरक्की दे, जो लोग परेशानहाल हैं उनकी परेशानी दूर कर, जो बेरोज़गार हैं उन्हें रोज़गार दे, जो बेऔलाद हैं उन्हें औलाद दे, जिसने रमज़ान में रोज़ा रखा इबादत की उसे कुबुल कर जो नहीं रख सकें उन्हें हिदायत दे, की वो आगे अपनी जिंदगी इबादत में गुजारे। अलविदा जुमे को नमाज़ के बाद मस्जिद ईदगाह लाटशाही में जब इमाम हाफिज़ हबीबुर्रहमान ने कुछ ऐसी ही दुआएं की तो तमाम लोग...आमीन, कह उठें। इस दौरान इमाम साहब ने कहा कि रब के बताए हुए रास्ते पर चल कर ही हमें कामयाबी मिल सकती है। जो रास्ता नबी ने दिखाया वहीं रास्ता अमन, इल्म, इंसानियत और मोहब्बत का रास्ता है। जो इस रास्ते पर चलेगा वही दीन और दुनिया दोनों में कामयाब होगा। इस दौरान शहर भर की तमाम मस्जिदों में अलविदा नमाज़ पर खुतबा पढ़ा गया, अलविदा, अलविदा माहे रमज़ा अलविदा, तेरे आने से दिल खुश हुआ था, तेरे जाने से दिल रो रहा है अलविदा, अलविदा माहे रमज़ा अलविदा...। इस दौरान मस्जिद कम्मू खां डिठोरी महाल में मौलाना शम्सुद्दीन साहब, मस्जिद मुग़लिया बादशाह में मौलाना हाफिज़ हसीन अहमद हबीबी, मस्जिद लंगड़े हाफिज़ में मौलाना ज़कीउल्लाह असदुल क़ादरी, मस्जिद शक्कर तालाब में मौलाना मोइनुद्दीन अहमद फारुकी प्यारे मियां, मस्जिद बुलाकी शहीद अस्सी में मौलाना मुजीब, मस्जिद खाकी शाह में मौलाना मुनीर, मस्जिद उस्मानिया में मौलाना हारुन रशीद नक्शबंदी व मस्जिद वरुणापुल में मौलाना अहमद नस्र ने नमाज़ अदा करायी। ऐसे ही बनारस की तकरीबन पांच सौ मस्जिदों में अकीदत के साथ नमाज़े अलविदा अदा की गयी। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिली। 

अल्लाह का शुक्र किया अदा

इस्लाम धर्म के लोगों ने इस दिन अल्लाह की इबादत के साथ इस बात का शुक्र अदा किया कि उन्हें माह-ए-रमजान में रोजा रखने, तरावीह पढ़ने और अल्लाह की इबादत करने का रब ने मौका दिया। अब पता नहीं अगली बार यह मौका मिलेगा या नहीं।

जकात, फितरा देने में करें जल्दी

इस दौरान मस्जिदों से इमाम साहेबान ने रोजेदारों से अपील किया कि पिछला, ज़कात देने में जल्दी करें ताकि गरीबों की भी ईद हो जाते।

बुधवार, 27 अप्रैल 2022

कुरान की आयते फिजा में होती रही बुलंद

शबे कद्र पर मोमिनीन ने अदा कि नफ्ल नमाजे

 वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमजान का चौबीसवां रोजा पूरा करके इबादतगुजारों ने 25 वीं रमजान की तीसरी शबे कद्र पर जागकर इबादत किया और सहरी खाकर पचीसवां रोजा रखा। वहीं घरों और मस्जिदों में हाथों में तस्बीह और लब पर रब का नाम लेते इबादतगुजार दिखाई दिये। इस दौरान तमाम इबादतगुजारो ने खूब नफ्ल नमाजे अदा की, कई जगहो पर रोजा इफ्तार दावत का भी आयोजन किया गया, उस्ताद हाफिज नसीम अहमद बशीरी की सरपरस्ती में शबीने का भी शहर में कई जगहों पर एहतमाम किया गया। इसमें कई मस्जिदो, मदरसो दरगाहो में खास इंतेजाम किया गया था। जहां शबीना सुनने लोगों का हुजुम जुटा हुआ था। देर रात तक इबादतों का दौर जारी रहा जो सहरी में पूरा हुआ। इस दौरान घरों से पाक कुरान की आयते फिजा में बुलंद हो रही थी। लोगो ने सहरी करके रोजा रखा। रोज़ेदार आज शाम अज़ान की सदाएं सुनकर रोज़ा इफ्तार करेंगे।

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

रोज़ा इफ्तार दावत में अमन की दुआएं



वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। सिगरा के गुलाब बाग में इफ्तेखार अहमद के यहा सामूहिक रोजा इफ्तार दावत का एहतराम नूरानी माहौल में हुआ। इस दौरान मस्जिदों से जैसे ही अज़ान की सदाएं... अल्लाह हो अकबर, अल्लाह, फिजा में बुलंद हुई तमाम रोजेदारों ने खजूर और पानी से रोज़ा इफ्तार शुरू किया। इस दौरान कई लज़ीज़ इफ्तारी दस्तरखान पर सजाया गया जिसका रोजेदारों ने लुत्फ उठाया। रोज़ा इफ्तार में मुल्क में अमन, मिल्लत व देश की तरक्की की दुआएं मांगी गई।

 इस मौके पर आफताब अहमद,  हाजी बदरूद्दीन, जकी अहमद, इरफान अहमद, इब्राहिम खान, डॉक्टर जुबेर, डॉक्टर बख्तियार, बबलू चुनरी, अरशद मेराज, इरशाद खान, रियाज अहमद, युवा व्यासाई तिरंगी तस्बीह वालें अल्तमश अहमद अंसारी आदि सैकड़ों लोग मौजूद थे। रोज़ा इफ्तार के बाद नमाज भी वहां जमात से अदा की गई।

शनिवार, 23 अप्रैल 2022

पैग़ामे रमज़ान : पड़ोसी अगर भूखा सोया तो जिम्मेदारी आपकी

कोई तुमसे झगड़ा करे तो उससे कह दो मैं रोज़े से हूं

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। मुकद्दस रमज़ान में कहा गया है कि अपने पड़ोसियों के साथ अच्छा सुलूक करो, भले ही वो किसी भी दीन या मज़हब का हो। पड़ोसी अगर भूखा सो गया तो उसके जिम्मेदार तुम खुद होगे। रब कहता हैं कि 11 महीना तो बंदा अपने तरीक़े से गुज़ारता है एक महीना अगर वो मेरे बताए हुए नेकी के रास्ते पर चले तो उसकी तमाम दुश्वारियां दूर हो जाएगी। इस 1 महीने के एवज़ में रोज़ेदार पूरे साल नेकी की राह पर चलेगा।

 मुकद्दस रमजान में अगर कोई तुमसे झगड़ा करने पर अमादा हो तो उसे लड़ो मत, बल्कि उससे कह दो मैं रोज़े से हूं। यानी मैं तुमसे लड़ाई झगड़ा नहीं चाहता। रमज़ान मिल्लत की दावत देता है, रमज़ान नेकी की राह दिखाता है। यही वजह है कि रमज़ान में खून-खराबा, लड़ाई झगड़ा सब मना फरमाया गया है। रमज़ान के लिए साफ कहा गया है कि यह महीना अल्लाह का महीना है। इस महीने में रोज़ेदार केवल नेकी, इबादत और मोहब्बत के रास्ते पर चलें। यही वजह है कि रमज़ान आते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है। जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं। 

इस माहे मुबारक में पांच ऐसी रात आती है जिसे ताक रात या शबे कद्र कहा जाता है। इस रात में इबादत का सवाब रब ने कई साल की इबादत से भी ज्यादा अता करता है। ऐ मेरे पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की नेअमत अता कर और सभी को रोजा रखने की तौफीक दे ताकि सभी की ईद हो जाये..आमीन।

हाजी इमरान अहमद

राइन गार्डेन, वाराणसी 

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

मस्जिदों में एतेकाफ पर बैठे इबादतगुजार

शुरू हो गया रमजान का तीसरा अशरा 


 वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमजान का तीसरा अशरा शुक्रवार को मगरिब की नमाज के बाद शुरू हो गया। इस अशरे को जहन्नुम की आग से निजात दिलाने वाला कहा जाता है। इस अशरे में की गई इबादत के बदले अल्लाह अपने बंदों के गुनाहों को माफ कर उन्हें जहन्नुम की आग से निजात दे देता है। इसी अशरे की कोई एक रात शबे कद्र होती है। इस लिए लोग रात-रात भर जाग कर इबादत करते हैं। बताते हैं कि शबे कद्र में इबादत का सवाब एक हजार रातों की इबादत के बाराबर होता है। इस रात में मांगी गई दुआओं को अल्लाह कुबूल फरमाता है।

एतेकाफ पर बैठे इबादतगुजार 

 जुमे की शाम मस्जिदों में असर की नमाज के वक्त एतेकाफ में बैठने का सिलसिला शुरू हो गया। वैसे तो रमजान का पूरा महीना ही इबादत के लिए महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इसके आखिर के 10 दिन सबसे रहमत वाले होते हैं। रमजान के आखिरी अशरे में मस्जिद में एतेकाफ करना सुन्नत है। एतेकाफ पर बैठने वाले अब ईद का चांद देखने के बाद ही मस्जिद से अपने घर को लौटेंगे है। हदीस के मुताबिक एतेकाफ में बैठकर इबादत करने वाले लोगों के अल्लाह सभी गुनाह माफ कर देता है। एतेकाफ सुनने केफाया है, अगर मोहल्ले का एक शख्स भी एतेकाफ करले तो सभी के लिए यह रहमतवाला होता है। सभी बरी हो जाते हैं, अगर कोई नहीं बैठा तो पूरा मुहलला गुनाहगार होगा।

गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

पैगामे रमज़ान

रब को याद करने, दुनिया को भुलाने का नाम रमज़ान

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। हिजरी साल के 12 महीने में रमजान 9 वा महीना है। यह महीना मुसलमानों के लिए ख़ास मायने रखता है। इसलिए भी कि इस महीने को रब ने अपना महीना कहा है, इस महीने को संयम और समर्पण का महीना कहा जाता है।इस्लाम के मुताबिक रमज़ान को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला 10 दिन का अशरा रहमत का होता है इसमें रोज़ा नमाज़ इबादत करने वाले बन्दों पर अल्लाह अपनी रहमत अता करता है। दूसरा अशरा मगफिरत का होता है इसमें बन्दे कि गुनाहों को रब माफ कर देता है रमज़ान में रब से माफ़ी मांगने, तोबा करने कि तमाम लोग खूब कसरत करते है, तो अल्लाह उसे जल्दी माफ़ कर देता है। तीसरा अशरा जहन्नुम से आज़ादी का है, यानी जिसने रमज़ान का 30 रोज़ा मुक्म्मल किया रब उसे जहन्नुम से आज़ाद कर देता है। इसलिए सभी मोमिनीन को रमज़ान को मुक्म्मल इबादत में गुज़ारना चाहिए।

माहे रमज़ान में अल्लाह का हर नेक बंदा  रूह को पाक  करने के साथ अपनी दुनियावी हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में ही समर्पित हो जाता है। रमजान में खुदा की इबादत बहुत असरदार होती है। इसमें सुुुुबह सहर से शाम मगरिब कि अज़ान होने तक रोज़ेदार खानपान सहित सभी ख्वाहिशाते दुनिया को भुला कर खुद पर न सिर्फ संयम रखता है, बल्कि तमाम बुराईयो से माफी-तलाफी भी करता है इसे अरबी में सोंम कहा जाता है।

यूं तो रब की इबादत जितनी भी कि जाये कम है मगर रमजान में खुदा की इबादत मोमिनीन और तेज़ कर देता है, क्यो कि रमज़ान के दिनों में इबादत का खास महत्व है। यही वजह है कि इस माहे मुबारक में रोज़ेदार जकात देता है, जकात का अपना महत्व है, जकात अपनी कमाई में से ढाई प्रतिशत गरीबों में बांटने को कहते है,  जकात ‌देने से खुदा बन्दे ‌के कारोबार और माल में बरकत के साथ ही उसकी हिफाज़त भी करता है, इस्लाम में नमाज़, रोज़ा, हज समेत पांच फराईज़ है। माहे रमज़ान न सिर्फ  रहमतों, बरकतो की बारिश का महीना हैं, बल्कि समूचे मानव जाति को इंसानियत, भाईचारा, प्रेम, मोहब्बत और अमन-चैन का भी पैगाम देता है। नमाज़ के बाद रमज़ान मुसलमानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। ऐ पाक परवरदिगार तमाम आलम के लोगों को रमज़ान की नेकियों से माला माल कर दे...आमीन।

मो. शाहिद खान

सामाजिक कार्यकर्ता, नदेसर, वाराणसी


सोमवार, 18 अप्रैल 2022

खजूर सेहत भी और सुन्नत भी


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान महीने का एक और सुन्नतों भरा तोहफा खुदा ने हमें सहरी के रूप में अता किया है। रोज़े में सहरी का बड़ा सवाब है। सहरी उस गिज़ा को कहते हैं जो सुब्ह सादिक से पहले रोज़ेदार खाता है। सैय्यदना अनस बिन मालिक फरमाते हैं कि ‘‘नबी-ए-करीम (स.) सहरी के वक्त मुझसे फरमाते कि मेरा रोज़ा रखने का इरादा है मुझे कुछ खिलाओ। मैं कुछ खजूरें और एक बर्तन में पानी पेश करता।’ इससे पता यह चला कि सहरी करना बज़ाते खुद सुन्नत है और खजूर व पानी से सहरी करना दूसरी सुन्नत है। नबी ने यहां तक फरमाया कि खजूर बेहतरीन सहरी है। नबी-ए-करीम (स.) इस महीने में सहाबियों को सहरी खाने के लिए खुद आवाज़ देते थे। अल्लाह और उसके रसूल से हमें यही दर्स मिलता है कि सहरी हमारे लिए एक अज़ीम नेमत है। इससे बेशुमार जिस्मानी और रुहानी फायदा हासिल होता है। इसलिए ही इसे मुबारक नाश्ता कहा जाता है। किसी को यह गलतफहमी न हो कि सहरी रोज़े के लिए शर्त है। ऐसा नहीं है सहरी के बिना भी रोज़ा हो सकता है मगर जानबूझ कर सहरी न करना मुनासिब नहीं है क्यों कि इससे रोज़ेदार एक अज़ीम सुन्नत से महरूम हो जायेगा। यह भी याद रहे कि सहरी में खूब डटकर खाना भी जरूरी नहीं है। कुछ खजूर और पानी ही अगर बानियते सहरी इस्तेमाल कर लें तो भी काफी है।

 रमज़ान वो मुकदद्स महीना है जो लोगों को यह सीख देता है कि जैसे तुमने एक महीना अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया सुन्नतों और नफ़्ल पर ग़्ाौर किया, उस पर अमल करते रहे वैसे ही बचे पूरे साल नेकी और पाकीज़गी जारी रखो। नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया ‘‘तीन चीज़ों को अल्लाह रब्बुल इज्ज़त महबूब रखता है। एक इफ्तार में जल्दी, सहरी में ताखीर और नमाज़ के कि़याम में हाथ पर हाथ रखना।’ नबी फरमाते हैं कि इस पाक महीने को जिसने अपना लिया, जो अल्लाह के बताये हुए तरीकों व नबी की सुन्नतों पर चल कर इस महीने में इबादत करेगा उसे जन्नत में खुदावंद करीम आला मुक़ाम अता करेगा। यह महीना नेकी का महीना है। इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़ेदार की सेहत दुरुस्त हो जाती है। रोज़ेदार अपनी नफ्स पर कंट्रोल करके बुरे कामों से बचा रहता है। ये महीना नेकी और मोहब्बत का महीना है। इस पाक महीने में जितनी भी इबादत की जाये वो कम है क्यों कि इसका सवाब 70 गुना तक अल्लाहतआला बढ़ा देता है, इसलिए कि रब ने इस महीने को अपना महीना कहा है। ऐ पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की इबादत, नबी की सुन्नतों पर चलने की व रोज़ा रखने की तौफीक अता फरमा..आमीन।

कई जगहों पर तरावीह मुकम्मल



वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मस्जिद सम्मन खां गौरीगंज में तरावीह की नमाज़ हाफिज़ अमजद ने मुकम्मल करायी। इस दौरान जैसे ही तरावीह पूरी हुई तमाम लोगों ने उन्हें फूल-मालाओं से लाद दिया। आखिर में मौजूद लोगों ने नबी पर सलाम पेश किया। इसके बाद रोज़ेदार तबर्रुक लेकर अपने घरों को लौटें। ऐसे ही उल्फत कम्पाउंड में सैयद तसलीमुद्दीन की सरपरस्ती व जमाल आरिफ के संयोजन में 15 दिनी तरावीह हाफिज़ तैहसीन रज़ा ‘ग़ालिब’ ने मुकम्मल करायी। यहां तरावीह होने पर मौलाना अज़हरुल क़ादरी ने फातेहा व दुआख्वानी का एहतमाम किया। मो.ज़ैद, इब्तेसाम अख्तर, इसार अख्तर, इस्माईल रज़ा आदि ने हाफिज़ ग़ालिब का ज़ोरदार खैरमक़दम किया। इस मौके पर हाफिज ग़ालिब ने कहा कि अल्लाह के रसूल (स.) ने फरमाया कि इस माहे मुबारक में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इस महीने में दस दस दिन के तीन अशरे होते हैं। पहला अशरा खत्म हो चुका है और दूसरा अशरा भी खत्म होने में 4 दिन बाकी हैं। यानी रमज़ान का आधा सफर मुकम्मल हो गया है। इस अशरे मगफिरत में रब रोज़ेदारों की दुआएं कुबुल करता है और उनके गुनाहों से तौबा करने पर रब उन्हें माफ कर देता हैं। इसी क्रम में दालमंडी की मस्जिद मिर्जा बिस्मिल्लाह में तरावीह मुकम्मल हुई। इस मुकद्दस मौके पर अकीदतमंदों ने मुल्क में अमन चैन की दुआ रब की बारगाह में करते हुए अपनी अपनी जायज तमन्नाओ की तलब रब से किया और तमाम आलमीन की खैर अल्लाह रब्बुल आलमीन से मांगी। तरावीह मुकम्मल होने के बाद नामाजियों ने एक दूसरे से मुसाफा करके उन्हें बधाई दी और हाफिज शोएब नोमानी को फूल मालाओं से लाद दिया। साथ ही सभी नमाजियो में बतौर तबर्रुख मिठाई तकसीम की गई।

शनिवार, 16 अप्रैल 2022

खजूर, किशमिश, मुनक्के पर भी निकाल सकते हैं फितरा

ईद की नमाज़ के पहले अदा कर दें सदका-ए-फित्र



वाराणसी 16 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान में फितरा कितना निकाला जाना चाहिए है? यह सवाल नसीम ने दालमंडी से किया। जवाब में उलेमा ने कहा कि 2 किलो 45 ग्राम वो गेंहू जिस क्वालिटी का मोमिनीन खाने में इस्तेमाल करते है उस के हिसाब से एक आदमी को अपना फितरा निकालना है। इसका खास ध्यान रखने की ज़रुरत है कि हम किस क्वालिटी का गेंहू खाते हैं। मसलन आप अगर 20 रुपये किलों का गेंहू खाते हैं तो यह रकम तकरीबन 45 रुपये आती है। शब्बीर ने रामनगर से फोन किया कि गेंहू के अलावा और भी कुछ निकाला जा सकता है? इस पर उलेमा ने कहा कि जो अमीर है वो जौ, खजूर, किशमिश व मुनक्का जिस क्वालिटी का खाते हैं उस पर भी फितरा दें तो ज्यादा अफज़ल होगा। क्यों कि गेंहू सबसे सस्ता है, जो लोग केवल गेहूं पर डिपेंड है उनके लिए तो ठीक है मगर जो अमीर है, जौ, खजूर, किशमिश व मुनक्का भी लगातार इस्तेमाल करते हैं उन्हें चाहिए कि इसमें से किसी एक के बराबर फितरा निकाल कर गरीब को ईद की नमाज़ के पहले अदा कर दें। रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर उलेमा करेंगे आपकी रहनुमाई
रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाईके लिए उलेमा मौजूद हैं। मोबाइल नम्बर-: 9415996307, 9450349400, 9026118428,  9554107483

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

सौहार्द की मिसाल है रमज़ान का रोज़ा

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मुकद्दस रमज़ान का महीना हिन्दू-मुस्लिम एकता और सौहार्द की मिसाल है। रमजान के रोज़े के बहाने एक दस्तरखान पर दोनों कौम के लोग एक-दूसरे के नज़दीक आते हैंमुस्लिम कल्चर और तहज़ीब में वो टोपीकुर्ता पहन कर इस तरह से घुल मिल जाते हैं कि उनमें यह पहचान करना मुश्किल हो जाता है कि कौन मुस्लिम है या कौन हिन्दू। यही नहीं बहुत से ऐसे हिन्दू हैं जो रोज़ा रखते हैंबहुत से ऐसे गैर मुस्लिम है जो रोज़ा रखने के साथ ही साथ मुस्लिम भाईयों को रोज़ा इफ्तार की दावत देते हैं। ये सिलसिला रमज़ान के बाद बंद नहीं होता बल्कि ये पूरे साल किसी न किसी रूप में जारी रहता हैचाहे वो ईद हो बकरीद होदशहरादीपावली व होली आदिइन त्योहारों को तमाम लोग एक साथ मनाते हैं। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे तौफीक देता है। आखिर क्या वजह है कि रमज़ान में ही इतनी इबादत की जाती हैदरअसल इस महीने को अल्लाह ने अपना महीना करार दिया हैरब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। यही वजह है कि एतेकाफ से लेकर तमाम इबादतों में सोने को भी रब ने इबादत में शामिल किया है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलमतू अपने हबीब के सदके में हम सब मुसलमानों को रोज़ा रखनेदीगर इबादत करनेऔर हक की जिंदगी जीने की तौफीक दे और हम सबकी हर नेक तमन्ना व जायज़ ख्वाहिशात को पूरा कर दे..आमीन।

         जुबैर अहमद

(सामाजिक कार्यकर्ता वह सपा नेता हैं)

बुधवार, 13 अप्रैल 2022

रोज़ा इफ्तार में जुटे लोग, अदा की गई नमाजे

मगफिरत का दूसरा आशरा शुरू

वाराणसी १३ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। रमजान का दूसरा अशरा आज शुरू हो गया। इस दौरान तमाम रोजेदारों ने अज़ान की सदाओं पर ११ वा रोज़ा खोला। इस दौरान मुल्क में अमन और मिल्लत की दुआंए मांगी।

