जुलूस-ए-मोहम्मदी में इस्लामी परचम के साथ ही लहराया तिरंगा झंडा
नबी की सुन्नत और ईमान की मजबूती पर उलेमा ने दिया जोर
शहर काजी का जुलूस पहुंचा रेवड़ी तालाब, तो दावते इस्लामी का बेनियाबाग मैदान
Sarfaraz/Rizwan
Varanasi (dil India live)। पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स.) की यौमे पैदाइश (जन्मदिन) पर हर्षोल्लास के साथ जहां शहर भर में जुलूस निकाला गया वहीं देर रात से सुबह तक अंजुमनों का नातिया मुकाबला चला। इस दौरान अमन, एकता और सौहार्द की परम्परा ईद मिलादुन्नबी में इस बार भी देखने को मिली। आयोजनों में इस्लामी रंग-बिरंगे परचम के साथ देश की शान तिरंगा झंडा भी लहराता दिखाई दिया। शाम में वरुणा पार और आसपास के मुहल्लों, अलवीपुरा, पठानी टोला आदि में भी जुलूस-ए मोहम्मदी निकाला गया। ऐसे ही अंजुमन फैज़ाने नूरी, अर्दली बाज़ार के जानिब से "जुलूसे मोहम्मदी" बाद नमाज़ अस्र अपनी पुरानी रवायत के मुताबिक उठ कर अपने पुराने कदीमी रास्ते से होते हुए अन्जुमन के डायस पर आकर सलातो सलाम के बाद खत्म हुआ।
इससे पहले शहर काजी मौलाना जमील अहमद रजवी की क़यादत में रेवड़ी तालाब अजहरी मैदान से सुबह जुलूस निकाला गया जो भेलुपूर, गौरीगंज, रविन्द्रपुरी, शिवाला. सोनारपुरा, होते हुए गोदौलिया, बांसफाटक समेत विभिन्न परम्परागत रास्तों से होता हुआ रेवड़ी तालाब मैदान में आकर संपन्न हुआ। इस दौरान अमन, एकता मुल्क से मोहब्बत की शहर काजी ने दुआएं मांगी और लोगों को नेकी के रास्ते पर चलने की हिदायत दी। मुफ्ती अहसन कमाल, मौलाना याकुब साहब, मौलाना शफीक अजमल, मौलाना शफीक अहमद समेत काफी हूजुम जुलूस में मौजूद था।
नबी का पैग़ाम देती तख्तियों ने खींचा ध्यान
जूलूस में गौरीगंज के इम्तियाज खां के संयोजन में नबी का नूरानी पैग़ाम देती तख्तियां लेकर सैकड़ों लोग चल रहे थे। इन पर प्यारे नबी की प्यारी प्यारी बातें जो हदीस से साबित है लिखी गई थी। इन तख्तियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा।
दावते इस्लामी जुलूस-ए मोहम्मदी कमेटी
मरकजी दावते इस्लामी जुलूस-ए मोहम्मदी कमेटी द्वारा निकाले गए जुलूस ने मुल्क से मोहब्बत, नबी की सुन्नत और ईमान की मजबूती का पैग़ाम दिया। जुलूस में किछौछा शरीफ के सज्जादानशीन की मौजूदगी लोगों की सरपरस्ती कर रही थी। जुलूस के बाद बेनियाबाग में जुटे देश के आलिम व उलेमा ने नबी की सुन्नत, नेकी का रास्ता और अपने देश से किए जाने वाली मोहब्बत पर रौशनी डाली।
मौलाना हसीन अहमद हबीबी सदर काजी बनारस की अगुवाई में निकले जुलूस में आल इंडिया काजी बोर्ड के सैय्यद कौसर रब्बानी साहब ने सदारत की। इससे पहले प्रातः 6:30 बजे जुलूस-ए-मुहम्मदी (स०) मरकज़ी दावते-इस्लामी जुलूस ए मोहम्मदी कमेटी के तत्वाधान में रेवड़ी तालाब अजहरी मैदान से चलकर भेलुपूर, गौरीगंज, रविन्द्रपुरी, शिवाला. सोनारपुरा, होते हुए गोदौलिया, बांसफाटक पहुंचा जहाँ सर्व समाज के