आत्मावलोकन के लिए संगीत आवश्यक-प्रो.रचना श्रीवास्तव
Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय के तत्वावधान में संगीत गायन विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला के समापन समारोह मां शारदे एवं डॉ. एनी बेसेंट के चित्र पर पुष्पांजलि समर्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। संगीत विभाग द्वारा कुलगीत की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम में प्राचार्या प्रोफेसर रचना श्रीवास्तव ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि आत्मावलोकन के लिए संगीत आवश्यक है। कहा कि अपनी मूल्यवान संस्कृति को सहेजने के लिए एवं शारीरिक एवं मानसिक उत्तम स्वास्थ्य के लिए ऐसी कार्यशाला के आयोजन की आवश्यकता सदैव रहेगी। कार्यक्रम संयोजिका प्रोफेसर सीमा वर्मा द्वारा द्वारा राग अलहैया बिलावल, राग यमन एवं सिखाई हुई बोल बनाव की ठुमरी की प्रस्तुति की गई। हारमोनियम पर विनीता गुजराती, तबले पर सौम्य कांति मुखर्जी ने संगत किया। समापन सत्र के दूसरे चरण में गुलाब बारी कार्यक्रम में डॉ रामशंकर का गायन हुआ। उन्होंने राग भीम पलासी की प्रस्तुति की विलंबित रचना ताल एकताल में आधारित थी जिसके बोल थे मंदार नहीं आयें पिया और तीनताल पर आधारित द्रुत खयाल के बोल लगन लगी थी, अपनी गायन का समापन राम विवाह की चैती गायन से किया। तबले पर सौम्य कांति मुखर्जी, हारमोनियम पर हर्षित उपाध्याय, तानपुरे पर इशान घोष ने संगत किया। कार्यक्रम में आर्य महिला इंटर कॉलेज, आर्य महिला पीजी कॉलेज, अग्रसेन पीजी कॉलेज, विद्यापीठ, मंच कला संकाय काशी हिंदू विश्वविद्यालय, स्वरंगण काशी, नाद स्वर चेन्नई, भातखंडे विद्यापीठ लखनऊ आदि के विद्यार्थी ने भाग लिया। कार्यक्रम में मंचकला संकाय की संकाय प्रमुख प्रोफेसर संगीता पंडित ने जुड़कर ऐसे उच्चस्तरीय कार्यक्रम की वर्तमान प्रासंगिकता की बात करते हुए महाविद्यालय परिवार को बधाई दी, कार्यक्रम का संचालन डॉ, पूनम वर्मा ने किया। कार्यक्रम में चैती गायन की प्रस्तुति का उद्देश्य काशी की २०० साल से भी पुरानी विरासत से छात्राओं का परिचय करना भी था, कार्यक्रम की अगली कड़ी में आगे बढ़ते हुए महाविद्यालय की प्रबंधक ने कार्यक्रम की सराहना किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षकों के अतिरिक्त अन्य संगीत प्रेमियों ने उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा में अभिवृद्धि कर कार्यशाला को सफल बनाया।
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