नवसाधना कला केंद्र में तीन दिवसीय शांति शिविर
राष्ट्रीय एकता, शांति और न्याय पर बोले बुद्धिजीवी
वाराणसी 18 दिसंबर ()।धार्मिक सत्ता स्थापित करने का प्रयास लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है.देश में पिछले कुछ सालों से ऐसे ही प्रयास किये जा रहे हैं। जिससे मुल्क की साझी विरासत पर खतरा मंडरा रहा है।
ये बातें सामाजिक चिंतक और मुम्बई आई आई टी के पूर्व प्रोफेसर राम पुनियानी ने तरना स्थित नव साधना कला केंद्र में 'राइज एंड एक्ट' की तरफ से आयोजित तीन दिवसीय 'राष्ट्रीय एकता, शांति और न्याय' विषयक प्रशिक्षण शिविर में प्रथम दिन बोलते हुए कही। उन्होंने कहा कि भारत की साझी विरासत पर हर दिन खतरा बढ़ता जा रहा है। हमें इन खतरों से न सिर्फ़ सावधान रहना होगा बल्कि समझना भी होगा। आजादी की लड़ाई सभी धर्म जाति के लोगों ने मिलजुल कर लड़ी थी। आज उन्हें विभाजित किया जा रहा है। एक धर्म विशेष के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। प्रो.पुनियानी ने कहा कि समतावादी समाज के निर्माण के लिए संवैधानिक संस्थाओं और मूल्यों की रक्षा करने की जरूरत है जिन पर आज सर्वाधिक खतरा है। आज दलित, आदिवासी, महिला और अल्पसंख्यक निशाने पर हैं. उनकी दशा दिनों दिन खराब होती जा रही है। इतिहास को तोड़ मरोड़ कर गलत प्रचार किया जा रहा है. भारतीय सभ्यता और संस्कृति मिली-जुली रही है जिन्हें आज तोड़ने का हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है. हमारी कोशिश समता और समानता आधारित समाज के निर्माण की होनी चाहिए।
'मौजूदा दौर में मीडिया की भूमिका' विषय पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार एके लारी ने कहा मीडिया अपनी भूमिका से विरत हो चुका है. पूर्व की सरकारों के दौर में भी मीडिया की भूमिका पर सवाल उठते थे पर वह अपवाद स्वरूप होते थे आज हालत इससे उलट है. मीडिया ने जनसरोकार से किनारा कर के सत्ता सरोकार से रिश्ता बना लिया है. जिससे लोकतंत्र के चौथे खम्भे से आम जन का भरोसा उठता जा रहा है।
विशिष्ट वक्ता दीपक भट्ट ने लोकतन्त्र की चुनौतियों पर बातचीत करते हुए कहा कि इस समय सबसे बड़ी जरूरत युवाओं के साथ काम करने की है जिससे वे एक विश्लेषण की समझ बना सकें। वह मौजूदा दौर में लोकतंत्र में अपनी प्रभावी भूमिका निभा सकें। उनमें अपनी बात कहने और विरोध दर्ज करने का जज्बा बनाना जरूरी है।
इसके पूर्व शिविर का उद्घाटन डायसेस आफ वाराणसी के बिशप यूजिन जोसेफ़ ने किया। उन्होंने शिविर में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमें समाज निर्माण के लिए हर स्तर पर प्रयास करना चाहिए। जब तक इस प्रयास में हर तरह के फूलों को एक साथ बांधकर गुलदस्ता तैयार नहीं करेंगे तबतक एक बेहतर समाज नहीं बनाया जा सकता। प्रशिक्षण में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के सामाजिक कार्यकर्ता,अध्यापक,शोध छात्र और पत्रकारों की भागीदारी महत्वपूर्ण रही। शिविर के आयोजन का संचालन डा.मोहम्मदआरिफ ने किया।
1 टिप्पणी:
Achcha prayas h, aise hi programme vaqt ki zarurat h, varna democracy khatm hone m der nahi.
एक टिप्पणी भेजें