धर्म गुरुओं ने जुलूस में उपस्थित लोगों को बैज लगाया व फूल मालाओं के साथ माल्यार्पण कर स्वागत किया। गोदौलिया पर अनेक हिन्दू संस्थाओं ने जुलूस-ए-मोहम्मदी का बैनर लगाकर स्वागत किया। बुलानाला. मैदागिन, लोहटिया में इसरा के बैनर तले जुलूस के विशिष्ट अतिथियों का माल्यार्पण किया गया। इसके बाद हरी झंडी दिखाकर हाजी अबु ज़फर ने जुलूस को आगे रवाना किया। डॉ. ओमशंकर, डॉ. ए. के. कौशिक डॉ. अफ़ज़ल, डॉ. हैदर अली, भाई के. के. सिंह, इसरा के जनरल सेक्रेटरी डॉ मोहम्मद फारुख ने बुके पेश किया और माल्यार्पण कर हार्दिक बधाई दी। कई स्थानों पर चाय कॉफी का स्टाल लगाया गया था। इस जुलूस की अध्यक्षता मुफ्ती बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती अब्दुल हादी खां रिजवी ने किया। जुलूस का नेतृत्व मुफ़्ती बोर्ड के सेक्रेटरी व जामा मस्जिद के शाही इमाम और नवनिर्वाचित सदर काज़ी-ए-शहर बनारस मौलाना हसीन अहमद हबीबी कर रहे थे। जुलूस में सरकार की आमद मरहबा , मुख्तार की आमद मरहबा...के नारे लग रहे थे। जुलूस में कई मुस्लिम संगठन ने भी अपने स्टॉल गौरीगंज, मदनपुरा, चौक, बुलानाला, लोहटिया, आदि पर लगाया था। जलूस अपने परम्परागत रास्ते से होता हुआ गोदौलिया, नीचीबाग, मैदागिन, कबीरचौरा पियरी, होते बेनियाबाग पहुंचा। बनारस के कई मुहल्लों के छोटे छोटे जुलूस जैसे अर्दली बाजार, अहाता उल्फत बीबी, गोलघर, नदेसर, तेलियाबाग, लहुराबीर पियरी, पर जाकर मुख्य जुलूस मे शामिल हो गया और एक छोटा जुलूस शक्कर तालाब, जलालीपुरा, गोलगड्डा, पीलीकोठी, विशेश्वरगंज होते हुए मुख्य जुलूस में मैदागिन पर जाकर मिल गया। इसके अतिरिक्त बजरडीहा लल्लापुरा आदि स्थानों से भी छोटे छोटे जुलूस बड़े जुलूस में शामिल हो गये। जुलूस को देखने के लिए सड़कों के दोनों तरफ मकानों पर महिलाओं व बच्चों की भीड़ थी।
बेनियाबाग मैदान में जलसा
जुलूस बेनियाबाग में पहुंचकर जलसे के रूप में परिवर्तित हो गया। जलसे का आगाज़ कारी कौसेन मोअज्जम ने कुरान की तिलावत से किया तो मौलाना अंजुम रजा नूरी इलाहाबाद व मौलाना उजैर आलम साहब हकाकटोला, अल्लामा अब्दुल मोईद रज़ा कादरी, मौलाना हमज़ा शैदा इस्माईली ने हुजूर की पैदाइश,उनकी सीरत और अमन की तालीम पर रौशनी डाली। अवाम शायरों में मोहम्मद कौसर बरकाती, आरिफ शमीम, वसीम अत्तारी. आबिद जमाल, दानिश अत्तारी. शाहजेब अख्तर इत्यादी लोग शामिल थे। इसके अतिरिक्त गणमान्य नागरिकों में केके सिंह, हाजी अब्दुल अमीन, हाजी अमीर अहमद, हाजी अनीस (मुंशी), हाजी हाफिज जावेद अख्तर, हाजी हाफिज नूर, हाफ़िज़ शोएब अहमद, हाफ़िज़ मूसा, डाक्टर हम्ज़ा आदि लोग शामिल थे। मौलाना हसीना अहमद हबीबी सदर काज़ी-ए-शहर बानरस ने हिंदुस्तान की खुशहाली के लिए दुआ की व सभा का समापन हजरत अल्लामा मौलाना सय्यद कौसर रब्बानी साहब की दुआ (प्रार्थना) और सलातो सलाम पर संपन्न हुआ।
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