जानिए कौन थें जां निसार अख्तर, जावेद अख्तर से उनका क्या है रिश्ता
dil India live (Desk).
आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ हो
नज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है...
अशआर मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं।।
कुछ शेर फ़क़त उन को सुनाने के लिए हैं...
यह अशरार कभी लिखा था प्रगतिशील लेखक व शायर जान निसार अख्तर ने। आप शायद नहीं जानते होंगे प्रसिद्ध गीतकार और शायर जावेद अख्तर के वो वालिद थे। "मरहूम जाँ निसार अख्तर" एक महत्वपूर्ण उर्दू शायर, गीतकार और कवि थे। वे प्रगतिशील लेखक आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। उन्होंने हिंदी फिल्मों में "ऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादान आरज़ू क्या है, जुस्तजू क्या है" , " आजा रे, आजा रे, ओ मेरे दिलवर आजा दिल की प्यास बुझा जा रे " के लिए भी गाने लिखे। जो बेमिसाल है। आज पेश है उनकी याद में एक ग़ज़ल, देखें...
"कौन कहता है तुझे मैंने भुला रक्खा है
तेरी यादों को कलेजे से लगा रक्खा है
लब पे आहें भी नहीं आँख में आँसू भी नहीं
दिल ने हर राज़ मुहब्बत का छुपा रक्खा है
तूने जो दिल के अंधेरे में जलाया था कभी
वो दिया आज भी सीने में जला रक्खा है
देख जा आ के महकते हुये ज़ख़्मों की बहार
मैंने अब तक तेरे गुलशन को सजा रक्खा है।"
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