भूलने की समस्या है तो करायें Alzheimer's की जांच, पायें निदान
• बुढ़ापे में तेजी से कमजोर होती यादाश्त इस गंभीर बीमारी का है संकेत
• 65 वर्ष की उम्र के बाद इस रोग के होने का रहता है अधिक खतरा
Varanasi (dil india live). यदि आप की उम्र 65 वर्ष से अधिक है और आप भूलने की समस्या से परेशान है तो आपको अल्जाइमर रोग हो सकता है। बुढ़ापे में तेजी से कमजोर- होती यादाश्त इस गंभीर बीमारी का संकेत है। 65 वर्ष की उम्र के बाद इस रोग के होने की सम्भावना अधिक रहती है। समय पर उपचार शुरू न होने पर यह रोग इस कदर बढ़ता है कि व्यक्ति अपने परिवारजनों को भी नहीं पहचानपाता। यहां तक कि वह खुद की भी पहचान भूल जाता है। यह कहना है *मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी* का । उन्होंने बताया कि न्यूरो से जुड़ी इस गंभीर बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये ही दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष 21 सितम्बर को "वर्ल्ड अल्जाइमर-डे" मनाया जाता है।
शिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय के मानसिक/ मनोरोग विभाग के *वरिष्ठ चिकित्सक डा. रविन्द्र कुशवाहा* बताते है कि दिमाग में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी के कारण अल्जाइमर के समस्या की शुरुआत होती है। दरअसल प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी से ब्रेन में कुछ ऐसे अवांछित तत्व एकत्र होने लगते है जो धीरे-धीरे मेमोरी के सेल्स को नष्ट करना शुरू कर देते हैं। नतीजा होता है कि व्यक्ति की यादाश्त कमजोर होती जाती है और वह अल्जाइमर का शिकार हो जाता है। अल्जाइमर रोग डिमेंशिया बीमारी का ही एक प्रकार है जो अधिकांशतः बुजुर्गो में होता है। ऐसे ही बुजुर्गो में शामिल हैं सेवानिवृत्त बैंककर्मी रामचरण शर्मा ( परिवर्तित नाम) । रामचरण शर्मा के पुत्र संजय बताते है कि 67 वर्षीय उनके पिता जी की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनके भूलने की समस्या गंभीर होती जा रही थी। चश्मा, पर्स खुद कहीं रखकर उसे भूलने की बात तो सामान्य रही पर जब दामाद के साथ घर आयी बेटी को जब वह पहचान नहीं सके तब हम सभी को यह एहसास हो गया कि उनकी यादाश्त तेजी से कमजोर हो रही है। शिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय में दिखाने पर पता चला कि वह अल्जाइमर रोग के शिकार हो चुके हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति ईश्वरगंगी की रहने वाली 70 वर्षीय अपर्णा घोष ( परिवर्तित नाम) की भी रही । पड़ोस में स्थित मंदिर से घर लौटते समय अक्सर ही वह रास्ता भूल जाती थी। पड़ोसियों की नजर जब भटकती हुई अपर्णा घोष पर पड़ती थी तब वह उन्हें उनके घर पहुंचाते थे। परिजनों ने जब उनका उपचार मण्डलीय चिकित्सालय में शुरू कराया तब पता चला कि वह भी अल्जाइमर से पीड़ित हैं। उपचार शुरू होने के बाद अपर्णा व रामचरण की हालत में अब काफी सुधार है ।
मनोचिकित्सक डा. रविन्द्र कुशवाहा कहते हैं कि मण्डलीय चिकित्सालय के मानसिक/ मनोरोग विभाग की ओपीडी में हर माह ऐसे चार-पांच बुजुर्ग आते हैं जो अल्जाइमर रोग के शिकार होते हैं। वह बताते है कि यह ऐसा रोग है जिसका लक्षण दिखते ही उपचार शुरू कर देना चाहिए वर्ना उपचार जितनी देर से शुरू होगा मरीज की यादाश्त उतनी ही जा चुकी होगी। ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि अल्जामर से जा चुकी यादाश्त को लौटाया नहीं जा सकता लेकिन शेष रह गयी यादाश्त को दवाओं से रोका जा सकता है। ऐसे मरीजों के साथ उपचार के साथ-साथ परिजनों की सहानुभूति भी जरूरी होती है। लिहाजा 65 वर्ष की उम्र में पहुंच चुके बुजुर्गो में यदि अल्जाइमर के लक्षण नजर आ रहे हो तो शिव प्रसाद गुप्त चिकित्सालय के मानसिक/ मनोरोग विभाग (कक्ष संख्या -दस) में प्रत्येक सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को सुबह 8 बजे से दोपहर दो बजे तक लगने वाली ओपीडी में सम्पर्क कर इसका उपचार कराया जा सकता है।
यह है अल्जाइमर के लक्षण
• रखी हुई चीजों को भूल जाना
• कुछ भी याद करने, निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होना
• रात में नींद का न आना
• डिप्रेशन में रहना और हमेशा भयभीत रहना
• एक ही सवाल को बार-बार दोहराना
• कपड़ों का उल्टा-सीधा पहनना
• चिड़चिड़ापन और परिजनों पर गुस्सा करना
• दैनिक कार्यो को भी भूल जाना