गुरुवार, 5 जून 2025

मक्का से बड़ा ऐलान Hajj 2025 के ख़ुतबे का 34 भाषाओं में होगा अनुवाद

नेक पहल: भारतीय उर्दू भाषा में भी होगा अनुवाद 

मोहम्मद रिजवान/सरफराज अहमद 

Makkah (dil India live). मक्का से एक ऐतिहासिक और बड़ा ऐलान किया गया है। इस वर्ष हज 1446 (2025) के दौरान दिए जाने वाले ख़ुतबे को दुनिया भर के हाजियों के लिए 34 भाषाओं में अनुवादित करने की स्कीम का ऐलान किया है। इस साल का पवित्र हज ख़ुतबा प्रतिष्ठित इस्लामी विद्वान शेख सालेह बिन हमैद (Sheikh Salih Bin Humaid) द्वारा दिया जाएगा। यह ख़ुतबा मक्का की ऐतिहासिक मस्जिद नमिरा से दिया जाएगा और इसे दुनिया भर में प्रसारित किया जाएगा। इससे करोड़ों लोगों को लाभ होगा।


34 जुबां में होगा प्रसारण

Hajj 2025 में यह ख़ुतबा जिन जुबांनों में ट्रांसलेशन (अनुवादित) किया जाएगा उनमें अरबी, हिन्दुस्तानी उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रेंच, इंडोनेशियन, फ़ारसी, हौसा, मंदारिन (चीनी), रूसी, बांग्ला, तुर्की, मलय (बहासा मेलयू), स्पेनिश, पुर्तगाली, इतालवी, जर्मन, फिलिपीनो (टागालोग), अम्हारिक (इथियोपिया), बोस्नियाई, हिंदी, डच, थाई, मलयालम, स्वाहिली, पश्तो, तमिल, अज़रबैजानी, स्वीडिश, उज़्बेक, अल्बेनियाई, फुलानी (फुला), सोमाली, रोहिंग्या, योरूबा शामिल है। माना जा रहा है कि यह एक बड़ा कदम है, क्यों कि पिछली बार केवल 10 भाषाओं में ख़ुतबे का अनुवाद किया गया था। इस साल की नई योजना हज अनुभव को और अधिक समावेशी एवं सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।


ख़ुतबे का सीधा प्रसारण (Live Broadcast) कई माध्यमों से किया जाएगा। इनमें एफएम रेडियो चैनल, विशेष मोबाइल एप्लिकेशन, और मक्का में मौजूद हाजियों के लिए ग्रैंड मस्जिद (Masjid Al-Haram) में लाइव इंटरप्रिटेशन (सीधा अनुवाद) सेवाएं शामिल है। इस ऐतिहासिक प्रयास के तहत The Islamic Information जैसे डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म भी लाइव मल्टी-लैंग्वेज ब्रॉडकास्ट प्रदान करेंगे. यह सुविधा उन लोगों के लिए भी उपयोगी होगी जो हज पर नहीं जा पा रहे हैं, लेकिन ख़ुतबे की शिक्षाओं को अपनी मातृभाषा में सुनना चाहते हैं।

अधिकारियों ने घोषणा की है कि सभी तकनीकी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं ताकि अनुवाद की गुणवत्ता उच्च स्तर की बनी रहे और संचार में किसी प्रकार की बाधा न आए। हाजियों के मोबाइल डिवाइसों के लिए समर्पित ऐप्लिकेशन, साथ ही ग्रैंड मस्जिद में उपस्थित लोगों के लिए ईयरपीस सुविधा की भी व्यवस्था की गई है। यह पहल उन लाखों हाजियों के लिए एक वरदान साबित होगी जिन्हें अब तक भाषा संबंधी अवरोधों के कारण ख़ुतबे को पूरी तरह समझने में कठिनाई होती थी। अब वे इस्लाम की महत्वपूर्ण शिक्षाओं को अपनी भाषा में सुन सकेंगे और हज के इस सबसे अहम क्षण में पूरी तरह सम्मिलित हो सकेंगे।


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