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मंगलवार, 6 सितंबर 2022

Jain dharam news:तप के बिना आत्म शुद्धि नही

पर्युषण पर्व का सातंवा दिन- उत्तम तप धर्म 


Varanasi (dil india live)। दशलक्षण ( पर्युषण पर्व) जैन संस्कृति का महान, पवित्र, आध्यात्मिक पर्व है। आत्मशोधन, पर्यालोचन और आत्म निरिक्षण करके अपने अतित के परित्याग करने में ही इस पर्व की सार्थकता है। मंगलवार को प्रातः से नगर की सभी जैन मंदिरो में पूजन-अर्चन पाठ प्रारंभ हुआ। 

श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चन्द्रपुरी चौबेपुर स्थित गंगा किनारे भगवान चन्दा प्रभु का प्रातः सविधि पूजन एवं अभिषेक किया गया। भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म भूमि भेलूपुर में भगवान पार्श्वनाथ जी का अभिषेक पूजन किया गया। साथ में चल रहे दस दिवसीय क्षमावाणी महामंडल विधान में काफी संख्या में महिलाए एवं पुरुष जोड़ों ने हिस्सा लेकर संस्कृत के श्लोक पढकर श्री जी भगवान को श्री फल अर्पित कर धर्म में सराबोर रहे। वही- सारनाथ, नरिया, खोजंवा, मैदागिन, हाथीबाजार, भदैनी,एवं ग्वाल दास साहू लेन स्थित मन्दिरों में पूजन- पाठ अभिषेक व शांति धारा की गई। 

मंगलवार की सायंकाल ग्वालदास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर में पर्व के सातंवे अध्याय " उत्तम तप धर्म " पर व्याख्यान देते हुए पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहां- तप के बिना आत्म शुद्धि भी नहीं हो सकती। आत्मा को स्वर्ण बनाना है तो इसे तपना पड़ेगा। तप से ही परमार्थीक लक्ष्य प्राप्त हो सकता है। 

खोजंवा स्थित जैन मंदिर में व्याख्यान देते हुए- डां मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां - मात्र देह की क्रिया का नाम तप नहीं है अपितु आत्मा में उत्तरोत्तर लीनता ही वास्तविक 'निश्चय तप है। जिस प्रकार अग्नि के माध्यम से पाषाण में से स्वर्ण पृथक किया जाता है वैसे ही हम तप रूपी अग्नि के माध्यम से शरीर से आत्मा को पृथक कर सकते है। 

सायंकाल जैन मंदिरो में जिनवाणी स्तुति, ग्रन्थ पूजन, तीर्थंकर पार्श्वनाथ, क्षेत्रपाल बाबा एवं देवी पद्मावती जी की सामूहिक आरती की ग ई।  

आयोजन मे प्रमुख रूप से श्री दीपक जैन, राजेश जैन, अरूण जैन, ध्रुव कुमार जैन, रत्नेश जैन, तरूण जैन, विजय जैन उपस्थित थे। 

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