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सोमवार, 3 अप्रैल 2023

Nima Varanasi की ओर से सामूहिक रोज़ा इफ्तार पार्टी

सैकड़ों चिकित्सकों ने किया मिल्लत की इफ्तार


Varanasi (dil india live). अमृत महोत्सव के अंतर्गत चल रहे कार्यक्रमों की कड़ी में एनआई एम ए (nima) वाराणसी ब्रांच एवं यूनानी फोरम की ओर से चिकित्सकों द्वारा सामूहिक रोजा अफ्तार का आयोजन nima भवन, शिवपुर में आयोजित किया गया।

जिसमें लगभग 100 से अधिक डाक्टरों ने सौहार्दपूर्वक माहौल में रोजा खोला। नीमा भवन में ज्यों ही अज़ान की सदा डॉक्टर अब्दुल कलाम ने दिया तो सभी ने एक साथ बैठ कर रोजा इफ्तार किया। हिंदू मुस्लिम दोनों ने गंगा जमुना तहजीब की मिसाल पेश की। इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज़ में खुदा से सभी लोगों ने अमन शांति के लिए दुआ मांगी और प्राकृतिक आपदा जैसी बीमारियों से निजात के लिए भी दुआ की गई।

     इफ्तार में मुख्य रूप से डॉ फैसल रहमान, डॉ एम ए अजहर, डॉ सलीलेश मालवीय, डॉ अरशद और डॉ विनय पांडे के संयोजन में इफ्तार का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर डॉ अरुण गुप्ता, डॉ योगेश्वर सिंह, डा आर के यादव, डा ए के सिंह, डा दिनेश कुमार,डा समीर राठौर, डॉ मुख्तार अहमद, डा नसीम अख्तर, डॉ सगीर अशरफ, डा शहरयार, डा मुबीन अख्तर, डा एहतेशामुल हक, डा शब्बीर, डा जावेद, डा अशफाकुल्लाह, डा बी एन रोकी, डा खालिद, डा अनिल प्रकाश, डा अनिल गुप्ता, डॉ खुर्शीद, 

डॉ पी एस पांडे, डा वाई के मिश्रा, डा विनोद सिंह, डा प्रदीप पांडे, डा एस आर सिंह, डा के एन झा, डा गांगुली, डा एच एन सिंह, डा मंगला प्रसाद, डा डी एन सिंह, डा मुशुरुद्दीन, डॉ बेलाल, डा इकबाल, डा सलीम, डा इरफान,डा मौर्या, डा के के पांडे , डा पी सी गुप्ता, डा जे एन गुप्ता, डा जे पी गुप्ता,डा नियमतुल्लाह, डा राम सिंह, डा कलीम, डा पी एस पांडे, डा आर बी वर्मा, डा सी एल वर्मा, डा संदीप पाण्डेय, डा एस आर गुप्ता, डा ए डी गुप्ता, डा सुमन बरनवाल, डा प्रियंका जयसवाल,आदि उपस्थित थे।

शनिवार, 11 मार्च 2023

कभी तो होगा khuda मेहरबां गरीबों पर, कभी तो अहले सितम का गुरूर निकलेगा...

