सोमवार, 20 दिसंबर 2021

विश्व उर्दू दिवस पर छलका दर्द

उर्दू की उन्नति व अस्तित्व के लिए गंभीरता से प्रयास करना होगा

  • उर्दू ज़बान व अदब में भारतीय संस्कृति प्रतिबिंबित होती है: प्रो आफताब अहमद आफाकी 
  • उर्दू हमारी मादरी जबान है इसके लिए स्वयं गंभीर होना होगा:मुफ्तीए बनारस
  • उर्दू बीटीसी टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने शिक्षाविदों को"हफीज़ बनारसी" अवार्ड से नवाजा


वाराणसी 19 दिसंबर(dil india live)। विश्व उर्दू दिवस पर "उर्दू बहैसियत मादरी ज़बान"के शीर्षक से रविवार को उर्दू बीटीसी टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन, ऊ प्र, वाराणसी के सौजन्य से काज़ीसादुल्लापूरा स्थित सिटी गर्ल्स इंटरमीडिएट कॉलेज में "आठवां जश्न ए उर्दू" सेमिनार आयोजित हुआ। जिसकी अध्यक्षता मुफ्ती ए बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने की।

         इस अवसर पर मुख्य अतिथि बीएचयू के उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो आफताब अहमद आफाकी ने कहा कि उर्दू ज़बान का जन्म व उन्नति भारत में ही हुई है इसलिए उर्दू में यहां की सभ्यता और संस्कृति का होना स्वाभाविक है। उर्दू की ये विशेषता है कि यह धर्म या क्षेत्र विशेष की भाषा न होकर सभी की धमनियों में प्रवाहित है। उर्दू हमारी मातृ भाषा है जिसकी हैसियत हमेशा परिपूर्ण रहेगी। हमारे इतिहास, सभ्यता और अहम कारनामों के साक्ष्य इसी भाषा में संरक्षित हैं, इसलिए इसकी उन्नति व अस्तित्व के लिए हमे गंभीरता से प्रयास करना चाहिए।उर्दू के लिए यह एक सुखद अवसर है और हमे अपनी भाषा की रक्षा और विकास के लिए स्वयं कार्य करना होगा।उर्दू के विकास के लिए हमे अपने घरों से कोशिश करनी होगी, हमे अपने बच्चों को उर्दू पढ़ाना होगा तथा उर्दू अखबार व पत्रिकाओं से परिचित कराना होगा। यह हमारे देश की भाषा, हमारी सभ्यता और संस्कृति है। हमारी सारी सांस्कृतिक पूंजी उर्दू में है इसलिए हमे इसकी सुरक्षा खुद करनी होगी।

     


 विशिष्ट अतिथि जिला शिक्षा एवम प्रशिक्षण संस्थान (डायट) सारनाथ, वाराणसी की उर्दू की प्रवक्ता डॉक्टर नगमा परवीन ने कहा कि उर्दू हमारी मातृ भाषा ही नहीं, ये हमारी संपूर्ण संस्कृति भी है। इसके संरक्षण और तरक्की के लिए प्रयास करना होगा, इसके लिए हमे उर्दू शिक्षा को आम करना होगा तभी हम अपनी ज़बान की हिफाजत कर सकते हैं। इस भाषा में ऐसी मधुरता और आकर्षण है कि ये सबका ध्यान आसानी से प्राप्त कर लेती है।मदरसा मजहरूल उलूम के वरिष्ठ अध्यापक जनाब अफसर अहमद ने कहा कि जो कौम अपनी ज़बान का एहसास नहीं करती उसका अस्तित्व मिट ही जाना है। मातृ भाषा के बिना आंखें तो होगी मगर दृष्टि नही, दिमाग तो होगा मगर स्वतंत्र नही होगा। ऐसे लोग न अतीत का ज्ञान रखते हैं न वर्तमान की चिंता। डी ए वी डिग्री कॉलेज की प्रवक्ता तमन्ना शाहीन ने कहा कि स्वतंत्रता का पूरा इतिहास इसी उर्दू भाषा में संरक्षित है। ये स्वतंत्रता आंदोलन में होने वाले बलिदान की साक्षी है, इसका खत्म होना हमारे अस्तित्व का नष्ट होना है। हमे नई पीढ़ी को मातृ भाषा की उचित शिक्षा देने की व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि यह हमारी सभ्यता व संस्कृति की पहचान है।

           अपने अध्यक्षीय संबोधन में मुफ्ती ए बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि उर्दू हमारी मादरीज़बान है इसके लिए हमे खुद गंभीर होना होगा तभी हम दूसरो से आशा कर सकते हैं। यह ज़बान केवल एक धर्म की नही है, इसके विकास का दायित्व हर शहरी का है। अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाना अच्छी बात है लेकिन उसके साथ ही हमे उर्दू की भी शिक्षा दिलानी होगी तभी आने वाली पीढ़ियों को पूर्वजों का बलिदान मालूम हो सकेगा। हम एक घंटे ही सही लेकिन बच्चो को उर्दू जरूर पढ़ाएं। प्रख्यात शायर अहमद आज़मी ने अपनी नज्मों व गजलों से प्रोग्राम की खूबसूरती को बढ़ाया।

इस अवसर पर अतिथियों को उनकी साहित्यिक और शैक्षिक सेवा के लिए "हफीज़ बनारसी अवार्ड"2021से नवाज़ा गया।साथ ही अतिथियों को बुके और शाल देकर सम्मानित किया गया। प्रोग्राम की शुरुआत हाफिज नफीसुर्रहमान ने कुरआन की तिलावत से की और नौशाद अमान "सोज़" ने नात और हेना परवेज़ ने कौमी तराना पढ़ा। स्वागत भाषण अब्दुर्रहमान ने व धन्यवाद ज्ञापन संस्था के अध्यक्ष एहतेशामुल हक ने पेश किया। कार्यक्रम का संचालन इशरत उस्मानी ने बखूबी निभाया।

       


   इस अवसर पर उर्दू बीटीसी टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के संरक्षक इश्तियाक अंसारी, अध्यक्ष डॉक्टर एहतेशामुल हक, महामंत्री मोहम्मद जफर अंसारी, कोषाध्यक्ष महबूब आलम, उपाध्यक्ष शाहनवाज खां व बेबी फातमा,संत अल्हनीफ एजुकेशन सेंटर के डायरेक्टर हाजी वसीम अहमद, सिटी गर्ल्स इंटर कालेज के प्रबंधक हाजी रईस अहमद,नैशनल इंटर कालेज के उर्दू प्रवक्ता ज्याउद्दीन अंसारी,मदरसा मतलउल उलूम के वरिष्ठ अध्यापक अकील अंसारी,सलीम बनारसी,हाजी खुर्शीद,हाजी अमीरुल्लाह,मुफ्ती अहमद सईद, मंजूर अहमद, अब्दुल्लाह,हारून, तमन्ना बेगम, अली इमाम, आज़ाद अंसारी, चिराग अंसारी, शफीक आलम, मुहम्मद सुहेल, शगुफ्ता अंजुम, डॉक्टर नजमुस्सहर, शकील अंसारी, ज़हीर अख्तर, इमरान खान, राशिद अनवर, आमरा जमाल, हिना कौसर, हुसैन अहमद आरवी, आयशा परवीन, सदरुद्दीन, एहतेशाम हैदर, रुखसार, आयशा अरवीन, तबस्सुम, रहमत अली, महफूजा खातून, जावेद अख्तर, एच हसन नन्हे, शमीम रियाज़, हफीज़ मुनीर, इरफान इत्यादि मौजूद थे।

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