सोमवार, 8 सितंबर 2025

Education: VKM Varanasi Main डॉ. प्राची विराट सोनटके का व्याख्यान

पुरातत्व, मिथक व वैज्ञानिक पद्धतियों पर डाली रौशनी

Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा वाराणसी में प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति और पुरातत्व विभाग के क्लब एंटीक्विटी द्वारा 'वार्ता में' कार्यक्रम के तहत डॉ. प्राची विराट सोनटके का व्याख्यान संपन्न हुआ। व्याख्यान का विषय पुरातत्त्व, मिथक और वैज्ञानिक पद्धतियां' था। मुख्य वक्ता ने मिथकों और पुरातत्व के बीच के अंतर्संबंधों को विस्तार के साथ प्रस्तुत किया और इस बात पर बल दिया कि पुरातत्त्व से ज्ञात ऐतिहासिक तथ्यों का मिथकों या पारंपरिक ज्ञान के साथ मिश्रण, वैज्ञानिक चिंतन और गवेषणात्मक पद्धतियों का मुख्य चिंतन बिंदु होना चाहिए।

उन्होंने वैश्विक और भारतीय संदर्भों में मिथकों और आख्यानों के पुरातात्त्विक आधार का विश्लेषणात्मक और तथ्य-पूर्ण विवरण देते हुए ऐसे उदाहरणों को प्रस्तुत किया जिनके माध्यम से इतिहास के अनसुलझे या छुपे रहस्यों को प्रकाशित किया जाना संभव है। कु. महिमा और कु. ताविशी ने मंच संचालन किया। एंटीक्विटी क्लब की समन्वयक कुमारी प्राची और कुमारी आद्रिका अग्रवाल ने मुख्य अतिथि को सम्मान चिन्ह देकर सम्मानित किया।कार्यक्रम में प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के प्राध्यापकों की उपस्थिति रही। प्राचार्या ने अपने शुभकामना संदेश में क्लब एंटीक्विटी के प्रयासों की सराहना की और अंतर्विषयी मुद्दों पर कार्यक्रम आयोजित करने के इस प्रयास को सार्थक पहल बताया।।

मनाया गया अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 

“कृत्रिम बुद्धिमत्ता : वैश्विक साक्षरता के लिए वरदान या अभिशाप” पर हुई चर्चा 
वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा में “कृत्रिम बुद्धिमत्ता : वैश्विक साक्षरता के लिए वरदान या अभिशाप” विषय पर अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया गया। यह कार्यक्रम समाजशास्त्र विभाग द्वारा उसके सामाजिक-सांस्कृतिक एवं अकादमिक मंच “ओशन शेल” के अंतर्गत आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में साक्षरता के लिए आलोचनात्मक जागरूकता और संतुलित समझ अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने छात्राओं को ऐसे सार्थक विमर्शों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया जो एक जागरूक और जिम्मेदार समाज के निर्माण में सहायक हों। समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. कल्पना आनंद ने प्रतिभागियों एवं निर्णायकों का स्वागत करते हुए कहा कि इस प्रकार के अकादमिक मंच विद्यार्थियों को वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत करने का मूल्यवान अवसर प्रदान करते हैं।
कार्यक्रम के अंतर्गत दिए गए विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता का मूल्यांकन विशिष्ट निर्णायक मण्डल द्वारा किया गया, जिसमें प्रो. इन्दु उपाध्याय, प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग, डाॅ. अंशु शुक्ला, एसोसिएट प्रोफेसर, गृह विज्ञान विभाग, डाॅ. पूर्णिमा सिंह, सहायक प्रोफेसर, अंग्रेज़ी विभाग शामिल थी। 
इन्हें किया गया पुरस्कृत 
कार्यक्रम का संचालन स्निग्धा यादव एवं सत्या शुभम (बी.ए. अंतिम वर्ष) द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. अखिलेश कुमार राय द्वारा दिया गया। इस अवसर पर समाजशास्त्र विभाग की प्राध्यापिकाएँ डाॅ. सिमरन सेठ, डाॅ. अनुराधा बापुली एवं डाॅ. दिविशा राय सहित अन्य विभागों के शिक्षकगण भी प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए उपस्थित थी।

मृणालजीत (एम.ए. अंतिम वर्ष, समाजशास्त्र ऑनर्स) ने प्रथम स्थान प्राप्त किया; जीना जुब्लिकर डटनैन (बी.ए. प्रथम वर्ष, राजनीति विज्ञान ऑनर्स) ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया; तथा सौम्या त्रिपाठी (बी.ए. द्वितीय वर्ष, इतिहास ऑनर्स) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। सांत्‍वना पुरस्कार क्रमशः काव्यांजलि चौरेसिया (बी.ए. द्वितीय वर्ष, भूगोल ऑनर्स), वैष्णवी दुबे (एम.ए. प्रथम वर्ष, समाजशास्त्र ऑनर्स) एवं जीत मोहिनी कुक्रेजा (बी.ए. द्वितीय वर्ष, इतिहास ऑनर्स) को प्रदान किए गए।

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