अदब सराय की साहित्यिक संगोष्ठी में अतीक अंजर का सम्मान



Varanasi (dil india live). सामाजिक व अदबी संस्था अदब सराए बनारस के तत्वाधान में 11 मार्च की रात्रि को पराड़कर समृति भवन के गर्द सभागार मैदागिन में प्रवासी भारतीय शायर एवं लेखक दोहा कतर से तशरिफ लाए अतीक अंजर के सम्मान में संस्था ने "अतीक अंजर के साथ एक शाम ' के उन्वान से उनके समस्त लेखन एंव व्यत्तित्व पर परिचर्चा और mushayera का अयोजन किया गया। कार्यक्रम संस्था के संस्थापक सदस्य डा. शाद मशरिकी, आलम बनारसी, जमजम रामनगरी और डा. फरहत इसार ने अतिथीयों को गुलदस्ता पेश करके सम्मानित किया। संस्था के संरक्षक हाजी इश्तियाक अहमद ने अतीक अंजर को शायरी में निरंतर सामाजिक मुद्दों के साथ ही ठगे, शोषित, असहाय और छले हुए नागरिकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए "कबीर एवार्ड" से अलंकृत किया। इस सम्मान और शहरे बनारस से मिले इस मुहब्बत से भाव विभोर अतीक अंजर साहब ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की कशी नगरी जो कि मेरा जन्म स्थान है इसी दयारे इल्मो फन में मेरी शिक्षा दीक्षा भी हुई है। इस शहर ने मुझे इस लायक बनाया है कि दोहा कतर ही नहीं दुनिया के अधिकतर हिस्सो में जहाँ उर्दू और हिन्दी बोली जाती और समझी जाती हैं। मेरी नज्में दिलचस्पी के साथ पढ़ी जाती है। उसका प्रमुख कारण यह है कि जब समय अपवाह बन रहा हो और सच को झूठ बनाने पर आमादा हो। जब मंशाएं कुटिल व हिंसक हो, विवेक लकवा ग्रस्त और विचार ध्वनियों के शोर की तरह भिनभिना रहा हों तब दुनिया के नकशे पर मेरी नई किताब "अच्छे दिन को शोक" जन्म लेती हैं। आज मेरे शहर बनारस और अदब सराय ने मुझे जो इज्जत और सम्मान दिया हैं। यह मेरे निजी एवं शेअरी जीवन का कभी न भुलने वाला पल हैं। अतीक अंजर ने इस अवसर पर अपनी कई नज्में और गजलें श्रोताओं के फरमाइश पर प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डा. मुर्शफ अली ( उर्दू विभाग बनारस हिन्दु युनिर्वसिटी ) ने पहले वक्ता के रूप में रिसर्च स्कालर दिवाकर तिवारी को अतीक अंजर की शाइरी के नज्मिया हिस्से पर गुफ्तगू करने के लिए बुलाया दिवाकर तिवारी ने अपनी राय जाहिर करते हुए कहा की अतीक अंजर उस कबीले के शायर है जहाँ एक तरफ बेशतर फनकार अपनी नज्मों लय, तुक शब्दों के सौदर्य पर ध्यान देते हैं, वहीं दूसरी ओर अतीक अंजर अपने समस्त लेखन को आम नागरिक के जीवन को उसके कच्चे रूप में ही जन सामान्य के सामने रख दिया हैं। उन्होंने गाँव देहात के जीवन को सिर्फ देखा ही नहीं बल्कि जिया भी हैं। प्रोफेसर शाहिना रिजवी ने कहा कि मुहब्बत का पैगाम हम सब को आम करना चाहिए, मुहब्बत से ही हिंदुस्तान में एक बेहतरीन माहौल बन सकता है। समारोह के वरिष्ठ वक्ता बनारस हिन्दू युनिर्वसिटी उर्दू के विभागागध्यक्ष प्रोफेसर आफताब अहमद आफाकी ने कहा कि तानाशाही एवं लोकतंत्र के पक्ष में खड़ा होने वाला शायर अपनी रचनाओं में अच्छे दिन का शोक, में शब्दों, बिम्बों, अर्थो और वाक्य रचना में निहित, निरा, कोरा, लिज लिजा भावुक रसायन नहीं हैं। बल्कि गाँव के गलियों और टोला मुहल्लों में बोली जाने वाली सादा और आसान शब्द कोश है जिसके द्वारा वो जन सामान्य को अपनी बातें समझाने में कामयाब ही नहीं बल्कि उसके दुख का साथी बन जाते हैं ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात विद्वान, साहित्यकार आलोचक एंव शायर शमीम तारिक ने अतीक अंजर के समस्त लेखन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की उनकी शायरी आने वाले जमानों में भी अपने रंग और सुगन्ध की ताजगी का आभास दिलाती रहेगी। मुझे यह कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि अतीक की रचनाए विरोध और राजनीतिक भागीदारी की आधुनिक उर्दू हिन्दी कविता की एक नई शाखा को जांच के लिए एक उच्च आधार बनाती हैं । 

