संगीत विषय के पहले एक कला है जिसका उद्देश्य कलाकार बनाना ही नहीं, वरन अच्छा मानव बनाना है संगीत से ही नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों का पोषण संभव है इसीलिए इस ओर रुचि जगाने के लिए ऐसी कार्यशाला की आज संस्थानों को आवश्यकता है।- प्रो. रचना श्रीवास्तव
संगीत के एक्सपर्ट ने सांझा किए प्रशिक्षुओं से ज्ञान
Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय के संगीत गायन विभाग की ओर से कंठ संस्कार एवं संगीत के विभिन्न क्षेत्रों में आवाज बनाव एवं अभ्यास विषयक पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर रचना श्रीवास्तव के मार्ग दर्शन एवं कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर सीमा वर्मा के नेतृत्व में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आगाज़ दीप प्रज्वलन से हुआ, तत्पश्चात मां सरस्वती एवं डॉ एनी बेसेंट के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई तत्पश्चात संगीत विभाग द्वारा कुलगीत की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य ने कहा की संगीत विभाग द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रम का किया जाना वस्तुतः वर्तमान संदर्भ में एक अच्छा संकेत है। क्योंकि संगीत विषय के पहले एक कला है जिसका उद्देश्य कलाकार बनाना ही नहीं, वरन अच्छा मानव बनाना है संगीत से ही नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों का पोषण संभव है इसीलिए इस ओर रुचि जगाने के लिए ऐसी कार्यशाला की आज संस्थानों को आवश्यकता है। कार्यक्रम में आभासीय माध्यम से जुड़कर मंच कला संकाय की संकाय प्रमुख प्रोफेसर संगीता पंडित ने भी ऐसे ज्वलंत विषय पर कार्यशाला के आयोजन को महत्वपूर्ण और प्रासंगिक बताते हुए महाविद्यालय को बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की। कार्यक्रम की संयोजिका सीमा वर्मा ने विषय प्रतिस्थापना में इस कार्यशाला के मुख्य पहलू पर ध्यान केंद्रित कराया, जिसमें अनुशासित अभ्यास, स्वर का परिष्कृत स्वरूप, खरज अभ्यास का माप, उसकी स्थिरता, आवाज की दमकशी, सांस बनाव, तकनीकी पहलू, आर्टिकुलेशन, कस्टमाइजेशन विभिन्न विधाओं में आवाज और पिच का अभ्यास आदि केंद्रित महत्वपूर्ण प्रश्न और समाधान की बात रखी। अतिथि कलाकार डॉ राम शंकर ने खरज का अनुपात, पिच की गंभीरता, मंच प्रदर्शन में और अभ्यास की तकनीकी में अंतर, गुरमुख से मिली तालीम और विभिन्न परिस्थितियों में आवाज के लगाव में सौंदर्य अलंकरण पर प्रायोगिक रूप से समझाया। तबले पर महाविद्यालय के ही सौम्यकांति मुखर्जी ने सहयोग प्रदान किया तो तानपुरे पर इशान घोष ने संगत किया। आभासीय माध्यम से भी जुड़े संगीत रसिकों के प्रश्नों का भी समाधान किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ पूनम मिश्रा ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए। कार्यक्रम में आभासीय माध्यम से डॉ निशा झा, मधुरानी शुक्ला आदि कलाकार एवं सितार विभाग से डॉ. सुमन सिंह, डॉ अमित ईश्वर, डॉ सपना भूषण, डॉ. आशीष सहित अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज से एवं आर्य महिला पीजी कालेज के शिक्षक उपस्थित थे। कार्यशाला में १०६ बच्चों ने सम्मिलित होकर ज्ञानार्जन किया। काशी हिंदू विश्व विद्यालय के संगीत विभाग के छात्र छात्राओं ने भी कार्यशाला में प्रतिभागिता कर कार्यक्रम को वर्तमान बदलते तकनीकी दौर में संगीत आवश्यक बताकर संतोष अभिव्यक्त किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पूनम वर्मा ने दिया।
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