अजमेर 07 फरवरी (dil India live) राजस्थान के अजमेर में चल रहे दुनिया के मशहूर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह,( सरकार गरीब नवाज) के दर पर सारी कायनात झुकती है। ख्वाजा का उर्स इन दिनों अजमेर के साथ ही समूची दुनिया में मनाया जा रहा है। जो अजमेर नहीं जा सके हैं वो जहां हैं वहीं उर्स का आयोजन कर रहें हैं। राजस्थान ही नहीं उत्तर प्रदेश में भी ख्वाजा को लोग याद कर रहे हैं।
कल है ख्वाजा का कुल शरीफ़
अजमेर में 810 वें सालाना उर्स में मंगलवार को कुल की छठी का आयोजन होगा। अकीदतमंद कुल को देखते हुए आज रात से ही दरगाह परिसर के बाहर की दीवारों को गुलाबजल, ईत्र और केवड़े से धोकर कुल के छीटें लगाने शुरू कर देंगे।
कोरोना नियमों में सरकार की ओर से शीथिलता के बाद दरगाह परिसर चौबीस घंटे जायरीनों से आबाद है और उर्स की रौनक न केवल दरगाह क्षेत्र में बल्कि दरगाह के चारों तरफ फैली हुई है। आज रात को दरगाह दीवान और ख्वाजा साहब के सज्जादानशीन सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान की सदारत में दरगाह परिसर के महफिलखाने में उर्स की छठी व अंतिम शाही महफिल होगी। इसके बाद मध्यरात्रि से ख्वाजा साहब की मजार को छठी का गुस्ल देने की धार्मिक रस्म अदा की जाएगी।जिला प्रशासन ने कुल की रस्म व छठी के मद्देनजर आठ फरवरी को पूरे जिले में राजकीय अवकाश घोषित किया है। कुल की रस्म में बड़ी संख्या में जायरीनों के पहुंचने की उम्मीद है। जो जायरीन कल नहीं आ पाएंगे वे ग्यारह फरवरी को नवी के कुल की रस्म अदायगी में हिस्सा लेंगे। उसके बाद गरीब नवाज का 810वां सालाना उर्स संपन्न हो जाएगा।
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