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सोमवार, 11 अप्रैल 2022

बैसाखी पर हुई थी खालसा पंथ की स्थापना

१३ अप्रैल (बैसाखी) पर खास

धर्म रक्षक गुरु गोविंद सिंह ने किया था खालसा पंथ की स्थापना


-हरजिंदर सिंह राजपूत

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। उस दौर में भारत की जनता हर तरफ से शोषित हो रही थी। तब भारत भूमि ने काल की मांग के अनुरूप एक महापुरुष को जन्म दिया। जिसने ने शिष्यों और अनुयायियों को समाज और राष्ट्र की बलिवेदी पर अपने को चढ़ा देने के लिए आह्वान ही नहीं किया वरना स्वयं एवं अपने पूरे परिवार को इस बलिवेदी पर चढ़ा दिया। यह महापुरुष थे सिखों के दसवें पातशाह गुरु गोविंद सिंह। इनके दो छोटे पुत्र फतेह सिंह एवं जोरावर सिंह को उस दौर के बादशाह ने धर्म परिवर्तन न करने पर जिंदा सरहिन्द की दीवारों में चुनवा दिया और इनके दो बड़े पुत्र अजीत सिंह और जुआर सिंह युद्ध में जूझते-जूझते वीरगति को प्राप्त हुये। जब गुरु गोविंद सिंह युद्ध से लौटे तो उनकी पत्नी ने अपने ४ बेटों के बारे में पूछा। इस पर गुरु गोविंद सिंह ने कहा था कि- 

इन पुत्रों के कारणे वार दिये सूत चार 

चार मुये तो क्या हुआ जीवित कई हजार।

इस महापुरुष का जन्म 22 दिसंबर सन, 1666, ईस्वी को पटना बिहार प्रांत के नगर में हुआ था। गुरु गोविंद सिंह ने देखा कि किस तरह उनके पिता गुरु तेगबहादुर को चांदनी चौक दिल्ली में इस्लाम धर्म न कबूल करने के आरोप में सरेआम कत्ल किये जाने पर उनका शीश और धड़ उठाने में लोग झिझक रहे थे और चोरी-छिपे उसे उचित जगह पर ले जाया गया था। यह बस इसलिए हुआ कि वह पहचान लिया जाएगा कि वह हिंदू है और उसका भी कत्ल कर दिया जाएगा। प्राणो के लिए इतना मोह की हिंदू के लिए हिंदू कहना भी मानो मौत को बुलाने के समान हो। यह सब गुरुजी से देखा न गया। इस पर उन्होंने प्रण किया कि मैं एक ऐसी बहादुर, लड़ाकू, विवेकशील और भारतीयता और मानवता के नाम पर मर मिटने को हमेशा तैयार रहने वाली कौम पैदा करूंगा जो वीरता में तो आदि्तीयत होगी ही साथ ही साथ उसके बाहरी चेहरे के स्वरूप के कारण उसका सदस्य लाखों में बड़ा पहचाना जाएगा कि वह भारतीय है।

इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने पंजाब के आन्नदपुर नामक स्थान पर 13 अप्रैल 1699 को बैसाखी वाले दिन एक बड़ी विशाल आमसभा का आयोजन किया गया, सभा की कार्रवाई शुरू करते ही उन्होंने कहा कि मुझे देश धर्म और समाज की रक्षा के लिए शीश (सिर) की आवश्यकता है। उनका यह क्रांतिकारी ऐलान सुनकर जनता में खलबली सी मच गई परन्तु कुछ समय उपरांत एक वीर उठा उसने कहा गुरु जी धर्म रक्षा के लिए मेरा शीश अर्पित है। गुरुजी उसके पास वाले खेमे में ले गए और उसका सिर धड़ विच्छेद कर दिया और पुनः बाहर आकर शीश की मांग दोहराई इसी प्रकार पांच वीरों की शीश धड़ से अलग कर पुनः उन्हें जीवित करके बाहर लाये और कहा यह हमारे प्रेरणा स्रोत पांच प्यारे हैं। उनको खंण्डे का अमृत पिलाया और कच्छ, कड़ा, कंघा, केश और कृपाण देकर सिंह नामक अलंकार से विभूषित किया। और उनसे बूंद अमृत पान करके "आपे गुरु चेला" का एक प्रेरणाप्रद मिसाल दुनिया के समक्ष रखी ऐसा दूसरा उदाहरण इस संसार में मिलना कठिन है।

खालसा पंथ का निर्माण कर के गुरु गोविंद सिंह जी ने अपना प्रण पूरा कर दिखाया इसका इतिहास और वर्तमान साक्षी है। वास्तव में गुरु गोविंद सिंह जी एवं सिख धर्म गुरुओं का उद्देश्य कोई नया धर्म कायम करने का ना था। उन्होंने सभी धर्म में समानता कायम करने और मिथ्या धार्मिक आय अम्बारो से बचकर ईश्वर को मानने के प्रेरणा दी।

विभिन्न धर्मानुयायी अभी तक जिन कमजोरियों के शिकार होते आये हैं और उनके तथाकथित गुरु या धर्माचार्य उन्हें भ्रमित करते आ रहे हैं। उससे बचने के लिए गुरु गोविंद सिंह जी ने शब्द ब्रह्म की उपासना करने की प्रेरणा दी उस समय विश्व की जो भी प्रांतीय सीमाएं थी और उनकी उपासना करने वाले जितने भी संत महात्मा और कवि थे उन सभी की उत्कृष्ट रचनाओं को एक जगह संग्रहित करके उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को ही परमेश्वर मारने की शिक्षा दी और इस संदर्भ में कहा-

सब सीखन को हुकम है,

 गुरु मान्यो ग्रंथ गुरु ग्रंथ!

गुरु ग्रन्थ जी मानयो,

  प्रगट गुरु की देह!

 जाका हृदय शुद्ध है, 

खोज शब्द में लेह!

गुरु ग्रंथ साहिब में हर प्रांत ही नहीं हर जाति के ब्राह्मण से लेकर शुद्ध और सूफी, संतों, हिंदू मुसलमान रचनाकारों की रचनाओं कौन संग्रहित कर के धर्म क्षेत्र में एक क्रांतिकारी मिसाल पेश की।

रविवार, 10 अप्रैल 2022

रमज़ान गुनाहों की माफी का महीना है: नबील हैदर


Varanasi (dil India live )। रमज़ान तमाम मुसलमानो के लिए मगफिरत के साथ ही बेहतरीन इबादतों का महीना है। उक्त बातें जोहर की नमाज के बाद अर्दली बाज़ार में एक जलसे में तकरीर करते हुए सैय्यद नबील हैदर ने कहीं। उन्होंने कहा कि रमजान मुसलमानों के लिए बहुत ही मुबारक महीना है। इस महीने मुसलमानो की सबसे पवित्र किताब कुरान नाजिल हुई थी। नबील ने कहा कि रमज़ान के 30 दिनो को तीन भागों में बाटा गया है, जिसे अरबी में अशरा कहा गया है दस दस दिन के तीन अशरे होते है। पहला अशरे को रहमत का अशरा कहा जाता है। इस दौरान जितने भी नेक काम किए जाते है अल्लाह बंदे को अपनी रहमत बरसाता है। दूसरा अशरा मगफिरत यानी माफी का अशरा कहा जाता हैं। इसमें इबादत करने वाले बंदे की गुनाहों को अल्लाह माफ कर देता है। तीसरा अशरा बेहद खास माना गया है ये जहन्नम से आजादी का। जो बंदा रमज़ान का पूरा रोज़ा मुकम्मल करता है रब उसे जहन्नुम की आग से आज़ाद कर देता है।

