काशी से हज पर गये यात्रियों के अजीजों की बढ़ी धड़कने
Varanasi (dil India live)। काबा में मुक़द्दस हज के अय्याम शुरु हो गये है और काशी से हज पर गये सवा छह सौ हज यात्रियों के अज़ीज़ों कि धड़कने तेज हो गई है। हर कोई अपने अज़ीज़ों के लिए दुआएं मांग रहा है कि उनके अज़ीज़ हज का सफर कामयाबी से पूरा करके काशी हंसी–खुशी लौटें। लोगों को इस बात की खुशी भी है कि उनके अजीज हज करके जब लौटेंगे तो उनके नाम के आगे हाजी लग जाएगा मगर बेचैनी इस बात कि है कि कहीं कोई अनहोनी न हो। बस यही वजह है कि दुआओं का दौर तेज हो गया है। काबा में हज हो रहा है और काशी में दुआएं। जायरीन मिना से रवाना होकर अराफात पहुंचे हैं। दरअसल हज के पांच दिन के जो अय्याम मुकर्रर है हज के यात्रा के दौरान इन पांच दिन केवल और केवल रब की इबादत ही होती है। इस दौरान जायरीन का अपने अजीजों से सम्पर्क टूट जाता है यही वजह है कि जिसके अजीज हज करने गए हैं वो लोग दुआओं में लग जाते हैं।
दरअसल कई बार हज के अय्याम के दौरान हादसे हुए हैं कभी शैतान को कंकड़ी मारते समय तो कभी तवाफ करते या फिर मिना के मैदान में खाना बनाते समय आग लगने के कारण। इसी के चलते लोग तब तक सुकुन नहीं ले पाते जब तक कि हज का पांच दिन का अय्याम मुकम्म्ल नहीं हो जाता है, और उनकी अपने अजीज हाजियों से बातचीत नहीं हो जाती।
इस साल 7 जून को जब हिंदुस्तान में लोग बक़रीद का ग्लोबल पर्व मना रहे होंगे तो काशी समेत दुनिया भर से काबा के दीदार को गये जायरीन शैतान को कंकरी मारकर अपना हज मुकम्मल कर रहे होंगे। दरअसल इस्लाम में हज फर्ज माना गया है। ये इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। इस्लाम के मुताबिक अल्लाह की रज़ा के लिए ज़िंदगी में एक बार हज पर जाना बेहद जरूरी है। इस्लाम में माना जाता है कि हज करके लौटने वाला जब हाजी बनकर लौटता है तो वो गुनाहों से ऐसे पाक हो जाता है जैसे मां के पेट से पैदा हुआ बच्चा मासूम और बेगुनाह होता है। इसलिए हज का इस्लाम में खासा महत्व है। हर कोई जिन्दगी में एक बार हज करने की ख्वाहिश जरुर दिल में पाले रहता है।
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