हिंदी का संबंध केवल संस्कृत से नहीं, बल्कि पाली, प्राकृत और अपभ्रंश जैसी समृद्ध परंपरा से
Varanasi (dil india live). वसंत कन्या महाविद्यालय परिसर में हिंदी सप्ताह की शुरूआत प्रो. सुमन जैन (हिंदी विभाग, महिला महाविद्यालय बीएचयू) के मुख्य आतिथ्य में कुलगीत से हुआ। इस अवसर पर प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव, प्रो. सुमन जैन, निर्णायक मंडल की सदस्याएँ डॉ. अनुराधा बापुली, डॉ. पूनम वर्मा एवं प्रो. सुमन जैन तथा हिंदी विभाग से आभासी मंच से प्रो. आशा यादव (विभागाध्यक्ष), डॉ. सपना भूषण, डॉ. शशिकला की उपस्थिति रही। भजन प्रतियोगिता में छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर अपनी स्वर लहरियों से भक्ति-रस की गंगा प्रवाहित कर दी। हिंदी साहित्यकारों द्वारा रचित भजनों की प्रस्तुतियों में तबले पर डॉ अमित ईश्वर का संगत वातावरण में और अधिक माधुर्य घोल गया। मुख्य अतिथि प्रो. सुमन जैन ने सभी को हिंदी सप्ताह की बधाई देते हुए कहा-“हिंदी का संबंध केवल संस्कृत से नहीं, बल्कि पाली, प्राकृत और अपभ्रंश जैसी समृद्ध परंपरा से है। हमें अपनी भाषा को सम्मान देना चाहिए, क्योंकि भाषा ही हमारी पहचान है। शब्दों की साधना ही ज्ञान की साधना है।” इसके उपरांत प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने सभा को संबोधित करते हुए हिंदी की वैश्विक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा-“हिंदी की समृद्धि इसी में है कि यह विभिन्न भाषाओं के शब्दों को आत्मसात करती है। आज 140 करोड़ की जनसंख्या में केवल 65 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम न केवल हिंदी बोलें, बल्कि शुद्ध हिंदी बोलकर उसकी प्रतिष्ठा बढ़ाएँ।” अंत में निर्णायक मंडल की ओर से डॉ. पूनम वर्मा द्वारा प्रतियोगिता एवं आयोजन की सफलता पर हार्दिक शुभकामनाएँ दी गई।
इसके साथ डॉ. अनुराधा बापुली ने सुमधुर भजन से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संपूर्ण कार्यक्रम का संयोजन डॉ. प्रीति विश्वकर्मा एवं सुश्री राजलक्ष्मी जायसवाल द्वारा किया गया। संचालन परास्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा प्रतिभा सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन परास्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा सौम्या मिश्रा ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अन्य विभाग से डॉ. कमला पाण्डेय एवं अतिथि डॉ. सरिता लखोटिया सहित महाविद्यालय के समस्त शिक्षकवृंद की स्नेहमयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को अत्यंत सफल और अविस्मरणीय बना दिया।
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