खजूर की डालियों संग मसीही समुदाय ने निकाला जुलूस

महागिरजा समेत चर्चेज में येरुसलम की घटना का हुआ जिक्र

वाराणसी १० अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। ईसाई समाज ने प्रभु यीशु के यरुसलम में आने की खुशी में रविवार को खजूर इतवार मनाया। इस मौके पर गिरजाघरों को खजूर की पत्तियों से सजाया गया था। साथ ही विशेष प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में मसीही समुदाय के लोगो ने शिरकत की। आयोजन के दौरान महागिरजा समेत चर्चेज में येरुसलम की उस घटना का जिक्र जब प्रभु यीशु यरुशलम में राजाओं की तरह प्रवेश किया था।

इस दौरान सेंट मेरीज महागिरजा में बिशप यूजीन जोसेफ की अगुवाई में जुलूस निकाला गया तो फादर विजय शांति राज के संयोजन में प्रार्थना सभा हुई। ऐसे ही लाल गिरजा से पादरी संजय दान, चर्च आफ बनारस में पादरी बेन जान, राम कटोरा चर्च में पादरी आदित्य कुमार, ईसीआई चर्च में पादरी दशरथ पवार, पादरी नवीन ज्वाय, सेंट पाल चर्च में पादरी सैम जोशुआ, सेंट थॉमस चर्च में पादरी न्यूटन स्टीवन्स व विजेता प्रेयर मिनीस्ट्रीज में पादरी ने अजय कुमार पास्टर एसपी सिंह ने आराधना कराया। ऐसे ही बनारस और आसपास के तमाम गिरजाघरों में खजूर की डालियों संग जुलूस निकाला गया। मसीही विश्वासी खजूर की डालियां लेकर चर्च जायें और धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुए। संडे को जुलूस सम्पन्न होने के साथ ही सोमवार से दुःख भोग सप्ताह की शुरुआत होगी। कोविड काल के बाद पहली बार यह पर्व जोश और उत्साह से मनाया गया।

दरअसल खजूर इतवार प्रभु यीशु के यरुशलम में प्रवेश करने की खुशी में मनाया जाता है। उस दौर में येरुशलम के लोगों ने उनका स्वागत खजूर की डालियां लहरा कर राजा की तरह किया था। उनकी इसी याद के रूप में पाम संडे मनाया जाता है। अब 14 अप्रैल को पवित्र गुरुवार होगा तो 15 अप्रैल को गुड फ्रायडे मनाया जाएगा। 17 को प्रभु यीशु मसीह के जी उठने की खुशी में ईस्टर मनेगा।


मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

रोजेंदारों को जगाने तब आती थी टोलियां



सहरी का वक्त हो गया है, उठो रोज़ेदारो कुछ खां...। कुछ ऐसे ही अल्फाज अल सहर जब गली महल्लो में गूंजते तो तमाम रोजेदार बिस्तर से सहरी करने के लिए उठ बैठते थे। तीन दशक पहले बाकायदा रोजेदारों को जगाने के लिए हर मुहल्लो में टोलियां निकलती थी, आधुनिकता के चलते अब न तो टोलियां रहीं और न ही रमजान में जगाने वाली पुरानी तकनीक। एक समय रमजान शुरू होते ही देर रात घड़ी की सुईयां जब 3 बजे के करीब पहुंचती तो अचानक बनारस समेत पूर्वांचल के तमाम शहरों का नज़ारा बदलने लगता था। रोजादारों को जगाने के लिए टोलियां निकलती। यही नहीं, मस्जिदों से भी रोजेदारों को जगाने के लिए ऐलान होता, माइकों से आवाज आती है, जनाब! नींद से बेदार हो जाइए, सहरी का वक्त हो चुका है। एक रिपोर्ट...

सरफराज अहमद

वाराणसी ०५ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। सहरी का वक्त हो गया है, उठो रोज़ेदारो कुछ खां...। कुछ ऐसे ही अल्फाज अल सहर जब गली महल्लो में गूंजते तो तमाम रोजेदार बिस्तर से सहरी करने के लिए उठ बैठते थे। तीन दशक पहले बाकायदा रोजेदारों को जगाने के लिए हर मुहल्लो में टोलियां निकलती थी, आधुनिकता के चलते अब न तो टोलियां रहीं और न ही रमजान में जगाने वाली पुरानी तकनीक। एक समय रमजान शुरू होते ही देर रात घड़ी की सुईयां जब 3 बजे के करीब पहुंचती तो अचानक बनारस समेत पूर्वांचल के तमाम शहरों का नज़ारा बदलने लगता था। रोजादारों को जगाने के लिए टोलियां निकलती। यही नहीं, मस्जिदों से भीरोजेदारों को जगाने के लिए ऐलान होता, माइकों से आवाज आती है, नींद से बेदार हो जाइए, सहरी का वक्त हो चुका है। यही नहीं, कहीं-कहीं ढोल व नगाड़े भी बजाए जाते हैं और फिर आवाज लगाकर हर रोजे़दार को उठाने की कोशिश की जाती है रोजेदारों, सहरी का वक्त हो गया है, सेहरी खा लो, हजरात! सिर्फ आधे घंटे बचे हैं जल्दी सेहरी से फारिग हो जाएं। मसिजदों से रोजेदारों को जगाने की यह तकनीक तो आज भी कायम है मगर, रोजेदारों को जगाने वाली टोलिया अब बीते दिनों की बात हो गई। आज, आधुनिकता और तकनीक के इस दौर में सहरी में जगाने के तरीके यकीनन बदल गए हैं। आज सेलफोन, लैपटाप, आइपाट से जहां अजान की आवाजें आ रही है, वहीं इन्हीं तकनीक और साधन से सहरी में जागाने का सहारा ले रहे हैं। 

जी हां! पहले रमजान की सहरी में लोगों को जगाने के तरीके पहले जुदा थे, पूर्वांचल के ज्यादातर इलाकों में लोगों को जगाने के लिए सड़कों पर काफिले निकलते थे। लोगों की टोलियां गलियों व मुहल्लों में घूम-घूम कर रोजेदारों को मीठे-मीठे नगमों से बेदार करती हैं। लोगों को जगाने के लिए कव्वाली गाये जाते थे हम्द व नआते-शरीफ पढ़ी जाती थी और जब बात इससे  नहीं बनती तो ऐलान किया जाता है कि ह्यसहरी का वक्त है रोजेदारों, सहरी के लिए जाग जाओ। वाराणसी के गौरीगंज के मरहूम सैयद नवाब अली को लोग आज भी भूल नहीं पाये हैं। सैयद नवाब अली न सिर्फ रमजान बल्कि हमेशा फजर की नमाज के लिए लोगों को जगाया करते थे।

