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बुधवार, 1 फ़रवरी 2023

Ruckmani के 35 माह के तप ने बना दिया tb champion

Xdr tb से स्वस्थ होकर बनीं 300 tb मरीजों की मददगार





Varanasi (dil india live). एक्सडीआर टीबी की मरीज रुक्मिणी 35 माह तक हर रोज कई-कई दवाओं के सेवन और सुबह-शाम के इंजेक्शन की असहनीय पीड़ा से ऊब चुकीं थीं। यहाँ तक कि एक वक्त वह जिन्दगी की आस तक छोड़ चुकी थीं लेकिन स्वास्थ्य विभाग के बेहतर इलाज और परिवार वालों के हर वक्त ख्याल रखने व धैर्य बंधाने से अब पूरी तरह स्वस्थ हैं। इसी असहनीय पीड़ा के दौरान ठान लिया था कि अगर स्वस्थ हो गयी तो कुछ ऐसा करूंगी कि दूसरों को इस तरह के कष्ट से न गुजरना पड़े। अब टीबी चैम्पियन (tb champion) बनकर करीब 300 टीबी मरीजों की ruckmani मददगार बनी हैं। बीमारी से उनको यह सीख मिल ही चुकी थी कि समय से जाँच और उपचार न कराने का नतीजा कितना गंभीर हो सकता है।  

 मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के बाद टीबी के सबसे गंभीर रूप एक्सटेंसिवली ड्रग रजिस्टेंट (एक्सडीआर) टीबी के इलाज के दौरान मिली सीख का हवाला देकर वह अब दूसरों को ऐसी गलती न करने की नसीहत देती हैं। टीबी चैम्पियन (tb champion) के रूप में उनकी राह आसान की वर्ल्ड विजन इण्डिया संस्था ने। संस्था ने ट्रेनिंग देने के साथ ही मरीजों की सूची भी सौंपी जिनको सही मायने में संबल की जरूरत थी। अब वह 10-12 मरीजों का प्रतिदिन मनोबल बढाने के साथ ही बताती हैं कि दवा का सेवन नियमित रूप से करना है और साथ में पोषक आहार भी लेना है ताकि जल्दी स्वस्थ बन सकें। समुदाय में भी लोगों को बताती हैं कि दो हफ्ते से अधिक समय से बुखार बना हो, बलगम में खून आ रहा हो, वजन गिर रहा हो, भूख न लग रही हो तो स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी की जाँच जरूर कराएँ। 

बड़ागांव ब्लॉक के कूंडी गांव की रुक्मिणी घरेलू कामकाज निपटाकर हर रोज दोपहर 12 बजे क्षय रोगियों की सूची लेकर बैठ जाती हैं। फोन पर शंकाओं का समाधान करने के साथ ही बीच में दवा छोड़ने वाले क्षय रोगियों या किसी तरह की दिक्कत का सामना कर रहे मरीजों को स्वास्थ्य केन्द्र तक ले जाती हैं। इस तरह रुक्मिणी क्षय रोगियों के संपर्क में तो रहती ही हैं विद्यालयों, सार्वजनिक स्थानों पर भी लोगों को जागरूक करती हैं। महिलाओं के समूह में बैठक कर क्षय रोग से बचाव और उपचार के बारे में भी समझाती हैं। एक वर्ष के भीतर लगभग 300 क्षय रोगियों से उन्होंने सम्पर्क किया है। इनमें 167 पुरुष, 126 महिलाएं व सात बच्चे शामिल हैं। इनमें 55 क्षय रोगी पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। क्षय रोगियों को समझाने में कई बार दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। वह बताती हैं कि बड़ागांव के ही ग्राम चिरई के अवनीश कुमार (18 वर्ष) जब दवा खाते थे तो पेट में दर्द होने लगता था। इस वजह से वह दवा बीच-बीच में बंद कर देते थे। समझाने पर लगातार दवा की और अब हालत में सुधार है। ऐसी ही स्थिति बसनी (बड़ागांव) के अजय पाण्डेय (42 वर्ष) की भी रही। दवा बीच में छोड़ने की वजह से उन्हें एमडीआर टीबी हो गयी। समझाया तो अब लगातार दवा खा रहे हैं।

