किसानों ने की थी पूजा, मुस्लिमों ने अदा की थी तब नमाज़
वाराणसी01दिसंबर (dil india live)। अगहनी जुमे की नमाज सिर्फ बनारस में ही अदा की जाती है इसके बारे में बुनकर बिरादराना तंजीम बावनी के सदर हाजी मुख्तार महतो कहते हैं कि अगहनी जुमे की नमाज की ये परम्परा लगभग 450 साल पुरानी है उस वक़्त देश में सुखा पड़ा था जिसकी वजह से किसान और बुनकर दोनों परेशान थे, बारिश नहीं हो रही थी जिसके कारण किसान खेती नहीं कर पा रहे थे। जबरजस्त मंदी से बुनकरों के बुने हुए कपडे नहीं बिक रहे थे। हर तरफ भूखमरी का आलम था। तब उस वक्त बुनकरों ने अपने अपने कारोबार को बन्द करअगहन के महीने में जुमे के दिन ईदगाह में इकठ्ठा होकर नमाज अदा कर अल्लाह की बारगाह में दुआए मांगी गयी और हिन्दू किसानों ने पूजा की थी। उसके बाद अल्लाह के रहमो करम से बारिश हुयी और देश में खुशहाली आई बुनकरों के कारोबार भी चलने लगा तब से अगहनी जुमे की यह परंपरा आज तक कायम है। अगहनी जुमे को बनारस में मुस्लिम नमाज़ अदा करते हैं तो हिन्दू गन्ने की फसल पूजा के बाद बेचने पहुंचते हैं। नमाज़ अदा करके लौटने वाले गन्ना खरीद कर अपने घरों को लौटते हैं।
इस पारंपरिक अगहनी जुमे की नमाज की परंपरा को बनारस में बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के सरदार की सदारत में निभाई जाती है इस मौके पर बाईसी तंजीम के सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ दरोगा ने बताया की अगहनी जुमे की नमाज की इस ऐतिहासिक परम्परा को हम सब की तंजीम बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के देख रेख में पुरानापुल पुल्कोहना ईदगाह में हर साल अदा की जाती है। जब जब देश के अवाम के ऊपर ऊपर मुसीबते आती है तो बनारस के सारे बुनकर अगहन के महीने में अपने अपने कारोबार को बंद कर ईदगाह में इकठ्ठा होकर अगहनी जुमे की नमाज अदा करने हजारो हजार की तादाद में पहुंचते है और अपने अपने कारोबार में बरक्कत और मुल्क की तरक्की के लिए दुआए मांगते है। इस साल अगहनी जुमे की नमाज पुरानेपुल पुलकोहना ईदगाह में 3 दिसंबर को अदा की जायेगी। जिसमें सभी बुनकर भाइयो से बाईसी तंजीम ने गुजारिश की है कि उस दिन सभी बुनकर अपना अपना करोबार बन्द कर पुरानापुल ईदगाह पहुंच कर अगहनी जुमे की नमाज अदा करे। ऐसे ही चौकाघाट ईदगाह पर भी अगहनी जुमे की नमाज़ अदा की जाती है।
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