 बजरडीहा के शकील अहमद बताते हैं कि रमजान में लोगों को जगाने वाली टोलियों जैसी बेहतरीन परंपरा के गायब होने के पीछे आधुनिक तकनीक जिम्मेदार है। पहले जब समय जानने का कोई तरीका नहीं था, तब सहरी के लिए जगाने वाली काफिले की काफी अहमियत थी। लोगों को सोते से जगाने का यह एक अच्छा तरीका था, लेकिन अब लाउडस्पीकर से ही मसजिद से जगाने भर से काम चल जाता है।


रविवार, 3 अप्रैल 2022

पहले रोज़े पर गूंजी अज़ान की सदाएं

खजूर और पानी से रोज़ेदारो ने खोला पहला रोजा

वाराणसी ०३ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। रमजान के पहले रोज़ मस्जिदों से जैसे ही आज़ान की सदाएं गूंजी, अल्लाह हू अकबर अल्लाह हू अकबर...। तमाम रोजेदारों ने खजूर और पानी से इस साल का पहला रोजा खोला। इस दौरान दस्तरखान पर तमाम लजीज पकवान सजाए गए थे। रोज़ादारो ने इफ्तार का लुत्फ उठाया। उधर दावते इस्लामी की ओर से रोज़ेदारो ने कंकड़ियाबीर मस्जिद में इशतेमाई रोज़ा इफ्तार का एहतमाम किया गया। यहां मुल्क और कौम के लिए दुआ भी की गई।
ऐसे ही शहर और आस पास के इलाकों में मुस्लिमों ने अज़ान की सदाओं पर इफ्तार किया। डर्बीशायर क्लब के अध्यक्ष शकील अहमद जादूगर ने बताया कि रहमत का रमजान मुबारक का पहला अशरा शुरू हो गया। 

रमजान में शैतान होता है गिरफ्तार

डॉ साजिद अततारी कहते हैं कि
रमजान मुबारक बेहद मुकद्दस त्योहार है। रमजान मुबारक आते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है। जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है और जहन्नुम के दरवाजे रब बंद कर देता है।


गुरुद्वारा गुरुबाग में जुटी संगत

जसबीर सब्बरवाल की याद में गूंजा शबद कीर्तन


वाराणसी ०३ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। गुरुनानक इंग्लिश स्कूल और गुरुनानक खालसा बालिका इंटर कॉलेज के भूतपूर्व चेयरमैन और जिले के गुरुद्वारों के पूर्व प्रधान स्व. सरदार जसबीर सिंह सब्बरवाल को गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से याद किया। उनकी पहली बरसी पर गुरुद्वारा गुरुबाग में अंखड पाठ व विशेष कीर्तन का आयोजन किया गया। वहीं दोपहर में लोगों ने लंगर चखा।

गुरुद्वारे के मुख्य ग्रंथी भाई रंजीत सिंह ने कहा कि स्व. सरदार जसबीर सिंह सब्बरवाल हर संप्रदाय में लोकप्रिय रहे। कार्यक्रम में स्व. सरदार जसबीर सिंह सब्बरवाल की धर्मपत्नी मीता सब्बरवाल, बड़े बेटे सरदार करन सिंह सब्बरवाल एवं उनकी धर्मपत्नी लीना सब्बरवाल, छोटे बेटे सरदार प्रबजोत सिंह सब्बरवाल, पुत्री साहिबा सेठी, छोटे भाई सरदार हरप्रीत सिंह सब्बरवाल एवं उनकी धर्मपत्नी सिमरन सब्बरवाल मौजूद रहीं। लोगों का स्वागत सरदार परमजीत सिंह अहलूवालिया ने किया।

शनिवार, 2 अप्रैल 2022

चांद के दीदार संग रमज़ान का हुआ आगाज़

बनारस में चांद देखने उमड़ा लोगों का हुजुम 

  • रहमतों का महीना है रमज़ान


वाराणसी २ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। इंतजार का वक्त खत्म हो गया है। रहमत, बरकत और मगफिरत के महीने रमजान का आगाज़ चांद के दीदार संग हो गया। चांद के दीदार के साथ ही मस्जिदों में नमाजे तरावीह अदा की गई। इतवार को मुस्लिम पहला रोजा रखेंगे। इससे पहले २९ वीं शाबान के चांद के दीदार के लिए लोगों का हुजूम घरों, मस्जिदों व मैदानों में उमड़ा। लोगों ने चांद के दीदार संग अमन, मिल्लत व तरक्की की जहां रब से दुआएं मांगी वहीं सभी ने रमजान मुबारक का मैसेज एक दूसरे को भेज कर बधाईयां दी। यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा।

रमज़ान के पहले रोज़े की तैयारियां देर रात तक चलती रही। रमज़ान महीने को काफी खास और पाक माना जाता है। इस पूरे महीने लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं। रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। माना जाता है कि इसी महीने में पैगंबर मुहम्मद (स.) के सामने इस्लाम की पवित्र किताब कुरान नाज़िल हुई थी। दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस पाक महीने का इंतजार रहता है। रमज़ान के बाद ईद मनाई जाती है।

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

रमजान मुबारक: चांद दिखा तो होगा रमज़ान का आगाज़

कल चांद रात, उमड़ेगी चांद देखने वालों की भीड़

रहमतों, बरकतों का महीना है रमज़ान


वाराणसी ०१ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। रहमत, बरकत और मगफिरत के महीने रमजान में अब महज़ कुछ ही वक्त रह गए हैं। कल चांद रात है, अगर चांद दिखा तो माहे रमज़ान का शनिवार की रात नमाज़े तरावीह के साथ आगाज़ हो जाएंगा, इतवार को मोमिनीन पहला रोज़ा रखेंगें, अगर चांद नहीं दिखा तो इतवार को चांद रात और सोमवार को पहला रमज़ान होगा। दरअसल हिजरी कैलेंडर में २८, ३१ तारीख का कोई वजूद नहीं है। हिजरी महीना चांद पर आधारित है। इसलिए कभी २९ दिन का तो कभी ३० दिन का होता है। इसलिए हर साल तकरीबन १० दिन इस्लामी पर्व पहले आ जाता हैं। रमज़ान की तैयारियां अंतिम चरण में है। कल चांद देखने मोमिनीन मस्जिदों, मैदानों और घरों की छतों पर एकत्र होंगे। चांद के दीदार के साथ ही तय होगा कि रमज़ान कब से शुरू होगा।