कार्यक्रम का दूसरा भाग मुशाएरे का था जिसके संचालन की जिम्मेदारी इशरत उस्मानी ने संभाली पहले शायर के रूप में जम जम रामनगरी को अवाज दी गई, जिन्होंने अपने कलाम पेश करते हुए कहा कि, मर गए लड़ते हुए अगली सफों में जॉबाज शाहजादे तो फकत जंग के किस्से में रहे...। आलम बनारसी ने पढ़ा, आबरू कितनों की पिन्हा चुप के पैराहन में है, ये खुला जब खुद को उसने बे लेबादा कर लिया...।

डॉक्टर बख्तिया नवाब ने कहा, कभी तो होगा खुदा मेहरबां गरीबों पर, कभी तो अहले सितम का गुरूर निकलेगा...।

शाद मशराकी ने कहा, जो अपने उसूलों की हिफाजत में लगा हो, उस शख्स का दामन कभी मैला नहीं होगा...। 

सुहैल उस्मानी ने कहा, बस जरूरत तलक साथ थे और फिर हम जुदा हो गए...।

खालिद जमाल ने कहा, बहाना अब बना तू और कोई, ये किस्सा भी है मेरा कुछ सुना सा...। गुफरान अमजद ने कहा, कोई फिरऔन लरजता हुआ देखा तुमने, शहरे इजहार में मूसा तो बहुत फिरते हैं। शाद अब्बासी ने कहा कि, हमारे हाथ में कश्कोल एक अमानत हैं, सवाल अपने लिए आज तक किया ही नहीं। समर गाजीपुरी के भी कलाम पसंद किए गए।

       इस कार्यक्रम में विशेष रूप से अतीक अंसारी, सर सैयद सोसाइटी के हाजी इश्तियाक अहमद, जमजम रामनगरी, शाहिना रिजवी, आगा नेहाल, सलाम बनारसी, डॉक्टर एहतेशामुल हक, शमीम रियाज़, एच हसन नन्हें, मुस्लिम जावेद अख्तर, इरफानुल हक, शकील अंसारी आदि लोग शामिल थे।

गुरुवार, 18 अगस्त 2022

Accident: ट्रक की चपेट में आने से विकास भवनकर्मी बाइक सवार की मौत

बड़ागांव ब्लॉक में सेक्रेटरी पद पर हाल ही में हुआ था प्रमोशन


Rajkumar Gupta

Varanasi (dil india live). विकास भवन से अपने घर लौटते समय राजातालाब निवासी बाइक सवार मनोज केसरी 42 वर्ष की परमपुर रिंग रोड पर रात्रि में लगभग 9 बजे ट्रक की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गये। घटना के तुरंत बाद पुलिस ने परिजनों को सूचना देते हुए एंबुलेंस से इलाज के लिए बीएचयू में स्थित ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया जहां पर इलाज के दौरान बुधवार रात को घायल मनोज केसरी की मौत हो गयी। प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतक मनोज कुमार केसरी विकास भवन में बड़े बाबू के पद पर कार्यरत थे। 

हाल ही में बड़ागांव ब्लॉक में सेक्रेटरी पद पर प्रमोशन हुआ था। जिनका विकास भवन से वापस घर लौटते समय रिंग रोड पर ट्रक से एक्सीडेंट हो गया। मौत की सूचना मिलने पर पत्नी जानकी देवी का रो रो कर बुरा हाल हो गया। मृतक को एक लड़का अभिषेक 18 तथा दो लड़की वंदना व ख़ुशी है। मृतक मनोज तीन भाईयो व एक बहन में सबसे बड़े थे।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...