 रुक्मिणी अपनी बीमारी को याद कर बताती हैं कि बीए -बीटीसी करने के बाद यूपीटेट की परीक्षा पास कर अध्यापिका बनना चाहती थी। इसके लिए प्रयासरत ही थी कि अक्टूबर-2017 में खांसी, बुखार व कमजोरी से परेशान रहने लगी। शुरू में निजी चिकित्सक से उपचार कराया पर लाभ नहीं मिला। छह माह तक चली दवा के बाद निजी डाक्टर ने दिल में छेद बताया और आपरेशन की बात कही। इससे घबरा गयी और बीएचयू के सर सुन्दर लाल चिकित्सालय पहुँची। जांच के बाद यह साफ हो गया कि दिल में छेद नहीं है। अप्रैल 2018 में बलगम जांच में पता चला कि टीबी का बिगड़ा रूप एमडीआर है। 15 दिन तक अस्पताल में भर्ती होकर उपचार कराया। लगभग 14 माह (अप्रैल 2018 से मई 2019) तक एमडीआर की दवा खाई लेकिन सांस लेने में दिक्कत, पैरों में तेज दर्द और कमजोरी बनी रही। जून 2019 में एक दिन अचानक हालत बिगड़ी तो अस्पताल में पुनः भर्ती करना पड़ा। अब टीबी का सबसे बिगड़ा रूप एक्सडीआर हो चुका था। महीने भर अस्पताल में रहने के बाद छुट्टी मिली। दवा के साथ ही हर रोज सुबह-शाम इंजेक्शन लगता था। इंजेक्शन लगने के कुछ देर बाद तक कानों में सीटी बजने की आवाज आती थी जिससे घबरा जाती थी। इच्छा होती थी कि दवा बंद कर दें लेकिन पति तपन कुमार के साथ ही ससुराल व मायके के लोग समझाते थे। तब उनकी इकलौती बेटी आराध्या महज दो वर्ष की थी। उसे  मायके में छोड़ना पड़ा। लगातार चल रहीं दवाओं के बीच होने वाली परेशानियों से ऊब चुकी थी। लगता था कि शायद नहीं बचूंगी। जून 2019 से फरवरी 2021 तक लगभग 21 माह एक्सडीआर की दवा चली। फरवरी 2021 में पूरी तरह ठीक हो गई और इसके साथ ही दवा बंद हो गयी। रुक्मिणी बताती हैं कि अप्रैल 2018 में निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह 500 रुपये पोषक आहार के लिए मिलना शुरू हुआ जो फरवरी 2021 तक मिला। इस तरह 35 माह में 17500 रुपये पोषक आहार के लिए मिले।

मंगलवार, 6 सितंबर 2022

Jain dharam news:तप के बिना आत्म शुद्धि नही

पर्युषण पर्व का सातंवा दिन- उत्तम तप धर्म 


Varanasi (dil india live)। दशलक्षण ( पर्युषण पर्व) जैन संस्कृति का महान, पवित्र, आध्यात्मिक पर्व है। आत्मशोधन, पर्यालोचन और आत्म निरिक्षण करके अपने अतित के परित्याग करने में ही इस पर्व की सार्थकता है। मंगलवार को प्रातः से नगर की सभी जैन मंदिरो में पूजन-अर्चन पाठ प्रारंभ हुआ। 

श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चन्द्रपुरी चौबेपुर स्थित गंगा किनारे भगवान चन्दा प्रभु का प्रातः सविधि पूजन एवं अभिषेक किया गया। भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म भूमि भेलूपुर में भगवान पार्श्वनाथ जी का अभिषेक पूजन किया गया। साथ में चल रहे दस दिवसीय क्षमावाणी महामंडल विधान में काफी संख्या में महिलाए एवं पुरुष जोड़ों ने हिस्सा लेकर संस्कृत के श्लोक पढकर श्री जी भगवान को श्री फल अर्पित कर धर्म में सराबोर रहे। वही- सारनाथ, नरिया, खोजंवा, मैदागिन, हाथीबाजार, भदैनी,एवं ग्वाल दास साहू लेन स्थित मन्दिरों में पूजन- पाठ अभिषेक व शांति धारा की गई। 

मंगलवार की सायंकाल ग्वालदास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर में पर्व के सातंवे अध्याय " उत्तम तप धर्म " पर व्याख्यान देते हुए पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहां- तप के बिना आत्म शुद्धि भी नहीं हो सकती। आत्मा को स्वर्ण बनाना है तो इसे तपना पड़ेगा। तप से ही परमार्थीक लक्ष्य प्राप्त हो सकता है। 

खोजंवा स्थित जैन मंदिर में व्याख्यान देते हुए- डां मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां - मात्र देह की क्रिया का नाम तप नहीं है अपितु आत्मा में उत्तरोत्तर लीनता ही वास्तविक 'निश्चय तप है। जिस प्रकार अग्नि के माध्यम से पाषाण में से स्वर्ण पृथक किया जाता है वैसे ही हम तप रूपी अग्नि के माध्यम से शरीर से आत्मा को पृथक कर सकते है। 

सायंकाल जैन मंदिरो में जिनवाणी स्तुति, ग्रन्थ पूजन, तीर्थंकर पार्श्वनाथ, क्षेत्रपाल बाबा एवं देवी पद्मावती जी की सामूहिक आरती की ग ई।  

आयोजन मे प्रमुख रूप से श्री दीपक जैन, राजेश जैन, अरूण जैन, ध्रुव कुमार जैन, रत्नेश जैन, तरूण जैन, विजय जैन उपस्थित थे। 

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...