रमज़ान महीने को काफी खास और पाक माना जाता है। इस पूरे महीने लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं। रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। इस साल रमजान का महीना 2 या 3 अप्रैल से शुरू होगा। इसी महीने में पैगंबर हज़रत मुहम्मद (स.) के सामने इस्लाम की पाक किताब कुरान नाज़िल हुई थी। दुनिया भर में मुस्लिम इस पाक महीने का इंतजार करते है। रमज़ान के बाद ईद की खुशियां मनाई जाती है।

शनिवार, 19 मार्च 2022

शबे बरात की इबादत संग रखा नफिल रोज़ा

कई जगहों पर इज्तेमा, पूरी रात मोमिनीन ने की इबादत




वाराणसी १९ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। शब-ए-बारात पर पूरी रात जागकर मोमिनीन ने इबादत की व अलसहर सहरी खाकर नफिल रोज़ा रखा। इससे पहले अकीदतमंद दिन भर शबे बरात की तैयारियों में जुटे रहे। मस्जिदों व कब्रिस्तानों में प्रकाश की समुचित व्यवस्था की गई। शाम होते ही हर तरफ मस्जिदों व कब्रिस्तान विद्युतीय रोशनी से जगमगा उठा। अकीदतमंदों ने रात भर इबादत कर रब से अपने अज़ीज़ो व पुरखों के लिए मगफिरत की दुआएं मांगी।

वाराणसी में दावते इस्लामी की ओर से विभिन्न मस्जिदों व मदरसों में इज्तेमा का एहतमाम किया गया था, जिसमें पूरी रात जहां नबी की सुन्नतों पर उलेमा ने रोशनी डाली वहीं शबे बरात की खास नमाज़े अदा की गई। इबादत का दौर शाम से पूरी रात भर चला। दावते इस्लामी से जुड़े डॉ साजिद ने बताया कि हिजरी कैलेंडर के आठवें महीने की 15 वीं रात को अकीदतमंदों ने रात भर इबादत में गुजारा। रात की इबादत को देखते हुए मस्जिदों व कब्रिस्तानों में रौशनी किया गया था। शाम होते ही इबादतगुजार की संख्या बढ़ने लगी। इशा की नमाज के बाद से शुरू हुई इबादत सुबह नमाज के बाद खत्म हुई। इस दौरान अकीदतमंदों ने नमाज, नवफिल, कुरान पाक की तिलावत, तसबीह के साथ अन्य इबादत किया। इबादत व मगफिरत की इस रात में इबादत कर लोगों ने अपनी व अपने अज़ीज़ो, वालिदैन के लिए मगफिरत की दुआएं की। इस दौरान जहन्नुम से निजात के साथ जन्नत की रब से दुआ मांगी। उलेमाओं का कहना है कि इस रात अल्लाह पाक हर दुआ को कुबुल कर लेता है। हर इंसान की गुनाहों को माफ़ कर देता है।

अकीदतमंदों ने बनाया विशेष पकवान

शब-ए-बारात के मौके पर लोगों ने घरों में पकवान बनाया। घरों में महिलाओं ने चने, सूजी व अन्य प्रकार का हलवा बनाया। इस विशेष पकवान को लोगों ने फातेहा के बाद एक दूसरे को बतौर तबर्रुक खिलाया। शबे बरात पर लोगों ने शाम के समय गरीबों को खाना खिलाया, सदाका निकला, दिल खोल कर खैरात दिया। 

मजारों व कबिगस्तानों पर भीड़

शब-ए-बारात के मौके पर मजारों व कब्रिस्तान को झालरों से सजाया गया था। कब्रिस्तान की सजावट किया गया था। इस दौरान अकीदतमंदों ने कब्रिस्तान व मजार पर पहुंचकर फतिहा पढ़ीं।

15 दिन बाद शुरू होगा माह-ए-रमजान

जौनपुर के मौलाना करामत अली ने बताया कि शब-ए-बारात, माह-ए-रमजान आने की खबर करता है। शब-ए-बारात के 15 दिन बाद मुसलमानों के लिए मुकद्दस महीना माह-ए-रमाजान शुरू होगा। उन्होंने बताया कि रमजान चांद पर आधारित है। यही कारण है कि रमजान कब से है कुछ कहा नहीं जा सकता। हां तीन अप्रैल से रमजान सम्भावित है। 

शुक्रवार, 18 मार्च 2022

सुबह होली का रंग जमा, शाम में शबे बरात पर शुरू हुई खास इबादत

बजता रहा होली पर डीजे, मोमिनीन अदा करते रहे शबे बरात की खास नमाज़े


वाराणसी १८ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। काशी में सुबह होली का रंग जमा, हिंदू भाइयों ने होली खेली तो मुस्लिम जुमे की नमाज अदा करते दिखे। शाम में शबे बरात पर खास इबादत शुरू हुई। एक तरफ होली का डीजे बज रहा था तो वहीं मुस्लिम शबे बरात की खास इबादत में मशगूल दिखें। 
शुक्रवार को काशी कुछ ऐसी ही गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करती दिखाई थी। हर तरफ सौहार्द के फूल बिखरे नज़र आएं। जैसे जैसे रात होती गई शबे बरात पर रात की खास इबादत शुरू हो गई है। मुस्लिम इबादत में मशगूल हो गए हैं। कोई फातेहा पढ़ रहा है तो कोई नफल नमाजें अदा कर रहा है। यही नहीं विरान रहने वाली कब्रिस्तानों में भी जैसे मेला लगा हो। फूल, मालों की दुकान सजी हुईं हैं। जियारत करने वाले अकीदतमंदों का हुजूम जनसैलाब की तरह उमड़ा हुआ है।

यहां हाज़िरी लगाते दिखे जायरीन

बनारस शहर के प्रमुख कब्रिस्तान टकटकपुर, हुकुलगंज, भवनिया कब्रिस्तान गौरीगंज, बहादर शहीद कब्रिस्तान रविन्द्रपुरी, बजरडीहा का सोनबरसा कब्रिस्तान, जक्खा कब्रिस्तान, सोनपटिया कब्रिस्तान, बेनियाबाग स्थित रहीमशाह, दरगाहे फातमान, चौकाघाट, रेवड़ीतालाब, सरैया, जलालीपुरा, राजघाट समेत बड़ी बाजार, पीलीकोठी, पठानीटोला, पिपलानी कटरा, बादशाहबाग, फुलवरिया, लोहता, बड़ागांव, रामनगर आदि इलाक़ों की कब्रिस्तानों और दरगाहों में लोग पहुच कर शमां रौशन करते दिखाई दिए। इस दौरान सभी फातेहा पढ़कर अज़ीज़ों की बक्शीश के लिए दुआएं मगफिरत मांगते दिखे।

दरअसल शबे बरात वो अज़ीम रात जिस इस रात रब के सभी नेक बंदे अपने पाक परवर दीगार की इबादत में मशगुल रहते हैं। सारी रात मोमिनीन खास नमाज़ अदा करेंगे। शबे बरात पर अपनों व बुजुर्गो की क्रबगाह पर अज़ीज चिरागा करेंगे। घरों में साफ़ सफाई के साथ ही रोशनी की गई है।

