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बुधवार, 13 नवंबर 2024

फूलों की खेती और उससे बने उत्पाद आर्थिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी-भक्ति विजय शुक्ला


Sarfaraz Ahmad 

Varanasi (dil India live). फूलों की बढ़ती मांग और ग्रामीण किसानों तथा महिलाओं में फूलों की खेती के प्रति रुचि को देखते हुए, सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र (एफ.एफ.डी.सी.) की कानपुर विस्तार इकाई ने वाराणसी के बसनी में साईं इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट के कैम्पस में एक उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन बुधवार को किया। इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों द्वारा फूलों की खेती, उससे बनने वाले उत्पादों की मार्केटिंग और व्यावसायिक अवसरों पर गहन जानकारी प्रदान की गई। साथ ही, फूलों से धूप, अगरबत्ती, गुलदस्ते और अन्य उत्पाद बनाने के प्रैक्टिकल सत्र भी आयोजित किए गए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र (एफ.एफ.डी.सी.) की कानपुर विस्तार इकाई के सहायक निदेशक भक्ति विजय शुक्ला ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि फूलों की खेती ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है, और इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी से उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है और समाज में आत्मनिर्भरता का संदेश जा रहा है। साईं इंस्टिट्यूट के निदेशक अजय सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सुगंधित खेती और प्रसंस्करण में लगे किसानों और उद्योगों को सहायता देना और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना है। उन्होंने किसानों और महिलाओं को अपनी संभावनाओं को पहचानने और इस क्षेत्र में भागीदारी के लिए प्रेरित किया। साथ ही, उन्होंने बताया कि उद्यम स्थापित करने के इच्छुक लोगों को एफएफडीसी की ओर से आवश्यक तकनीकी सहयोग दिया जाएगा।


योगाचार्य डॉ. अंजना त्रिपाठी ने अपने संबोधन में कहा कि उद्यम स्थापित करने का यह एक उत्कृष्ट अवसर है, क्योंकि एफएफडीसी कन्नौज से चलकर किसानों के द्वार तक आया है। उन्होंने साईं इंस्टिट्यूट के प्रयासों की सराहना की, जो स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर प्रदान कर रहे हैं। किसानों का स्वागत संस्थान के सदस्य अनंत नारायण सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन अनुपमा दुबे द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र की करीब 200 महिलाओं को फूलों से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण पहले ही प्रदान किया जा चुका है।

इस कार्यक्रम में जीतेन्द्र कुमार, रुपेश कुमार, बिहारी पटेल, अमना, दीप्ति पटेल, डॉ राजनाथ वर्मा समेत कुल 50 किसानों ने भाग लिया, जिनमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और फूलों से बने उत्पादों में गहरी रुचि दिखाई। उपस्थित किसानों और महिलाओं ने इस कार्यक्रम से मिले नए व्यावसायिक अवसरों के प्रति आशा और उत्साह व्यक्त किया।

सोमवार, 30 जनवरी 2023

dm बोले:01 से 19 वर्ष के बच्चों को कृमि संक्रमण से बचाएं

डीएम की अध्यक्षता में हुई जिला टास्क फोर्स की बैठक

जिले में 10 फरवरी से चलेगा कृमि मुक्ति अभियान

करीब 16 लाख बच्चों को खिलाई जाएगी कृमि से बचाव की दवा



Varanasi (dil india live). राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के सफलतापूर्वक संचालन के लिए सोमवार को जिलाधिकारी एस राजलिंगम की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में जिला टास्क फोर्स की बैठक आयोजित हुई। जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग सहित शिक्षा, आईसीडीएस विभाग आदि को निर्देशित किया कि 10 फरवरी से 15 फरवरी तक चलने वाले राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस अभियान के तहत 01 से 19 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं एवं किशोरों को कृमि संक्रमण से बचाव की दवा खिलाई जाए । इस अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग सहित आईसीडीएस, शिक्षा, पंचायती राज विभाग को आपस में समन्वय बनाकर काम करना होगा । उन्होने जिला विद्यालय निरीक्षक व जिला वेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया कि शासकीय, निजी व सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाध्यापक/नोडल शिक्षक के साथ बैठक कर इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुये निर्धारित तिथियों पर सभी बच्चों की उपस्थिती सुनिश्चित की जाए । समस्त विभागों को निर्देशित किया कि माइक्रोप्लान का पुनः परीक्षण कर शत-प्रतिशत बच्चों को सूचीबद्ध कर लिया जाए ।         

उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एचसी मौर्य ने बताया कि एक से 19 वर्ष तक आयु के लक्षित करीब 16 लाख बच्चों को कृमि संक्रमण से बचाने के लिए “राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (नेशनल डिवार्मिंग डे) अभियान शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जायेगा। उन्होंने बताया कि जनपद में 10 फरवरी को चिन्हित स्कूल-कॉलेज और आंगनबाड़ी केंद्रों पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। इसके बाद 13 से 15 जुलाई तक मॉप अप राउंड स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों में आयोजित होंगे । अभियान के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल का विशेष ध्यान रखा जाएगा ।

इस बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, डिप्टी सीएमओ व नगरीय नोडल, समस्त ब्लॉक पीएचसी-सीएचसी के अधीक्षक व प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, डीएचईआईओ, डीसीपीएम, नगरीय स्वास्थ्य समन्वयक समेत अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे ।  

क्या हैं कृमि 

जिन बच्चों के पेट में कीड़े (कृमि) होते हैं, वह कुपोषण के शिकार हो जाते हैं और शरीर में खून की कमी हो जाती है। संक्रमण रोकने के लिए बच्चों के नाखून साफ व कटे रहने चाहिए। इसके अलावा खुले में शौच के कारण भी कृमि का संक्रमण होता है। इससे बचने के लिए बच्चों के खानपान और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यह दवा कृमि से मुक्ति की क्षमता रखती है।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...