भावों का रस हिन्दी वाला और माँ का प्यार निराला...
Varanasi (dil india live)। डीएवी पीजी कॉलेज में हिन्दी विभाग के तत्वावधान में चल रहे हिन्दी सप्ताह के दूसरे दिन मंगलवार को स्वरचित काव्य पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। नदी (प्रकृति), देश और समाज, पारिवारिक रिश्ते और हिन्दी का महत्त्व जैसे विषयो पर 50 से अधिक नवांकुरों ने काव्य पाठ किया। अभय राज पाण्डेय ने 'एक हमसफ़र को होती है कंधे रूपी सहारे की जरूरत', शुभम पाण्डेय ने 'भावों का रस हिन्दी वाला और माँ का प्यार निराला', आदर्श कुमार ने 'माँ की ममता ठंडी छाया, बाबू का गुस्सा' सुनाया। खुशहाल ने 'देख इस बहती गंगा को', रोहित चौधरी ने 'नदी के तट पर बड़ी देर तक, बैठा रहा में निश्छल शांत', आदित्य शुक्ला ने 'मैंने फुटपाथ किनारे बैठे लड़को को देखा' सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।
धर्मराज ठाकुर ने 'बचपन ना रहा', अनिमेष कुमार प्रवीण ने 'हाँ हिन्दी मातृ भाषा हिन्दी, तू संस्कृत से जन्मी है', रिया सिंह ने 'वृद्धावस्था में देखकर जिस भाषा मे बुलाया माँ, हिन्दी ही है वह', नेहा यादव ने 'मेरे अजीज मन', सुहानी कक्कड़ ने 'पर्वतों की पाप धुलती, चलती निस्वार्थ तरंगिणी' सुनाया।
इसके अलावा जयंत शुक्ला, विश्वास तिवारी, युवराज कुमार, गोविन्द नारायण वैभव, गरिमा तिवारी, आकाश, स्वाति, चारु शर्मा, शिवम आदि ने काव्यपाठ किया।
अध्यक्षता प्रो. राकेश कुमार राम, संयोजन डॉ. अस्मिता तिवारी एवं विषय प्रवर्तन प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने किया। निर्णायक मण्डल में डॉ. ओमप्रकाश कुमार, डॉ. नीलम सिंह एवं डॉ. श्वेता मिश्रा रही। स्वागत डॉ. विजय यादव ने किया। संचालन विश्वास तिवारी एवं धन्यवाद आकांक्षा चौबे ने दिया। कार्यक्रम में 80 से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए।
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