60 प्रतिशत फुलटर्म और 80 प्रतिशत प्रीमैच्योर बेबी में क्लीनिकल पीलिया की रहती है आशंका
समय पर उपचार से पूरी तरह ठीक हो जाती है पीलिया
पीलिया में लापरवाही हो सकती है जानलेवा
वाराणसी 11 फरवरी (dil India live)। नवजात शिशुओं में पीलिया का होना वैसे तो एक सामान्य बात है। 60 प्रतिशत फुलटर्म बेबी में और 80 प्रतिशत प्रीमैच्योर बेबी में क्लीनिकल पीलिया होने की आशंका रहती है पर थोड़ी सी सतर्कता और समय पर उपचार से यह रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है। इसलिए नवजात को यदि पीलिया हुआ है तो उसका झाड़-फूंक नहीं उपचार करायें। ध्यान रहे कि झाड़-फूंक नवजात के लिए जानलेवा भी हो सकता है। यह कहना है राजकीय महिला चिकित्सालय में बाल रोग विशेषज्ञ व एसएनसीयू (सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट) की प्रभारी डा. मृदुला मल्लिक का।
डॉ. मल्लिक ने बताया कि पीलिया किसी भी उम्र में हो सकता है। बड़ों में यह रोग संक्रमण के चलते होता है, जबकि नवजात में यह बीमारी अलग-अलग कारणों से होती है। नवजात में रोग से लड़ने की क्षमता काफी कम होती है। नवजात को पीलिया अधिक दिनों तक दिनों तक रहने से उसका हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और वह कोमा में भी जा सकता है। समय से उपचार नहीं होने से उसका रोग गंभीर रूप लेकर जानलेवा भी हो सकता है।
डॉ. मृदुला ने बताया कि वर्ष 2020-21 में एसएनसीयू (सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट) में भर्ती 738 नवजात शिशुओं में 316 को पीलिया रहा। इस वर्ष जनवरी से अबतक कुल 90 शिशु एसएनसीयू में भर्ती हुए। इसमें 38 को पीलिया के कारण यहां लाया गया। हालांकि उपचार के बाद सभी स्वस्थ हैं।
नवजात में पीलिया के कारण
डा. मृदुला बताती है कि नवजातों में पीलिया दो तरह का होता है। पैथोलॉजिकल पीलिया व फिजियोलॉजिकल पीलिया। पैथोलॉजिकल पीलिया के लक्षण बच्चे के जन्म के 24 घंटे के भीतर नजर आने लगते हैं और इसके इलाज की जरूरत होती है जबकि फिजियोलॉजिकल पीलिया के लक्षण बच्चे के जन्म के 24 से 72 घंटे बाद नजर आते हैं। यह पांच से सात दिन तक बढ़ता है। इसमें उपचार की जरूरत नहीं होती है। नवजात शिशुओं में पीलिया होने के कई कारण हैं। इनमें बच्चे के खून में बिलिरूबिन सेल्स की अधिकता एक बड़ा कारण होता है। मां और बच्चे का ब्लड ग्रुप ( आरएच & एबीओ) का अलग- अलग होना भी पीलिया का कारण हो जाता है। इसके अतिरिक्त किसी संक्रमण के चलते भी नवजात को पीलिया होने की काफी आशंका रहती है।
पीलिया के लक्षण- पीलिया होने पर शुरू में शिशु का चेहरा पीला होने लगता है उसु उसकी आंखें भी पीली हो जाती हैं। शिशु के नाखून पीले पड़ने लगते हैं। उसके त्वचा का रंग भी ज्यादा पीला दिखने लगे। पीलिया के लक्षण नजर आने के बाद उसके उपचार में हुर्इ देरी उसके लिए नुकसानदेय हो सकते हैं। इसलिए शिशु में पीलिया के लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए, ताकि शिशु को पीलिया से होने वाली समस्याओं से बचाया जा सके।