शनिवार, 15 नवंबर 2025

Education: VKM Varanasi Main छः दिवसीय कार्यशाला का समापन समारोह

छात्राओं में शिक्षा और शोध के विकास पर हमेशा ध्यान देना होगा

मालवीय व एनीबेसेण्ट जैसे मनीषियों की शिक्षाएं जीवन निर्माण का कार्य करती हैं-कुलपति

 

dil india live (Varanasi). वाराणसी के वसन्त कन्या महाविद्यालय (VKM Varanasi) में 15 नवंबर (2025) को अपराह्न 2ः00 बजे के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग एवं क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई के संयुक्त तत्वावधान में 10 नवम्बर, 2025 से शुरू हुई छः दिवसीय कार्यशाला का समापन समारोह धूमधाम से मनाया गया। ‘इतिहास का उदय, मनुष्य जीविका और प्रौद्योगिकी’ पर आयोजित कार्यक्रम के इस समापन समारोह में कुल 75 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। 

मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजित चतुर्वेदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जो कार्यक्रम ज्ञान में बढ़ोत्तरी करें अत्यन्त प्रशंसनीय है। हमें अपनी छात्राओं में शिक्षा और शोध के विकास पर हमेशा ध्यान देना चाहिये तथा पंडित मदन मोहन मालवीय एवं एनीबेसेण्ट जैसे मनीषियों को सदैव याद रखना चाहिये। उनकी शिक्षायें जीवन निर्माण का कार्य करती है। 


प्रो0 राकेश तिवारी (पूर्व महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली) ने समापन भाषण देते हुए कहा कि पुरातत्व अनजानी वस्तुओं की खोज करता है। प्रयोग के द्वारा सीखना बड़ी बात है। उन्होंने यात्राओं का महत्व बताते हुए राहुल सांकृत्यायन की अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा और घुमक्कड़ शास्त्र का उल्लेख किया।

आशीर्वचन देते हुए प्रबंधिका श्रीमती उमा भट्टाचार्या ने कहा कि थियोसाॅफी ब्रह्म ज्ञान है जो उपनिषद और वेदांत पर आधारित है। थियोसाॅफिकल सोसायटी छात्राओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करती है। हमारा महाविद्यालय एक समृद्ध विरासत लिये हुए है जिसे छात्राओं को आगे बढ़ाते रहना है। महाविद्यालय को वैल्यू एडेड कोर्स के रूप में थियोसाॅफी के सिद्धान्तों का अध्ययन को मान्यता देने के लिये प्रबंधक ने कुलपति महोदय को धन्यवाद दिया। 



अध्यक्षीय भाषण प्रो. विदुला जायसवाल (पूर्व प्रमुख, प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) ने दिया और कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में शिक्षा की संस्कृति बहुत समृद्ध रही है। मै अपने गुरूजनो को सदैव स्मरण करती हूँ। इस कार्यशाला में हमलोगों ने इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति के विद्वतजनों को आमंत्रित किया। वसन्त कन्या महाविद्यालय स्त्री, शिक्षा और विकास के लिये अच्छे प्रयास कर रहा है। इसे एक हेरिटेज शिक्षण संस्था के रूप में मान्यता देनी चाहिये।

समापन समारोह में स्वागत वक्तव्य देते हुए प्रो0 रचना श्रीवास्तव ने माननीय कुलपति महोदय एवं सभी विशिष्ट जनों का स्वागत और अभिनन्दन किया। प्राचार्या ने कहा कि माननीय कुलपति महोदय के निर्देश में विश्वविद्यालय उन्नति की तरफ अग्रसर हो रहा है। महाविद्यालय का इतिहास बताते हुए आपने कहा कि काॅलेज महिलाओं के सर्वांगीण विकास को प्रश्रय देता है। आपने कार्यशाला के महत्व और प्रासंगिकता के विषय में बताया।

कार्यक्रम में प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष एम.पी. अहिरवार सहित अन्य विद्वतजन भी मौजूद रहे। संस्कृत विभाग की छात्राओं ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। इस मौके पर कार्यशाला के प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। इस महत्त्वपूर्ण कार्यशाला का संयोजन प्रो. विदुला जायसवाल और डाॅ. आरती कुमारी ने किया। इस कार्यशाला के जरिये प्रतिभागियों ने विश्व और भारतीय परिप्रेक्ष्य में पुरा इतिहास के जलवायु के साथ मानव के साहचर्य और संघर्षों के इतिहास को जाना। व्याख्यान और प्रयोग के माध्यम से प्रतिभागियों को पाषाण उपकरणों के निर्माण और प्रकार की विस्तृत जानकारी मिली। संगीत विभाग की छात्राओं ने महाविद्यालय की कुलगीत प्रस्तुति की। जिसका निर्देशन प्रो. सीमा वर्मा ने किया तथा तबले पर संगत सौम्यकान्ति मुखर्जी ने किया। 

कार्यक्रम के अंत में वसंत कन्या महाविद्यालय की सहायक आचार्य, प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग डाॅ. नैरंजना श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. आरती चैधरी ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की समस्त शिक्षक/शिक्षिकायें सहित डाॅ. राम नरेश पाल, डाॅ. राजीव रंजन, प्रो. रीता रे, डाॅ. मीरा शर्मा, डा. अंशु शुक्ला, छात्रायें व कर्मचारीगण उपस्थित थे।

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