नहाय खाय संग लोक आस्था का पर्व छठ शुरू
बाजारों में रौनक, फलों-सामानों की खरीदारी में जुटे श्रद्धालु
एफ.फारूकी/संतोष नागवंशी
Varanasi (dil india live)। बिहार ही नहीं लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा अब काशी में भी अपनी खास पहचान बना चुका है। शहर के कोने-कोने में छठ की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। बाजारों में फलों, दौरा-सूप और पूजन सामग्री की दुकानों पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है। नहाय खाय संग शनिवार से शुरू हुए पर्व को लेकर महिलाओं और पुरुषों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। रविवार को दूसरे दिन खरना है।
शहर के लंका, बीएचयू, भेलूपुर, चेतमणी चौक, चितईपुर, सिगरा, अर्दली बाज़ार, पांडेयपुर, लालपुर सहित प्रमुख बाजारों में फलों की विशेष सजावट की गई है। पूजा के दौरान उपयोग होने वाले मौसमी फल केला, सेब, मौसमी, अनार, अमरूद, सिंघाड़ा, नारियल, कच्ची हल्दी और अदरक की मांग सबसे अधिक थी। हालांकि, इस बार महंगाई का असर बाजार में साफ दिखाई दे रहा है, लेकिन श्रद्धालु आस्था के आगे किसी भी कीमत की परवाह नहीं कर रहे और बढ़-चढ़कर खरीदारी कर रहे हैं। छठ पूजा सूर्य देव को समर्पित पर्व है। इसमें माताएं और महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी उम्र की कामना से कठोर व्रत रखती हैं।
जाने पर्व की प्रमुख विधियां क्या हैं
- पहला दिन – नहाय-खाय
- दूसरा दिन – खरना
- तीसरा दिन – डूबते सूर्य को अर्घ्य
- चौथा दिन – उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पारण
इस दौरान घर से लेकर घाटों तक सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। शहर के घाटों, तालाबों और सरोवरों पर लोग पहुंचकर घाटों की सफाई, बेदी निर्माण और सजावट में जुटे हुए हैं। पहले जहां यह पर्व मुख्य रूप से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित था, वहीं अब काशी में भी इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। ग्रामीण इलाकों की महिलाएं भी परंपरागत तरीके से छठ पर्व मनाने लगी हैं।
संकल्प, शुचिता और अनुशासन से भरे इस पर्व में सांस्कृतिक जुड़ाव और आस्था की अनोखी झलक देखने को मिलती है। काशी में गंगा किनारे इस महापर्व के आयोजन से शहर में भी बिहार संस्कार का सुंदर संगम दिखाई पड़ता है। आस्था और उल्लास से परिपूर्ण छठ महापर्व के चलते काशी की बाजारों से लेकर घाटों तक रौनक साफ झलक रही है, और शहर पूरी तरह इस आध्यात्मिक पर्व की तैयारी में जुटा हुआ है।





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