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शुक्रवार, 28 जून 2024

यही तो है बनारस की गंगा जमुनी तहजीब

मुफ्ती-ए-बनारस पहुंचे विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत के आवास, जताया अफसोस 


Varanasi (dil India live)। गंगा जमुनी तहजीब का शहर बनारस ऐसे ही इस शहर को नहीं कहा गया है। यह शहर समय समय पर मिसालें पेश करता रहता है। शुक्रवार को भी एक ऐसी ही मिसाल देखने को मिली जब ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज़ के बाद अंजुमन मसाजिद का एक प्रतिनिधिमंडल मुफ्ती शहर एवं इमाम व ख़तीब जामा मस्जिद ज्ञानवाफी मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी के नेतृत्व में पूर्व महन्त कुलपति तिवारी के आवास पर पहुंचा। इस दौरान उनके पुत्र से मिलकर अपने मुस्लिम समुदाय की की ओर से शोक और संवेदना प्रकट किया। इस दौरान सभी ने स्वर्गीय तिवारी के नगर की सामाजिक जीवन में योगदान की सराहना की। कहा कि वह बनारस की गंगा जमुनी तहज़ीब को बढ़ाने में सदैव तत्पर रहते थे। उनका मुसलमानों से बहुत अच्छा सम्बंध रहा है यहां यह बताना आवश्यक है अपने जीवन काल में वह कई बार मौलाना अरशद मदनी से मिलने गए। कुछ माह पूर्व भी भानू मिश्रा के साथ देवबंद भी गए थे। मुफ्ती साहब ने आशा जताई कि  उनका परिवार भी उनके नक्शेकदम पर चलते हुए बनारस में हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए काम करेगा। मीटिंग के दौरान ही महंत राजेन्द्र तिवारी जिन्हें लोग प्यार से बबलू भैया भी कहते हैं आ गये थे। इनका भी काशी की गंगा जमुनी तहज़ीब को बढ़ावा देने में बड़ा योगदान है और निष्पक्ष व निर्भीक बातों के लिए जाने जाते हैं। अंत में दिवंगत महंत कुलपति तिवारी के पुत्र ने मुस्लिम समुदाय द्वारा जताई जा रही एकजुटता के लिए आभार प्रकट किया। इस प्रतिनिधिमंडल में मुफ्ती साहब के साथ शमशेर अली, नक़ीब आलम, ऐजाज़ मोहम्मद इसलाही, एसएम यासीन (संयुक्त सचिव अंजुमन मसाजिद इंतेजामिया कमेटी) आदि थे।

मंगलवार, 26 मार्च 2024

बनारस की फिजां में घुली होली की मस्ती, गलियों से लेकर गंगा घाट तक फागुन का उल्लास




Varanasi (dil india live). होलिका दहन के साथ ही बनारस की फिजां में होली की मस्ती घुली हुई नज़र आयी। गलियों से लेकर गंगा घाट तक फागुन का उल्लास हर किसी के सिर चढ़कर बोलता दिखाई दिया। सुबह से ही होली खेलने की शुरुआत हो गई जो दोपहर तक जारी रही उसके बाद शाम में अबीर और गुलाल की होली परमपरानुसार जो शुरु हुई वो लगातार जारी है। भद्रा की समाप्ति के बाद रविवार की मध्य रात्रि के उपरांत मुहूर्त काल में ढोल नगाड़ों की थाप, हर-हर महादेव के जयघोष के बीच होलिका दहन किया गया। घाट पर हुलियारों की टोली और काशीवासियों ने जमकर अबीर-गुलाल उड़ाए। किशोर-युवाओं का हुजुम ‘जोगीरा, सारारारा... गाते- हुए शरारती मूड में आ गया। सुबह से कहीं होरियारों की टोली तो कहीं डीजे की धुन पर थिरकते युवा काशिका जोश के साथ मस्ती में डूबते-उतराते रहे। घरों से शुरू हुआ उत्सव का आनंद दिन चढ़ने के साथ ही सड़कों पर बिखरने लगा। घरों की रसोई पकवान की सुगंध से निहाल हो उठे, तो बच्चों ने भी धमाल मचाने की तैयारियां शुरू कर दीं। किसी ने पिचकारियों में रंग भरे तो किसी ने गुब्बारों में।होली के रंगों में डूबे युवा और बच्चे मस्ती की तरंग में जगह-जगह डीजे की धुन पर पारंपरिक और भोजपुरी होली गीतों पर थिरक रहे थे। जन-जन के मन के बांध तोड़कर होली का उल्लास और उमंग का रंग दिन चढ़ने के साथ और चटख होता गया। घर से गलियों तक फाग के रंग बरसे तो नख से शिख तक रंगों से सराबोर हो उठे। क्या बुजुर्ग क्या बच्चे हर किसी पर होली का रंग ऐसा चढ़ा कि चेहरा तक पहचानना मुश्किल हो गया। बनारस का कोना-कोना रंगों में भीग गया। घरों होली की शुरूआत हुई तो बच्चों ने छत, बॉलकनी और बरामदों से हर आने-जाने वालों पर रंगों की बौछार की। किसी को रंग भरे गुब्बारे से मारा तो किसी पर अबीर उड़ाए। जो भी मिला उसको रंगों से सराबोर किए बिना नहीं छोड़ा। गोदौलिया, सोनारपुरा, गौरीगंज, शिवाला, अस्सी, भदैनी, भेलूपुरा, लंका, सामनेघाट, नरिया, डीरेका, मंडुवाडीह, कमच्छा से लेकर वरुणा पार इलाके में होली के रंग-गुलाल जमकर उड़े। सड़कों और गलियों में डीजे की धुन पर नाचते-गाते युवाओं ने खूब धमाल मचाया। गंगा किनारे रहने वालों ने गंगा किनारे घाट पर होली खेली। हालांकि नावों पर प्रतिबंध के कारण गंगा उस पार नहीं जा सके।होली का रंग बनारसियो ने सुबह से गंगा घाटों पर जमी भीड़ धीरे-धीरे कम होने लगी। डीजे सॉन्ग पर नाच रहे लोगों को भी पुलिस ने हटाना शुरू कर दिया। शाम को होने वाली गंगा आरती के पूर्व दशाश्वमेध सहित विभिन्न घाटों की सफाई के चलते भीड़ को कम कराया गया। लोगों की सुविधा को देखते हुए दोपहर बाद कुछ क्षेत्रों में पेट्रोल पंप भी खोल दिए गए। सोमवार की सुबह से ही बनारसस की विश्व प्रसिद्ध होली खेलने के लिए यहां के लोग तैयार हो गए थे। जैसे-जैसे सूरज आसमान में चढ़ता गया वैसे-वैसे गंगा घाटों पर भीड़ भी बढ़ती गई। सबसे ज्यादा युवाओं की उपस्थिति रही। रंगोत्सव में देसी-विदेशी पर्यटकों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। होली पर हर साल विदेशी पर्यटकों के साथ सेल्फी लेने की होढ़ मची रहती है। इसमें पर्यटकों को भी काफी खुशी मिलती है। अस्सी से लेकर दशाश्वमेध सहित उसके आगे के घाटों पर हर्षोल्लास के साथ होली का त्योहार मनाया गया। डीजे की धुन पर लोगों ने जमकर डांस किया। दोपहर करीब दो बजे के बाद पुलिस भी लोगों को हटाने लगी। घाटों पर भीड़ का दबाव देखते हुए प्रशासन भी दुरुस्त दिखा। जल पुलिस माइक के माध्यम से लोगों को अगाह कर रही थी। गंगा में ज्यादा दूर तक नहीं जाने का निर्देश दिया जा रहा था।

गंगा आरती से पहले घाटों की सफाई

नगर निगम की ओर से घाटों की सफाई के लिए हर बार की तरह उचित व्यवस्था की गई है। देर शाम होने वाली गंगा आरती के लिए दोपहर बाद घाटों की सफाई होने लगी। इससे पूर्व पर्यटकों ने खूब होली खेली। दूसरी तरफ, दशाश्वमेध सहित विभिन्न घाटों पर लोगों ने गंगा स्नान कर दान-पुण्य किया। वाराणसी घूमने आए पर्यटक गंगा आरती के आकर्षण को भी निहारेंगे।

मंगलवार, 24 अक्तूबर 2023

जियो रजा बनारस: अपनी नहीं बच्चों की तो करो फिक्र


Varanasi (dil India live). 24.10.2023. कोतवाली थाना क्षेत्र में मैदागिन मार्ग पर बाइक से जा रहे एक सज्जन को दशहरा उत्सव के दौरान शाम में थानाध्यक्ष कोतवाली आशीष मिश्र ने रोक लिया और जमकर फटकार लगाई.ए दरअसल एक ही बाइक पर 6 बच्चों को लेकर जा रहे सज्जन अपने साथ साथ बच्चों का जीवन भी खतरे में डाले हुए दिखाई दिए. डांट फटकार के बाद कोतवाली पुलिस ने इनको बाइक के साथ अपने पास बैठा लिया, काफी गुहार के बाद सज्जन को छोड़ा गया है.आगे से यह हरकत ना करने की कड़ी ताकीद मिली है.

