वाराणसी 27 दिसम्बर(dil india live) । बाल विवाह किसी बालिका का न सिर्फ बचपन बर्बाद करता है, बल्कि उसका पूरा भविष्य और उसकी अगली पीढ़ी का भविष्य भी बर्बाद कर देता है | इसे सिर्फ कानूनी माध्यम से नहीं रोका जा सकता है, इसके लिए हमे समाज में जागरूकता के साथ साथ बुनियादी आवश्यकताओं, जैसे – शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और रोजगार जैसे मसलों को भी एड्रेस करना होगा | उक्त विचार उ.प्र.राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य श्रीमती निर्मला सिंह पटेल ने व्यक्त किये | वे डॉ.शम्भुनाथ सिंह रिसर्च फाउंडेशन (एस.आर.एफ.) एवं चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राय) के संयुक्त तत्वावधान में बाल विवाह पीड़िताओं के आप – बीती (Testimony) कार्यक्रम के अध्यक्ष पद से विचार व्यक्त कर रही थी | उन्होंने कहा कि बालिकाओं के विवाह की उम्र 21 वर्ष करने के साथ ही हमे स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और सुरक्षा जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं की सार्वभौमिक उपलब्धता पर और गहन रूप से कार्य करना होगा |
पैनलिस्ट के रूप में विचार व्यक्त करते हुए महिला कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश वाराणसी मण्डल के उपनिदेशक श्री प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने कहा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह के सभी आयामों को ध्यान में रखते हुए प्राविधान किये गये है, ताकि एक तरफ पीड़ित बच्चों को न्याय मिल सके, वहीँ दूसरी तरफ इस कृत्य को अंजाम देने वालों के विरुद्ध कार्यवाही भी सुनिश्चित की जा सके, किन्तु आज आवश्यकता है इस क़ानून को कठोरता से लागू करने की | आज के इस आप – बीती कार्यक्रम में बाल विवाह पीड़ित महिलाओं की जो भी समस्याएं सामने आई है, हम उनका गंभीरतापूर्वक शीघ्रातिशीघ्र न केवल निराकरण करने का प्रयास करेंगे, बल्कि उनके माध्यम से जो समस्याएं हमारे सामने निकल कर आई है, उन समस्याओं का चिन्हांकन करते हुए बृहत स्तर पर कार्य रणनिति बनाकर आगे बढ़ेंगे |
वरिष्ठ मानवाधिकार अधिवक्ता श्री तनवीर अहमद सिद्दीकी ने कहा कि वर्ष 2006 में बना यह क़ानून कालान्तर में बच्चों के लिए बने अन्य कानूनों, जैसे – किशोर न्याय अधिनियम (जे.जे.एक्ट) और बालकों के विरुद्ध लैंगिक अपराध प्रतिषेध अधिनियम (पाक्सो एक्ट) से अंतर्संबंधित नहीं था, जिसकी वजह से बच्चों के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर न तो जवाबदेही तय थी और न ही दंड | जिसके लिए इसकी प्रस्तावित नियमावली में विशेष प्राविधान किये जाने की आवश्यकता है | उन्होंने प्रस्तुत मामलों में कई पीड़िताओं के विवाह शून्य कराये जाने, पीड़िताओं को महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा प्रतिषेध अधिनियम एवं आई.पी.सी. व सी.आर.पी.सी. की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सहायता से न्याय दिलाने की अनुशंसा की तथा उनके बच्चों को सी.पी.एस. की स्पांसरशिप व फास्टर केयर योजना तथा श्रम विभाग की बाल श्रम विद्या धन योजना के अंतर्गत आक्छादित करने की भी अपील की |
पैनलिस्ट एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के समाज कार्य संकाय के प्रमुख प्रो.संजय ने एन.एफ.एच.एस. डेटा के माध्यम से 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों में कुपोषण, एनीमिया, अर्ली मैरेज, अर्ली प्रेगनेंसी एवं बर्थ आदि की चुनौतियों को रेखांकित करते हुए नियमों को व्याहारिकता के परिपेक्ष्य में लागू करने का सुझाव दिया|
पैनलिस्ट एवं बाल कल्याण समिति, वाराणसी की अध्यक्ष सुश्री स्नेहा उपाध्याय ने कहा कि आज के इस आप – बीती कार्यक्रम में जिन भी महिलाओं के प्रकरण प्रस्तुत किये गये है, सी.डब्ल्यू.सी.द्वारा उनकी होम विजिट कराकर उनके बच्चों को महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के तहत आक्छादित कराया जाएगा |. इसके पूर्व कार्यक्रम में रुप्पनपुर की रेनू, उर्मिला, दानियालपुर की अनीता, सोनाली (परिवर्तित नाम), अम्बेडकरनगर की अनीता, मीरघाट की प्रियंका, हरिश्चन्द्रघाट की तनु, दामिनी, अमरपुर की रुकसाना, पुलकोहना की गुलफ्सा आदि ने बाल विवाह के कारण उनके जीवन में उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों और बदहाली तथा उनसे संघर्ष कर उबरने की व्यथा – कथा प्रस्तुत की | संस्था के बाल पहरुआ के सदस्यों ने गीत व नाटक प्रस्तुत किया |
प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ.शम्भुनाथ सिंह रिसर्च फाउंडेशन की कार्यक्रम निदेशक डॉ.रोली सिंह ने कहा कि फाउंडेशन एवं उनके सहयोगी संस्थाओं द्वारा विगत लम्बे समय से बाल विवाह अधिनियम के सुचारू क्रियान्वयन हेतु किये जा रहे कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया तथा उन्होंने कहा आज का यह आप – बीती कार्यक्रम कुछ सांकेतिक समस्याओं का प्रस्तुतिकरण था, जिनके जरिये असंख्य महिलाये और बच्चे चुनौतियों का सामना कर रहे है, जीवन जटिलता से जी रहे है, लेकिन जानकारी और पहुँच के आभाव में समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है |
कार्यक्रम के मोडरेटर एवं फाउंडेशन के महासचिव श्री राजीव कुमार सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा यदि बच्चों के विवाह की आयु 21 वर्ष निर्धारित की जाती है, तो ऐसे में इस क़ानून का जे.जे.एक्ट एवं पाक्सो एक्ट से अन्तर्सम्बन्ध पुनर्विश्लेषित करने की आवश्यकता होगी |
अंत में अपने सुझावों के साथ धन्यवाद ज्ञापन वन स्टॉप सेंटर की सेंटर मैनेजर रश्मि दुबे ने किया | इस अवसर पर सुधा, चेतना, दीपिका, दीक्षा, अजित, शुभम, रश्मि, अकलीमा, प्रीति, सरिता, आरती, श्रेया, आदि ने सहयोग प्रदान किया | कार्यक्रम को जे.जे.बी. सदस्य श्री त्रयम्बक शुक्ल और एड.व्योमेश चित्रवंश ने भी संबोधित किया| कार्यक्रम में जनमित्र न्यास के शोभनाथ, प्रतिभा, सुभाष, बृजेश, संजय, विनोद और ज्योति आदि ने भी प्रतिभाग कियाl
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें