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रविवार, 29 जनवरी 2023

Aazad park में 150 यूनिट महा रक्तदान

रक्तदान में दिखाया उत्साह







Varanasi। सामाजिक संस्था जमीअतुल अंसार, मानव रक्त फाउंडेशन, डॉक्टर ज़ेड ए अंसारी मेमोरियल फांउंडेशन, मरियम फाउंडेशन, सर सैयद सोसाइटी एवं सुल्तान क्लब की ओर से जश्न जम्हूरिया सप्ताह' के उपलक्ष में मेगा रक्तदान शिविर का आयोजन पीलीकोठी स्थित आज़ाद पार्क में किया गया।, शिविर में सभी ने उत्साह दिखाया और 150 यूनिट से अधिक रक्तदान किया। मुफ्ति-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी की अध्यक्षता में आयोजित रक्तदान शिविर में मुख्य अतिथि संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोसेसर विश्वंभर नाथ मिश्र ने आयोजक संस्थाओं के प्रयास की सराहना की। कहा कि यह पहला अवसर है जब मुस्लिम बहुल क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में रक्तदाताओं ने स्वेच्छा से रक्तदान के साथ समाज को जागरूक करने का बेहतरीन प्रयास किया है। शिविर में ऐसे लोग भी थे जो 100 से अधिक बार रक्तदान कर चुके थे। इस मौके पर कई रक्तदान योद्धाओं को अतिथियों द्वारा सम्मानित भी किया गया। 

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि गुरुद्वारा नीचीबाग के मुख्य ग्रंथी धर्मवीर सिंह, मैत्री भवन के निदेशक फादर फिलिप डेनिस ने रक्तदाताओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उत्साहवर्धन किया। जमीअतुल अंसार के महासचिव इशरत उस्मानी ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद दिया तथा आयोजकों द्वारा मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथियों को प्रशस्ति पत्र, शॉल तथा माल्यार्पण कर उन्हें सम्मानित किया। कार्यक्रम के आयोजन में जमीअतुल अंसार के डॉक्टर रियाज़ अहमद, मानव रक्त फाउंडेशन के एडवोकेट अबू हाशिम, एडवोकेट अब्दुल्लाह खालिद, डॉक्टर ज़ेड ए अंसारी, मेमोरियल फाउंडेशन के डॉक्टर मोहम्मद नासिर अंसारी, मरियम फाउंडेशन के मोहम्मद शाहिद, सर सैयद सोसाइटी के हाजी इश्तियाक़ अहमद, सुल्तान क्लब के डॉक्टर एहतेशामुल हक़ व जावेद अख्तर, ह्यूमन सर्विसेस फाउंडेशन के डॉक्टर अर्सलान अहमद अंसारी, दी मॉडर्न पब्लिक स्कूल के अबुल वफा अंसारी, अब्दुल्लाह अंसारी, हाजी आफताब आलम, शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता फरमान हैदर, हाजी अब्दुल वहीद, अख़्लाक अहमद, अब्दुल मुग़नी, मुफ़्ती ज़ियाउल इस्लाम कासमी, मौलाना अब्दुल आख़िर नोमानी, मुफ़्ती तनवीर अहमद कासमी, हाजी फ़हीम अहमद, हाजी मोहम्मद स्वालेह, मौलाना आरिफ़ अख़्तर कासमी, जुल्फ़िकार अहमद इब्राहीमी, फैयाज़ अहमद, डॉक्टर एहतेशामुल हक, अफ़जाल अहमद पार्षद, हाजी वकास अंसारी पार्षद, तुफैल अहमद अंसारी पार्षद, रमज़ान अली अंसारी पार्षद, जमाल अहमद एडवोकेट पार्षद, हाजी खुर्शीद आलम, अख़्लाक अहमद, इरफ़ान अहमद, इरशाद अहमद , उबैदुर्रहमान, असलम ख़लीफा, अबू सुफ़ियान, आरिफ़ जमाल, मोहम्मद तल्हा, अबुल कलाम, हाजी अब्दुल कय्यूम, हाजी सैयद हसन, मुस्लिम जावेद अख़्तर, एच एस नन्हे, शमीम रियाज़, मौलाना अब्दुल्लाह, अब्दुर्रहमान, महबूब आलम, शकील अंसारी, मुहम्मद जीशान, जलालुद्दीन, बिस्मिल्लाह अंसारी, जुल्फ़िकार अली आदि उपस्थित रहे।

बुधवार, 7 सितंबर 2022

redcross socity ने किया रक्तदान शिविर का आयोजन


Ghazipur (dil india live). रेडक्रास सोसायटी गाजीपुर के तत्वावधान में रक्त दान शिविर का आयोजन बुधवार को किया गया। शिविर का उद्घाटन मेडिकल कॉलेज प्रधानाचार्य आनंद मिश्रा तथा बेसिक शिक्षा अधिकारी व जिला चिकित्सालय के सी एम एस, रेडक्रास सोसायटी के कोषाध्यक्ष सरदार दर्शन सिंह ने किया। इस अवसर पर विजया शंकर वर्मा, शमीम अब्बासी, अशोक अग्रहरि, नवीन जायसवाल, उमेश श्रीवास्तव, विरेन्द्र सिंह, गोपाल, संजय यादव, रमेश यादव आदि पदाधिकारी गण उपस्थित थे।

सर्व प्रथम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने फीता काट कार रक्तदान शिविर का उद्घाटन किया। उसके बाद रक्तदान करने वालो में संजय वर्मा सभासद, व मनोज वर्मा ने सर्व प्रथम रक्तदान किया। उसके बाद बी एस ऐ महोदय ने अपने कर्मचारियों के साथ रक्तदान किया । कार्य क्रम 3बजे कार्य क्रम में डॉ 0 पार्थ शारिथी गुप्ता, अच्छे लाल कुशवाहा और ब्लड बैंक प्रमुख साकेत का कैम्प में सभी ने सराहना की।

बुधवार, 22 सितंबर 2021

काशी में नारी शक्ति की मिसाल बन चुकी हैं यह महादानी

करके रक्तदान इन्होंने बचाया दूसरों की जान

  •  श्रुति, श्वेता व ज्योति भी संकट में आती हैं जरूरतमंदों  के काम



 वाराणसी  सितम्बर (दिल इंडिया लाइव)  रक्तदान कर दूसरों की जिंदगी बचाने  में उन्हें बड़ा  सुकून मिलता है। उनका मानना है कि रक्तदान से बड़ा दुनिया  में कोर्इ दान नहीं होता। इसी सोच को लेकर रश्मि अब तक 24 बार रक्तदान कर दूसरों की जान बचा चुकी हैं । रश्मि की ही तरह श्रुति, श्वेता व ज्योति भी रक्तदान करने वाली महादानियों में शामिल हैं। काशी में नारी शाक्ति का मिसाल बन चुकी ये महिलाएं संकट में फंसे लोगों के लिए रक्तदान कर उन्हें नई जिंदगी देने का वह  काम करती हैं।


 सहेली पर संकट ने बनाया रक्तदाता 

सुंदरपुर की रहने वाली रश्मि सिंह पेशे से अध्यापिका हैं। पांच वर्ष पूर्व हुए एक वाकये का वह जिक्र करती हैं जिसने उन्हें रक्तदाता बना दिया। वह बताती हैं-‘तब उनकी शादी नहीं हुर्इ थी। कालेज के दिनों की एक सहेली को डेंगू हो गया था। उसे देखने के लिए उस रोज वह अस्पताल गयी थीं। सहेली की जान बचाने के लिए डाक्टर ने फौरन ब्लड चढ़ाने के लिए बोला था लेकिन उसके परिवार में कोर्इ भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जो खून देने की स्थिति में हो। तब खून के अभाव में सहेली की सांस थमती देख उन्होंने निर्णय लिया कि वह खुद रक्तदान कर उसकी जान बचायेंगी। सहेली के लिए रक्तदान करने के साथ ही उन्होंने रक्तदान के महत्व को जाना और संकल्प लिया कि अब वह दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए बराबर रक्तदान करती रहेंगी। तब से वह हर तीसरे माह रक्तदान करती हैं। कोरोना काल में भी यह सिलसिला नहीं थमा। 

30 की उम्र में 24 बार रक्तदान 

रश्मि की उम्र महज 30 वर्ष है। इस उम्र में  अब तक वह 24 बार रक्तदान कर चुकी हैं। उनका खून किसी की जान बचाने में काम आ रहा है, यह सोच कर उन्हें  सुकून मिलता है। रश्मि बताती हैं, ‘शादी के बाद शुरू-शुरू में उनके ससुराल वालों ने उन्हें रक्तदान  से रोकने की कोशिश की पर वह चोरी-छिपे रक्तदान कर ही आती थीं । फिर उन्होंने  ससुरालवालों को समझाया कि यह कार्य कितना पुनीत और जरूरी है। तब वह लोग भी मान गये। अब तो उनके पति भी इस कार्य में उनका सहयोग करते हैं।

मजहब की दीवार ख़त्म करता  है रक्तदान

रश्मि सिंह कहती हैं  - रक्तदान, महादान तो है ही, इसके साथ ही यह जाति और मजहब की दीवार को भी मिटाता  है। जिस समय जान बचाने के लिए रक्त की जरूरत होती है उस समय इन सभी दुश्वारियों से लोग दूर हो जाते हैं । इसलिए रक्तदान इन्सानियत से नाता जोड़ने का भी एक माध्यम है।

 यह  भी हैं  महादानियों में शामिल 

अब तक 12  बार रक्तदान कर चुकी केशव बिहार, नर्इ बस्ती-पाण्डेयपुर की रहने वाली श्रुति जैन की कहानी भी रश्मि सिंह से काफी मिलती जुलती है । तीन वर्ष पहले वह मैदागिन से घर लौट रही थीं। कबीरचौरा के पास हुर्इ दुर्घटना के बाद जुटी भीड़ को देखकर उनके भी पांव ठिठक गये। हादसे में घायल युवक को लोग अस्पताल ले जाने लगे तो पीछे-पीछे वह भी वहां पहुंच गयी। उस युवक का उपचार चल ही रहा था कि वहां उन्हें एक बुजुर्ग लोगों से गिड़गिड़ाते हुए दिखे । अस्पताल में भर्ती इस बुजुर्ग की बेटी की जान बचाने के लिए खून की जरूरत थी। बेटी के प्राण बचाने के लिए वह बुजुर्ग लोगों से मिन्नतें कर रहे थे,  पर सब उनकी बातों को अनसुनी कर दे रहे थे। श्रुति जैन बताती हैं ‘बुजुर्ग की स्थिति भांपकर मैने रक्तदान की अहमियत समझी। उनकी बेटी के लिए उस रोज किये गये रक्दान से जो सिलसिला शुरू हुआ वह आज भी जारी है। अब तो वह बाकायदा रक्तदान शिविरों का आयोजन करती हैं । इसमें उनकी कर्इ सहेलियां बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती हैं।’ श्रुति से ही प्रेरणा लेकर चौक क्षेत्र की रहने उनकी सहेली श्वेता अग्रवाल भी कर्इ वर्ष से रक्तदान कर रहीं हैं। ज्योति, वंदना भी वह नाम हैं  जो लगातार रक्तदान करते हुए महादानियों में शामिल होकर शिव की नगरी काशी में नारी शक्ति की मिसाल बन चुकी हैं ।

 रक्त दान से लाभ

रक्तदान दूसरों की जिंदगी तो बचाता ही है, खुद की सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। मण्डलीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. प्रसन्न कुमार कहते हैं रक्दान से कैंसर व मोटापे का खतरा तो कम होता ही है यह दिल की बीमारियों से भी बचाता है। रक्तदान के बाद शरीर की कोशिकाएं ज्यादा लाल रक्त कोशिकाओं के  निर्माण में जुट जाती है जो सेहत को सुधारता है। रक्दान से तुरंत पहले के हेल्थ चेकअप में हीमोग्लोबिन के स्तर का पता तो चलता ही है यदि कोइ संक्रमण होता है तो उसकी भी जानकारी मिल जाती है।

 यहां कर सकते हैं रक्दान

जिले में कुल 12 ब्लड बैंक हैं। इनमें कभी भी रक्तदान किया जा सकता है। किसी हादसे में घायल या अन्य जरूरतमंद को इन ब्लड बैंकों से  रक्त प्राप्त हो जाता है। जिले में कई स्वंयसेवी संस्थाएं भी सक्रिय हैं हो जो समय-समय पर रक्दान शिविरों का आयोजन कर इन सभी ब्लडबैंकों में रक्त जमा कराती हैं। इसके अलावा सरकारी स्तर पर भी रक्तदान के लिए भी अभियान चलाए जाते हैं।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...