रविवार, 13 अगस्त 2023

Banaras Gharana: तबला वादक पं पुंडलिक भागवत का निधन

स्पिक मैके समेत कलाकारों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि 


Varanasi (dil India live). काशी हिन्दू विश्व विद्यालय मंच कला संकाय के वरिष्ठ तबला वादक एवं बनारस घराने के कलाकार पं पुंडलिक कृष्ण भागवत के आकस्मिक निधन की खबर शनिवार को सुनते ही काशी के संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई।

गौरतलब हो कि पं पुंडलिक कृष्ण भागवत शुक्रवार को रामरंग संगीत समारोह में पूरे तीन घंटे तक कार्यक्रम में रहें और संगीत पर चर्चा भी की। उनके संगीत का रस ले रहे कला प्रेमियों को तब अंदाजा भी नहीं था कि कुछ घंटे बाद ह्रदयगति रुकने से उनका निधन हो जाएगा। मगर होता वही है जो लिखा होता है। उधर उनके निधन का समाचार सुनकर संगीत से जुड़े लोग स्तब्ध रह गए। पं पुंडलिक भागवत सनबीम वरुणा में सिडबी एवं स्पिक मैके की ओर से पांच दिवसीय कार्यशाला में बच्चों को तबला वादन का प्रशिक्षण भी दें रहें थे। प्रातः विद्यालय में जब उनके स्वर्गवासी होने का समाचार प्राप्त हुआ तो संगीत के शिक्षक एवं विद्यार्थियों नें शोक संवेदना व्यक्त कर दो मिनट मौन रहकर श्रद्धांजलि दी। स्पिक मैके उत्तरप्रदेश की ओर चेयरपर्सन उमेश चंद्र सेठ डॉ मधु शुक्ला डॉ शुभा सक्सेना समरेंद्र सिंह डॉ विभा सिंह पवन सिंह विशाल कृष्ण रूद्र शंकर मिश्र नें उनके निधन पर दुःख प्रकट करते हुए शोक संवेदना व्यक्त की। बनारस कला ग्रुप कि सरला, संगीता सिन्हा, दीपक मिश्रा, आशीष सिंह व फिल्मी दुनिया कि अभिनेत्री सुरभि सिंह आदि ने इस महान कलाकार कि आत्मा कि शांति के लिए प्रार्थना की।

सोमवार, 7 अगस्त 2023

banaaras gharaane kee पांच दिवसीय कजरी कार्यशाला सम्पन्न

रिमझिम पड़ेला फुहार, राधा रानी...गली सून कइला बलमू



Varanasi (dil India live). सावन के पावन अवसर पर बनारस घराने की विदुषी संगीतज्ञ मीना मिश्रा जो ठुमरी सम्राट पंडित महादेव प्रसाद मिश्र की पुत्री है अपने आवास पर उनके द्वारा पांच दिवसीय कजरी कार्यशाला का आयोजन किया गया. डॉ माधुरी नूतन के द्वारा कजरी कार्यशाला का उद्घाटन हुआ और प्रतिदिन भारी संख्या में बच्चों महिलाओं व अन्य कलाकारों ने कजरी का आनंद लिया. सावन के महीने में विशेष रूप से गाये जाने वाली बनारसी कजरी कि प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया. इस मौके पर मीना मिश्रा द्वारा कजरी के विषय में विशेष व्याख्यान दिया गया, जिसमें बनारसी और मिर्जापुरी कजरी के उद्भव व विशेषताओं के विषय में जानकारी दी गई. तबले की थाप हारमोनियम की मधुर संगीत के साथ काशी वासियों ने कजरी, रिमझिम पड़ेला फुहार ,राधा रानी, गली सून कइला बलमू आदि को गाकर सावन ऋतु का आनंद लिया। प्रतिदिन दो से 3 घंटे अभ्यास के उपरांत कार्यशाला का भव्य समापन हुआ. जिसमें काशी के महान तबला वादक गुरु पण्डित पूरण महाराज व पंडित कामेश्वर नाथ मिश्र, डॉ मनोज मिश्र,, पंडित नन्द किशोर मिश्र सहित कई अन्य कलाकार उपस्थित थे। गुरु मीना मिश्रा के द्वारा आयोजित कजरी कार्यशाला को काशी की संस्कृति को संजोने के लिए किया जाने वाला अति सराहनीय प्रयास बताया गया। तबले पर देव नारायण मिश्र व नारायण दीक्षित, हारमोनियम पर हर्षित पाल द्वारा संगत की गई।

कार्यक्रम के समापन सत्र में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। वैष्णवी अर्णव, सारिका, दीप्ति,  मनसा, अमित, मंजू देवी, अभय, अदिति, प्रेरणा, पूजा, ओम प्रकाश आदि ने, रिमझिम पड़ेला फुहार... एवं सावनवा में ना जयबू ननदी... आदि कजरी गाकर सभी का मन मोह लिया। अंत में मीना मिश्रा ने अपनी कजरी गायन की प्रस्तुति से समापन किया, जिसमे संगत तबला पर पंडित नंदकिशोर मिश्र, एवं हारमोनियम पर पंडित पंकज मिश्र ने किया।

सोमवार, 17 जुलाई 2023

Benaras me moharram or julus


Varanasi (dil India live)। इस्लामिक कैलेण्डर का पहला महीना मोहर्रम आगामी 19 या 20 जुलाई से (चंद्र दर्शन के अनुसार) शुरू होगा। हिजरी सन का पहला महीना गम का है। इस महीने में शिया मुसलमान गमगीन रहते हैं क्योंकि इसी माह की दस तारीख को पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन को दुनिया के पहले आतंकवादी यजीद ने ईराक के कर्बला शहर में तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया था। इन शहीदों में 6 माह के अली असगर भी थे। ऐसे में शहर बनारस में भी गौरीगंज, शिवाला, दालमंडी, मदनपुरा, बजरडीहा, दोषीपुरा, चौहट्टा, मुकीमगंज, प्रहलाद घाट, सरैया, अर्दली बाजार, कोयला बाजार आदि इलाकों में मजलिसों और जुलूसों का दौर शुरू हो जाता है। Dil India live के संपादक aman से इस सम्बन्ध में शिवाला स्थित कुम्हार के इमामबाड़े के संरक्षक सैयद आलिम हुसैन रिजवी, हजरत अली समिति के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने विस्तार से बातचीत की। 

बताया कि हिजरी सन 1445 का आगाज माहे मोहर्रम से होगा है, जो इस वर्ष 19 या 20 जुलाई 2023 से चांद के दर्शन के हिसाब से मोहर्रम शुरु होगा। इस दौरान शिया दो महीना आठ दिन तक ग़म का अययाम मनाते हैं। काला लिवास धारण करते हैं। इस दौरान शहर में तकरीबन 60 से ऊपर जुलूस एक से 13 मोहर्रम तक उठाये जायेंगे। इस्तकबाले अजा की मजलिसे 19 जुलाई से शुरु हो जायेगी। इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की याद में विभिन्न इलाकों में जुलूस उठेंगे।

पहली मोहर्रम

पहली मोहर्रम शहर भर के विभिन्न इलाकों में प्रातः सात बजे से मजलिसों का कार्यक्रम शुरु हो जायेगा। दिन में तीन बजे सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में कैम्पस के अन्दर ही अलम और दुलदुल ताबुत का जुलूस उठाया जायेगा। अन्जुमन नौहा और मातम करेंगी। मोमनीन शिरकत करेंगे। 

दूसरी मोहर्रम

शिवपुर में अंजुमने पंजतनी के तत्वावधान में अलम व दुलदुल का जुलूस रात 8 बजे उठाया जायेगा। बनारस के अलावा दूसरे शहरों की अंजुमनें भी शिरकत करेंगी। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ के मकान पर दिन में 2 बजे कदीमी मजलिस का आयोजन होगा।

तीसरी मोहर्रम

अलम व दुलदुल का कदीमी जुलूस औसानगंज नवाब की ड्योढ़ी से सायं 5 बजे उठाया जायेगा। अंजुमन जव्वादिया जुलूस के साथ-साथ रहेगी। वहीँ शिवाला स्थित आलीम हुसैन रिजवी के निवास से भी एक जुलूस उठाया जायेगा, जो हरिश्चन्द्र घाट के पास कुम्हार के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। तीन मोहर्रम को ही रामनगर में बारीगढ़ी स्थित सगीर साहब के मकान से अलम का जुलूस उठाया जायेगा ।

चार मोहर्रम

ताजिये का जुलूस शिवाले में आलीम हुसैन रिजवी के निवास से गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। चार मोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से 2 बजे दिन में जुलूस उठकर इमामबाड़ा तक जायेगा। चौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस अलम व दुलदुल का चौहट्टा लाल खाँ इमामबाड़ा से रात 8 बजे उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त होगा।

पांचवीं मोहर्रम

वक्फ मस्जिद व इमामबाड़ा मौलाना मीर इमाम अली, छत्तातला, गोविंदपुरा से अलम का जुलूस उठया जाएगा, जिसमें मुजफ्फरपुर के मर्सिया ख्वां वज्जन खां के बेटे सवारी पढ़ेंगे। इसके अलावा जुलूस में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के परिजन शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे।

छठवीं मोहर्रम

इस दिन विश्व प्रसिद्द 40 घंटे तक चलने वाले दुलदुल का जुलूस कच्ची सराय (दालमंडी) इमामबाड़े से शाम 5 बजे उठेगा। इस जुलूस में हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ कई मश्शूर बैंड भी मौजूद रहते हैं जो मातमी धुन बजाते हैं। यह जुलूस कच्चीसराय से उठकर लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान जाता है। उसके बाद वापस आकर चौक होता हुआ मुकीमगंज, प्रह्लादघाट, कोयला बाजार, चौहट्टा होते हुए लाट सरैया जाता है और फिर वहां से 8 मोहर्रम की सुबह वापस आकर कच्ची सराय के इमामबाड़े में ही समाप्त होता है। यह जुलूस लगातार 6 से 8 मोहर्रम तक चलता रहता है।   

मेहंदी का जुलूस

चौहट्टा लाल खां इलाके से मोहर्रम के सातवें रोज़ छोटी मेहंदी व बड़ी मेहंदी के दो कदीमी जुलूस निकाला जाता है। इसमें बड़ी मेहंदी का जुलूस सदर इमामबाड़ा जाकर देर रात सम्पन्न होता है।

आठवीं मुहर्रम

अलम व तुर्बत का जुलूस ख्वाजा नब्बू साहब के चहमामा स्थित इमामबाडा से कार्यक्रम संयोजक सयेद मुनाजिर हुसैन मंजू के संयोजन मे रात 8:30 बजे उठेगा जुलूस उठने पर शराफत अली खां साहब, लियाकत अली साहब व साथी सवारी पढेंगे। जुलूस दालमंडी पहुचने पर अंजुमन हैदरी चौक नौहा ख्वानी व मातम शुरू करेगी। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होकर फातमान पहुंचेगा और पुनः वापस अपने कदीमी रास्तों से होते हुए चहमामा स्थित इमामबाडे  मे आकर एक्तेदाम पदीर होगा। जुलूस में पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खा व साथी शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे।

नवीं मोहर्रम 

शहर भर के तमाम इमामबाड़ों में तथा इमाम चौक पर जातिया रखी जाती है जो सैकड़ों की तादाद में होती है। कई इलाकों में गश्तीअलम का जुलूस उठाया जाता है जो अपने इलाकों में भ्रमण करता है। लोग नौहा मातम करते चलते हैं। अंजुमन हैदरी चौक गश्ती अलम लेकर फातमान पहुंचती है वहां 4 बजे भोर में अंगारों पर चलकर मातम किया जाता है। 9 मोहर्रम को ही अपनी नवैयत का खास दुल्हा का जुलूस शिवाला से उठाया जाता है। जिसमें हजारों लोग शिरकत करते हैं ये जुलूस बनारस की अलग पहचान रखता है। लोग शहर भर के इमामबाड़ों में जाकर नौहा मातम करते हैं ताजीये पर मन्नते मांगते हैं। 9 मोहर्रम को ही हड़हा सराय में सायं 3 बजे से हजरत अली असगर के झूले का जुलूस उठता है जो दालमण्डी, नईसड़क, कोदई चौकी होता हुआ छत्तातले पर समाप्त होता है।

दसवीं मोहर्रम यौमे आशूरा 

आज से 1378 साल पहले सन् 61 हिजरी (जुमा) में 10 वीं मोहर्रम को ही (शुक्रवार) के दिन इमाम हुसैन ने अजीम कारनामा कर दिखाया था। अपने साथ साथ अपने 71 साथियों जिसमें 18 परिवार के सदस्य भी थे। जिनमें 32 वर्ष का भाई अब्बास, 18 वर्ष का बेटा अली अकबर, 13 साल का भतीजा कासीम, 9 व 10 साल के भांजे औन तथा मोहम्मद के अलावा 6 महीने का उनका सबसे छोटा बच्चा अली असगर समेत शहादत दे दिया था। इसी अजीम शहादत कि याद में 10 वीं मोहर्रम को पूरे शहर भर में सुबह से जुलूसों का सिलसिला शुरू रहता है। शहर की तकरीबन 26 अंजुमने अलम व तुरबत व दुलदुल को जुलूस सुबह से शाम तक उठाती रहती है। जिसमें जंजीर व कमा (खंजर) का मातम होता है लोग आंसुओं के साथ-साथ खून का नजराना भी पेश करते हैं ये जुलूस विभिन्न इलाकों में उठते हैं और सदर इमामबाड़ा लाट सरैया और दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा शिवाले घाट पर शाम तक समाप्त होते हैं। शिया हजरात 10 मोहर्रम को जुलूस के बाद विभिन्न स्थानों पर शामे गरीबों की मजलिस करते हैं।

लुटा हुआ काफिला

ग्यारहवीं मोहर्रम को स्व. डा. नाजीम जाफरी के निवास से डा. मुज्तबा जाफरी के संयोजन में लुटे हुए काफिले का जुलूस 11 बजे दिन में उठाया जाता है इस जुलूस को चुप का डंका भी कहते हैं। रास्ते भर लोग नातिया कलाम पढ़ते हैं जो फातमान जाकर समाप्त होता है।  

तीजे का जुलूस

 शहर भर के इमामबाड़ों वर फातिहा दिलाई जाती है सुबह से ही इमाम के फूल की मजलिसें शुरू हो हैं दोपहर बाद आलम व अखाड़े का जुलूस उठाया जाता है। जो अपने रास्तों से होकर दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा सदर इमामबाड़ा लाटा पर शाम को समाप्त होता है।

तेरहवीं मोहर्रम

सदर इमामबाड़े में दुलदुल का जुलूस शाम 4 बजे कैम्पस में ही उठाया जाता है। शहर की कई अंजुमने नौहा मातम करती हैं।

शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

Vishal Krishna के कत्थक नृत्य मोर की गत पर झूमें श्रोता

Benaras घराने के शास्त्रीय संगीत से रुबरु हुए विद्यार्थी 

Varanasi (dil India live). बनारस घराने के शास्त्रीय संगीत विधा से विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए सिडबी एवं स्पिक मैके वाराणसी के विभिन्न स्कूल कॉलेजों में कार्यशालाओं के माध्यम से छात्र छात्राओं को प्रशिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। इसी कड़ी में सिडबी और स्पिक मैके के संयुक्त तत्वाधान में संत अतुलानन्द कान्वेंट स्कूल कोइराजपुर में पांच दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन बनारस घराने के कत्थक नृत्य के कलाकार विशाल कृष्ण के एकल शास्त्रीय नृत्य का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारम्भ संस्था सचिव राहुल सिंह, निदेशक डॉ वंदना सिंह तथा प्रधानाचार्य डॉ. नीलम सिंह ने शमां रौशन करके किया.

कार्यक्रम का आरम्भ सावन के महीने में तेवरा ताल में निबद्ध डमरू पाणी शूल पाणी हे नटराजन नमो नमः से हुआ. अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विशाल कृष्ण ने तीन ताल की जुगलबंदी में तबले और घुंघरु के साथ जबाब और सवाल किए तथा, गिनतियों की तिहाई के साथ सावन के महीने में मोर की गत पर नृत्य किया, जिससे सभी का मन मयूर नृत्यशील हो उठा ।उन्होंने कजरी बरसन लागी सावन बुदिया राजा तोरे बिना लागे जिया...गीत पर नृत्य कर खूब तालियां बटोरी।

इस कार्यशाला में प्रशिक्षणरत विद्यालय की नृत्य कला वर्ग की छात्राओ ने भी अपनी मनमोहक प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। इस कार्यक्रम में तबले पर श्री उदय शंकर मिश्रा एवं हारमोनियम पर शक्ति मिश्रा ने संगत किया। इस अवसर पर विद्यालय के पूर्व छात्र तथा भरतनाट्यम के ख्यातिप्राप्त कलाकार श्री सौरभ त्रिपाठी ने उपस्थित होकर विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाया ।

 संचालन कक्षा 12 कला वर्ग की छात्रा इफरा शाहीन ने एवं धन्यवाद ज्ञापन साक्षी केसरी व प्रमोद विश्वकर्मा नें दिया। उक्त अवसर पर संगीत विभाग की शिक्षिका सुनीता पाण्डेय, माधुरी मिश्रा, विनोद मिश्र व पवन सिंह उपस्थित रहें ।

रविवार, 9 जुलाई 2023

Benaras बाज के कायदे को तबले पर वादन कर सभी को किया मंत्र मुग्ध

पं कामेश्वर नाथ मिश्रा ने बनारस बाज के कायदे को तबले पर किया मुखर

अतुलानन्द कान्वेंट स्कूल में तबले की कार्यशाला संपन्न 




Varanasi (dil India live). संत अतुलानन्द कान्वेंट स्कूल कोईराजपुर में चल रहें सिडबी स्पिक मैके के तत्वाधान में तबले की कार्यशाला का समापन रविवार को बनारस घराने के वरिष्ठ तबला वादक पं कामेश्वर नाथ मिश्रा के एकल तबला वादन के साथ हुआ। उन्होंने सर्वप्रथम विद्यालय के विद्यार्थियों के साथ बनारस बाज के कायदे को तबले पर सयुंक्त रूप से वादन कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि वाद्य पांच प्रकार के होते हैं। तबला पखावज ढोलक और नगाड़ा इत्यादि ये सभी एक अवनद्य वाद्य यंत्र है। विश्व के सभी संगीत में इन्ही वाद्य यंत्रो के प्रयोग द्वारा बजाये जाते हैं। संगीत को 8 प्रहर में बाँट कर राग बनाया गया है। 64 कलाओं में संगीत सर्वोत्तम है। हमारा व्यक्तित्व गुरु की कृपा से ही निखरता है। गुरु हमेशा मनुष्य को आदर का पात्र बनाता है। उन्होंने काशी के सम्पूर्ण कलाकारों के जीवनी पर अपनी संकलित की हुईं एक ग्रन्थ 'काशी की संगीत परंपरा एवं संगीत जगत को काशी का योगदान' पुस्तक को विद्यालय में भेंट स्वरुप प्रदान किया। छात्रा नें श्रेया त्रिपाठी शास्त्रीय गीत हे गोविन्द हे गोपाल राखो शरण में... सुना कर सबको भाव विभोर कर दिया। विद्यालय के सचिव राहुल सिंह नें कहा कि बनारस घराने के संगीत की सभी विधाओं में बहुत ही मधुरता है। सिडबी स्पिक मैके के सराहनीय पहल से आज विद्यार्थी अपनी प्राचीन वाद्य यंत्रो से परिचित एवं जागरूक हो रहें हैं। संगीत हर मनुष्य के दिल में बसता है। प्रकृति का संगीत ही ओम है। हमारे माता पिता का सम्मान अनुशासन से ही है।  इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ संत अतुलानन्द कान्वेंट स्कूल के सचिव डॉ राहुल सिंह एवं निदेशिका डॉ वंदना नें माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर किया। कार्यक्रम के अंत में पं कामेश्वर नाथ मिश्रा को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। स्वागत प्रधानाचार्य डॉ नीलम सिंह विषय प्रवर्तन स्पिक मैके की समन्वयक डॉ विभा सिंह संचालन छात्रा इफरा सानिया  धन्यवाद ज्ञापन गौरव केशरी नें व्यक्त किया। उक्त अवसर पर पवन सिंह सुनीता पाण्डेय प्रमोद विश्वकर्मा सहित छात्र छात्राएँ उपस्थित रहें।

बुधवार, 3 मई 2023

Fr chandrakant आज पहुंचेंगे बनारस

मैत्री भवन के पूर्व निदेशक हैं फादर चंद्रकांत 

झारखंड से पुनः पूर्वांचल आने से अमनपसंद लोगों को मिलेगा बल


Varanasi (dil india live). मैत्री भवन के पूर्व निदेशक फादर चंद्रकांत रांची से आज बनारस पहुंच रहे हैं। वो रांची में पिछले तीन वर्ष से St. Albert's college Ranchi me बतौर प्रोफेसर कार्यरत थे। अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद वो आज शाम में बनारस लौट आएंगे। यहां cantt. भारत st. Mary's Cathedral (सेंट मेरीज़ महागिरजा घर) में कुछ दिन निवास करने के बाद आज़मगढ रवाना हो जाएंगे। उनकी नयी नियुक्ति आजमगढ़ में कि गयी है। हम बता दें कि फादर चंद्रकांत बनारस में गंगा जमुनी तहजीब को मजबूत करने के लिए अपनी अलग पहचान रखते हैं। यही वजह है कि पूर्वांचल में उनके पुनः लौटने से अमनपसंद लोगों को ख़ासा बल मिलेगा।

शनिवार, 22 अप्रैल 2023

Benaras k Govindpura में सबसे पहले मनी थी eid ki khushi

Kashi में Ganga jamuni tahzeeb देख बादशाह कुतुबुद्दीन को हुआ था आश्चर्य 

ईद पर दोनों मजहब की अलग-अलग पहचान करने में उसे हुई थी मुश्किल



Varanasi (dil india live). ईद मिल्लत और मोहब्बत का त्योहार है। सभी जानते हैं कि हफ्ते भर चलने वाले इस महापर्व से हमें खुशी और एकजुटता का पैगाम मिलता है, मगर कम लोग जानते हैं कि ईद का ऐतिहासिक पक्ष क्या है। इस्लामिक विद्वान मौलाना अज़हरुल क़ादरी ने ईद की तवारीखी हैसियत पर रौशनी डालते हुए बताया कि सन् 2 हिजरी में सबसे पहले ईद मनायी गयी। पैगम्बरे इस्लाम नबी-ए-करीम हज़रत मोहम्मद (स.) का वो दौर था। उन्होंने सन् 2 हिजरी में पहली बार ईद की नमाज़ पढ़ी और ईद की खुशियां मनायी। उसके बाद से लगातार आज तक पूरी दुनिया में ईद की नमाज़े अदा की जाती है और लोग इसकी खुशियों में डूबे नज़र आते हैं।

जहां तक बनारस में ईद के त्योहार का सवाल है, इतिहासकार डा. मोहम्मद आरिफ तथ्यो को खंगालने के बाद बताते हैं कि बनारस में गोविन्द्रपुरा व हुसैनपुरा दो मुहल्ले हैं जहां सबसे पहले ईद मनाये जाने कि पोखत  तस्दीक होती है। वो बताते हैं कि हिन्दुस्तान में मुसलमानों के आने के साथ ही ईद मनाने के दृष्टांत मिलने लगते हैं। जहां तक बनारस की बात है यहां मुस्लिम सत्ता की स्थापना से पूर्व ही मुस्लिम न सिर्फ आ चुके थे बल्कि कई मुस्लिम बस्तियां भी बस गयी थी। दालमंडी के निकट गोविन्दपुरा और हुसैनपुरा में ईद की नमाज़ सबसे पहले पढ़े जाने का संकेत तवारीखी किताबों से ज़ाहिर है।

इतिहासकार डा. मोहम्मद आरिफ बताते हैं कि जयचन्द की पराजय के बाद बनारस के मुसलमानों की ईद को देखकर बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक को उस दौर में आश्र्चर्य हुआ था कि ईद की नमाज़ के बाद बनारस में जो सौहार्दपूर्ण गंगा जमुनी माहौल दिखाई दिया था उसमें उन्हें हिन्दू-मुसलमान की अलग-अलग पहचान करना मुश्किल था। यह बनारसी तहज़ीब थी जो देश में मुस्लिम सत्ता की स्थापना के पूर्व ही काशी में मौजूद थी। जिसने एक नई तहज़ीब, नई संस्कृति हिन्दुस्तानी तहज़ीब को जन्म दिया। तब से लेकर आज तक ईद की खुशियां बनारस में जितने सौहार्दपूर्ण और एक दूसरे के साथ मिलकर मनाया जाता है उतना अमनों-सुकुन और सौहार्दपूर्ण तरीके से दुनिया के किसी भी हिस्से में ईद नहीं मनायी जाती।

ईद का इस्लामी पक्ष

प्रमुख इस्लामी विद्धान मौलाना साक़ीबुल क़ादरी कहते हैं कि ईद रमज़ान की कामयाबी का तोहफा है। वो बताते हैं कि नबी का कौल है कि रब ने माहे रमज़ान का रोज़ा रखने वालों के लिए जिंदगी में ईद और आखिरत के बाद जन्नत का तोहफा मुकर्रर कर रखा है। यानी रमज़ान में जिसने रोज़ा रखा है, इबादत किया है नबी के बताये रास्तों पर चला है तो उसके लिए ईद का तोहफा है।

दूसरों को खुशिया बांटना है पैगाम

आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां फाजिले बरेलवी पर रिसर्च करने वाले प्रमुख उलेमा मौलाना डा. शफीक अजमल की माने तो ईद का मतलब केवल यह नहीं कि महीने भर जो इबादत करके नेकियों की पूंजी एकत्र किया है उसे बुरे और बेहूदा कामों में ज़ाया कर देना बल्कि ईद का मतलब है कि दूसरों को खुशियां बांटना। अपने पड़ोस में देखों कोई भूखा तो नहीं है, किसी के पास पैसे की कमी तो नहीं है, कोई ऐसा बच्चा तो नहीं जिसके पास खिलौना न हो, अगर इस तरह की बातें मौजूद है तो उन तमाम की मदद करना हमारा फर्ज़ है। और यही रमज़ान हमें सिखाता है। मौलाना शफी अहमद कहते हैं कि दूसरो की मदद करना ईद का सबसे बड़ा मकसद है तभी तो रमज़ान में जकात, फितरा, खैरात, सदका बेतहाशा निकालने का हुक्म है ताकि कोई गरीब, मिसकीन, फकीर नये कपड़े से महरुम न रह जाये। ईद की खुशी में सब खुश नज़र आयें। यही वजह है कि ईद पर हर एक के तन पर नया लिवास दिखाई देता है।  

ईद ग्लोबल फेस्टिवल

एक माह रोज़ा रखने के बाद रब मोमिनीन को ईद कि खुशियो से नवाज़ता है, आज वक्त के साथ वही ईद ग्लोबल फेस्टीवल बन चुकी है जो टय़ूटर, वाट्स एप, स्टेलीग्राम से लेकर फेसबुक तक पर छायी हुई है।


गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

Cristmas news: Sunday के कंधे पर बैठ कर आएगा crismas व new year 2023

Cristmas tree में गूंजे कैरोल, झूमे मसीही 



Varanasi (dil india live)। संडे के कंधे पर बैठ कर इस बार क्रिसमस और नया साल 2023 आएगा। जी हां क्रिसमस का ग्लोबल पर्व 25 दिसंबर इस बार संडे को पड़ रहा है। नया साल भी इतवार को ही पड़ेगा। इससे मसीही समुदाय में खास उत्साह है। 
दरअसल पादरी आदित्य कुमार कि माने तो मसीही समुदाय में संडे का खास महत्व है। मसीही समुदाय में संडे न सिर्फ आराधना और प्रार्थना का दिन है बल्कि इसे जीत का दिन भी कहते हैं। पास्टर एंड्रू थामस बताते हैं कि संडे यीशु मसीह का दिन है, दुनिया इसे छुट्टी के दिन के नाम से भी जानती है। पादरी बेन जान कि माने तो संडे को जीत का दिन इसलिए कहा गया है कि संडे को प्रभु यीशु मसीह मौत को मात दे कर कब्र से जी उठे थे और तब ईस्टर कि खुशी मनाई गई थी। तभी से संडे छुट्टी और प्रार्थना का दिन हो गया। पादरी नवीन ज्वाय वह पास्टर दशरथ पवार कहते हैं कि संडे का मसीही समुदाय में खास महत्व है। लम्बे समय के बाद क्रिसमस और नया वर्ष इतवार को पड़ रहा है। इससे लोगों में उत्साह ज्यादा है।

चर्च आफ बनारस में cristmas 

चर्च आफ बनारस में cristmas tree का आयोजन किया गया। यहां पादरी बेन जान ने आराधना कराते हुए कहा कि हम मसीही है इसका हमें गर्व है, हमें अपने सांसारिक जीवन पर चिंतन-मनन कर यह आकलन करना हैं कि मसीही होने के नाते हमने अब तक के जीवन में प्रभु यीशु के आदर्शों पर कितना अमल किया। उन्होंने कहा कि हम आभारी है प्रभु यीशु के। हमारा फर्ज हैं कि हम भी प्रभु यीशु की सदा स्तूति करें।

इस अवसर पर Vikas Mishra, Akhilesh, Andrew, Ashish, Alok, aradhna, Asher john, Riddkant, Chandrashekhar Dogra आदि मौजूद थे।

बेटल फुल गास्पल चर्च में cristmas 

crismas सीजन के तमाम आयोजन सभी गिरजाघरों में हर शाम हो रहे हैं। इस दौरान गिरजाघरों में प्रभु यीशु की स्तूति के गीत गूंज रहें हैं।, आराधना और प्रार्थना का दौर अलग अलग चर्चेज में सुबह से शाम तक चलता रहा। शुक्रवार को शाम में बेटल फुल गास्पल चर्च में क्रिसमस ट्री का आयोजन होगा। कार्यक्रम कि अगुवाई पास्टर एंड्रू थामस करेंगे। 

रविवार, 11 दिसंबर 2022

Mister benaras बने vikas, Vijay बने मिस्टर मसलमैन

Anand केशरी को मिस्टर प्रोग्रेसिव का खिताब मिला




Varanasi (dil india live)। प्रतिष्ठापरक मिस्टर बनारस का खिताब विकास मौर्य के नाम रहा, वहीं कड़े मुकाबले में दूसरे स्थान पर रहे विजय पटेल मिस्टर मसलमैन का खिताब जीतने में सफल रहे। आंनद केशरी को मिस्टर प्रोग्रेसिव का खिताब मिला।

काशी डिस्ट्रिक्ट बॉडी बिल्डिंग एवं फिटनेस एसोसिएशन के तत्वावधान में रविवार को पाण्डेयपुर, खजूरी स्थित तुलसी निकेतन बालिका इंटर कॉलेज के प्रांगण में आयोजित तीसरे मिस्टर बनारस प्रतिस्पर्धा में 125 से अधिक बॉडीबिल्डरों ने मिस्टर बनारस के प्रतिष्ठापरक खिताब के लिये जोर आजमाइश की। मिस्टर बनारस एवं मिस्टर मसलमैन को पुरस्कार स्वरूप नकद राशि, ट्राफी, सर्टिफिकेट, टीशर्ट आदि प्रदान किया गया।

इससे पहले विभिन्न भार वर्ग में बॉडी बिल्डरों ने अपना दमखम दिखाया। 0-55 किलोग्राम भारवर्ग में आशीष यादव प्रथम, श्रीकांत चौधरी द्वितीय एवं सचिन निषाद तृतीय स्थान पर रहे। 55-60 किलोग्राम भारवर्ग में आनंद केशरी प्रथम, आशीष पाल द्वितीय एवं दानिश तीसरे स्थान पर रहे। 60 - 65 किलोग्राम भारवर्ग में विकास चौधरी प्रथम, अरविंद साहनी द्वितीय एवं कृष्णा तृतीय स्थान पर रहे। 65-70 किलोग्राम भारवर्ग में विजय पटेल प्रथम, प्रभाकर सिंह द्वितीय तथा प्रज्ज्वल तीसरे स्थान पर रहे। 70 से 75 किलोग्राम भारवर्ग में रोहित जायसवाल प्रथम, सौरभ सिंह दूसरे तथा शिवम यादव तीसरे स्थान पर रहे। 

75 से अधिक किलोग्राम भारवर्ग में प्रांशु यादव प्रथम, गौरव वर्मा द्वितीय, नवनीत साहू तृतीय स्थान पर रहे। 

फिटनेस फिजिक की स्पर्धा में रजत सिंह प्रथम, सौरभ सिंह दूसरे तथा सलीम कुरैशी तीसरे स्थान पर रहे। इन्हें पुरस्कार स्वरूप ट्रॉफी, मेडल, टीशर्ट एवं सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। 

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भारत माता मिशन पीठाधीश्वर स्वामी विवेक चैतन्य महाराज, विशिष्ट अतिथि सरित कुमार सिंह, डॉ. वी.के. सिंह आदि ने खिलाड़ियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम का संयोजन अध्यक्ष अहमद फैसल महतो तथा महासचिव विकास चौरसिया ने किया। निर्णायक मण्डल में फसरूद्दीन खान, मिस्टर इण्डिया गोविंद झा, मिस्टर इण्डिया अवधेश यादव रहे। इस अवसर पर अनिकेत यादव, सुभाष चंद्र चौरसिया, एडवोकेट फिरदौसी, मयंक उपाध्याय, प्रताप बहादुर सिंह, रोमा, निसार अहमद, राजेंद्र, कबीर, रियासुद्दीन, राकेश पाण्डेय, कैश आदि सहयोग में रहे।

शनिवार, 10 दिसंबर 2022

Mr benaras में दमखम दिखाएंगे बॉडी बिल्डर

Varanasi (dil india live). काशी डिस्ट्रिक बॉडीबिल्डिंग एवं फिटनेस एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित होने वाले तीसरे मिस्टर बनारस के खिताब के लिए आज रविवार को शहर भर के बॉडी बिल्डर अपना दमखम दिखाएंगे। खजुरी, पाण्डेयपुर स्थित तुलसी निकेतन बालिका इंटर कॉलेज के प्रांगण में आयोजित होने वाली इस प्रतिस्पर्धा में शहर भर के डेढ़ सौ से अधिक बॉडी बिल्डर मिस्टर बनारस की प्रतिष्ठापरक  टाइटल के लिए जोर आजमाइश करेंगे। एसोसिएशन के अध्यक्ष अहमद फैजल महतो ने बताया कि प्रतियोगिता के लिए अब तक 100 से अधिक खिलाड़ियों ने अपना वजन महावीर मंदिर, पाण्डेयपुर स्थित वायरस फिटनेस क्लब में करा लिया है। इसके अलावा आज भी कुछ खिलाड़ी अपना रजिस्ट्रेशन एवं वजन प्रतियोगिता के लिए कराएंगे। एसोसिएशन के महासचिव विकास चौरसिया ने बताया कि यह स्पर्धा बॉडीबिल्डिंग की छः एवं फिटनेस  फिजिक की एक कैटेगरी में आयोजित होगा। टाइटल एवं मसलमैन विजेता को नकद पुरस्कार के साथ-साथ ट्रॉफी, सर्टिफिकेट, सप्लीमेंट, ट्रैक सूट प्रदान किया जाएगा, वही बेस्ट ऑफ फाइव को ट्रॉफी एवं सर्टिफिकेट दिया जाएगा सभी प्रतिभागियों को मेडल दिया जाएगा। इस अवसर पर फसरुद्दीन खान, मिस्टर इंडिया गोविंद झा, एडवोकेट फिरदौसी, प्रताप बहादुर सिंह, रोमा, मयंक उपाध्याय, निसार अहमद, राजेंद्र, रियाजुद्दीन, कैश, कबीर, राकेश पाण्डेय आदि शामिल रहे। प्रतियोगिता अपराहन 1:00 बजे से शुरू होगी, टाइटल की घोषणा सायं 5:00 बजे होगी।

शनिवार, 5 नवंबर 2022

Shanti, sadbhavna यात्रा संकल्प के साथ सम्पन्न

125 किमी दूरी तय कर 100 गांवों में किया गया संवाद 

  • नफरत और बांटने की राजनीति का बहिष्कार आज की जरूरत है : डा संदीप पाण्डेय 
  • समाज में भ्रम, वैमनस्य और अशांति फ़ैलाने वालों से सतर्क रहना जरूरी है: विजय नारायण 
  • विविधता में एकता देश की पहचान है: डॉ आरिफ
  • आमजन की समस्याओं पर चर्चा के बजाय गैरजरूरी बहसों में उलझने से बचें: शैलेन्द्र
  • शांति सद्भावना सहयोग और सौहार्द हमारी परंपरा : राम धीरज 






Varanasi (dil india live). साझा संस्कृति मंच एवं जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शांति, सद्भावना, प्रेम और भाईचारे के संदेश के साथ 9 दिवसीय "शांति सद्भावना यात्रा" का भव्य समापन शनिवार को सारनाथ में हुआ . इसके पूर्व संदहा से सारनाथ तक ग्रामवासियों ने पदयात्रियों का जोरदार स्वागत एवं अभिनंदन किया। सारनाथ में बुद्ध मंदिर के समक्ष औपचारिक समापन सभा में लोगों को संकल्प दिलाया गया कि समाज को नफरत नहीं बल्कि प्रेम और आपसी मेलजोल की जरूरत है इसलिए हम शांति सद्भाव प्रेम और मेलजोल बढाने की दिशा में दृढ़ संकल्पित होकर प्रयास करेंगे।

यात्रा संयोजक नंदलाल मास्टर ने बताया कि 9 दिनों की यह पद यात्रा में वाराणसी कुल आठों विकास खण्डों में होते हुए लगभग 100 गांव से गुजरी इस दौरान जनवादी गीत, नाटक, संवाद, कंदील मार्च, मशाल जुलूस, जनसभा आदि का आयोजन किया गया और शांति सद्भावना का संदेश प्रसारित किया गया।

सभा के बाद विद्या आश्रम परिसर में "भारतीय लोक परम्परा में न्याय, शांति एवं सद्भावना " विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए  मैग्सेसे पुरस्कार सम्मानित सामाजिक कार्यकर्त्ता डॉ संदीप पाण्डेय ने  कहा कि दरअसल समाज में अशांति और नफरत फैलाने वाले लोकप्रिय नहीं हैं। सत्य और धर्म उनके साथ नहीं है, लेकिन वो संगठित और सक्रिय हैं, हमारी निष्क्रियता का लाभ उठाते हैं, हमे इंसान के बजाय भीड़ बनाने में और वोट बैंक बनाने में उनका फायदा है। एक-दूसरे के बारे में वैमनस्य,भ्रम और भय फैलाया जा रहा है। बहुत चालाकी से अधकचरे झूठ को सच बनाया जा रहा है। नयी टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया का गन्दा इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में हमे सचेत होकर रहना है सत्य को जानना है और समाज मे मिलजुल कर रहने की परंपरा का निर्वहन करना है।

वरिष्ठ समाजवादी चितंक विजय नारायण ने कहा कि तेजी से बढ़ रही असामाजिकता और अशांति के बुरे परिणामों को समझने की जरूरत है। अब हमारा गांव, गांव के लोगों का नही रहा, पहले छोटी बड़ी समस्याओं का निस्तारण आपस में मिल बैठकर कर लिया जाता था। लेकिन अब हम हर छोटे बड़े विवाद में खर्चीले कोर्ट कचहरी और थाना पुलिस की मार जलालत झेलने को अभिशप्त हैं, हमें दवाई, पढाई, रोजगार की जरूरत है तो उसी पर बात करनी होगी आपसी वैमनस्य की नहीं।

वरिष्ठ गांधी वादी एवं इतिहासकार डा मोहम्मद आरिफ ने कहा कि  भारत की खासियत विविधता में एकता है। विभिन्न धर्मों, जातियों और पंथों के लोग यहाँ एक साथ रहते हैं। भारत का संविधान अपने नागरिकों को समानता और स्वतंत्रता की गारंटी देता है। शांति और सद्भाव सुनिश्चित रहें, इसके लिए कई कानून बनाए गए हैं। बनारस की बात करें, तो सैकड़ों सालों से अलग अलग तरीकों से पूजा पाठ, शादी ब्याह से लेकर अंतिम कर्म करने वाले लोग बहुत प्यार से एक ही गाँव मुहल्ले में रहते आएं हैं। सभी तरह के धर्म, जाति, विचारों से भरा पूरा छोटा सा अलमस्त शहर बनारस, दुनिया भर के लोगों को कैसे जुटा के रखता है, ये एक आश्चर्य और कौतुहल का विषय है, नफरत और बांटने की राजनीति को बनारस को नकारना ही होगा तभी यहाँ की गंगा जमुनी तहजीब की परम्परा बची रहेगी।

साझा संस्कृति मंच के पूर्व अध्यक्ष डॉ नीति भाई ने पदयात्रियों को बधाई देते हुए कहा कि यह बहुत ही उपयोगी अभियान रहा जिसके परिणाम सुखद होंगे। झारखंड से आये इप्टा से जुड़े वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता शैलन्द्र भाई ने कहा कि आज से कुछ वर्ष पहले तक अख़बार टीवी आदि में गरीब की रोजी रोटी की बात होती थी,  मजदूरों किसानों की परेशानियों की चर्चा होती थी, छात्रों की पढ़ाई और युवाओं के रोजगार की चिंता दिखती थी। मगर आज सिर्फ ये पार्टी या वो पार्टी तक सिमित होकर रह गयी है। मार - झगड़ा और चीन - पाकिस्तान करने में ही सब फंसे हुए है। मीडिया और सत्ता की इस रस्साकस्सी में समाज पिस रहा है। 

सामाजिक कार्यकर्ता अरविन्द मूर्ति ने कहा कि पढाई, दवाई, काम धंधा की जगह हमारा गाँव घर दिन रात ' हिन्दू-मुसलमान ' के टकराव की बात सुन रहा है। लोगों में चिड़चिड़ापन तनाव और गुस्सा बढ़ रहा है। हिन्दू - मुसलमान की गैर जरूरी बहस में फँसाकर मंहगाई की बात को अनदेखा कर दिया जा रहा है। नौकरी की मांग को अगड़ा - पिछड़ा, आरक्षण समर्थक और विरोधी के खांचे में बांटकर आपस मे ही लड़ा दिया जा रहा है. यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है. समाज को सचेत होना ही होगा। जिला पंचायत सदस्य अनिता प्रकाश ने समाज मे सभी को मिलजुल कर रहने और नफरत को नकारने का आह्वान किया।संगोष्ठी के दौरान सभी पदयात्रियों का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया गया। सांस्कृतिक दल प्रेरणा कला मंच की टीम ने जनवादी गीतों और नाटक का प्रस्तुतिकरण किया।

अध्यक्षीय संबोधन में सर्व सेवा संघ उत्तर प्रदेश के संयोजक रामधीरज भाई ने कहा कि समाज मे  विद्यालय-चिकित्सालय, कार्यालय- देवालय तक में हो रहा भेदभाव और हिंसा एक बड़ी चुनौती है। घर से लेकर खेत तक और सड़क से ऑफिस तक चंहुओर फैले इस अफरातफरी के समय में शांति सद्भाव की बात करने की अधिक जरूरत है। संगोष्ठी का संचालन फादर आनंद और अध्यक्षता रामधीरज भाई ने की और धन्यवाद ज्ञापन  अनिता ने किया. 

कार्यक्रम में मुख्य रूप से संदीप पाण्डेय, सरिता प्रकाश, अरविंद मूर्ति, थेरो भँतो, रंजू सिंह, महेन्द्र राठौर, विनोद, रामबचन, अनिल, सुजीत, सूबेदार, सुरेंद्र, कन्हैया, सतीश सिंह, फादर जयंत, विजेता, रुखसाना, सोनी, नीति, मैत्री, पूनम, इन्दु, एकता, रवि शेखर, धनंजय, मुकेश, विनय सिंह, प्रदीप सिंह समेत सैकड़ो लोगो की भागीदारी रहीं।

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

Jamiyat ullema की सीरत कान्फ्रेंस आज से, जुटेंगे उलेमा

दो दिन तक चलेगी सीरत कांफ्रेन्स, लोहता में होगी कई मुद्दों पर चर्चा 

Varanasi (dil india live). समाज में फैल रही भिन्न प्रकार की कुरीतियों एवं बुराइयों को रोकने, अच्छी बातों का संदेश देने, समाज के सभी वर्गों विशेष रूप से युवाओं को सही राह दिखाने एवं देश में अमन व अमान का माहौल बनाने के उद्देश्य से जमीयत उलमा ए बनारस के द्वारा विगत 29 वर्षों से आयोजित होने वाली दो दिवसीय सीरत कांफ्रेंस इस वर्ष 20, 21 अक्टूबर को लोहता में आयोजित हो रही है। इस वर्ष तीसवीं कांफ्रेंस आयोजित की जा रही है। दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मुफ्ती अबुल क़ासिम नोमानी की अध्यक्षता में होने वाली इस कांफ्रेंस के मुख्य अतिथि जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य मौलाना महमूद मदनी शिरकत फरमाएंगे। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी महासचिव जमीयत उलमा ए हिंद, मौलाना सलमान बिजनौरी उपाध्यक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद, मुफ्ती राशिद आज़मी उपकुलपति दारुल उलूम देवबंद, मुफ्ती हुज़ैफा क़ासमी महाराष्ट्र, मुफ्ती अफ़फान मंसूरपुरी अमरोहा, मौलाना अब्दुर्रब आज़मी अध्यक्ष जमीयत उलेमा ए उत्तर प्रदेश, मौलाना तौफीक अहमद जौनपुर, मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी मुफ्ती शहर बनारस और  कारी अहमद अब्दुल्लाह सेक्रेटरी जमीयत यूथ क्लब कार्यक्रम में शिरकत फरमाएंगे और इस जनसभा को संबोधित करेंगे। 

शनिवार, 16 जुलाई 2022

बनारस रेलवे स्टेशन का एक वर्ष पूरा, मनाया जश्न


Varanasi (dil india live).  निराला नगर कालोनी महमूरगंज स्थित तेरापंथ भवन में वाराणसी नगर उद्योग व्यापार मण्डल द्वारा 'बनारस रेलवे स्टेशन' का एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर केक काटकर पूरे हर्षोल्लास के साथ जन्मदिन के रूप में वर्षगांठ मनाया गया। 
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता अनुमंडल के अध्यक्ष संजीव सिंह बिल्लू ने किया तथा संचालन मंत्री प्रतीक गुप्ता ने किया | उल्लेखनीय है कि 2015 में मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर "बनारस" किए जाने का सुझाव सोशल मीडिया के माध्यम से सर्वप्रथम वरिष्ठ पत्रकार एके लारी द्वारा दिया गया था लारी जी का ये सुझाव  सभी को रास आ गया। सोशल मीडिया पर इस मुहिम का दायरा बढ़ता गया।शासन-प्रशासन के अलावा दिल्ली देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक बात पहुंच गई। 

बनारस के जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने भी इस मुहिम को हाथोंहाथ लिया। नतीजा हुआ कि बनारस के रहने वाले और तत्कालीन रेलराज्य मंत्री श्री मनोज सिन्हा ने साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान गाजीपुर में मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदलकर 'बनारस' करने का ऐलान कर दिया। इस ऐलान से मुहिम के साथियों का हौसला और बढ़ गया। मुहिम और तेज हो गयी।आभासी दुनिया के लाखों साथी इसके हिस्सेदार बन गये। 

फिर  वह समय भी आया जब केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल के शुरू में एक दिन नोटिफिकेशन जारी कर दिया कि मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम अब बनारस होगा। फिर तमाम प्रक्रियाओं के बाद अंततः 15 जुलाई 2021वह तारीख इतिहास में दर्ज हो गया। जिस दिन हम बनारसियों को 'बनारस' नाम का माइल स्टोन मिल गया।

हम सभी बनारस के साथियों ने इस आयोजन को बनारस स्टेशन परिसर में बहुत ही शानदार तरीके से मनाने की तैयारी शुरू कर दी थी। पूर्वोत्तर रेलवे मंडल रेल प्रबंधक वाराणसी रामाश्रय पांडे ने सहमति देते हुए स्थान का आवंटन भी कर दिया था। परन्तु विभागीय जटिलताओं के कारण परिसर में वर्षगांठ समारोह नहीं हो पाया। रेलवे का यह फैसला सुनकर मन दुखी तो हुआ पर सभी ने तय किया कि हम हार नहीं मानेंगे।भले ही रेलवे अपने परिसर में सालगिरह न मनाने दे,कोई बात नहीं हम कहीं और मनाएंगे। साथ ही  यह बता देंगे बनारसी हार नहीं मानते तो ठान लेते हैं उसे मूर्त रूप देकर ही छोड़ते हैं | 

कार्यक्रम का प्रारंभ है राष्ट्रगान से हुआ तत्पश्चात वरिष्ठ पत्रकार श्री ए के लारी ने मंडुआडीह से बनारस नामांतरण का सफरनामा सबके साथ साझा किया | श्री लारी का संस्था द्वारा अंगवस्त्रम से सम्मान किया गया | सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं विशिष्ट जनों ने केक काटकर वर्षगांठ मनाया। स्वागत शोभनाथ मौर्या,मनोज दुबे,राकेश मिढ्ढा, संचालन प्रतीक गुप्ता   व धन्यवाद ज्ञापन राजेश त्रिवेदी ने दिया।

मुख्यरूप से के. एन. सिंह, मदन मोहन कपिल, विकास चतुर्वेदी, गुलशन कपूर,मनोज रावत,शरद वर्मा,घनश्याम जायसवाल,विभूति नारायण सिंह, विजयशाह, कन्हैया लाल शर्मा, संजय बनर्जी, उत्कर्ष सिंह, राजू गोंड, कुलदीप गोंड, मनोज गोंड, मनोज सोनकर, दीपक गोंड, राधेश्याम गोंड, विकास, नन्द किशोर अरोड़ा, पंकज पटेल, योगेश वर्मा, सभासद शिवशंकर  यादव, सुनील चौरसिया, निर्मल यादव, सिन्धु सोनकर, सत्यार्थ भारती रिंक्कू, मिठाई लाल यादव, सुमित मौर्या निक्की, रोहित पाठक, राजकुमार खरवार राजू , राजेश यादव, सुधीर जायसवाल, सौरभ सिंह मुन्ना, जयकिशन गुप्ता, चन्द्र प्रकाश, दीपक गुप्ता, महेश्वर सिंह, सौरभ चन्द्र, राजीव रंजन सिंह, कल्लू, अर्जुन बिंद आदि शामिल रहे।

गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

गंगा जमुनी तहज़ीब की मिसाल है अगहनी जुमा



किसानों ने की थी पूजा, मुस्लिमों ने अदा की थी तब नमाज़  

 वाराणसी01दिसंबर (dil india live)। अगहनी जुमे की नमाज सिर्फ बनारस में ही अदा की जाती है इसके बारे में  बुनकर बिरादराना तंजीम बावनी के सदर हाजी मुख्तार महतो कहते हैं कि अगहनी जुमे की नमाज की ये परम्परा लगभग 450 साल पुरानी है उस वक़्त देश में सुखा पड़ा था जिसकी वजह से किसान और बुनकर दोनों परेशान थे, बारिश नहीं हो रही थी जिसके कारण किसान खेती नहीं कर पा रहे थे। जबरजस्त मंदी से बुनकरों के बुने हुए कपडे नहीं बिक रहे थे। हर तरफ भूखमरी का आलम था। तब उस वक्त बुनकरों ने अपने अपने कारोबार को बन्द करअगहन के महीने में जुमे के दिन ईदगाह में इकठ्ठा होकर नमाज अदा कर अल्लाह की बारगाह में दुआए मांगी गयी और हिन्दू किसानों ने पूजा की थी। उसके बाद अल्लाह के रहमो करम से बारिश हुयी और देश में खुशहाली आई बुनकरों के कारोबार भी चलने लगा तब से अगहनी जुमे की यह परंपरा आज तक कायम है। अगहनी जुमे को बनारस में मुस्लिम नमाज़ अदा करते हैं तो हिन्दू गन्ने की फसल पूजा के बाद बेचने पहुंचते हैं। नमाज़ अदा करके लौटने वाले गन्ना खरीद कर अपने घरों को लौटते हैं।  

 इस पारंपरिक अगहनी जुमे की नमाज की परंपरा को बनारस में बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के सरदार की सदारत में निभाई जाती है इस मौके पर बाईसी तंजीम के सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ दरोगा ने बताया की अगहनी जुमे की नमाज की इस ऐतिहासिक परम्परा को हम सब की तंजीम बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के देख रेख में पुरानापुल पुल्कोहना ईदगाह में हर साल अदा की  जाती है। जब जब देश के अवाम के ऊपर ऊपर मुसीबते आती है तो बनारस के सारे बुनकर अगहन के महीने में अपने अपने कारोबार को बंद कर ईदगाह में इकठ्ठा होकर अगहनी जुमे की नमाज अदा करने हजारो हजार की तादाद में पहुंचते है और अपने अपने कारोबार में बरक्कत और मुल्क की तरक्की के लिए दुआए मांगते है। इस साल अगहनी जुमे की नमाज पुरानेपुल पुलकोहना ईदगाह में  3 दिसंबर को अदा की जायेगी। जिसमें सभी बुनकर भाइयो से बाईसी तंजीम ने गुजारिश की है कि उस दिन सभी बुनकर अपना अपना करोबार बन्द कर पुरानापुल ईदगाह पहुंच कर अगहनी जुमे की नमाज अदा करे। ऐसे ही चौकाघाट ईदगाह पर भी अगहनी जुमे की नमाज़ अदा की जाती है।

रविवार, 10 अक्तूबर 2021

लखीमपुर में किसानों से मिलने का पीएम सीएम को वक्त नहीं: प्रियंका








प्रियंका गांधी बनारस में गरजी

किसानों को न्याय दीजिए योगी जी पैसा नहीं चाहिए


वाराणसी 10 अक्टूबर (दिल इंडिया लाइव)। किसान न्याय रैली को लेकर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा इंडियो एयरलाइंस के विमान से रविवार को वाराणसी पहुंचीं। लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट से सीधे श्रीकाशी विश्‍वनाथ मंदिर के लिए रवाना हुईं। यहां से दर्शन-पूजन के बाद दुर्गाकुंड में मां कूष्मांडा मंदिर पहुंचीं। जगतपुर में पार्टी की किसान न्याय रैली में को संबोधित करते हुए कहा कि लखीमपुर में किसानों से मिलने प्रधानमंत्री व मुख्‍यमंत्री अभी तक नहीं गए। दुनिया के कोने-कोने तक पीएम घूम सकते हैं, देश-देश भ्रमण कर सकते हैं लेकिन अपने देश के किसानों से भेंट करने नहीं जा सकते। किसान आन्दोलन में अब तक 600 किसानों की मौत हुई लेकिन अभी भी आंदोलन जारी है क्योंकि किसानों को पता है कि हमारे फसल की कीमत उचित नहीं मिलेगी।

सब पूंजीपतियों के हाथ में चला जायेगा

सबकुछ पूंजीपतियों के हाथ में चला जायेगा। मोदी जी ने आंदोलन कर रहे किसानों को आन्दोलन जीवी कहा, आतंकी कहा। योगी ने किसानों को उपद्रवी कहा। लखीमपुर में देखा कि देश 6 किसानों को निर्ममता से कुचल दिया। पीड़ित किसानों ने न्याय की मांग की। मैं रात में वहां जाने की कोशिश की तो पुलिस की घेरेबंदी कर मुझे रोकने का प्रयास किया गया। लेकिन अपराधी को पकड़ने को पुलिस नहीं भेजा गया। आरोपी को पुलिस ने निमंत्रण दिया, इतिहास में कभी आपने देखा और सुना नहीं होगा।

आजादी का अमृत महोत्सव जो मनाया जा रहा है वो आजादी हमें किसानों ने दिया है, किसान के बेटों ने दिया है। पुलिस प्रशासन विपक्ष के नेताओं को रोकने की कोशिश की।पीड़ित परिवार को नजरबंद किया गया। अपराधियों पर कोई लगाम नहीं है। जिसके बेटे ने ऐसा काम किया उसको बचाने का काम सरकार कर रही है। जो सीएम लखीमपुर जा सकते थे वे उनके हाथ पकड़ने और आंशु पोछने नहीं पहुंचे। इस सरकार में न दलित सुरक्षित हैं, न अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं, न महिला सुरक्षित हैं, न नौजवान सुरक्षित हैं। इस देश में केवल प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और उनसे जुड़े लोग और उनके खरबपति मित्र सुरक्षित हैं।



रुपया नहीं न्याय चाहिए

प्रियंका ने कहा कि जो मैंने दो वर्षों में देखा उसका जिक्र कर रही हूं। सोनभद्र में नरसंहार हुआ जिसमें 13 लोगों को मारा गया, जब मैं मिलने गयी तो बहुत कष्ट हुआ। लोग मुझसे बोले मुझे रुपये नहीं न्याय चाहिए। उसके बाद मैं उन्नाव में गयी वहां भी इसी तरह का घटना हुआ। उस मामले में भाजपा के पूर्व विधायक और भाजपा से जुड़े लोग शामिल थे। कोरोना के समय सरकार मदद नहीं की। अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो गया था, लोग काफी परेशान हुए। कोरोना के समय रिपोर्ट आई कि हर जगह समस्या है। सरकार ने मदद नहीं की उसके बाद हाथरस कांड हुआ जिसमें एक बेटी को न्याय नहीं मिला। एक पिता से उसके बेटी का दाह संस्कार नहीं करने दिया गया। मुझसे परिवार ने बोला था कि दीदी न्याय चाहिए।

प्रियंका ने कहा कि अपने अंतरतम में झांकिए एक सवाल पूछिये। तरक्की आयी है। विकास आपके द्वार आया कि नहीं। जीवन में तरक्‍की नहीं हुई तो मेरे साथ कंधा से कंधा मिलाकर सरकार को बदलिए। जो आपको आतंकवादी कहते हैं उनको न्याय देने के लिए मजबूर करिये, कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता किसी से नहीं डरते हैं। हमें जेल में डालिये, कुंचलिये लेकिन जबतक न्याय नहीं मिलेगा हम लड़ते रहेंगे, लड़ते रहेंगे, लड़ते रहेंगे। चुनाव की बात नहीं है, अब देश की बात है।समय आ गया है अब। ये देश आपका देश है इस देश को कौन बचाएगा,आप किसान हो इस देश की आत्मा हो। जो आपको आंदोलनकारी कहते है उनको न्याय के लिए मजबूर करिये। कांग्रेस के कार्यकर्ता किसी से नहीं डरते। हम कांग्रेस के कार्यकर्ता है हमें कोई चुप नहीं करा सकता। कोरोना के समय तमाम छोटे व्यपारी को रोजगार बंद करना पड़ा। सरकार ने राहत नहीं दी। प्रधानमंत्री ने दो हवाई जहाज खरीदे। एक हवाई जहाज आठ हजार करोड़ के खरीदे। अपने दोस्तों को बेच दी एयरलाइन। 16 हजार करोड़ का दो हवाई जहाज खरीद और अपने दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने पूरी एयर इंडिया को 15 हजार करोड़ में ही अपने पूंजीपति और खरबपति मित्र को बेच दी।

बिजली नहीं मिल रही, बिजली का बिल मिल रहा

बिजली नहीं मिल रही है, फिर भी बिजली के बिल मिल रहे हैं, क्या पीएम ने ये देखा है? खेती किसानी के सामानों पर भी सरकार ने जीएसटी लगाया है। पेट्रोल, डीजल महंगा है 1000 से ऊपर रसोई गैस काम दाम। प्रियंका ने कहा कि ने मुझे बताया की, किसी ने एमए, किसी ने बीए, किसी ने इंजीनियरिंग और उसमें ही कुछ ऐसे ही पढ़े लिखे लोग सफाईकर्मी थे। यह बताता है कि बेरोजगारी चरम पर है। बेरोजगारी चरम पर है। लखनऊ की बस्ती में गई थी। योगी जी ने सफाई करने वालों के प्रति अपशब्द कहे।2.35 से 3.04 तक करीब आधे घंटे तक चला प्रियंका का संबोधन। अंत में लोगों को धन्यवाद देते हुए नवरात्रि की शुभकामनाएं दी। जय माता दी, जय हिंद, जय किसान, जय जवान, जय हिन्द के नारे से खत्म हुआ प्रियंका का संबोधन। प्रियंका अब वापस बाबतपुर एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गई।

इनकी रही खास मौजूदगी

छत्तीसगढ़ के सीएम भपेश बघेल, राष्ट्रीय सचिव राजेश तिवारी, सलमान खुर्शीद, राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी, आराधना मिश्रा मोना, अजय कुमार लल्लू, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पीएल पुनिया, इमरान प्रतापमढ़ी, देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा, पूर्व विधायक अजय राय, नदीम जावेद,डा. ज़फरुल्लाह ज़फर, जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल, राघवेन्द्र चौबे, सतीश राय, मुनाज़िर हुसैन मंजू, सतीश चौबे, अफसर खां, हाजी ओकास अंसारी, सलीम खां, सीता राम केसरी, रमज़ान अली, अफज़ाल अंसारी, हसन मेहंदी कब्बन, बेलाल अहमद, सैयद फसाहत हुसैन बाबू, कुशल रौशनी जायसवाल, शकील अहमद जादूगर आदि मौजूद थे।



मंदिरों में दर्शन पूजन कर प्रियंका ने किया चुनावी शंखनाद





पीएम के संसदीय क्षेत्र काशी में प्रियंका ने दिखाया दम

  • प्रियंका की एक झलक पाने के लिए लोग रहे बेताब
  • पुष्प वर्षा और भीड़ देखकर गदगद हुई प्रियंका 


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। किसान न्याय यात्रा रैली में शामिल होने पहुंची कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दर्शन, पूजन और जगह-जगह स्वागत के ज़रिये कांग्रेसियों में उत्साह और गजब का जोश भर दिया। प्रियंका गांधी की एक झलक पाने के लिए लोग बेताब दिखाई दिये। जिस-जिस रास्तों से प्रियंका गुज़री, उन्हें देखने की होड मच गई। गगनभेदी नारों के बीच प्रियंका गांधी लोगों का हाथ जोड़कर और अपने ही अंदाज़ में हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार करती दिखीं। इस दौरान पुष्पवर्षा और लोगों की  भीड़ देखकर प्रियंका गदगद दिखाई दी। 

इस दैरान श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर व अन्नपूर्णा मंदिर में प्रियंका गांधी ने पूजन अर्चन किया। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने उन्हे दर्शन पूजन कराया। यहां मंदिर से निकली तो गगनभेदी नारा, अब नहीं होगा अन्याय, दीदी दिलायेंगी किसानों को न्याय...जैसी गूंज सुनाई दी। 

इससे पहले अपने तय समय पर प्रियंका गांधी व छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल सुबह सवा 11 बजे एयरपोर्ट पहुंच गये। एयरपोर्ट पर कांग्रेसजनों ने अपनी नेता का गगनभेदी नारों से ज़ोरदार स्वागत किया। स्वागत के बाद प्रियंका गांधी व भूपेश बघेल बाबा विश्वनाथ मंदिर में दर्शनपूजन के लिए सड़क मार्ग से पहुंची। इस दौरान रास्ते भर प्रियंका गांधी का स्वागत कांग्रेसजन कर रहे थे। विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के बाद प्रियंका गांधी वहां से रोड शो करते हुए मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा के दर्शन करने दुगार्कुंड मंदिर पहुंची। प्रियंका गांधी को वहां से लंका होते हुए बीएचयू सिंह द्वार पर लगी महामना पं. मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण करना था मगर अंतिम समय में उनका कार्यक्रम सुरक्षा कारणों से बदल गया और वो रैली के लिए जगतपुर रवाना हो गयी। उनके पहुंचने से पहले वहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सफाई अभियान चलाया और प्रतिमा के आसपास सफाई की।

कांग्रेस की रैली के चलते लम्बे समय के बाद सड़क पर कांग्रेस की सक्रियता और हलचल देखने को मिली। इस दौरान लोग अपने मोबाइल से प्रियंका गांधी की तस्वीर और वीडियों बनाते दिखाई दिये। जो सेल्फी ले सकता था उसने काफिले के साथ खुद की सेल्फी ली और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। एयरपोर्ट से प्रियंका गांधी का काफिला काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचा। मंदिर से दुगार्कुंड स्थित मां कूष्मांडा मंदिर में दर्शन पूजन के बाद उनका काफिला सीधे रोहनिया के जगतपुर इंटर कॉलेज मैदान पर किसान न्याय रैली को संबोधित करने पहुंच गया। 


रविवार, 19 सितंबर 2021

सलमान खुर्शीद से पूर्वांचल हज सेवा समिति ने मांगा हज हाउस


सलमान बनारस के रंग में रंगे दिखे, हुआ ज़ोरदार स्वागत

वाराणसी 19 सितंबर(दिल इंडिया लाइव)। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेता व पूर्व विदेश मंत्री वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र कमेटी के अध्यक्ष सलमान खुर्शीद आज वाराणसी दौरे पर थे। इस दौरान उन्होने जहां बनारस के लोगों से बातचीत की, उनके जज्बात से रुबरु हुए वहीं वो इस दौरान खाटी बानारसी रंग में रंगे नज़र आये।

लिया पूड़ी कचौड़ी का ज़ायका

 सलमान खुर्शीद ने बानारस वालो के बीच खड़े होकर पुड़ी कचौड़ी और जलेबी का नाश्ता किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश तो उनका घर है। घर आने पर सभी खुश होते है। इस दौरान जगह जगह उनका जोरदार स्वागत भी किया गया। शिवाला में सैय्यद साजिद अली, अल्पसंख्यक कांग्रेस के पूर्व चेयरमैन अफसर खां आदि  ने ज़ोरदार स्वागत किया और मांग पत्र सौंपा। दरअसल सलमान खुर्शीद बनारस के लोगो से मिल कर उनकी राय पूछ कर कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने के उददेश्य से बनारस आये। 


फिर उठी हज हाउस की मांग

सलमान खुर्शीद सुबह 9:00 बजे खजुरी स्थित पूर्वान्चल हज सेवा समिति के कार्यालय में समिति के पदाधिकारियों से अध्यक्ष हाजी रईस अहमद के नेतृत्व में मिले। इस दौरान हज सम्बंधित तीन मांगो को हाजी रईस अहमद ने उनके सामने रखा। कहा कि 2007 से वाराणसी से सऊदी अरब के लिए हज की उड़ान शुरु हुई थी मगर कारोना काल के पहले तक अस्थायी हज हॉउस से ही हाजी हज यात्रा पर जाते है। इसलिए वाराणसी में स्थायी हज हॉउस का निर्माण किया जाये। हज पर जाने के लिए वाराणसी इम्ब्राकेशन बंद न किया जाये साथ ही सेन्ट्रल हज कमिटी/ उ0प्र0 राज्य हज समिति में पूर्वान्चल हज सेवा समिति के सदस्यों की भागीदारी हो। इन तीनो मांगो को कांग्रेस के चुनावी मेनिफेस्टो में शामिल किया जाये। बनारस में वो बुनकर सरदारों व महतों से भी मिले।


इस दौरान स्वागत शहर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे और जिला अध्यक्ष राजेस्वर पटेल ने किया। हाजी जुबैर, हाजी तारीक हसन बबलू, मौलाना  रियाज़ अहमद कादरी, हाजी अदनान खान, पार्षद हाजी ओकास अंसारी, हाजी पप्पू, मुर्तज़ा अब्बास शम्सी, मोबीन अख्तर पप्पू, डॉ. अमीन, शमसुल आरफिन, रेयाज़ अहमद, हाजी तलत, हाजी अयाज़, मो. जफरूल्लाह ज़फर, सैय्यद साज़िद अली, अफसर खां, हाजी सैय्यद अंसारी, पार्षद रमजान अली, अफ़रोज़ अंसारी, पार्षद अफ़ज़ाल अंसारी, महमूदुल हई, रौशनी कुशल जायसवाल, मो. फारूक, अख्तर, हाजी बाबू लाल, सुफियान, शहाबुद्दीन, हाजी मो. आसिफ खान, हाजी इक़बाल गुड्डू,हाजी इसरार, हाजी मो. शमी, बाबू, हाजी नुरुल हसन, सुभाष हैसवाल, यासीन चश्मा लोग मौजूद थे।


तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...