गुरुवार, 11 सितंबर 2025

Central Hajj Committee के पूर्व सदस्य हाफिज नौशाद आज़मी का इंतकाल

भुलाई नहीं जा सकती हाफिज नौशाद आज़मी की खिदमात 

बनारस में भी अफसोस में डूबे हज से जुड़े खिदमतगार 

Varanasi (dil India live). हज सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सेंट्रल हज कमेटी के पूर्व निर्वाचित सदस्य हाफिज नौशाद आज़मी का लम्बी बीमारी के बाद आज इंतकाल हो गया है। वो अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उन्हें कब सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा इसका ऐलान अभी बाकी है। संभावना जुमा की नमाज के बाद की जताईं जा रही है। 

गौरतलब हो कि हाफिज नौशाद आज़मी मऊ जिले के मोहम्मदाबाद गोहना थाना क्षेत्र के बंदी कला नगरी पार के रहने वाले हैं। वो तकरीबन तीन दशक से भी ज्यादा समय से हज यात्रियों की समस्याओं और उनकी सहूलियतों को लेकर संघर्ष करते रहे और कामयाब भी हुए। उनके प्रयास से ही लखनऊ और बनारस से हज की उड़ान शुरू हुई थी। बनारस से उड़ान बंद होने से वो काफी दुखी थे। बनारस से पुनः उड़ान और हज सब्सिडी जैसे मुद्दों पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वाद दाखिल किया था जिसमें बीमारी के बावजूद तारीखों पर वो लगातार जाते थे। मदनपुरा के हाजी एखलाख ने उनके इंतकाल पर अफसोस जाहिर किया और कहा कि वो भले ही नगरी पार के थे मगर उनका एक पैर मुम्बई, तो दूसरा लखनऊ और बनारस में हुआ करता था। हज के काम से वो दिल्ली में भी लम्बे समय तक डटे रहा करते थे। उनका जाना बड़ा नुक़सान है। हाजी अबु जफर ने कहा कि इधर वो लगातार बीमार थे इसके बावजूद हज के काम में लगे हुए थे। उनकी कमी पूरी नहीं की जा सकती। पूर्वांचल हज सेवा समिति के हाजी रेयाज कादरी ने कहा कि उनसे मेरी ताल्लुकात बनारस से हज की उड़ान शुरू होने से पहले से थी। वो हमेशा हज के लिए दिन रात लगे रहते थे। इसरा के जनरल सेक्रेटरी हाजी फारुख खां ने कहा कि हाफिज नौशाद आज़मी साहब की झीनी ख़िदमात कभी भुलाई नहीं जा सकती। वो हमेशा हज यात्रा और हाजियों के लिए संघर्ष करते रहे। 

बता दें कि अगस्त में उनकी तबीयत बिगड़ी और वो गोरखपुर में एडमिट हुए वहां से उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया। आज जुमेरात के मुबारक दिन वो दुनिया से रुखसत हो गयें। इसी के साथ बनारस से पुनः उड़ान का उनका ख़्वाब अधूरा ही रह गया।

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