शनिवार, 1 नवंबर 2025

Education: DAV PG College Main समाजशास्त्र की उत्पत्ति, प्रेरक और प्रतिमान पर ओरिएंटेशन कार्यक्रम

अंतर्मन को समझने के लिए समाजशास्त्र अत्यंत उपयोगी

दलितों, आदिवासियों बिन भारतीय दृष्टिकोण समझना संभव नहीं- प्रो. विवेक


Varanasi (dil india live)। डीएवी पीजी कॉलेज (DAV PG College) के समाजशास्त्र विभाग के तत्वावधान में शनिवार को भारतीय समाजशास्त्र की उत्पत्ति, प्रेरक और प्रतिमान विषयक ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली (JNU New Delhi) के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के डीन प्रो. विवेक कुमार ने भारतीय समाजशास्त्र की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1905 में जब भारत में सही मायने में समाजशास्त्र की शुरुआत हुई तो इसका श्रेय राधा कमल मुखर्जी, जीएस घुरे जैसे विद्वानों को जाता है, जिन्होंने इस विषय को इतना लोकप्रिय बनाया। प्रारंभिक दौर से सन 1947 तक समाजशास्त्र सिर्फ 27 जगहों पर ही पढ़ाया जाता था वहीं आज देशभर में 417 विश्वविद्यालयों में इसकी पढ़ाई हो रही है जो इस विषय की प्रासंगिकता और लोकप्रियता को बताने के लिए पर्याप्त है।

प्रो. विवेक कुमार ने कहा कि समाजशास्त्र किसी खास वर्ग के लिए नही है बल्कि यह सम्पूर्ण जनमानस के लिए है। यह हमारे दैनिक जीवन को व्यवहारित करता है, व्यक्ति के अंतर्मन को समझने के लिए समाजशास्त्र अत्यंत उपयोगी विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारतवर्ष को समझना है तो हमे दलितों, आदिवासियों को भी साथ लेकर चलना होगा तभी सम्पूर्ण भारत का दृष्टिकोण समझा जा सकता है। इसके अलावा लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आदित्य मोहन्ती ने विद्यार्थियों को शोध प्रस्तावना लिखने के गुर भी सिखलाये।




इनकी रही खास मौजूदगी 
इस मौके पर डॉ. टीबी सिंह, डॉ. सुजीत सिंह, डॉ. हसन बानो, डॉ. रुचिका चौधरी, डॉ. सूर्य प्रकाश पाठक, डॉ. मृत्युंजय प्रताप सिंह, डॉ. सत्यप्रकाश अंशु सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्रबंधक अजीत कुमार सिंह यादव ने अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र एवं पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया। विषय स्थापना प्रो. मधु सिसोदिया, संचालन डॉ. नेहा चौधरी एवं धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ. ज़ियाउद्दीन ने दिया।

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