घरों में हुई शिरनी की फातेहा

शब बरात पर घरों में शिरनी की फातिहा मोमिनीन कराते हैं। इस दौरान ग़रीबो और मिसकीनों को खाना खिलाया जाता है। पास पड़ोस में रहने वालों को तबर्रुक तक्सीम किया जाता है।

घरो में लौटती है पुरखों की रूह

शबे बरात से ही रुहानी साल शुरू होता है। इस रात रब फरिश्तों की डय़ूटी लगाता है। लोगों के नामे आमाल लिखे जाते हैं। किसे क्या मिलेगा, किसकी जिंदगी खत्म होगी, किसके लिये साल कैसा होगा, पूरे साल किसकी जिन्दगी में क्या उतार-चढ़ाव आयेगा। ये इसी रात लिखा जाता है, साथ ही पुरखों की रूह अपने घरों में लौटती है जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ व रौशन रखते हैं। मर्द ही नही घरों में ख्वातीन भी शबे बरात की रात इबादत करती हैं। इबादत में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल होते हैं। सुबह से शाम तक घरों में ख्वातीन हलवा व शिरनी बनाने में जुटती हैं। शाम में वो भी इबादत में मशगूल हो जाती हैं। 


सोमवार, 14 मार्च 2022

हर्बल रंगों के साथ मनायें होली की खुशियां

खतरनाक हो सकता है होली में केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग

कोविड प्रोटोकाल का करें पालन

वाराणसी, 14 मार्च (दिल इंडिया लाइव)। होली में केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग आप के लिए घातक हो सकता हैं। इससे त्वचा के झुलसने के साथ ही श्वांस व नेत्र रोग सम्बन्धित बीमारियां भी हो सकती है। लिहाजा होली पर केमिकल युक्त रंगों के प्रयोग से बचें और हर्बल रंगों के साथ होली की खुशियां मनायें। 

 यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.संदीप चौधरी का। डा. चौधरी ने कहा कि होली पर सभी को कोविड प्रोटोकाल का भी अवश्य पालन करना चाहिए । खास तौर पर उन लोगो को जो कोविड संक्रमण से गुजर चुके हैं।  ऐसे लोगो के लिए रसायन युक्त रंग काफी नुकसानदायक हो सकता है । जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राहुल सिंह कहते हैं कि वर्तमान दौर में होली खेलने के लिए लोग जिन रंगों का अधिकांशतः प्रयोग करते है वह ऐसे रसायनों से तैयार किये जाते है जो लोगों के लिए बेहद ही हानिकारक होते हैं। होली पर जिन लोगों को इस तरह के रंग लगाये जाते है उन्हें त्वचा रोग होने का सर्वाधिक खतरा रहता हैं। रसायनों से युक्त रंग लगने के कुछ ही देर बाद त्वचा में तेज जलन, खुजली और दानों या फफोलों का निकलना शुरू हो जाता है। इन रंगों में कुछ ऐसे भी रसायन मिले होते है जिनके प्रयोग से त्वचा के झुलसने का खतरा होता है। अगर ये रंग आंखों में चले जाए तो इनसे आंखों को भी क्षति पहुंच सकती है। कई बार सांस के जरिये ये रंग फेफड़ों में भी जमा हो जाते है जिसके कारण वहां भी संक्रमण हो सकता है। इसलिए सभी को केमिकल युक्त रंगों से होली खेलने से बचना चाहिए। 

 इस तरह करें बचाव

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा एके मौर्य  कहते है कि केमिकल युक्त रंगों से बचाव का बेहतर तरीका है कि होली वाले रोज घर निकलने से पहले पूरे शरीर में नारियल का तेल अवश्य लगाये। ऐसे कपड़े पहने जिससे शरीर का अधिकांश हिस्सा ढका रहे। इतना करने के बाद भी यदि किसी ने आपकों केमिकल युक्त रंग  लगा दिया है और आपके शरीर के किसी हिस्से में जलन अथवा किसी भी तरह की परेशानी हो तो चिकित्सक से तत्काल परामर्श लेना चाहिए।

 हर्बल रंगों का करें प्रयोग

क्षेत्रीय आयुर्वेद अधिकारी डा. भावना द्विवेदी कहती हैं कि पहले के जमाने में होली हर्बल रंगों से ही खेली जाती थी। लोग टेंसू या फिर अन्य फूलों को भिंगों कर होली खेलने खेलने के लिए रंग तैयार करते थे। इसके साथ ही चंदन, रोली का प्रयोग भी होली खेलने में होता था। ऐसे में होली पर लोगों को केमिकल रंगों से बचते हुए हर्बल  रंगों का प्रयोग करना चाहिए। 

 फूलों की होली भी एक बेहतरीन विकल्प

डा. भावना द्विवेदी कहती है कि फूलों की होली एक बेहतरीन विकल्प है। इसका प्रचलन भी हाल के वर्षो में तेजी से बढ़ा है। गुलाब की पंखुड़ियों से होली खेलकर रासायनिक रंगों से बचा जा सकता है।

रविवार, 13 मार्च 2022

गौना कराने ससुराल पहुचे काशीपुराधिपति

खास ‘रंगभरी ठंडई’ से किया गया बाबा की बारात का स्वागत
वाराणसी १३ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। गौना की बारात लेकर रंगभरी की पूर्व संध्या पर रविवार को महंत आवास पहुंचने पर बाबा की बारात का अनूठा स्वागत हुआ। हर बार तो बारातियों का स्वगत ठंडई पिला कर किया जाता था मगर इस बार दूल्हा बने बाबा विश्वनाथ पर ठंडई और गुलाबजल की फुहार उड़ा कर किया गया। इसके बाद फल, मेवा और बाबा के लिए खासतौर पर मिश्राम्बु द्वारा तैयार की गई ‘रंगभरी ठंडई’ से पारंपरिक स्वागत किया गया।

