छल से प्राप्त लक्ष्मी शाश्वत नहीं रहती नष्ट हो जाती है: मुनि विशद सागर
वाराणसी 12 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)| पर्युषण पर्व के तीसरे दिन जैन मंदिर भेलूपुर में प्रातः से विविध धार्मिक कृत्य प्रारंभ हुए। योग , ध्यान , सामायिक , भगवंतो का जलाभिषेक ,शांति धारा मुनिश्री के मंत्रोच्चारण के साथ किया गया ।रवि व्रत के साथ भगवान सुपार्श्वनाथ जी के गर्भ कल्याणक पूजा भी संपन्न हुई ।श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे दस दिवसीय दशलक्षण पर्व के तृतीय दिवस पर रविवार को प्रातः आचार्य मुनि 108 विशद सागर जी तृतीय अध्याय “ *उत्तम* *आर्जव* *धर्म* “ पर व्याख्यान देते हुए कहा -“हम सब को सरल स्वभाव रखना चाहिए ,कपट का त्याग करना चाहिए ।कपट के भ्रम में जीना , दुखी होने का मूल कारण है ।आत्मा ज्ञान, ख़ुशी , प्रयास ,विश्वास जैसे असंख्य गुणों से सिंचित है । सीधा-सादा सरल होना ही सहजता है और सहजता ही जीवन में आ जाना ही सरलता है ।”मुनि श्री ने कहा -“जो मनुष्य अपने मन से कपट करना ,धोखा देना ,चोरी करना ,ऐसी भावों को निकाल देता है व अपने स्वभाव को सरल व विनय से युक्त बना लेता है ।उसे ही उत्तम आर्जव धर्म कहते हैं ।कपटी व्यक्ति स्वयं ही अपने को धोखा देता है , वह दूसरे की अपेक्षा स्वयं अपनी ही हानि अधिक करता है ।मनुष्य अगर छल कर लक्ष्मी प्राप्त कर लेता है तो वह लक्ष्मी शाश्वत नहीं रह पाती है ,नष्ट हो जाती है । मुनि जी ने कहा तन उजला किस काम का जब तक मन में मैल , मन का मैल ही करें शुरू मन मुटाव का खेल । “कपट नरक का द्वार है मत कर माया चारी , आर्जव धर्म को धार चपल मन हो निज सुख तैयारी ।”
रविवार को प्रातः भगवान सुपार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली भदैनी (जैन घाट ) में भगवान के गर्भ कल्याणक की विशेष पूजा की गई ।प्रातः सारनाथ ,चंद्रपुरी , नरिया , भदैनी मैदागिन एवं ग्वालदास साहूलेन में प्रातः 10 लक्षण पूजन अभिषेक किया गया ।सायंकाल मंदिरों में प्रतिक्रमण , सामयिक ,शास्त्र प्रवचन , जिनवाणी पूजन , तीर्थंकरो एवं देवी पद्मावती जी की आरती की गई । सायंकाल भेलुपूर मंदिर जी में महिला मंडल द्वारा स्वर्ग सोपान का मंचन किया गया। आयोजन में प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, अरुण जैन, विजय जैन, अजित जैन, सौरभ जैन, विनोद जैन, पंकज जैन उपस्थित थे।