उधर वक़्फ़ मस्जिद व क़ब्रिस्तान ख़ास मौलाना मीर इमाम अली, पितरकुंडा में रोज़ा आफ़तार व मजलिसे ईसाले सवाब का आयोजन किया गया। यह आयोजन बनारस के पहले मुबल्लिग़, फ़िरक़ा ए जाफ़री के मोतब्बहिर, बनारस के पहले इमामे जुमा, ईमानिया अरबी कालेज के पहले प्रिंसिपल मौलाना सैयद इमदाद अली की याद में किया जाता हैं। इस दौरान जैसे ही आज़ान कि सदाएं बुलंद हुई तमाम लोगों ने नमाज अदा की। इसके बाद लज़ीज़ इफ्तार का लुत्फ उठाया। आयोजन में तमाम शख्सीयत शामिल हुई। अंत में शुक्रिया मुनाज़िर हुसैन मंजू ने कहा।

इस तरह समझे रमज़ान की खूबियां

रमज़ान का पैग़ाम: इबादत की कसरत होती है इस महीने


वाराणसी 13 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान की नेमतों और रहमतों का क्या कहना। रमज़ान तमाम अच्छाइयां अपने अंदर समेटे है। रमज़ान का रोज़ा रोज़ेदारों के लिए रहमत व बरकत का सबब बनकर आता है। इसमें तमाम परेशानियां और दुश्वारियां बंदे की दूर हो जाती हैं। नेकी का रास्ता ऐसे खुला रहता है कि फर्ज़ और सुन्नत के अलावा नफ्ल इबादत और मुस्तहब इबादतों की भी बंदा कसरत करता है। रोज़ा कितनी तरह का होता है इसे कम ही लोग जानते हैं। तो रमज़ान के रोज़े को तीन तरह से समझे। मसलन पहला, आम आदमी का रोज़ा: जो खाने पीने और जीमाह से रोकता है। दूसरा खास लोगों का रोज़ा: इसमें खाने पीने और जीमाह के अलावा अज़ा को गुनाहों से रोज़ेदार बचाकर रखता है, मसलन हाथ, पैर, कान, आंख वगैरह से जो गुनाह हो सकते हैं, उनसे बचकर रोज़ेदार रहता है। तीसरा रोज़ा खवासुल ख्वास का होता है जिसे खास में से खास भी कहते हैं। वो रोज़े के दिन जिक्र किये हुए उमूर पर कारबन भी रहते हैं और हकीकतन दुनिया से अपने आपको बिलकुल जुदा करके सिर्फ और सिर्फ रब की ओर मुतवज्जाह रखते हैं। रमज़ान की यह भी खसियत है कि जब दूसरा अशरा पूरा होने वाला रहता है तो, 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ करते है। जिसका नाम एतेकाफ है। एतेकाफ सुन्नते कैफाया है यानि मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार। पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। रमज़ान में एतेकाफ रखना जरूरी। एतेकाफ नबी की सुन्नतों में से एक है। एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना। हदीस और कुरान में है कि एतेकाफ अल्लाह रब्बुल इज्ज़त को राज़ी करने के लिए रोज़ेदार बैठते है। एतेकाफ सुन्नते रसूल है। हदीस व कुरान में है कि हजरत मोहम्मद रसूल (स.) ने कहा कि एतेकाफ खुदा की इबादत में रोज़ेदार को मुन्हमिक कर देता है और बंदा तमाम दुनियावी ख्वाहिशात से किनारा कर बस अल्लाह और उसकी इबादतों में मशगूल रहता है। इसलिए जिन्दगी में एक बार सभी को एतेकाफ पर बैठना चाहिए। या अल्लाह ते अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने और दीगर इबादतों को पूरा करने की तौफीक दे।..आमीन।

             डा. साजिद अत्तारी

(वरिष्ठ दंत चिकित्सक, बड़ी बाजार वाराणसी)


मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

जानिए रमज़ान में कैसा है मुस्लिम इलाकों का नज़ारा

रोज़ा इफ्तार में फल और शर्बत पर रहा ज़ोर



वाराणसी 12अप्रैल (दिल इंडिया लाइव) मंगलवार को शाम में इफ्तार के दस्तरखान पर  लज़ीज़ इफ्तारी के साथ ही भीषण गर्मी से निजात दिलाने और गला तर करने के लिए फलों और शर्बत पर लोगों का ज्यादा ज़ोर रहा। 

परम्परागत इफ्तारी चने की घुघनी, पकौड़ी के अलावा अलग-अलग घरों में तरह-तरह की इफ्तारियां सजायी गयी थी। भीषण गर्मी से निजात के लिए खरबूजा, तरबूज, रुह आफ्ज़ा, नीबू का शर्बत आदि का भी लोगों ने लुत्फ लिया। रोज़ेदारों ने इन इफ्तारियों का लुत्फ लेने के बाद नमाज़े मगरिब अदा की। इस दौरान रब की बारगाह में सभी ने हाथ फैलाकर दुआएं मांगी। शहर के दालमंडी, नईसड़क, मदनपुरा, रेवड़ीतालाब, गौरीगंज, शिवाला, बजरडीहा, कश्मीरीगंज, कोयला बाज़ार, पठानी टोला, चौहट्टा लाल खां, जलालीपुरा, सरैया, पीलीकोठी, कच्चीबाग, बड़ी बाज़ार, अर्दलीबाज़ार, पक्कीबाज़ार, रसूलपुरा, नदेसर, लल्लापुरा आदि इलाकों में रमज़ान की खास चहल पहल दिखाई दी। इस दौरान मुस्लिम इलाकों में असर की नमाज़ के बाद और मगरिब के बाद लोग खरीदारी करने उमड़े हुए थे।

रहमत का अशरा पूरा, मगफिरत का अशरा शुरू

 मस्ज़िद से जैसे ही अज़ान कि सदाएं, अल्लाह हो, अकबर, अल्लाहो अकबर...फिज़ा में गूंजी। रोज़दारों ने खजूर और पानी से रमज़ान का 10 वां रोज़ा खोला। इसी के साथ रमज़ान का पहला अशरा रहमत का पूरा हो गया। बुधवार को रोज़ेदार सहरी करके ग्यारहवां रोज़ा रखेंगे और शाम में रमज़ान के दूसरे अशरे मगफिरत का पहला रोजा मुकम्मल करेंगे।  


सोमवार, 11 अप्रैल 2022

रोज़ा न रखने वाले भी खुलेआम खाने पीने के रमज़ान में हक़दार नहीं

 रमज़ान हेल्प लाइन में आए दिलचस्प सवाल


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। शरीयत ने जिन 
लोगों को रोजा न रखने की इजाजत दी है या जो बेरोज़ेदार हैं क्या वो खुलेआम  सबके सामनेे खा पी सकते है ? यह सवाल रेवड़ीतालाब से शमीम ने रमज़ान हेल्पलाइन में किया तो जवाब में उलेेमा ने कहा कि बेरोज़ेदार को भी खुलेआम खाने पीने की इजाज़त शरीयत में नहीं दी गयी है। चाहे उसे शरीयत रोज़ा न रखने की छुट देता हो या न देता हो। रमज़ान अली ने सवाल किया, रमजान के रोजे की नीयत किस तरह से की जाती है। इस पर उलेमा ने जवाब दिया, नीयत दिल के इरादे  का नाम है मगर जुबान से कह लेना अफज़ल है अगर रात में नीयत करें तो यूं कहे "नवैतु अन असू म गदन लिल्लाहि तआला मिन फ रजि रमजान"  और दिन में नीयत करें तो यूं कहे "नवैतु अन असू म हाजल यौम लिल्लाहि तआला मिन फरजिरमाजना"।

रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर होगी रहनुमाई

9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...