गौरा का गौना कराने बाबा विश्वनाथ के आगमन पर अनुष्ठान का विधान पं.सुनील त्रिपाठी के अचार्यत्व में किया गया। बाबा का अभिषेक करने के बाद वैदिक सूक्तों का घनपाठ किया गया। काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ कुलपति तिवारी के सानिध्य  में विविध अनुष्ठान हुए। बाबा विश्वनाथ व माता पार्वती की गोदी में प्रथम पूज्य गणेश की रजत प्रतिमाओं को एक साथ सिंहासन पर विराजमान कराया गया। पूजन-आरती कर भोग लगाया गया। पहले डमरुओं की गर्जना हुई फिर महिलाओं और नगर के कलाकारों ने मंगल कामनाओं से परिपूर्ण पारंपरिक गीत लोकनृत्य से ससुराल पहुचे काशी पुराधिपति का स्वागत हुआ। मंहत आवास गौने के बधाई गीतों से गुंजायमान हो उठा।  
रंगभरी एकादशी पर 14 मार्च को बाबा के पूजन का क्रम ब्रह्म मुहूर्त में मंहत आवास पर आरंभ होगा। बाबा के साथ माता गौरा की चल प्रतिमा का पंचगव्य तथा पंचामृत स्नान के बाद दुग्धाभिषेक किया जाएगा। दुग्धाभिषेक पं. वाचस्पति तिवारी और संजीव रत्न मिश्र करेंगे। सुबह पांच से साढ़े आठ बजे तक 11 वैदिक ब्रह्मणों द्वारा षोडशोपचार पूजन पश्चायत फलाहार का भोग लगा महाआरती की जाएगी। दस बजे चल प्रतिमाओं का राजसी शृंगार एवं पूर्वाह्न साढ़े ग्यारह बजे भोग आरती के बाद के बाबा का दर्शन आम श्रद्धालुओं के खोला जाएगा। जन सामान्य के लिए दर्शन सायं पांच बजे तक खुला रहेगा। उमरूदल के सदस्यों के लिए दोपहर एक से तीन बजे तक समय निर्धारित किया गया है। 
बाबा की पालकी की शोभायात्रा टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से विश्वनाथ मंदिर तक निकाली जाएगी। इससे पूर्व प्रात: साढ़े दस बजे से शिवांजलि संगीत समारोह का परंपरागत आयोजन  होगा। एएम. हर्ष के संयोजन में होने वाले शिवांजलि संगीत समारोह का मुख्य आकर्षण ख्यात कलाकार विदुषी सुचरिता गुप्ता एवं प्रख्याात तबलावादक पं. अशोक पांडेय का तबला वादन होगा। शुरुआत महेंद्र प्रसन्ना द्वारा शहनाई की मंगलध्वनि से होगी। कीर्तिमानधारी शंखवादक हैदराबाद के श्रीवल्लभ, जयपुर के भजन गायक मोहन स्वामी, रुद्रनाद बैंड के लीड सिंगर अमित त्रिवेदी, आराधना सिंह, सरोज वर्मा, पुनीत ‘पागल बाबा’, संजय दुबे आदि कलाकार भजनों की प्रस्तुतियां करेंगे।

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

ख्वाजा गरीब नवाब के उर्स में छठी का कुल शरीफ

ख्वाज़ा के उर्स पर काशी में सजी महफिले हुई फातेहा

अकीदत का मरकज़ है हजरत गरीब नवाज का दर 

वाराणसी 08 फरवरी (dil India live)। ख्वाजा मेरे ख्वाजा, दिल में समा जा...व, ऐसा सुनहरा दर है, अजमेर के ख्वाजा का..., जन्नती दरवाज़ा है अजमेर के ख्वाजा का...। कुछ ऐसे ही कलाम से काशी की सड़क से लेकर घर तक आज गूंज रहा है। दरअसल अजमेर में चल रहे दुनिया के मशहूर सूफी संत हिन्दलवली हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह, (सरकार गरीब नवाज) के उस पर जो लोग काशी से वहां नहीं जा सके हैं वो लोग बनारस में ही ख्वाजा का उर्स मना रहे हैं। यही वजह है ख्वाजा का उर्स अजमेर में होता है मगर उसकी धमक दुनिा के हर कोने में रहती है। जो लोग अज़मेर नहीं जा पाते हैं वो देश-दुनिया में जहां भी होते हैं वहीं से ख्वाजा को याद करते हैं, उनका कुल शरीफ कराते हैं, गरीबों को खाना खिलाते हैं और खैरात देते हैं। काशी से अजमेर हज़ारों लोग जत्थे के रुप में उर्स में रवाना हुए हैं हर बनारसी उर्स में नहीं सकता हैं, इसलिए बनारस के अर्दली बाज़ार, पुलिस लाइन, दालमंडी, नईसड़क, लल्लापुरा, हबीबपुरा, गौरीगंज, शिवाला, मदनपुरा, रेवड़ीतालाब, रामापुरा, बजरडीहा, कोयला बाजार, जलालीपुरा, पठानी टोला, पीलीकोठी, सरैया, बड़ी बाज़ार आदि इलाकों में ख्वाजा के उर्स पर फातेहा, मिलाद, कुरानख्वानी का जहां एहतमाम किया गया वहीं दूसरी ओर जगह-जगह ख्वाज़ा की याद में राहगीरों को मीठा शर्बत, पानी व अन्य तबर्रक बांटा जा रहा था। अर्दली बाज़ार में ख्वाजा के उर्स में इस्लामी परचम के साथ ही देश की शान तिरंगा भी लहराता नज़र आया। इसकी वजह लोगों ने बताया कि ख्वाजा हिन्दल वली हैं, उन्होंने हमेशा हिन्दुस्तान और इस देश से मोहब्बत का पैग़ाम दिय। इसलिए जो सूफिज्म के हिमायती हैं वो देश से मोहब्बत करते हैं।

बनारस से उर्स में अजमेर गए मो. इम्तेयाज़ ने बताया कि आज ख्वाजा का 810 वां सालाना उर्स अकीदत के साथ मनाया जा रहा है। अकीदतमंदों ने कुल को देखते हुए दरगाह परिसर के बाहर की दीवारों को गुलाब जल, ईत्र और केवड़े से धोकर कुल के छीटें लगाये गये थे। कोरोना नियमों में सरकार की ओर से शीथिलता के बाद दरगाह परिसर चौबीस घंटे से जायरीन से आबाद है और उर्स की रौनक न केवल दरगाह क्षेत्र में बल्कि दरगाह के चारों तरफ फैली हुई है। आज रात को दरगाह दीवान और ख्वाजा साहब के सज्जादानशीन सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान की सदारत में दरगाह परिसर के महफिलखाने में उर्स की छठी व अंतिम शाही महफिल हो रही है। जो जायरीन आज नहीं आ पाएंगे वे ग्यारह फरवरी को नवी के कुल की रस्म अदायगी में हिस्सा लेंगे। उसके बाद सरकार गरीब नवाज का 810 वां सालाना उर्स अगले साल तक के लिए संपन्न हो जाएगा। 

सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

सरकार गरीब नवाज़ के दर पर झुकती है कायनात


अजमेर 07 फरवरी (dil India live) राजस्थान के अजमेर में चल रहे दुनिया के मशहूर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह,( सरकार गरीब नवाज) के दर पर सारी कायनात झुकती है। ख्वाजा का उर्स इन दिनों अजमेर के साथ ही समूची दुनिया में मनाया जा रहा है। जो अजमेर नहीं जा सके हैं वो जहां हैं वहीं उर्स का आयोजन कर रहें हैं। राजस्थान ही नहीं उत्तर प्रदेश में भी ख्वाजा को लोग याद कर रहे हैं।

कल है ख्वाजा का कुल शरीफ़

अजमेर में 810 वें सालाना उर्स में मंगलवार को कुल की छठी का आयोजन होगा। अकीदतमंद कुल को देखते हुए आज रात से ही दरगाह परिसर के बाहर की दीवारों को गुलाबजल, ईत्र और केवड़े से धोकर कुल के छीटें लगाने शुरू कर देंगे।

कोरोना नियमों में सरकार की ओर से शीथिलता के बाद दरगाह परिसर चौबीस घंटे जायरीनों से आबाद है और उर्स की रौनक न केवल दरगाह क्षेत्र में बल्कि दरगाह के चारों तरफ फैली हुई है। आज रात को दरगाह दीवान और ख्वाजा साहब के सज्जादानशीन सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान की सदारत में दरगाह परिसर के महफिलखाने में उर्स की छठी व अंतिम शाही महफिल होगी। इसके बाद मध्यरात्रि से ख्वाजा साहब की मजार को छठी का गुस्ल देने की धार्मिक रस्म अदा की जाएगी।
जिला प्रशासन ने कुल की रस्म व छठी के मद्देनजर आठ फरवरी को पूरे जिले में राजकीय अवकाश घोषित किया है। कुल की रस्म में बड़ी संख्या में जायरीनों के पहुंचने की उम्मीद है। जो जायरीन कल नहीं आ पाएंगे वे ग्यारह फरवरी को नवी के कुल की रस्म अदायगी में हिस्सा लेंगे। उसके बाद गरीब नवाज का 810वां सालाना उर्स संपन्न हो जाएगा।

मीरा कुमार लेंगी रविदास जयंती में हिस्सा

संत रविदास मंदिर में चार दिवसीय जयंती 14 से

मुख्य कार्यक्रम 16 को, तैयारी अंतिम चरण में पहुँची

वाराणसी (dil India live) I संत रविदास जयंती समारोह के अवसर पर राजघाट स्थित रविदास मंदिर में चार दिवसीय कार्यक्रम 14 से 16 फरवरी तक चलेगा। मुख्य कार्यक्रम 16 फरवरी आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार सपरिवार उपस्थित रहेगी। इस संबंध में दी रविदास स्मारक सोसाइटी के महासचिव श्री सतीश  कुमार उर्फ फागुनी राम ने बताया कि संत शिरोमणि रविदास की जयंती समारोह धूमधाम से मनाया जाएगा। समारोह की तैयारी जोर शोर से की जा रही है। मंदिर परिसर का रंग रोगन एवं साफ सफाई में दर्जनों कारीगर लगे हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर को विद्युत झालरों एवं आकर्षण लाइटों से सजावट की जाएगी। सोसायटी के महासचिव फागुनी राम ने बताया कि चार दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिदिन भजन कीर्तन का कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और मंदिर दर्शन पूजन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि समारोह में भारत सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पूर्ण पालन किया जाएगा।

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

ख्वाजा के दर पर चढ़ेगी काशी की तिरंगा चादर


वाराणसी ०३ फरवरी (dil India live)। काशी से ख्वाज़ा गरीब नवाज़ के दर पर तिरंगा चादर चढाने के लिए वकील अहमद के नेतृत्व में पिछले 28 साल से अकीदतमंद वाराणसी से निकलते है । 04 फरवरी को कैंट स्टेशन से मरुधर ट्रेन से ये जत्था रवाना होगी। उसी तिरंगे चादर को आज 03 फरवरी को लाट सरैय्या स्थित मस्ज़िद मखदूम शाह के आस्ताने पर अकीदतमन्दो के लिए खोली गयी। जिस में मुख्य अतिथि अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पार्षद हाजी ओकास अंसारी शामिल हुए। इस मौके पर हाजी ओकास अंसारी ने बताया की वकील अहमद के नेतृत्व में ख्वाज़ा गरीब नवाज़ साहब को ये तिरंगा चादर पिछले 28 सालो से तमाम अकीदत मंदो के साथ एक जत्थे के साथ वाराणसी से ट्रेन से रवाना होती और ख्वाज़ा साहब को बड़ी शिद्दत के साथ इस तिरंगे चादर को चढ़ाते है, और वहा तीनो कुल करके ख्वाज़ा साहब के दरबार में मुल्क की तरक्की, लोगो के रोजगार में बरकत और मुल्क में अमन के लिए दुआ करते हैैं। हम अकीदतमन्दो  का चादर चढाने का ये सिलसिला लगातार चलता रहा है। आज इस मौके पर मौजूद हाजी ओकास अंसारी, दुर्गा प्रसाद गुप्ता, वकील , शेख रमजान, वर्मा, वसीम अकरम, बेलाल अहमद, , रमजान , रेशमा, मक़सूद, नुरूल, बाबू, तौफ़ीक़, अफज़ल शमसुद्दीन, मतीन आदि लोग मौजूद थे। 

अजमेर में ख्वाजा का उर्स शुरू

काशी से रवाना होगी तिरंगा चादर

वाराणसी 03 फरवरी (dil India live)।  हिन्दल वली सरकार मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी सरकार गरीब नवाज़ का उर्स अजमेर में शुरू हो गया है। 6 दिनों तक चलने वाले उर्स में शिरकत करने उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में जत्थे रवाना होना शुरू हो गए हैं, हालांकि उर्स कोरोना गाइड लाइन से ही मनाया जायेगा। 

उर्स को लेकर कई तरह की हिदायतें दी गई है। अजमेर के एडीएम सिटी राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि कोरोना प्रोटोकाल के तहत ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स आयोजित करने को लेकर तैयारी की गई है। सभी जिम्मेदार विभागों के प्रमुखों को उर्स के संबंध में विशेष दिशा निर्देश दिए गए हैं। इससे पहले 25 जनवरी को झंडे की रस्म अदा की गई थी। उर्स का आगाज  बुधवार को हो गया। उर्स का आगाज़ होते ही ज़ायरीन वहां पहुंचने लगे हैं। काशी के लाट सरैया में ख्वाज़ा गरीब नवाज़ की चादर पार्षद हाजी ओकास अंसारी की अगुवाई में निकाली गई। इस दौरान तिरंगा चादर की ज़ियारत करने सभी मज़हब के लोग जुटे हुए थे। यह चादर विभिन्न रास्तों और शहरों से होते हुए अजमेर शरीफ पहुंचेंगी। ख्वाज़ा का उर्स छह दिनों तक हिन्दू-मुस्लिम दोनों की आस्था और अक़ीदत के साथ मनाया जाता है।

शनिवार, 15 जनवरी 2022

स्वामी विमलानंद सरस्वती जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन


वाराणसी 15 जनवरी(dil india live)। राज गुरु मठ वाराणसी में दंडी स्वामी विमलानंद सरस्वती जी महाराज के जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया।उत्तर प्रदेश एवं बिहार, दिल्ली, उत्तराखण्ड, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।वाराणसी से विधायक रोहनिया सुरेंद्र सिंह, विधायक कैंट सौरभ श्रीवास्तव, महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय व अन्य राजनेता आदि ने हवन पूजन प्रीतिभोज (दही चूड़ा) भी एवं चिंतन सभा में भाग लिया। इस पुण्य तिथि पर आयोजित भोजपुरी कवि सम्मेलन जिसके मुख्य आयोजन कर्ता किंनवार वंश के युवा दिनकर संजीव कुमार त्यागी थे, उनके नेतृत्व में पुर्वांचल के कवियों  ने आध्यत्म  साहित्य में अपनी संगीतमयी प्रस्तुति से रस एवं माधुर्य की त्रिवेणी बहा दी। गाज़ीपुर के वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु राय समेत कई प्रतिभाओ का उत्कृष्ट योगदान देने के लिए मंच द्वारा संम्मानित भी किया गया। 

मंगलवार, 11 जनवरी 2022

तीन दिनी हजरत रहीम शाह बाबा का सालाना उर्स

कोरोना के खात्मे की उर्स में  मांगी ज़ायरीन ने दुआएं

आस्ताना रहीमिया में हुई तकरीर, गूंजा नातिया कलाम




Mohd Rizwan

वाराणसी(dil india live)। हजरत रहीम शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह का तीन दिनी सालाना उर्स कोविड प्रोटोकाल के साथ बाबा के बेनिया स्थित आस्ताने पर पाक कुरान की तेलावत के साथ शुरु हो गया। इस दौरान बाबा के आस्ताने पर फातिहा पढ़ने और मन्नतों की चादर चढ़ाने के लिए अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ पड़ा। दूर-दराज से आए अकीदतमंदों के लिए कोरोना से बचाव के इंतज़ाम दरगाह कमेटी ने कर रखा था। वहीं बाबा के दर पर हाजिरी के साथ ही लोगों ने कोरोना के खात्मे की दुआएं मांगी।यहां उलेमा ने तकरीर और शायरो ने नात-ए-पाक का नजराना भी बाबा की शान में पेश किया। तीन दिनी उर्स की शुरुआत आज से हो गई। इस दौरान सबसे पहले हजरत रहीम शाह बाबा के दर पर पाक कुरान की तेलावत हुई। जोहर की नमाज के बाद महफिल-ए-समां का आयोजन किया गया।। शाम को चादरपोशी और मगरिब की नमाज के बाद मीलाद शरीफ हुआ। मीलाद शरीफ में बड़ी तादाद में अकीदतमंद शामिल हुए। इस मौके पर तकरीर और लंगर का भी दौर चला। सुबह से शाम तक बाबा के दर पर फातिहा पढ़ने वाले  जायरीन उमड़े हुए थे। आने वालों का खैरमखदम सज्जादानशीन मोहम्मद सैफ रहीमी कर रहे थे। उर्स को देखते हुए दरगाह को पहले ही सजाया गया था। आसपास भी खूबसूरत विद्युतीय झालरो से सजावट की गई है।

निकलेगी चादर होगी कव्वाली

सरपरस्त मोहम्मद शाहिद ने बताया कि 12 को फज्र में कुरआन ख्वानी, बाद नमाज असर ग़ुस्ल मजार शरीफ, बाद नमाज मगरिब सरकारी चादर पोशी व मिलाद शरीफ, बाद नमाज ईशा लंगर व महफिले समा होगा तो तीसरे दिन 13 को फज्र में कुरआन ख्वानी के बाद 10:30 बजे कुल शरीफ व बादहु रंग महफ़िल, लंगर  फिर बाद नमाज मगरिब महफिले समां होगा। सभी आयोजन कोविड गाइड लाइन के तहत किया जाएगा। आयोजन में अमन और मिल्लत की दुआएं होगी।

सोमवार, 10 जनवरी 2022

गुरु गोविंद सिंह की देश-दुनिया में 355 वीं जयंती मनाई गई

जिन प्रेम कियो तिनही प्रभु पायो...

मैं हूं परम पूरक को दासा देखन आयो जगत तमाशा...



Varanasi 09 जनवरी (dil india live) : सिक्ख धर्म के दसवें पातशाह गुरु गोविंद सिंह की जयंती पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ आस्थापूर्वक देश-दुनिया के साथ ही धर्म की नगरी काशी में भी मनायी गयी। इस अवसर गुरुद्वारा गुरुबाग व गुरुद्वारा नीचीबाग में विशेष आयोजन किये गये। पूरे दिन गुरुद्वारे शबद कीर्तन के बोलों से गूंजते रहे। दोनों गुरुद्वारों में दरबार साहिब को फूलमाला और बिजली के झालरों से सजाया गया था। सुबह से ही दरबार में हाजिरी लगाने वालों का तांता लगा रहा। हालांकि कोविड के चलते रात का दीवान आनलाइन ही सजा, गुरुद्वारों के पट रात 10 बजे बंद कर दिये गये।

इससे पहले सुबह गुरु पर्व का आगाज गुरुद्वारा बड़ी संगत नीचीबाग में गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाश से हुई। फूलों फूलों से सजी पालकी श्री गुरुग्रंथ साहिब की परिक्रमा में बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। शब्द कीर्तन गायन कर गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश हुआ।इसी के साथ ही पिछले 40 दिनों से निकल रही प्रभातफेरियों एवं श्री अखंड पाठ साहिब जी का लड़ी पाठ का भी समापन हुआ। अरदास एवं प्रसाद वितरण में गुरु भक्तों का हुजुम जुटा हुआ था। शाम को आनलाईन दीवान सजाया गया। 

 गुरुद्वारा गुरुबाग में हजूरी रागी जत्था भाई नरेंद्र सिंह भाई रकम सिंह भाई रंजीत सिंह ने गुरुवाणी, शबद कीर्तन व कथा से संगत को निहाल किया। सुबह से से रात तक गुरुद्वारे, सच कहूं सुन लेहु सभै, जिन प्रेम कियो तिनही प्रभु पायो...व, मैं हूं परम पूरक को दासा देखन आयो जगत तमाशा...जैसे शबद-कीर्तन के स्वर गूंज रहे थे। घरों से लेकर जश्न का माहौल था पंगत और संगत का उल्लास गुरुदारों में देखते ही बन रहा था।

गुरुबाग में तो गजब की रौनक थी। सुबह से ही श्रद्धालुओं का गुरुद्वारे में पहुंचने का क्रम शुरू हुआ जो अनवरत जारी रहा। पूरे दिन गुरुद्वारों में शबद कीर्तन में लोग जुटे हुए थे। गुरूनानक खालसा बालिका इंटर कालेज एवं गुरुनानक इंग्लिश स्कूल के बच्चों ने भी शबद कीर्तन में भाग लिया। इस अवसर पर विशिष्ट लोगों को सिरोपा देकर सम्मान किया गया। मौजूद संगत ने पंगत में बैठकर गुरु का अटूट लंगर बरता। जिसमें बड़ी संख्या में दूसरे धर्म के भी लोग शामिल हुए और प्रसाद ग्रहण कर खुद को निहाल किया।मुख्य ग्रंथि भाई रंजीत सिंह ने दीवान समाप्ति की अरदास की। इस अवसर पर बलजीत सिंह, महंत सिंह, भाई धरमवीर सिंह, परमवीर सिंह अहलूवालिया आदि मौजूद थे।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...